Friday 16 September 2016




नागद्वीप के संरक्षक , अमर महात्मा कालदूत का शुमार दुनिया के सबसे शक्तिशाली योद्धाओं में होता है ।महात्मा कालदूत ने ही नागद्वीप की संरक्षण का दायत्व निभाया था।विसर्पी के पिता मणिराज को नागद्वीप का राजा बनाया ।जब मणिराज नहीं रहे तब विसर्पी को कार्यकारी सम्राट बनाया।
तीन कालो के कालकूट विषधारी नागों (परामविष्या,महाविष्या,विष्या) के संयुक्त रूप से बने है महात्मा कालदूत।
        कालदूत की कॉमिक्स में  पर्दापण नागराज की एक रोमांचक कॉमिक्स 'नागराज और कालदूत 'में हुई थी।


साधारण जानकारी -

जाति:-इच्छाधारी नाग
कार्यस्थल:- नागद्वीप
उद्देश्य :-  इच्छाधारी नागों का विकास,नागद्वीप का संरक्षण।
पुत्र -विलक्षण, पंचनाग,
राज कॉमिक्स में  पर्दापण:- "नागराज और कालदूत" कॉमिक्स से।

शक्तियाँ - 

 अताह शक्ति से परिपूर्ण तीन अलग समयकाल के इक्षाधारी नागों का सम्मलित रूप है कालदूत जिसके कारण इनकी शक्तिया अपार है।कई वर्षो के तप के कारण भी अद्भुत तपशक्ति भी है महात्मा कालदूत में।महात्मा कालदूत के क्रमशः तीन प्रमुख शस्त्र है - चीरचला, त्रिशूल और कालसर्पि।
महात्मा कालदूत ही एक मात्र ऐसे शख्स है जो शिकांगी नेवले की शक्ति को तोड़ना जानते है।

संशिप्त कहानी -
 
नागजाति के प्रबल शत्रु नेवला वंश के 3 पराक्रमी योद्धा नेवलाक ,सर्पघाती और नागान्तक ने नागलोक से नागों का सफाया करने की ठानी ।इन तीनो को मारने का सामर्थ्य सिर्फ 3 कालकूट विषधारी इक्षाधारी सर्प ही कर सकते थे ।मगर 1 समयकाल में सिर्फ एक ही कालकूट विषधारी ही जन्म ले सकता था ।तब सर्पगुरु भुजंगी ने तीनों कालो के अमर कालकूट विषधारी विष्या,परामविष्या और महाविष्या का आवाहन किया ।तीनो महानाग अपने इच्छाधारी शक्ति की सहायता से एक हो गए और बन गए प्रचंड कालयोद्धा कालदूत ।कालदूत ने उन 3 नेवला शैतानो को मार दिया और नागलोक की रक्षा की ।(पढ़े मिलन यामिनी)

      कई वर्षो के बाद कालदूत एक द्वीप पर पहुचे और उस द्वीप को अपने सामर्थ्य के द्वारा नागद्वीप बनाया ।अपने तप के माध्यम से उन्होंने संसार के हर इक्षाधारी नागों को बुलाया और नागद्वीप की स्थापना की ।इस बीच नगीना ने भी नागद्वीप का बागडोर संभाला पर धीरे धीरे जब कालदूत को उसके दुष्ट प्रवृति के बारे में पता चला तब उन्होंने नगीना को द्वीप से भगा दिया।तब मांत्रिक जाति के नाग मणिराज को नागद्वीप का सम्राट बनाया।मणिराज के दो संतान थे विषप्रिय और विसर्पी। इसी बीच वह तप करने एक गुफा में चले गए ।कई वर्ष बाद एक मनुस्य का नागद्वीप में एक हादसे के दौरान आना हुआ उस इंसान ने कुलदेवी की मणि चुरा ली ।इस घटना के दौरान मणिराज और युवराज विषप्रिय की मृत्यु हो गयी।और फिर ठीक बाद नागद्वीप पर कदम रखा नागसम्राट नागराज ने ।नागराज ने कुलदेवी की मणि वापस दे दी ,तब सभी नागद्वीप वासियो ने नागराज को सम्राट घोषित किया।(* पढ़े प्रलयंकारी मणि,शंकर शहंशाह)

