वायरस का वायरस - ऋषभ कुर्मी
COMICS OUR PASSION प्रस्तुत करते हैं
स्थान -सिटीमाल एरिया, डी डी पुरम, राजनगर।
समय-01:00 A.M.
अभी कुछ देर पहले ही सिटीमाल के starworld सिनेमा में 'अ फ्लाइंग जट्ट' का आखिरी शो खत्म हुआ था।
Mr Mehta - क्या बकवास शो था! ये भी कोई देखने लायक मूवी थी!
Mrs Mehta- मूवी के बारे में जो बोला सो बोला ,अगर टाइगर श्रॉफ के बारे में कुछ बोला तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।
Mr. Mehta - हुँह! इतनी बकवास एक्टिंग! उसको तो एक्टिंग का A भी नहीं आता। पता नहीं कहा से ये बच्चे एक्टिंग करने चले आते है!
Mrs. Mehta- आखिरी वार्निंग है प्राणनाथ! इसके आगे कुछ कहा तो आपके प्राणों पर भी बन सकती है। गुर्रर!
और क्या एक्टिंग-एक्टिंग लगा रखा है। खुद को क्या बहुत बड़ी तोप समझते हैं! पजामे में रहना सीख लीजिये, ज्यादा फैलेंगे तो फट जाएगा । हीहीही!
Mr. Mehta-(गुस्से से) में क्या डरता हूँ तुमसे,जो धौंस दिखा रही हो!
Mrs. Mehta-फिर से बोलिये तो सही!!!अब चूहे भी दहाड़ेंगे क्या?
(तभी पीछे से दो लोग आते हैं)
Pehla-(जोर से Mr Mehta के चमाट रसीद करके) ये का बवाल मचा रहे हो बे! दफा हो जाओ! वर्ना पैर तोड़कर हाथ में दे देंगे।
Mrs. Mehta- तुम लोगो की इतनी जुर्रत! मेरे चूहे! मेरा मतलब, मेरे पति पर हाथ उठाया! छोडूंगी नहीं मैं तुम्हे....(बक.... बक....बक....)
Dusra-यही reason है, मैं शादी नहीं करने का decide किया हूँ! देखो कैसा जुबान चल रहा है! कैसे रहते हो ई नरकवा में, भाईसाहब!
Pehla-अरे! ये तो कुछ बोल ही नहीं रहे हैं! लगता है हाथ कुछ ज्यादा ही भारी पड़ गया बे! अभी तक असर है। हीहीही।
Mr. Mehta- ये सब क्या हो रहा है? हम यहाँ कैसे आ गये मालिनी? कौन हो आप दोनों?
Mrs. Mehta- गजिनी में तो देखा था, हतौड़ा मारा तो आमिर खान की याददाश्त गयी थी, यहाँ तो एक ही हाथ में चली गयी।
Pehla- ह्म्म।
Mrs. Mehta- मैं इस फिल्म की पूरी cast पर case करूँगी ....दिखाते कुछ है और होता कुछ है...consumer कोर्ट में घसीटूँगी इनको मैं.....ये तो कुछ वैसा ही हुआ जैसे अनार कहकर अचार पकड़ा दिया जाये! गुर्रर!
Dusra- सही कह रहीं हैं मैडम! ये तो ससुर गजिनी वाला case हो गया। कम्पलीट याददाश्त गया।
Mrs. Mehta- लेकिन मुझको तो पहचान रहे हैं मेरे प्राणनाथ! शायद थोड़ी याददाश्त गयी है। हीहीही!
(अचानक) ये सब तुम्हारी वजह से हुआ है कमीनो!...मैं तम्हारा खून पी जाऊंगी! ..मैंने घर जा कर इनको बेलन और चिमटे से धरने का प्लान बनाया था ...लेकिन तुम लोगो ने पहले ही उनके गाल पर धर दिया! गुर्रर!
Pehla- ये क्या मैडम ! ...कॉमेडी नाइट्स विद कपिल से सीधा WWF! ये तो चीटिंग है!
Dusra- रे भैंस की पूँछ! ये तो 'लेडी धर्मेंद्र ' है रे...खून पीयेगी! भागो! हीहीही!
Pehla- और वैसे भी मैडम! आपका हस्बैंड तो साबुत ही है न ...आराम से घर जाकर वापस धरना ससुर को! P K तो देखी ही होगी!...टक्कर लगने से याददाश्त जावे है तो दूसरी टक्कर से आ भी जावे है! हीहीही!
