क्रॉस ( Cross) : [भाग-2] - राम चौहान
दिल्ली
सिटी हॉस्पिटल
भारत उस कमरे में मौजूद था,जहाँ शिखा एडमिट थी।पास ही डॉक्टर खड़ा था।जो उसकी हालत चेक कर रहा था।
"मि.भारत ,शिखा के दिमाग में काफी गहरी चोट आई है।शायद ये सिर के बल ही गिरी है।कहते हुए दुःख हो रहा है कि अगर इसे 24 घण्टे में होश नहीं आया,तो ये कोमा में भी जा सकती है।"कहते हुए डॉक्टर सिर झुकाये बाहर निकल गया।
भारत ने उसे फॉलो किया।आखिर वो अपने कैबीन में जा पंहुचा।
"आखिर उसे इतनी गहरी चोट लगी कैसे?"कुर्सी पर बैठता वो बोला।भारत ने उसे सारा किस्सा कह सुनाया।
"ओके मि. भारत,हम तो सिर्फ कोशिश कर सकते है।बाकि सब तो भगवान की मर्जी है।"उसने भारत से हाथ मिलाया।
बाहर निकलते ही भारत एक लड़की से टकराया।भारत की आँखें चौड़ी हुईं।"मानसी"उसके मुँह से निकला।
(मानसी,जो असल में विषनखा है।)
मानसी हांफती हुई अंदर पहुंची।
भारत भी पीछे अंदर दाखिल हुआ।मानसी पलटी।
"आप कौन?"मानसी ने भीगी आँखों से उसकी तरफ देखा।
"म..मै.. शिखा का कजिन हूँ।"भारत हड़बड़ाया।
"ओह्ह्ह।"मानसी ने आंसू पोछे।
"मै यही आया हुआ था,कि मुझे शिखा के एक्सीडेंट के बारे में पता चला।"भारत ने उसे विदूषक के बारे में नहीं बताया।न ही अपनी सच्चाई।
"मुझे कुछ दवाएं लानी है, आप यही रुकिये।"भारत बाहर को चल दिया।
भारत चल दिया था तिरंगा बनने।
तिरंगा ने अपने यूटिलिटी बेल्ट से उस डिवाइस को बरामद किया,जिससे वो अपने ट्रैकिंग डिवाइस की लोकेशन ट्रैक करता है।
उसने विदूषक की लोकेशन ट्रैक की।और वो थी:-
राजनगर
क्रॉस की गुप्त लैब
"यहाँ पर तुम अपने गैजेट और हथियार रख सकते हो।"क्रॉस उसे अपनी लैब दिखाता बोला।
"और तुम,?"विदूषक ने सवाल किया।
"यहाँ का एक नियम है,"उसने हैट निकाली"कि सवाल सिर्फ मै करता हूँ और अगर कोई ये नियम तोड़ता है तो"वो अपने आदमियों की तरफ इशारा करता बोला"ये लोग उसे तोड़ते है।"
विदूषक चुप रहा।
"तुम्हारा निशाना ध्रुव होगा और मेरा रोबो।हम दोनों एक दूसरे का रास्ता नहीं काटेंगे।"उसने हैट पहनी और बाहर निकल गया।
ध्रुव और रोबो के खिलाफ जंग शुरू हो चुकी थी।।
दिल्ली
सिटी हॉस्पिटल
मृणालिनी अंदर पहुंची।मानसी उस वक़्त बेड के करीब ही झपकियां ले रही थी।
"मानसी"उसके मुँह से निकला।
"तुम यहाँ कैसे?"वो उसके करीब आ बैठी।
"पहले ये बताओ,कि ये सब हुआ कैसे?"उसने आंसू पौछे।उसके चेहरे पर उतावलापन साफ़ नजर आ रहा था।
मिली ने सारी कहानी कह सुनाई।जिसमे विदूषक का भी जिक्र था और भारत का भी।जिसे सुनने के बाद।
"विदूषक अचानक क्यों भागेगा?"मानसी के मुँह से निकला।"और क्यों?"
