Wednesday 21 September 2016

COP प्रस्तुत करते हैं

सुरज और सोनू (भाग 6)


सूरज दिव्या के पास जाने की तैयारी करने में लगा था।किसिल्विया वहाँ आई।उसके हाथ में एक पार्सल था।
"ये लो सूरज।"पार्सल उसकी तरफ बढाती वो बोली।"चीता ने तुम्हारे लिये कुछ भेजा है।"
वो काफी बड़ा पार्सल था,जिसे बड़ी मुश्किल से सीलVया ने टेबल पर रखा।
"क्या हो सकता है इसमें?"सिल्विया ने पूछा।
"तुम जाओ,मै देख लूंगा।"
सिल्विया ने सहमत होते हुए पलायन कर लिया।
जैसी सूरज को उम्मीद थी,उसमे से डोगा ड्रेस ही बरामद हुई।"तो मेरे कुत्ता मित्रों ने चीता तक ये ड्रेस और हथियार पहुंचा ही दिए।"
अंदर से एक चिट्ठी मिली,जिसे सूरज ने पढ़ा।
"सूरज,
मै जानता हूँ, तुम किस मुसीबत में फंस चुके हो।यहाँ पर भी दिव्या पाटिल के आदमी हम पर नजर रख रहे हैं।पर तुम चिंता मत करना,हमने उनसे निपटने की तरकीब निकाल रखी है।
अपना ख्याल रखना।
चीता
सूरज ने चिट्ठी को जेब में रखा।
वो पलटा ही था कि सामने सिल्विया नजर आई।उसके चेहरे पर मुस्कान थी।
"बेस्ट ऑफ़ लक,डोगा।"
सूरज चौंका।
क्या उसने पार्सल खोलते सूरज को देख लिया था।
2 घंटे बाद सूरज और सोनम,दिव्या के पणजी स्थित गेस्ट हाउस में थे।
ये गेस्ट हाउस कम और बंगला ज्यादा लगता था।काफी बड़े क्षेत्रफल में फैला था ये।तीन मंजिल ऊँचा।
सूरज और सोनम को इस वक़्त एक ऐसे हॉल में रखा गया था,जिसके चारों तरफ शीशे ही शीशे थे।दूसरी मंजिल स्थित इस जगह में फर्श भी शीशे का था।उसमे अपना चेहरा देखा जा सकता था।
दोनों के आसपास इस वक़्त तीन हट्टे कट्टे पहलवान खड़े थे।जो सूट पहने होने के कारण बॉडीगार्ड नजर आ रहे थे।
दिव्या पाटिल ने अंदर कदम रखा।उसने इस वक़्त एक बेहद झीना गाउन पहन रखा था।बालों को खुला रखा हुआ था,जो कंधे तक आ रहे थे।कानों में लम्बे लटकन,जो कंधे को छु लेते थे।होंठो पर गहरी लाल लिपस्टिक,जो दाँतो से काट ली गई लगती थी।
अंदर आते ही उसकी नजर सूरज पर पड़ी और वो मुस्कुरा दी।
"सोनम को ले जाओ।"दिव्या ने फोन पर नम्बर डायल किया।"हेल्लो,लॉयन जिम की पहरेदारी छोड़ दो।"
अब वो सूरज की तरफ बढ़ी।
"तो सूरज,"उसके हाथ सूरज क कंधों पर टीक गए।"उर्फ़ डोगा।"डोगा शब्द सुनते ही गार्ड्स चौंके और कुछ कदम पीछे हट गए।
"मैने सुना है कि तुम चोट लगने पर उफ़ भी नहीं करते।"कहते कहते दिव्या सूरज पर टिकती जा रही थी।दोनों के होंठ टकराने लगे थे।कि सूरज ने मुँह फेर लिया।
"आज पता चल जायेगा मुझे भी।"दिव्या परे हटी।आसपास खड़े गार्ड्स को देखकर बोली।"जो इसके मुँह से उफ़ निकलवा देगा,उसे 1 करोड़ मेरी तरफ से।"
तीनों आगे बढे।सूरज ने पलटकर उन्हें देखा।सब वही रुक गए।