Mr. Mehta - बहुत हुई तुम सब की बकवास... अब ज्यादा....
(इतने में वहाँ एक स्पेशल बाइक की आवाज़ आती है और फिर आता है राजनगर का रक्षक सुपर कमांडो ध्रुव! और साथ ही आते है पीटर और रेनू।)
(ध्रुव अपने बेल्ट से एक अजीब सा डिवाइस निकालकर उसको एक्टिवेट करता है।डिवाइस हवा में 200 फ़ीट ऊपर जाकर फट जाता है और उससे एक लाल गैस निकलती है जिससे झगड़ रहे चारो लोग बेहोश हो जाते हैं।)
Dhruv- पीटर इन लोगो को हॉस्पिटल पंहुचा दो...जब ये होश में आयेंगे तो इनका अपने मष्तिष्क पर वापस नियंत्रण होगा। लेकिन इस एंटीडोट की वजह से कुछ घंटों के लिए कमजोरी महसूस होगी।
Peter- ठीक है कैप्टेन!
Dhruv-रेनू! तुम श्वेता और डा० प्रिशा से कहकर ढेर सारी एंटीडोट बनवाओ ताकि पूरे राजनगर पर एक साथ उसका प्रयोग कर सकें।अभी रात का वक़्त है लेकिन असली समस्या तो आज सुबह को होगी जब लाखो लोग सो कर उठेंगे और अपने मष्तिष्क पर से नियंत्रण खो बैठेंगे। ऐसी स्थिति में प्रशासन भी लाचार हो जायेगा।
Renu- मैंने करीम को कॉल करके बोल दिया है कैप्टेन! मगर ये मानसिक नियंत्रण खो बैठना, और इतना जल्दी उसका एंटीडोट तैयार होना!ये सब क्या है कैप्टेन ?
Dhruv- ये संयोग की बात है। राजनगर की बायोलॉजी लैब की हेड साइंटिस्ट डॉ०प्रिशा और श्वेता की चार महीने पहले मुलाकात हुई थी, और इस मुलाकात में एक प्रोजेक्ट पर साथ काम करने की सहमति बनी।
Renu- कैसा प्रोजेक्ट कैप्टेन?
Dhruv- डॉ० प्रिशा मानसिक रूप से विक्षिप्त लोगो को ठीक करने के लिए एक रिसर्च कर रही थीं.....और श्वेता भी एक जीनियस साइंटिस्ट है...और इसीलिए डा० प्रिशा इस प्रोजेक्ट में श्वेता को लेना चाहती थीं। तीन महीने बाद इस प्रोजेक्ट को एक बड़ी सफलता मिली...जब ये पता चला की ब्रेन को कमांड करने के लिए कुछ ख़ास प्रकार के ब्रेन सेल्स होते हैं और मानसिक रूप से विक्षिप्त लोगो के ब्रेन में ये सेल्स पूर्ण क्षमता से कार्य नहीं कर रहे थे,जिसकी वजह से नर्व सेल्स से इनका पूर्ण सामंजस्य नहीं हो पाता था। इसकी वजह से निर्णय लेने और सोचने-विचारने की क्षमता पर गहरा प्रभाव पड़ता था।
Renu- ब्रिलियंट! श्वेता ने एक बार फिर खुद को साबित कर दिया!
Dhruv- डा० प्रिशा को मत भूलो!...ये उनका ही आईडिया था और इस प्रोजेक्ट में उनका और उनकी टीम का बहुत बड़ा योगदान है।
Renu- हम्म। आगे बताओ कैप्टेन।
Dhruv-इसके बाद उन सेल्स पर कई एक्सपेरिमेंट किये गये। लेकिन सफलता स्टेम सेल्स के साथ मिली। जब स्टेम सेल्स को ख़ास कंटेनर्स में ऐसी परिस्थितियों में रखा गया जैसी कि स्त्री के गर्भ में होती हैं तो स्टेम सेल्स से कई नए सेल्स उत्पन्न हुए। उनमे ये ब्रेन सेल्स भी थे। ये सेल्स ब्रेन की, बॉडी पर कमांड को निर्देशित करते हैं, consciousness बढ़ाते हैं। इन सेल्स से सटीक निर्णय लेने में मदद मिलती है। जो लोग मानसिक रूप से मजबूत होतेहैं,उनके ये सेल्स बहुत एक्टिव होते हैं।
Renu- तुम इतने यकीन से कैसे कह सकते हो?