"शायद किसीने उसकी मदद की हो!"मिली ने विचार प्रकट किया।
"और बहुत बड़ी गलती कर बैठा।"मानसी के जबड़े भींच गए।
दिल्ली
वही मेंटल असायलम,जहाँ से विदूषक भागा था।
मानसी के लिये ज्यादा मुश्किल नहीं था ये जानना कि उस रात विदूषक को खाना देने कौन गया था।पर वो इंसान ढूंढे न मिला।मिलता भी कैसे।क्रॉस के आदमी काम होने के बाद वहां रुकेंगे भी क्यों।
जाहिर है, उसे निराश होकर लौटना पड़ा।
राजनगर
भारत ने पहुचते ही सबसे पहले वही करीब स्थित होटल में रूम बुक किया।और वही रुककर सबसे पहले विदुशक की लौकेशन चेक की और उसकी आँखें फट गई।
वो उसके बेहद करीब था।
ध्रुव रेनू के साथ उसकी कजिन को पिक करने आया था।
वो मृणालिनी थी।और उसके साथ मौजूद थी,मानसी।
मृणालिनी रेनू के गले मिली।
"ये मेरी दोस्त है,मानसी।"उसने मानसी की तरफ इशारा किया।दोनों ने हाथ मिलाये।
"और इन्हें तो सब जानते है।"रेनू ने ध्रुव की तरफ इशारा किया।"सुपर कमांडो ध्रुव, हमारी कमांडो फ़ोर्स के कैप्टन।"
मिली और मानसी ने सिर नवाकर उसका अभिवादन किया।
"यहाँ आने की वजह है..."मानसी ने कहना चाहा।शायद वो कुछ ज्यादा ही जल्दी में थी।
कि तभी ध्रुव बोल पड़ा।"घर चलकर आराम से बात करेंगे।"
"रेनू"वो रेनू से मुखातिब हुआ।"इन्हें मेरे घर छोड़ दो और वही रुकना।मै बस कुछ देर में पहुंचा।"
रेनू दोनों को साथ लेकर चल दी।
ध्रुव भी वापस लौट ही रहा था कि अचानक हुए जोरदार वार
ने उसके होश उडा दिए।वार पीछे से हुआ था।
सड़क के किनारे फुटपाथ पर चल रहे लोगो का ध्यान एकाएक उसपर पड़ा।
"उफ़्फ़"की तेज आवाज के साथ ध्रुव बाइक से दूर जा गिरा।
झटके से उसने गर्दन घुमाई।और उसकी आंखे फटी रह गई।
सामने 7 फ़ीट ऊँचा विदूषक खड़ा था और उस पर हंस रहा था।उसने अपना हाथ बढ़ाया ही था ध्रुव को पकड़ने को कि तभी एक जोरदार वार से वही का वही रुक गया।वार करने वाला तिरंगा था।
"तिरंगा?तुम यहाँ कैसे?"ध्रुव के मुँह से निकला।
"इसी अपराधी को पकड़ने आया हूँ।ये दिल्ली के पागलखाने से कुछ लोगो को घायल करके भागा है।"तिरंगा ने एक ही सांस में सब कह दिया।
"ध्रुव तो मरेगा ही,तू भी अब मरेगा तिरंगा।"विदूषक दांत पिसता बोला।
" खून से खेलेंगे होली,अगर वतन मुश्किल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना,अब हमारे दिल में है।"तिरंगा अपना सीना ठोकते हुए बोला।
"हाहाहा, अच्छी लाइन्स है।मारूँगा भी तुम्हे उतने ही अच्छे से।"विदूषक ताली बजाता बोला।
विदूषक ने अपने हाथ उनकी तरफ किये और एकाएक उसकी आस्तीन में से छोटी छोटी 2 मिसाइल उन दोनों की तरफ बढ़ी।जिसे तिरंगा ने अपनी ढाल पर और ध्रुव ने 3 बैक फ्लिप मारकर बचाया।