कुछ समय बाद नागराज और नागदंत का सामना हुआ ।जब नागदंत हार गया तो नागराज ने उसे बंदी बना कर नागद्वीप में रखा ।पर वहां से नागदंत भाग जाता है।नागराज उसे ढूंढता हुआ एक गुफा में चला जाता है जहाँ कालदूत तप कर रहे होते है।नागराज को देखकर उनकी तप टूट गयी और नागराज को साधारण मानव जानकार हमला कर देते है।तब दोनों के बीच युद्ध होता है पर तभी विसर्पी वहां आती है इस युद्ध को रोकती है  और नागराज का परिचय कालदूत से कराती है।साथ ही ये भी बताती है कि कुलदेवी ने नागराज को सम्राट चुना है।(*पढ़े नागराज और कालदूत)
  धीरे धीरे नागराज और कालदूत एक दूसरे को सामान रूप से सम्मान देने लगे ।मगर एक समय नागराज के प्रति अति विस्वास के कारण कालदूत का पुत्र विलक्षण नागराज से चिढ़ गया नागराज का रूप धरके पृथ्वी वासी पर हमला करने लगा ।जिस कारण असली नागराज को कालदूत ने बंदी बना लिया साथ ही साथ गोरखनाथ को भी कैद कर लिया इससे पहले की कालदूत दोनों को मार देते  वहां विसर्पी आकार गलतफहमी को दूर कर देती है और विलक्षण के चाल से कालदूत को अवगत कराती है।तब कालदूत ग़ुस्से में आकर अपने बेटे विलक्षण को मार देता हैऔर बाबा गोरखनाथ और नागराज से माफ़ी मांगते है।(*पढ़े विजेता नागराज)
      कई साल बाद जब वेदाचार्य नागराज के जन्म के 60 साल के बारे में जानने के लिए अनुमानित जगह (जो की नागद्वीप होता है)को खोजते हुए समुद्र में यात्रा करते है तो वह तूफान में फस कर नागद्वीप पहुच जाते है वहां तांत्रिक विषधर के वार से अचेत हो जाते है और अपनी याददास्त खो देते है ।(पढ़े विषकन्या)      
तब वेदाचार्य को कालदूत बचाते है ।इधर तभी कालदूत की पुराणी दुश्मन या कहे प्रेयसी विषाला नागद्वीप से स्फटिक मणि लेने आती है ।कालदूत और विषाला के बीच युद्ध होता है कालकूट विष के विपरीत विष होने के वजह से विषाला कालदूत पर भरी पड़ जाती है लेकिन वेदाचार्य के बीचबचाव के वजह से बच जाता है ।इसी दौरान वेदाचार्य पर विषाला का वॉर होता है और वेदाचार्य बेहोश हो जाता है।इस बिच विषाला भी भाग जाती है।वेदाचार्य को तब होश आता है और वह अपना परिचय  कालदूत को देता है ।इस बीच वेदाचार्य जान जाते है कि नागराज शिशु अवस्था में 60 साल इसी द्वीप में बिताए है तब वह  नागराज के जन्म के रहस्य को महात्मा कालदूत को बताते है।आगे  विषाला को नागराज और ध्रुव मात दे देते है।(*प्रलय)
       कुछ समय पश्चात नागपाशा गुरुदेव और नगीना के षड़यंत्र के कारण नागद्वीप में भारी उथल पुथल मचता है ।मणिराज के भस्म और नागपाशा के कोशिका से नवशिशु जनम लेता है ।जिसके कारण नागपाशा त्रिफना मूर्ति का मालिक बन जाता है और नागद्वीप का कार्यकारी सम्राट ।तब कालदूत विवश हो जाता है और नागराज को नागपाशा त्रिफना के जरिये भविष्य में भेज देता है ।जहाँ नागराज की मदद कालदूत की भविष्य की शक्ति विष्या करती है।नागराज बच जाता है और नागपाशा भाग जाता है।वेदाचार्य के तिलिसिम के कारण शिशु के अंदर से नागपाशा का प्रभाव हट जाता है।और नागद्वीप को अपना भावी सम्राट मिल जाता है।(*विस्तार से जानने के लिए पढ़े त्रिफना सीरीज)
काफी समय बाद सधम नाम का पाप अवतार त्रिमुण्ड हासिल करना चाहता है ताकि धरती पर पाप क्षेत्र बना सके जिसके कारण वह नागराज को पापक्षेत्र में ला लेता है और छद्दम रूप  धरकर कालदूत, सौडांगी व
विसर्पी आदि को त्रिमुण्ड हासिल करने भेजता है ।तब ध्रुव को नागराज पे शक  होता है और अपने मित्रों को वह त्रिमुण्ड लेने भेजता है ।इस उपरांत कालदूत की लड़ाई  शक्तिशाली निंजा किरिंगी से होती है ।मगर कालदूत किरिंगी को हरा देते है मगर ध्रुव के हस्तछेप के कारण वह भी बेबस हो जाते है ।इस घटना का अंत अंतिम में असली नागराज और छदम रूप धरे हुए सधम के बीच होता है जिसमे  नागराज जीत जाता है और सधम को वापस पापक्षेत्र में धकेल देते है 😌😌।(*पढ़े "परकाले")