Dhruv-जब शुरू शुरू मे इन सेल्स के बारे में मालूम पड़ा तो इनका अध्ययन किया गया।नतीजे चौकाने वाले थे.....इन सेल्स में अपना खुद का दिमाग था।तभी मैंने सोचा इन सेल्स को महामानव के सेल्स से compare करते हैं। धनंजय की मदद से महामानव का सैंपल हमारे हाथ लग गया।
Renu- अब ये महामानव बीच में कहा से आ गया?
Dhruv- सोच कर देखो रेनू,महामानव एक अतिविकसित मस्तिष्क वाला प्राणी है... लेकिन ऐसा क्या है जो उसका दिमाग इतना विकसित है? इसका जवाब आसान नहीं था और एक संभावना मेरे सामने थी। मैंने इसकी जांच करने का निर्णय ले लिया। और देखो ...इस बार जवाब हमें मिल गया। वो ये सेल्स ही हैं, जिन्होंने महामानव को महामानव बनाया। बस महामानव के सेल्स विकसित थे और ये सेल्स अभी भ्रूण हैं। इस प्रकार हमें इन सेल्स का महत्त्व समझ में आया।
Renu- interesting! और इसी बीच आज रात को ये दिमाग वाली बीमारी शुरू हुई, और तुमको ये सेल्स का इस्तेमाल करने का आईडिया सूझा।
Dhruv- हा ये इत्तेफाक की बात है कि हमारे पास इलाज पहले से था....और इसीलिए एंटीडोट समय से तैयार हो गया...वर्ना कल की तस्वीर बहुत भयानक हो सकती थी।
Renu- लेकिन तुमको इस रिसर्च की इतनी डिटेल्स कैसे मालूम है captain!
क्या क्राइम फाइटिंग छोड़कर साइंटिस्ट बनने वाले हो!
Dhruv- हा! हा! हा! मैंने श्वेता की थीसिस पढ़ी थी इसीलिए मुझे ये सब मालूम है।
लेकिन,इस बीमारी के पीछे किसका हाथ है, ये पता लगाना बहुत जरुरी है। ये प्राकृतिक तो नहीं है।
Renu- ये जरूर किसी microbiologist का काम होगा कैप्टेन! ब्रेन सेल्स को डैमेज पहुचाना किसी आम साइंटिस्ट की बस की बात नहीं।
और डा० वायरस अभी पिछले महीने ही जेल से रिहा हुआ है।
Dhruv- हम्म! वह इतने समय से तो खामोश है।मुझे कन्फर्म करना होगा।
तुम श्वेता के पास जाओ और जैसे ही एंटीडोट तैयार हो , उसे राजनगर के atmosphere में फैला देना। मै डा० वायरस की छान बीन करता हूँ।
Renu-ओके कैप्टेन! गुड लक!
(ध्रुव अपने मित्र पशु पक्षियों को वायरस को ढूँढने के काम पर लगा कर हटता ही है, तभी उसके ट्रांसमीटर पर एक अंजान फ्रीक्वेंसी से कॉल आती है।)
पिंग पिंग
Dhruv- ध्रुव हीयर!
Ajnabi- हेल्लो ध्रुव!
Dhruv- कौन हो तुम? और मेरे ट्रांसमीटर पर कनेक्ट कैसे कर लिया? ये तो कोडेड है।
Ajnabi-ऐसे बचकाने सवाल पूछकर अपनी समझदारी पर सवाल खड़े मत करो ध्रुव!
Dhruv-में तुम्हारी तरह फुर्सत में नही हूँ। पहेलिया मत बुझाओ! मुझे किसलिए कॉल किया?
Ajnabi- अब तुमने अक्लमंदी भरा सवाल पूछा!....तो सुनो,.....तुम्हारा डा० वायरस पर शक सही है। इन घटनाओं के पीछे उसका ही हाथ है।
Dhruv- तुम्हे कैसे मालूम मुझे किस पर और क्यों शक है? कौन हो तुम? और मुझे ये सब क्यों बता रहे हो?
Ajnabi- इतने सारे सवाल! हाहाहा! लेकिन जवाब एक ही मिलेगा कमांडो! आम खाओ, पेड़ मत गिनो।
Dhruv- तुम कुछ ज्यादा ही रहस्यमयी बन रहे हो! मैं तुम्हारा यकीन कैसे करूँ?