तिरंगा ने अपनी ढाल उसकी तरफ फेंकी,जिसे उसने हाथों में थामा और ध्रुव की तरफ फेक दिया।तिरंगा अबतक उसके बेहद करीब पहुँच चूका था।इस बीच ध्रुव ने तिरंगा की ढाल थामी और तिरंगा को पास की।तिरंगा जो अबतक विदूषक के करीब पहुँच चूका था।तिरंगा ने ढाल पकड़ी और विदूषक की जांघो पर वार किया।पर विदूषक अपनी जगह से हिला भी नहीं।
जेसे उसे कुछ महसूस भी नहीं हुआ हो।
ध्रुव समझ गया कि तिरंगा उसे गिराना चाहता है।उसने स्टार लाइन का निशाना उसके जूतों पर लगाकर फेका।निशाना ध्रुव का था,चुकने का तो सवाल ही नहीं उठता था।पर विदूषक को अब भी फर्क नहीं पड़ा।बल्कि उसने नीचे झुककर स्टार लाइन को हाथों में थाम लिया।उसका दूसरा सिरा अब भी ध्रुव के हाथों में था। ध्रुव कुछ समझ पाता, उसके पहले ही उसने ध्रुव को करीब खींचा और एक मुक्का मारकर वापस फेक दिया।
(ध्रुव की स्टार लाइन नायलॉन की बनी है, अगर उसे सावधनी से न पकड़ा जाये तो हाथ भी कट सकता है)
तब तक तिरंगा उसके करीब पहुँच चूका था।ढाल का एक तेज वार उसने विदूषक पर किया।विदूषक थोडा सा हिला।और अचानक ही एक तेज प्रहार तिरंगा के चेहरे पर कर दिया।तिरंगा ने तेजी दिखाते हुए ढाल को चेहरे के सामने किया।पर फिर भी वार उसे अपने चेहरे पर महसूस हुआ।"उह्ह"की आवाज के साथ वो भी वही जा गिरा।
"अब क्या करे,ध्रुव?"तिरंगा के चेहरे पर हैरानी नजर आ रही थी।
"दोनों मिलकर हमला करते है।शायद कुछ हो!"ध्रुव के चेहरे पर दृढ़ता नजर आई।
दोनों एक साथ दौड़े और हवा में छलांग लगाकर एक किक विदूषक पर जमा दी।विदूषक हडबडाया और पीछे फुटपाथ पर लगे,फायर हिड्रेन्ट पर जा टकराया।
टकराते ही विदूषक का बैलेंस बिगड़ा और ध्रुव तिरंगा ने उसके शरीर से धुँआ उठते देखा।
"ये तो.."तिरंगा बोला।
"रोबोट है।"ध्रुव ने शब्द पुरे किये।
"चलो,अब खुलकर वार कर सकते है।"तिरंगा ने चैन की सांस ली।"ध्रुव हमें इसके शरीर में दरार करनी होगी,जिससे पानी इसके पुर्जो में घुस सके।"
"और वो तुम्हारे इस न्यायदंड से हो सकता है।"ध्रुव ने उसके न्यायदण्ड को छुआ।
फिर क्या था।इंसान समझ कर ही तो दोनों अब तक चुप थे।
लेकिन अब तो विदूषक,मतलब रोबोट की शामत आने वाली थी।
तेजी से दौड़कर तिरंगा उस रोबोट के करीब पहुंचा।ध्रुव ने उसे फॉलो किया।तेजी से पहुंचकर तिरंगा ने एक किक सीधे रोबोट के सीने पर जमा दी।तेजी से ध्रुव ने स्टार ब्लेड का वार उसके मशीनी हाथो पर किया।स्टार ब्लेड जाकर गड़ गए।तिरंगा ने तेजी से न्यायदण्ड को उसके सिर पर दे मारा।