इसके बाद कालदूत का सामना  होता है नासुकी नामक प्रेत नाग से जो महानगर में नागराज और ध्रुव  से लड़ रहा होता है।कालदूत नागराज को नासुकी के बारे में बताते है कि इसे बड़ी मुश्किल से हराया गया था ।ईस लड़ाई में कालदूत और नागराज भारी पड़ते तो कभी नासुकी ।मगर कुछ समय बाद किस्मत से कालदूत नासुकी की एक शक्ति के कारण कंकाल में परिवर्तित हो जाते है।तब ध्रुव और नागराज उन्हें नागद्वीप ले जाते है  जहाँ पर नासुकी को नागद्वीप का सम्राट घोसित करते है जिसके कारण नासुकी की अतृप्त आत्मा को मुक्ति  मिल जाती है ।(*पढ़े कोलाहल)

फिर आगे एक  घटना होती है जहाँ सीथ्रु के मदद से त्रिशंकु नाम का प्राणी नागद्वीप पर इक्षाधारी शक्ति चुराने आता है ।त्रिशंकु की बहुत पुराणी जान पहचान होती है कालदूत से क्योंकि दोनों ही विश्वामित्र ऋषि के शिष्य थे ।चुकी इक्षाधारी शक्ति को विश्वामित्र कालदूत को दे देते है इसलिये त्रिशंकु कालदूत से वापस इक्षाधारी शक्ति लेने आता है । लड़ाई के दौरान कालदूत त्रिशंकु को जड़ कर देता है मगर सीथ्रु के कारण त्रिशंकु का शरीर वापस नियंत्रण में आ जाता है ।इस कारण असावधान कालदूत को त्रिशंकु और सीथ्रु विवश कर देते है ।तब त्रिशंकु कालदूत का रूप धर सभी इक्षाधारी नागों से शक्ति को लेने की चाल चलता है जिसे विसर्पी नाकाम कर देती है ।विसर्पी उस शक्ति को अपने राजदंड में खिंच लेती है और मदद के लिए महानगर चली जाती है ।।महानगर में नागराज के साथ भी जोरदार फाइट होती ही और इसी दौरान त्रिशंकु की कमजोरी को भांप लेता है, नागराज इस दौरान लड़ाई के वक़्त जड़ हो जाता है जिसे कालदूत ठीक करते है।।फिर दूसरी लड़ाई के दौरान नागराज युक्ति से त्रिशंकु और सीथ्रु दोनों को परास्त कर देता है ।सीथ्रु कणो में बिखर जाता है और त्रिशंकु वापस अंतरिक्ष में अटक जाता है।(*पढ़े इक्षाधारी चोर)
  इस कहानी  के ठीक बाद महानगर में नगीन का तन्त्र प्राणी विध्वंस मचा रहा होता है ।तब वहां नागराज के ना होने के कारण शक्ति  उस प्राणी को खत्म कर महानगर को बचाती है।नगीना शक्ति के अतुलनीय शक्ति को जानकार एक ऐसा चाल चलती है जिससे वो शक्ति के हाथ कालदूत को मारा सके।और वाकई में शक्ति इस चाल में फसकर कालदूत से जा भिड़ती है मगर कालदूत भी कम शक्तिशाली नहीं था दोनों में जबरदस्त  लड़ाई होती है ।लेकिन इसी बीच कालदूत नगीना के चाल को जान जाता है और भ्रमजाल रचता है जिससे नगीना और शक्ति को लगता है कि वह मर गए ।तभी नगीना वहां हस्ते हुए अति ही तब उसे पता चलता है कि ये सब कालदूत की चाल थी ,शक्ति भी यह  जान जाती है कि कालदूत मानवता  के रक्षक है।तभी  नगीना दोनों को एक हुआ देख वहां से भाग जाती है।  (* विस्तार कहानी के लिए पढ़े "काल सर्पा")  
इस घटना के बाद कालदूत की भिड़ंत विषाला के बहिन मेडुसा से होता है ।मेडुसा जिसे तांत्रिक विषधर आजाद करा लेता है।जिसे रोकने के लिए नागराज और ध्रुव आते है।जब नागराज और ध्रुव को मेडुसा को पूरी तरह से हारने के लिए 13वे आयाम में जाना होता है और कुछ समय की जरूरत होती है ।तब कालदूत ही मेडुसा का सामना करता है मगर इस बार मेडुसा के साथ करोडो प्राणियों की शक्ति होती है जिसके बल पर वह कालदूत को रोक देती है ।मगर नागराज और ध्रुव किसी तरह मेडुसा का आतंक को रोक लेते है और मेडुसा को पत्थर बना देते है ।(*पढ़े मेडुसा)