Ajnabi-यकीन करना है या नहीं, ये निर्णय तुम्हारे हाथ में है। विदा ध्रुव! जल्द ही मुलाकात होगी।
(कॉल कट जाती है।)
Dhruv- ( कौन था ये रहस्यमयी शख्स? इसकी बातों से एक चीज स्पष्ट है,..मामला ऊपर से जैसा नजर आता है, असल में उससे कहीं गहरा और उलझा हुआ है। इसका बोलने का लहजा भी कुछ अलग था....ये मुझे किसी की याद दिलाता है...लेकिन किसकी? ऐसा क्यों लगता है जैसे में इसको पहले से जानता हूँ? मुझे कुछ बुरा होने का आभास हो रहा है।और जल्द मुलाकात होने का क्या मतलब है? मिलना ही है तो खुद को इतना गुप्त क्यों रख रहा था...परिचय क्यों नहीं दिया?
कुछ तो गड़बड़ है। सतर्क रहना होगा।)
(ध्रुव करीम से संपर्क करता है।)
Kareem- यस कैप्टेन! करीम हीयर!
Dhruv- राजनगर के सभी cctv फुटेज चेक करो। देखो डा० वायरस राजनगर में कहाँ है।मुझे ऐसी सभी जगहों की लिस्ट चाहिए जहाँ कहीं भी वह जेल से रिहा होने के बाद गया है। और कैडेट्स को वहाँ भेजकर वायरस की गतिविधियों की जानकारी इकठ्ठा करो।
Kareem- मैं समझ गया कैप्टेन।
( ध्रुव डिसकनेक्ट कर देता है। तभी कुछ पक्षी उसको वायरस के ठिकाने का पता देते हैं।)
Dhruv- (इस बार कुछ अजीब हो रहा है, मुझे खास तैयारी करनी होगी। तब तक करीम भी लोकेशन कन्फर्म कर देगा।)
Same time, unknown place-
Ajnabee- अभी तक सब कुछ उसी प्रकार हो रहा है कुशाग्र , जैसी हमने कल्पना की थी।
kushagr- आप महान हैं श्रेष्ठ! आपका उद्देश्य महान है, आपकी योजना जरूर सफल होगी।
Ajnabi- तुम भूल रहे हो, ध्रुव आज तक किसी से नहीं हारा।और वह समय नजदीक है , जब उसे अपने अस्तित्व का भान होगा,अपनी ताकत का पूर्ण ज्ञान होगा। ऐसी स्थिति में हम सोचने को मजबूर हैं, क्या हमने वायरस को चुनकर सही फैसला लिया है?
Kushagr- ताकत से ध्रुव को नहीं जीता जा सकता श्रेष्ठ! वह कोई न कोई युक्ति खोजकर, उसका अपने प्रतिद्विन्दी पर ही इस्तेमाल कर लेता है।उसको हराने के लिए उसके दिमाग पर वार करना होगा। आप निश्चिंत रहिये, मैंने वायरस को सारी योजना समझ दी है।
Ajnabi- हमें तुम पर पूर्ण विश्वास है कुशाग्र, ध्रुव पर कतई नहीं है।
Kushagr- आप बस देखते जाइये श्रेष्ठ! आज सूर्य बुझ सकता है,पृथ्वी अपनी गति करना छोड़ सकती है, इस सृष्टि के समस्त क्रिया-कलाप रुक सकते हैं...सब कुछ बदल सकता है, नहीं बदलेगी, तो बस एक चीज....सुपर कमांडो ध्रुव की हार! हाँ आज हारेगा ध्रुव और आज़ाद करेगा उसको, ख़त्म करेगा उसका इंतजार....जिसके लिए ध्रुव ने ली थी - "प्रेम प्रतिज्ञा!"
(भाग एक समाप्त।)
कौन हैं अजनबी और कुशाग्र? ध्रुव के लिए वायरस ने क्या तैयारी कर रखी है जो कुशाग्र इतना आश्वस्त है? कौन है वह जो कर रहा है ध्रुव का इंतजार, किसके लिए ध्रुव ने ली है प्रेम प्रतिज्ञा? इन सब सवालो का जवाब मिलेगा अगले भाग - 'प्रेम प्रतिज्ञा' में।😊
वायरस का वायरस
लेखक - ऋषभ कुर्मी
स्थान -सिटीमाल एरिया, डी डी पुरम, राजनगर।
समय-01:00 A.M.