इस वक्त उस रोबोट के लिये उन दोनों के वार समझ पाना मुश्किल था।दोनों ही कभी आगे तो कभी पीछे हो रहे थर।इस बीच ध्रुव अपना स्टार ब्लेड वापस निकाल चूका था।एकाएक ही तिरंगा ने न्यायदण्ड उस दरार में घुसा दिया,जहाँ ध्रुव के स्टार ब्लेड ने छेद किया था।एक जोर का दबाव देकर उसने न्यायदण्ड आरपार कर दिया।और ध्रुव की एक किक ने उसे फायर ह्यड्रेन्ट पर गिरा दिया।
उसके पानी में गिरते ही एक धमाका हुआ और उसके परखच्चे उड़ गए।साथ ही एक हरे धुंए ने उन्हें आगोश में लिया।
ध्रुव तो नोज फिल्टर लगाकर रखता है।इसलिए वो तो बच गया।
पर तिरंगा,
ध्रुव ने चैन की सांस ली।"चलो,ये तो ख़त्म हुआ।पर तुम यहाँ इसके होने का पता कैसे लगा?"ध्रुव ने तिरंगा की तरफ देखा।
तिरंगा एकटक उसे देख रहा था।
"क्या हुआ?"ध्रुव बोला।
तिरंगा ने अपने घुंसे का वार ध्रुव की कनपटी पर कर दिया।
"आह्ह"ध्रुव की जोरदार चीख निकली।
ध्रुव संभल भी नहीं पाया था कि तिरंगा की जोरदार किक उसके चेहरे पर पड़ी।
"क्या हुआ?मुझे क्यों मार रहे हो?"ध्रुव के होठो से खून छलक आया।
"ये एकाएक हिंसक क्यों हो गया?"मन ही मन सोचने लगा ध्रुव।
तिरंगा ने अपनी ढाल के कटर एक्टिवेट किये और ध्रुव की तरफ फेके।इस बार ध्रुव ने बेक फ्लिप मारकर खुद को बचा लिया।ढाल जमीन पर जा गड़ी।ध्रुव और तिरंगा दोनों ही तेजी से ढाल की तरफ बढे।जिसमे बाजी ध्रुव के हाथ लगी।ध्रुव ने तेजी से ढाल उठाई और खुद को घुटनों पर लेकर तिरंगा के पैरों के बीच से निकल गया।इस दौरान उसने अपना शरीर पीछे को झुका लिया था।
तिरंगा और उसके बीच की दुरी 2 मिटर से ज्यादा न थी।
पीछे निकलते ही ध्रुव ने ढाल को फेककर उसका वार तिरंगा पर किया,जिसे उसने तेजी से अपने न्याय दंड से रोक लिया,किसी मंझे हुए लठैत की तरह।देखते ही देखते तिरंगा ने न्याय दंड सीधे ध्रुव के सीने से लगा दिया और बिजली की एक तेज लहर उसके अंदर दौड़ गई।
"आह्ह्ह"ध्रुव जमीन पर जा गिरा।कुछ ही दूर वो रोबोट पड़ा था,जिससे वो दोनों अभी लडे थे।ध्रुव के हाथोंमें पानी की वो लहरें आ गई,जिससे वो रोबोट अभी हारा था।
और उसी से तिरंगा को हराने का आईडिया उसके दिमाग में आ गया।बस एक बार और तिरंगा अपने न्याय दंड का उपयोग कर ले।
उसके दिल की बात तिरंगा ने मान ली।वो दोबारा उस पर न्याय दंड का वार करने गया ही था कि बिजली की गति से ध्रुव ने अपनी जगह छोड़ी।न्याय दंड सीधे पानी में जा लगा और तिरंगा ने उस तरंग को महसूस किया,जिसे कुछ देर पहले ध्रुव ने किया था।
"आह्ह्ह"कुछ देर चिल्लाने के बाद तिरंगा शांत हो गया।
राजनगर
ध्रुव का घर
"ये भैया कहां रह गया!"श्वेता टहलने लगी।
सामने ही मिली और मानसी बैठी थी।सामने रखी टेबल में प्लेट पर चाय के कप नजर आ रहे थे।