"1 करोड़ नहीं चाहिए क्या?"दिव्या चिल्ला पड़ी।"आगे बढ़ो हरामखोरो।"
कुछ ही देर में सूरज ने पहला वार महसूस किया।जोरदार था,पर सूरज मुस्कुरा पड़ा।
मुस्कान तो दिव्या के चेहरे पर भी थी।वो भी तो उसकी सहनशक्ति देखना चाहती थी।
सारे टीवी कैमरों पर नजर थी उस व्यक्ति की।कोई संदिग्ध चीज़ उसे नजर नहीं आई थी अब तक।
अचानक ही वो चौंका।झुककर टीवी के पास खड़ा हुआ वो।अचानक किसी ने उसका सिर पीछे से थामा और उसके मुड़ पाने से पहले ही टीवी में घुसेड दिया।चारों तरफ खून के छींटे उड़ गए।
वो एडा थी।उसका हाथ कान के पास गया।जहाँ उसने ब्लूटूथ रिसीवर लगाया हुआ था।
"मै पहुंच चुकी हूँ।ठीक 10 मिनट बाद अंदर आ जाना उस गधे को लेकर।"
टीवी के कांच के टुकड़े उठाकर वो बाहर निकली।कुछ लोग गन लेकर टहलते नजर आये।
ऐडा आगे बढ़ी।छुपने की कोई कोशिश नहीं की उसने।गार्ड्स चौंके।
"हे कौन हो तुम?हाथ ऊपर करो।"एक गार्ड गन लेकर आगे बढ़ा।ऐडा न तो रुकी, न ही हाथ उपर किये।
जैसे ही दोनों पास आये,ऐडा ने बाए हाथ से गन थामी और सैंडिल का वार उसकी टांगो के बीच कर दिया।
"आउच।"वो बैठता चला गया।ऐडा ने गन का वार उसके सिर पर किया ही था कि गोलियां उसके आसपास से निकलनी शुरू हो गई।दायें हाथ में थामे कांच के टुकड़े उसने तेजी से सामने की तरफ उछाल दिए,जो सीधे उनकी गर्दनों में जा धंसे।
एडा ने सभी को ढेर कर दिया कुछ ही देर में।फिर उसने महसूस किया की कुछ गोलियां उसके कंधे और गर्दन में जा लगी थी।उसने खखारकर गला साफ़ किया और गोलियां उसके मुँह से बाहर आ गिरी।
"इस टेस्ट से मुझे नफरत है।"वो बड़बड़ाई।
10 मिनट बीत चुके थे,पर सूरज के मुँह से उफ़ कोई भी नहीं निकलवा पाया था।
अब उसके चेहरे के भाव बदल चुके थे।गुस्सा उसके चेहरे पर साफ़ नजर आ रहा था।अब उसके लिये खड़ा रह पाना भी मुश्किल हो रहा था।पर घुटने टेक देना भी उसे मंजूर नहीं था।
दिव्या के चेहरे के भाव बता रहे थे कि अब वो ऊब चुकी थी।
"इस तरह तो तुम इसे अगले कई जन्मों तक चिल्लाने पर मजबूर नहीं कर पाओगे।"वो खुद ही आगे बढ़ी।हाथ के इशारे से गार्ड्स को पीछे हटने को बोला दिव्या ने।गार्ड्स पीछे हटते चले गए।
"सच में मैने तुम जैसा मर्द नहीं देखा।"दिव्या उसपर टिकती बोली।"पर अब सच में तुम्हे खुद को मर्द साबित करना है।"कहते हुए उसने सूरज की गर्दन को पीछे से पकड़ा और अपनी तरफ खींचा।
सूरज कुछ समझ पाता, उसके पहले ही दिव्या के होंठ सूरज के होंठों पर टिक गए।उसने सूरज का गहरा चुम्बन लिया और कई कदम पीछे हट गई।सूरज लड़खड़ाया।
"तुम्हारे मरने का मुझे अफसोस होगा सूरज उर्फ़ डोगा।अगर तुम वापस आ गए,तो मुझे ख़ुशी होगी।"कहते ही उसने एक लात सूरज के सीने में जमा दी।पहले ही लड़खड़ाया सूरज इस बार सम्भल नहीं पाया और शीशे के बने फर्श पर जा गिरा। फर्श बिना देर किये टुटा और सूरज नीचे जा गिरा।