अभी कुछ देर पहले ही सिटीमाल के starworld सिनेमा में 'अ फ्लाइंग जट्ट' का आखिरी शो खत्म हुआ था।
Mr Mehta - क्या बकवास शो था! ये भी कोई देखने लायक मूवी थी!
Mrs Mehta- मूवी के बारे में जो बोला सो बोला ,अगर टाइगर श्रॉफ के बारे में कुछ बोला तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।
Mr. Mehta - हुँह! इतनी बकवास एक्टिंग! उसको तो एक्टिंग का A भी नहीं आता। पता नहीं कहा से ये बच्चे एक्टिंग करने चले आते है!
Mrs. Mehta- आखिरी वार्निंग है प्राणनाथ! इसके आगे कुछ कहा तो आपके प्राणों पर भी बन सकती है। गुर्रर!
और क्या एक्टिंग-एक्टिंग लगा रखा है। खुद को क्या बहुत बड़ी तोप समझते हैं! पजामे में रहना सीख लीजिये, ज्यादा फैलेंगे तो फट जाएगा । हीहीही!
Mr. Mehta-(गुस्से से) में क्या डरता हूँ तुमसे,जो धौंस दिखा रही हो!
Mrs. Mehta-फिर से बोलिये तो सही!!!अब चूहे भी दहाड़ेंगे क्या?
(तभी पीछे से दो लोग आते हैं)
Pehla-(जोर से Mr Mehta के चमाट रसीद करके) ये का बवाल मचा रहे हो बे! दफा हो जाओ! वर्ना पैर तोड़कर हाथ में दे देंगे।
Mrs. Mehta- तुम लोगो की इतनी जुर्रत! मेरे चूहे! मेरा मतलब, मेरे पति पर हाथ उठाया! छोडूंगी नहीं मैं तुम्हे....(बक.... बक....बक....)
Dusra-यही reason है, मैं शादी नहीं करने का decide किया हूँ! देखो कैसा जुबान चल रहा है! कैसे रहते हो ई नरकवा में, भाईसाहब!
Pehla-अरे! ये तो कुछ बोल ही नहीं रहे हैं! लगता है हाथ कुछ ज्यादा ही भारी पड़ गया बे! अभी तक असर है। हीहीही।
Mr. Mehta- ये सब क्या हो रहा है? हम यहाँ कैसे आ गये मालिनी? कौन हो आप दोनों?
Mrs. Mehta- गजिनी में तो देखा था, हतौड़ा मारा तो आमिर खान की याददाश्त गयी थी, यहाँ तो एक ही हाथ में चली गयी।
Pehla- ह्म्म।
Mrs. Mehta- मैं इस फिल्म की पूरी cast पर case करूँगी ....दिखाते कुछ है और होता कुछ है...consumer कोर्ट में घसीटूँगी इनको मैं.....ये तो कुछ वैसा ही हुआ जैसे अनार कहकर अचार पकड़ा दिया जाये! गुर्रर!
Dusra- सही कह रहीं हैं मैडम! ये तो ससुर गजिनी वाला case हो गया। कम्पलीट याददाश्त गया।
Mrs. Mehta- लेकिन मुझको तो पहचान रहे हैं मेरे प्राणनाथ! शायद थोड़ी याददाश्त गयी है। हीहीही!
(अचानक) ये सब तुम्हारी वजह से हुआ है कमीनो!...मैं तम्हारा खून पी जाऊंगी! ..मैंने घर जा कर इनको बेलन और चिमटे से धरने का प्लान बनाया था ...लेकिन तुम लोगो ने पहले ही उनके गाल पर धर दिया! गुर्रर!
Pehla- ये क्या मैडम ! ...कॉमेडी नाइट्स विद कपिल से सीधा WWF! ये तो चीटिंग है!
Dusra- रे भैंस की पूँछ! ये तो 'लेडी धर्मेंद्र ' है रे...खून पीयेगी! भागो! हीहीही!
Pehla- और वैसे भी मैडम! आपका हस्बैंड तो साबुत ही है न ...आराम से घर जाकर वापस धरना ससुर को! P K तो देखी ही होगी!...टक्कर लगने से याददाश्त जावे है तो दूसरी टक्कर से आ भी जावे है! हीहीही!
Mr. Mehta - बहुत हुई तुम सब की बकवास... अब ज्यादा....