     कुछ समय बाद कालदूत विशांक को नागद्वीप का सम्राट बनाने की घोषणा करते है साथ ही साथ विसर्पी और नागराज की विवाह की भी ।इस दौरान देव शेषनाग भी वहां प्रस्थान करते है ।मगर निर् नाग गुरु की छल की वजह से शेषनाग की तबियत खराब हो जाती है जिस कारण वह पृथ्वी का भार उठाने में सक्षम नहीं हो पाते।तब वह अपने संतान उत्पन करने के लिए विसर्पी से शादी करने कोे आतुर हो जाते है ।तब कालदूत उन्हें रोकते है परंतु शेषनाग कालदूत को अपने वस में कर लेते है ।फिर विसर्पी और लाने के लिए कालदूत महानगर जाता है जहाँ विसर्पी की शादी के प्रति रजामंदी न होने के कारण और नागराज के बीचबचाव के कारण भयानक युद्ध होता है ।।इस दौरान नागराज कालदूत को हरा देता है ।मगर विसर्पी को शेषनाग ले जाते  है ।जल्द ही नागराज नीर नागगुरु के चाल को नेस्तनाबूद कर देता है जिस कारण शेषनाग फिर से ठीक हो जाते है और विसर्पी व नागराज से अपने अपराध के लिए माफी मांगते है ।(पढ़े शेषनाग)
  फिर कालदूत की अगला fulltime रोल आदम में है ।जहाँ बहुत ही शक्तिशाली प्राणी आदम के साथ कालदूत लड़ता है ।इस युद्ध में कालदूत आदम को लगभग मार ही डालने वाला होता है कि स्नेक आईज और नागराज कालदूत को रोके लेते है ।इसी बीच आदम कालदूत पर वार करता है जिससे कालदूत की कुण्डलिनी टूट जाती है और कालदूत बेहोश हो जाता है ।नागराज किसी तरह आदम शक्ति से लड़ता है और अंत में आदम शक्ति को हरा देता है।(*पढ़े आदम)
   अगली दफा नागराज कालदूत से एक रहस्यमयी प्राचीन इंसान सुवारा की अंगूठी की पहचान पूछने के लिये मिलता है तब कालदूत नागराज को नागसिंहा वृक्ष से मिलाता है जो उस अंगूठी के बारे में बताता है साथ ही साथ कालदूत और नागराज को पता चलता है कि सुवारा ने ही नागद्वीप की रचना की है ।(*पढ़े ड्रैगन किंग)
     तो ये सब कालदूत की संशिप्त कहानी और उनकी घटना है ।साथ ही कालदूत कई अलग समय धरा में भी उपस्थित है जैसे nagayan सीरीज में जहाँ कालदूत का किरदार परशुराम से मिलता है ।उस समय जब नागद्वीप में विसर्पी के स्वम्बर में नागराज देव कालजयी के धनुष गर्भिरा की तोड़ देता है तब क्रोधित कालदूत ही आता है ।क्रोधित कालदूत नागराज से रुष्ट होकर कालसर्पि से वार करता है तब विसर्पी के अनुरोध से कालदूत नागराज को क्षमा करते है।
   कालदूत की अलग समय धरा की कहानी सर्वनायक श्रृंखला में चल रही है जहाँ कालदूत  महारावण के साथ युद्ध लड़ रहा है ।वैसे भी महारावण जैसे प्रतिद्वंदी को कालदूत ही सामना कर सकते है ।
इसके साथ ही कालदूत आतंकहर्ता नागराज और नर्क नासक नागराज जैसे अलग समय धारा के नागराज के कहानियो में भी है जहाँ उनका किरदार लगभग ओरिजिनल कालदूत के सामान्तर ही है ।।

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