ऐडा आगे बढ़ी ही थी कि एलिवेटर के बजने की आवाज सुनाई दी।वो रुकी।
लिफ्ट से 5 गार्ड्स सोनम को लेकर निकले।ऐडा की आँखों से शोले निकलने लगे।
पिलर की आड़ ले रखी थी उसने।जैसे ही वो उसके करीब से गुजरे,एक पर छलांग लगा कर एक का मुह दबोचा उसने और एक झटके से गर्दन तोड़ दी।गर्दन के चटकने की आवाज जोरदार थी।सभी पीछे पलटे।ऐडा को देखते ही एक ने तेजी से गोलियां दागनी शुरू कर दी।
ऐडा ने दिवार पर कदम रखा और बंदूकधारी शख्स को एक जोरदार पन्चमारा।एक चटाक की आवाज हुई और उसकी गर्दन धड़ से अलग झूलने लगी।
सभी के कदम पीछे हट गए।
एक ने गन आगे की ही थी कि नाल पर हाथ रख लिया ऐडा ने।गोली उसकी हथेली को चीरती बाहर निकल गई।
गन झपटी ऐडा ने और एक जोरदार किक उसकी गर्दन पर जमा दी।"गु.."की आवाज करता वो जमीन पर जा गिरा।
ये देख एक वापस लिफ्ट की तरफ भागा।ऐडा ने बिना देखे उसका निशाना लिया और गोली चला दी।गोली उसके सिर में सुराख़ बना गई।
अब वो ही बचा,जिसके हाथ में बन्दूक थी और निशाने पर सोनम।
"मुझे पता है तुम पर गोलियां असर नहीं करेंगी।लेकिन इसका क्या?"कनपटी पर गड़ाने लगा वो गन।
"गोली चलने के बाद तुम जिन्दा रहोगे?"ऐडा के सवाल ने ही उसे निरुत्तर कर दिया।
गन ऐडा के हाथ में भी थी,पर उसने अपनी गन वाला हाथ नीचे करते हुए गन नीचे गिराई।
तत्काल गार्ड के चेहरे पर चमक दिखाई दी और वो थोडा रिलैक्स हुआ।ऐडा ने गिरी हुई गन पर जोर की ठोकर मारी, जिससे गन फिसलती हुई सीधे गार्ड के पंजे पर टकराई।
"उफ्फ्फ।"वो लड़खड़ाया और ऐडा हवा की तरह उसके पास पहुंची।उसके सिर उठाते ही एक जोरदार मुक्के ने उसे दुनिया से विदा कर दिया।
सूरज कोई 15 फ़ीट की ऊंचाई से गिरा था,जिसके कारण उसकी कमर की हड्डी में चोट लग गई थी।वो जगह नीमअंधेरे राज्य लगती थी।अचानक ही हुई रोशनी ने उसकी आँखे चौंधिया दी।
वो धीरे धीरे उठा।हालांकि उसने दिक्कत महसूस की,फिर भी वो उठ बैठा।
चारों तरफ पिंजरे नजर आ रहे थे,जो इस वक़्त अंधेरे के साये में थे।
"तो डोगा नाम के मर्द,"आवाज ऊपर से आई थी।सूरज ने ऊपर देखा।वो दिव्या ही थी।"अब तुम्हारा सामना शेर नाम के मर्दों से होने जा रहा है।देखते है तुम कितने कामयाब होते हो।"
कांच बन्द होता चला गया और सामने के पिंजरों में रौशनी हो गई।वो शेर के ही थे।
सारे पिंजरे एक एक करके खुलते चले गए।
दहाड़ते हुए शेर बाहर कदम रखने लगे।
काफी दिनों के भूखे लग रहे थे सभी।