(इतने में वहाँ एक स्पेशल बाइक की आवाज़ आती है और फिर आता है राजनगर का रक्षक सुपर कमांडो ध्रुव! और साथ ही आते है पीटर और रेनू।)
(ध्रुव अपने बेल्ट से एक अजीब सा डिवाइस निकालकर उसको एक्टिवेट करता है।डिवाइस हवा में 200 फ़ीट ऊपर जाकर फट जाता है और उससे एक लाल गैस निकलती है जिससे झगड़ रहे चारो लोग बेहोश हो जाते हैं।)
Dhruv- पीटर इन लोगो को हॉस्पिटल पंहुचा दो...जब ये होश में आयेंगे तो इनका अपने मष्तिष्क पर वापस नियंत्रण होगा। लेकिन इस एंटीडोट की वजह से कुछ घंटों के लिए कमजोरी महसूस होगी।
Peter- ठीक है कैप्टेन!
Dhruv-रेनू! तुम श्वेता और डा० प्रिशा से कहकर ढेर सारी एंटीडोट बनवाओ ताकि पूरे राजनगर पर एक साथ उसका प्रयोग कर सकें।अभी रात का वक़्त है लेकिन असली समस्या तो आज सुबह को होगी जब लाखो लोग सो कर उठेंगे और अपने मष्तिष्क पर से नियंत्रण खो बैठेंगे। ऐसी स्थिति में प्रशासन भी लाचार हो जायेगा।
Renu- मैंने करीम को कॉल करके बोल दिया है कैप्टेन! मगर ये मानसिक नियंत्रण खो बैठना, और इतना जल्दी उसका एंटीडोट तैयार होना!ये सब क्या है कैप्टेन ?
Dhruv- ये संयोग की बात है। राजनगर की बायोलॉजी लैब की हेड साइंटिस्ट डॉ०प्रिशा और श्वेता की चार महीने पहले मुलाकात हुई थी, और इस मुलाकात में एक प्रोजेक्ट पर साथ काम करने की सहमति बनी।
Renu- कैसा प्रोजेक्ट कैप्टेन?
Dhruv- डॉ० प्रिशा मानसिक रूप से विक्षिप्त लोगो को ठीक करने के लिए एक रिसर्च कर रही थीं.....और श्वेता भी एक जीनियस साइंटिस्ट है...और इसीलिए डा० प्रिशा इस प्रोजेक्ट में श्वेता को लेना चाहती थीं। तीन महीने बाद इस प्रोजेक्ट को एक बड़ी सफलता मिली...जब ये पता चला की ब्रेन को कमांड करने के लिए कुछ ख़ास प्रकार के ब्रेन सेल्स होते हैं और मानसिक रूप से विक्षिप्त लोगो के ब्रेन में ये सेल्स पूर्ण क्षमता से कार्य नहीं कर रहे थे,जिसकी वजह से नर्व सेल्स से इनका पूर्ण सामंजस्य नहीं हो पाता था। इसकी वजह से निर्णय लेने और सोचने-विचारने की क्षमता पर गहरा प्रभाव पड़ता था।
Renu- ब्रिलियंट! श्वेता ने एक बार फिर खुद को साबित कर दिया!
Dhruv- डा० प्रिशा को मत भूलो!...ये उनका ही आईडिया था और इस प्रोजेक्ट में उनका और उनकी टीम का बहुत बड़ा योगदान है।
Renu- हम्म। आगे बताओ कैप्टेन।
Dhruv-इसके बाद उन सेल्स पर कई एक्सपेरिमेंट किये गये। लेकिन सफलता स्टेम सेल्स के साथ मिली। जब स्टेम सेल्स को ख़ास कंटेनर्स में ऐसी परिस्थितियों में रखा गया जैसी कि स्त्री के गर्भ में होती हैं तो स्टेम सेल्स से कई नए सेल्स उत्पन्न हुए। उनमे ये ब्रेन सेल्स भी थे। ये सेल्स ब्रेन की, बॉडी पर कमांड को निर्देशित करते हैं, consciousness बढ़ाते हैं। इन सेल्स से सटीक निर्णय लेने में मदद मिलती है। जो लोग मानसिक रूप से मजबूत होतेहैं,उनके ये सेल्स बहुत एक्टिव होते हैं।
Renu- तुम इतने यकीन से कैसे कह सकते हो?
Dhruv-जब शुरू शुरू मे इन सेल्स के बारे में मालूम पड़ा तो इनका अध्ययन किया गया।नतीजे चौकाने वाले थे.....इन सेल्स में अपना खुद का दिमाग था।तभी मैंने सोचा इन सेल्स को महामानव के सेल्स से compare करते हैं। धनंजय की मदद से महामानव का सैंपल हमारे हाथ लग गया।
Renu- अब ये महामानव बीच में कहा से आ गया?
Dhruv- सोच कर देखो रेनू,महामानव एक अतिविकसित मस्तिष्क वाला प्राणी है... लेकिन ऐसा क्या है जो उसका दिमाग इतना विकसित है? इसका जवाब आसान नहीं था और एक संभावना मेरे सामने थी। मैंने इसकी जांच करने का निर्णय ले लिया। और देखो ...इस बार जवाब हमें मिल गया। वो ये सेल्स ही हैं, जिन्होंने महामानव को महामानव बनाया। बस महामानव के सेल्स विकसित थे और ये सेल्स अभी भ्रूण हैं। इस प्रकार हमें इन सेल्स का महत्त्व समझ में आया।
Renu- interesting! और इसी बीच आज रात को ये दिमाग वाली बीमारी शुरू हुई, और तुमको ये सेल्स का इस्तेमाल करने का आईडिया सूझा।
Dhruv- हा ये इत्तेफाक की बात है कि हमारे पास इलाज पहले से था....और इसीलिए एंटीडोट समय से तैयार हो गया...वर्ना कल की तस्वीर बहुत भयानक हो सकती थी।
Renu- लेकिन तुमको इस रिसर्च की इतनी डिटेल्स कैसे मालूम है captain!
क्या क्राइम फाइटिंग छोड़कर साइंटिस्ट बनने वाले हो!
Dhruv- हा! हा! हा! मैंने श्वेता की थीसिस पढ़ी थी इसीलिए मुझे ये सब मालूम है।
लेकिन,इस बीमारी के पीछे किसका हाथ है, ये पता लगाना बहुत जरुरी है। ये प्राकृतिक तो नहीं है।
Renu- ये जरूर किसी microbiologist का काम होगा कैप्टेन! ब्रेन सेल्स को डैमेज पहुचाना किसी आम साइंटिस्ट की बस की बात नहीं।
और डा० वायरस अभी पिछले महीने ही जेल से रिहा हुआ है।
Dhruv- हम्म! वह इतने समय से तो खामोश है।मुझे कन्फर्म करना होगा।
तुम श्वेता के पास जाओ और जैसे ही एंटीडोट तैयार हो , उसे राजनगर के atmosphere में फैला देना। मै डा० वायरस की छान बीन करता हूँ।
Renu-ओके कैप्टेन! गुड लक!
(ध्रुव अपने मित्र पशु पक्षियों को वायरस को ढूँढने के काम पर लगा कर हटता ही है, तभी उसके ट्रांसमीटर पर एक अंजान फ्रीक्वेंसी से कॉल आती है।)
पिंग पिंग
Dhruv- ध्रुव हीयर!
Ajnabi- हेल्लो ध्रुव!
Dhruv- कौन हो तुम? और मेरे ट्रांसमीटर पर कनेक्ट कैसे कर लिया? ये तो कोडेड है।
Ajnabi-ऐसे बचकाने सवाल पूछकर अपनी समझदारी पर सवाल खड़े मत करो ध्रुव!
Dhruv-में तुम्हारी तरह फुर्सत में नही हूँ। पहेलिया मत बुझाओ! मुझे किसलिए कॉल किया?
Ajnabi- अब तुमने अक्लमंदी भरा सवाल पूछा!....तो सुनो,.....तुम्हारा डा० वायरस पर शक सही है। इन घटनाओं के पीछे उसका ही हाथ है।
Dhruv- तुम्हे कैसे मालूम मुझे किस पर और क्यों शक है? कौन हो तुम? और मुझे ये सब क्यों बता रहे हो?
Ajnabi- इतने सारे सवाल! हाहाहा! लेकिन जवाब एक ही मिलेगा कमांडो! आम खाओ, पेड़ मत गिनो।
Dhruv- तुम कुछ ज्यादा ही रहस्यमयी बन रहे हो! मैं तुम्हारा यकीन कैसे करूँ?