देखते ही देखते एक ने जबर्दस्त छलांग लगा दी सूरज पर।सूरज सचेत था,इसलिए तेजी से नीचे की तरफ झुका और आगे की तरफ लुढ़कता चला गया।इस दौरान उसकी कमर में बहुत तेज दर्द हुआ,पर शेर की पकड़ में आने पर इससे ज्यादा हो सकता है।इस बात का उसे ध्यान था।
लेकिन आगे से एक पूरी मण्डली उसका शिकार करने आगे बढ़ रही थी।
सूरज तेजी से उन्ही की तरफ दौड़ा और उनके पैरों के नीचे से लुढकता, तो कभी हमलों से बचता उनके पिंजरे के पास पहुंचा।
शेर वापस उसकी तरफ घुमे और इस दौरान उसने पिंजरे की सलाखें उखाड़ लीं।
सूरज वापस घुमा और तेजी से सलाखोंको आसपास घुमाना शुरू कर दिया।शेर कुछ ही देर के लिये रुके।अचानक ही हुए हमले के कारण सूरज इसबार बचाव नहीं कर पाया।एक शेर ने उसे नीचे दबा रखा था और एक उसका पैर उखाड़ रहा था।
सूरज के लिये अब नहीं तो कभी नहीं वाला वक़्त था।
नीचे से पैर खीच रहे शेर पर उसने दूसरी लात जमाई।वो पीछे हटा तो ऊपर चढे शेर के नीचे से फिसला सूरज।तेजी से उसने सलांखेउठाई और एक शेर के पेट में घुसा दी।
घायल शेर कितना खतरनाक होता है, सब जानते है।सूरज भी जानता था।
बाकि शेर भी जैसे उसका बदला लेने आगे बढे।तभी अचानक कही से चलती गोलियोंने उन्हें गिरने पर मजबूर कर दिया।
सूरज गोलियों की दिशा में मुड़ा।
सिल्विया थी वो।
"ठीक तो हो?"पास आती बोली वो।कंधे पर ट्रैकिंग बैग था उसके, जिसमें डोगा कॉस्ट्यूम और हथियार थे।
"क्या लगता है?"सूरज ने उल्टा सवाल किया।
"बड़ी मुश्किल से बचे हो।"सिल्विया भी हांफ रही थी।"तो,उस लोमड़ी ने चूम ही लिया तुम्हे।"
सूरज कुछ न बोला।वो चुपचाप ड्रेस पहनने में लग गया।
पीछे से आती गुर्राहट दोनों के कानो में पड़ी।दोनों ने आवाज की दिशा में देखा।
वेरा खड़ा था वहाँ।
दिव्या अपने कमरे में पहुंची ही थी कि सोफे पर किसी के होने का आभास हुआ उसे।एक झटके से वो मुड़ी।
सामने सोनम के साथ ऐडा बैठी थी।
वो धीरे धीरे पीछे खसकने लगी।कि किसी से टकरा गई।झटके से पीछे पलटकर उसने देखा तो वो अक्षय था।
(अक्षय पाटिल:-28 वर्षीय एक बेहद अय्याश युवक,जिसे हर लड़की खुद की जायदाद लगती थी।)
"अक्की,तुम ठीक हो?इसने कुछ किया तो नहीं तुम्हे?"एक ही सांस में बोलती चली गई वो।
"कुछ नहीं किया.."बोली ऐडा।"क्योंकि सजा तुम दोनों को साथ मिलेगी।"
दिव्या गुस्से में उसकी तरफ झपटी।
ऐडा उठी।"अ..अ..वही रुको।"उसके हाथ में रिमोट नजर आया।"उसकी गर्दन में बोम्ब लगा है, जिसका रिमोट ये है।कोई भी होशियारी मत दिखाओ।"
दिव्या को ठिठकना ही पड़ा।
"चाहती क्या हो?"आखिर उसके मुँहसे निकला।
"उस टेबल पर पड़े राइटिंग पैड और पेन लेकर यहाँ आओ।"अपने पास की चेयर की तरफ इशारा किया एडा ने।
दिव्या ने चुपचाप वही किया।
"लिखना शुरू करो।"ऐडा बोलने लगी।"मै दिव्या पाटिल,अपने पुरे होशोहवास में..."