Ajnabi-यकीन करना है या नहीं, ये निर्णय तुम्हारे हाथ में है। विदा ध्रुव! जल्द ही मुलाकात होगी।
(कॉल कट जाती है।)
Dhruv- ( कौन था ये रहस्यमयी शख्स? इसकी बातों से एक चीज स्पष्ट है,..मामला ऊपर से जैसा नजर आता है, असल में उससे कहीं गहरा और उलझा हुआ है। इसका बोलने का लहजा भी कुछ अलग था....ये मुझे किसी की याद दिलाता है...लेकिन किसकी? ऐसा क्यों लगता है जैसे में इसको पहले से जानता हूँ? मुझे कुछ बुरा होने का आभास हो रहा है।और जल्द मुलाकात होने का क्या मतलब है? मिलना ही है तो खुद को इतना गुप्त क्यों रख रहा था...परिचय क्यों नहीं दिया?
कुछ तो गड़बड़ है। सतर्क रहना होगा।)
(ध्रुव करीम से संपर्क करता है।)
Kareem- यस कैप्टेन! करीम हीयर!
Dhruv- राजनगर के सभी cctv फुटेज चेक करो। देखो डा० वायरस राजनगर में कहाँ है।मुझे ऐसी सभी जगहों की लिस्ट चाहिए जहाँ कहीं भी वह जेल से रिहा होने के बाद गया है। और कैडेट्स को वहाँ भेजकर वायरस की गतिविधियों की जानकारी इकठ्ठा करो।
Kareem- मैं समझ गया कैप्टेन।
( ध्रुव डिसकनेक्ट कर देता है। तभी कुछ पक्षी उसको वायरस के ठिकाने का पता देते हैं।)
Dhruv- (इस बार कुछ अजीब हो रहा है, मुझे खास तैयारी करनी होगी। तब तक करीम भी लोकेशन कन्फर्म कर देगा।)
Same time, unknown place-
Ajnabee- अभी तक सब कुछ उसी प्रकार हो रहा है कुशाग्र , जैसी हमने कल्पना की थी।
kushagr- आप महान हैं श्रेष्ठ! आपका उद्देश्य महान है, आपकी योजना जरूर सफल होगी।
Ajnabi- तुम भूल रहे हो, ध्रुव आज तक किसी से नहीं हारा।और वह समय नजदीक है , जब उसे अपने अस्तित्व का भान होगा,अपनी ताकत का पूर्ण ज्ञान होगा। ऐसी स्थिति में हम सोचने को मजबूर हैं, क्या हमने वायरस को चुनकर सही फैसला लिया है?
Kushagr- ताकत से ध्रुव को नहीं जीता जा सकता श्रेष्ठ! वह कोई न कोई युक्ति खोजकर, उसका अपने प्रतिद्विन्दी पर ही इस्तेमाल कर लेता है।उसको हराने के लिए उसके दिमाग पर वार करना होगा। आप निश्चिंत रहिये, मैंने वायरस को सारी योजना समझ दी है।
Ajnabi- हमें तुम पर पूर्ण विश्वास है कुशाग्र, ध्रुव पर कतई नहीं है।
Kushagr- आप बस देखते जाइये श्रेष्ठ! आज सूर्य बुझ सकता है,पृथ्वी अपनी गति करना छोड़ सकती है, इस सृष्टि के समस्त क्रिया-कलाप रुक सकते हैं...सब कुछ बदल सकता है, नहीं बदलेगी, तो बस एक चीज....सुपर कमांडो ध्रुव की हार! हाँ आज हारेगा ध्रुव और आज़ाद करेगा उसको, ख़त्म करेगा उसका इंतजार....जिसके लिए ध्रुव ने ली थी - "प्रेम प्रतिज्ञा!"
(भाग एक समाप्त।)
कौन हैं अजनबी और कुशाग्र? ध्रुव के लिए वायरस ने क्या तैयारी कर रखी है जो कुशाग्र इतना आश्वस्त है? कौन है वह जो कर रहा है ध्रुव का इंतजार, किसके लिए ध्रुव ने ली है प्रेम प्रतिज्ञा? इन सब सवालो का जवाब मिलेगा अगले भाग - 'प्रेम प्रतिज्ञा' में।😊
1 comments :
मिस्टर मेहरा की अपनी पत्नी के सामने हालत कुछ ज्यादा ही दयनीय थी।
Replyआपने महामानव का उदाहरण देकर साइंस के कांसेप्ट को अच्छे से समझाया है।
कहानी शुरू करने से पहले मुझे लगा की डॉ वायरस असली विलन है मगर वो तो बस एक मोहरा प्रतीत हो रहा है।
कुशाग्र और उस अजनबी को जानने की उत्सुकता और ज्यादा बढ़ गई है।
अगले भाग का इंतज़ार रहेगा।