"ऐ लड़की,तुम मुझसे क्या लिखवा रही हो?"दिव्या बीच में ही बोली।
ऐडा को ये बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा।उसने दिव्या के बायें हाथ की एक उंगली को पकड़ा और उल्टा मोड़ दिया।
"आह्ह..."जोर की चीख गूंज गई उसकी।
कमरा साउंड प्रूफ होने के कारण बाहर किसी ने ये आवाज नहीं सुनी।
"और कोई सवाल?"ऐडा ने बेपरवाह पूछा।
दिव्या की हालत तो जवाब देने लायक थी ही नहीं।उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे।
"लिखो!"ऐडा ने हुक्म दनदनाया।
दिव्या ने रोते हुए लिखना शुरू किया।
"मै दिव्या पाटिल,अपने पुरे होशोहवास में ये कुबूल करती हूँ कि मैने अमेरिकन रॉकस्टार सोनम शर्मा का अपहरण करवाया और उसे मारने की साजिश रची।"ऐडा ने कहा,पर दिव्या ने लिखा नहीं।वो तो उसे ऐसे देख रही थी,जैसे आजतक उसने कोई जुर्म ही न किया हो।
ऐडा ने उसकी दूसरी उंगली थामी।
"लिखती हूँ मै।"वो उंगली छुड़ाकर बोली।
ऐडा ने आगे बोलना शुरू किया।"मेरे भतीजे अक्षय पाटिल ने एक लड़की को रेप किया, जिसकी चश्मदीद गवाह सोनम शर्मा है।इसलिए ही मैने ये कदम उठाया।न सिर्फ यही,बल्कि मुम्बई स्थित लायन जिम के कोच सूरज गांधी पर भी जानलेवा हमला मैने करवाया,क्योंकि वो जानता था कि मैने ही सोनम का अपहरण किया है।"ऐडा बोलती गई और दिव्या दर्द के कारण रोती हुई लिखती गई।
"तुम्हे पता है सूरज असलियत में कौन है?"दिव्या ने कहा।
ऐडा ने होंठो पर उंगली रखकर उसे चुप रहने को कहा।
"नीचे सिग्नेचर करो।"ऐडा ने कहा।
दिव्या ने कर दिया।
ऐडा ने वो पेपर निकाल लिया।
"अब क्या करोगी?पुलिस के पास जाओगी?"दिव्या के चेहरे पर स्माइल थी।
"नहीं।न पुलिस के पास,न कोर्ट।क्योंकि ये सब तुम्हारी जेब में है।"ऐडा भी मुस्काई।
"तो क्या फ्रेम करवाओगी इसे।"दिव्या अब दर्द को भूलने लगी थी।
"क्या होगा अगर तुम ही न रहो इस दुनिया में?"ऐडा हंसी।"तब क़ानून क्या करेगा?क्या तुम्हारे साथ इस सीडी प्रकरण में फंसेगा या इस लेटर को हाइप करेगा?"
ऐडा के हाथ में वो सीडी थी,जो सोनम का बयान थी,जिसे सूरज ने शूट किया था।
वो दिव्या के फार्महाउस में आई कॉपी थी।
दिव्या के नेत्र फैले।"तुमने ये वीडियो.."
"देख लिया है।"ऐडा बोली।
दिव्या को अपना दिल डूबता महसूस हुआ।
"अब तुम्हारी लिखावट को कॉपी करके मै इसमें लिखूंगी की मै, दिव्या पाटिल आत्महत्या कर रही हूँ।अपने भतीजे के साथ।"ऐडा ने ठहाका लगाया।
वेरा के सामने दो लोग थे लड़ने के लिये,लेकिन शायद उसे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था।
सिल्विया ने ताबड़तोड़ गोलियों से तो डोगा ने मुक्के और लातो से उसे परेशान कर रखा था।
"इसकी खाल काफी मोटी लगती है, गोलियां पार ही नहीं हो रही।"सिल्विया बोली।
"दिव्या ने मुझे बताया था कि इसकी ये हालत ड्रग के कारण हुई है।इसके शरीर में खून की जगह ड्रग दौड़ता है।"डोगा बोला।
बात करते हुए सिल्विया की नजर आसपास की सलाखोंपर पड़ी।
"सूरज उन सलाखोंसे इसके शरीर का ड्रग बाहR आ सकता है।"सिल्विया बोली।"तुम लेकर आओ,तब तक मै इसे रोकती हूँ।"
सूरज पीछे मुड़ा।इस दौरान सीलVया के भटके ध्यान का फायदा उठाया वेरा ने।
उसने सिल्विया को हाथो में थामा और पिंजरे के ऊपर फेक दिया।इस दौरान डोगा वापस आ चूका था और पूरी सलाख उसने वेरा के पेट में घुसा दी।
वेरा को कोई खास फर्क नहीं पड़ा और उसने सलाख को बाहर खींचकर डोगा के सिर पर हमला कर दिया।
डोगा लड़खड़ाता पीछे हुआ और वेरा ने सलाख उसके पेट में घुसा देने की कोशिश की।लेकिन अचानक ही सामने सिल्विया आ गई और सलाख उसकी पीठ से घुसती हुई सीने से बाहर आ गई।
"अक्क्.."उसके मुँह से बस यही शब्द निकल सका।और वो डोगा के सीने पर गिर गई।डोगा हतप्रभ सा देखता रह गया।
(सिल्विया ने ये क्यों किया, उसे जरूरत नहीं थी)मन में ये ही विचार आया।
अचानक ही अगला वार डोगा के सिर पर हुआ और सिल्विया उसके हाथो से छूटतीचली गई।
डोगा जमीन पर जा गिरा और वेरा सिर पर आ खड़ा हुआ।वो जोर से गुर्राया।
निकोल अब तक वहाँ आ चुकी थी।
दिव्या पाटिल और अक्षय को उन लोगों ने बाँध दिया था और कमरे में मिट्टी तेल छिड़क दिया था।
"थोडा खुद भीनहा लो।"निकोल ने दिव्या के ऊपर मिटटी तेल डाला।
ऐडा करीब आई।"इसके गले में जो बम है, वो नकली है।"
दिव्या अवाक् सा उसका मुँह देखती रह गई।
"चलती हूँ।"ऐडा बाय करती चल दी।
पीछे निकोल ने सिगरेट लाइटर जलाया और कमरे में उछाल दिया।
एक कान फोड़ देने वाला धमाका हुआ।
वेरा सलाख डोगा के सीने में पैवस्त करने ही वाला था कि धमाके ने उसका ध्यान भटका दिया।वो उसी तरफ लपका।
डोगा ने पूरी हिम्मत जुटाई और उठ खड़ा हुआ।
वेरा छलांग लगाता तेजी से ऊपर की तरफ बढ़ रहा था।डोगा ने सलाख उठाई और उसके दिल का निशाना लिया।
"अब तुझे समझ आएगा कि जब किसी केदिल पर चोट लगती है,तो कैसा महसूस होता है।"कहते हुए उसने पुरे वेग से सलाख उछाल दी।
वेग इतना तेज था कि सलाख न सिर्फ सीने के आरपार हो गई,बल्कि सलाख के सिरे पर उसका दिल निकल आया।
डोगा ने मास्क उतारा और सिल्विया की तरफ देखा।वो रुखसत हो चुकी थी।
"मुझे माफ़ कर देना सिल्विया।एक छोटे से काम की काफी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी तुम्हे।"डोगा का दिल रो पड़ा था।
कुछ ही देर में सोनम और ऐडा भी नीचे आ गईं।
सोनम ने आते ही सिल्वीया को देख लियाऔर वो दौड़कर सिल्विया के पास गई।जबकि ऐडा ने सूरज को डोगा की ड्रेस में देखा तो उसका दिल धक् से रह गया।
"ओह्ह माय.."उसके मुहसे निकला।
क्या सूरज ही डोगा है, इस बात ने उसे परेशान कर दिया।
सूरज उठा और सिल्विया को उठाकर चल दिया।उसकी नजर ऐडा पर पड़ी,पर वो नहीं रुका।
आगे जाकर सूरज लड़खड़ाया,संभलाऔर फिर आगे बढ़ गया।सोनम उसके साथ चल दी।
और ऐडा..?
उसे तो इस बात का यकीन ही नहीं हुआ किसूरज ही डोगा है।
सूरज,जिसके प्रति उसने आकर्षण महसूस कीया।
डोगा,जिससे उसे सबसे ज्यादा नफरत थी।
ख़त्म हुई थी कई जिंदगी और शुरू हुई कई कहानी।
सोनम आखिर थी कौन?
ऐडा ने आखिर क्या फैसला किया डोगा और सूरज के बीच?
क्या सच में वेरा मर गया?
क्या थी ऐडा की सच्चाई?क्यों थी वो खास?
क्या चीता कभी जान सका सिल्विया के दिल में बसने वाले अपने प्यार के बारे में?
क्या सच में कभी मिले सूरज और सोनू?

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