"लगता है, तुम्हारे भैया को आने में टाइम है।"मिली ने श्वेता को देखा।फिर वो रेनू से मुखातिब हुई"अच्छा रेनू,मै चलती हूँ।"मानसी के कंधे पर हाथ रखती वो बोली।"मानसी के लिये होटल में एक कमरा भी बुक करवाना है।फिर मै चली जाउंगी।और ये यही रुककर विदूषक पर रिपोर्ट बनाएगी।"
(मानसी पार्टटाइम रिपोर्टर भी है)
"1 मिनट,मानसी हमारे साथ क्यों नहीं रह सकती?"श्वेता बोल पड़ी।"जिस तरह रेनू हमारे घर की मेंबर की तरह है, उसी तरह तुम हो,तुम्हारी फ्रेंड है।"
तर्क अच्छा था।
"थैंक्स,लेकिन मुझे अकेले रहना ज्यादा पसन्द है।"मानसी बोलते वक़्त कहीं खो गई।"और वेसे भी कुछ काम हैं, जो मै अकेले ज्यादा अच्छे से करती हूँ।"
अगली मुलाकात होगी
Click Here To Download in PDF
सिटी हॉस्पिटल
भारत उस कमरे में मौजूद था,जहाँ शिखा एडमिट थी।पास ही डॉक्टर खड़ा था।जो उसकी हालत चेक कर रहा था।
"मि.भारत ,शिखा के दिमाग में काफी गहरी चोट आई है।शायद ये सिर के बल ही गिरी है।कहते हुए दुःख हो रहा है कि अगर इसे 24 घण्टे में होश नहीं आया,तो ये कोमा में भी जा सकती है।"कहते हुए डॉक्टर सिर झुकाये बाहर निकल गया।
भारत ने उसे फॉलो किया।आखिर वो अपने कैबीन में जा पंहुचा।
"आखिर उसे इतनी गहरी चोट लगी कैसे?"कुर्सी पर बैठता वो बोला।भारत ने उसे सारा किस्सा कह सुनाया।
"ओके मि. भारत,हम तो सिर्फ कोशिश कर सकते है।बाकि सब तो भगवान की मर्जी है।"उसने भारत से हाथ मिलाया।
बाहर निकलते ही भारत एक लड़की से टकराया।भारत की आँखें चौड़ी हुईं।"मानसी"उसके मुँह से निकला।
(मानसी,जो असल में विषनखा है।)
मानसी हांफती हुई अंदर पहुंची।
भारत भी पीछे अंदर दाखिल हुआ।मानसी पलटी।
"आप कौन?"मानसी ने भीगी आँखों से उसकी तरफ देखा।
"म..मै.. शिखा का कजिन हूँ।"भारत हड़बड़ाया।
"ओह्ह्ह।"मानसी ने आंसू पोछे।
"मै यही आया हुआ था,कि मुझे शिखा के एक्सीडेंट के बारे में पता चला।"भारत ने उसे विदूषक के बारे में नहीं बताया।न ही अपनी सच्चाई।
"मुझे कुछ दवाएं लानी है, आप यही रुकिये।"भारत बाहर को चल दिया।
भारत चल दिया था तिरंगा बनने।
तिरंगा ने अपने यूटिलिटी बेल्ट से उस डिवाइस को बरामद किया,जिससे वो अपने ट्रैकिंग डिवाइस की लोकेशन ट्रैक करता है।
उसने विदूषक की लोकेशन ट्रैक की।और वो थी:-
राजनगर
क्रॉस की गुप्त लैब
"यहाँ पर तुम अपने गैजेट और हथियार रख सकते हो।"क्रॉस उसे अपनी लैब दिखाता बोला।
"और तुम,?"विदूषक ने सवाल किया।
"यहाँ का एक नियम है,"उसने हैट निकाली"कि सवाल सिर्फ मै करता हूँ और अगर कोई ये नियम तोड़ता है तो"वो अपने आदमियों की तरफ इशारा करता बोला"ये लोग उसे तोड़ते है।"
विदूषक चुप रहा।
"तुम्हारा निशाना ध्रुव होगा और मेरा रोबो।हम दोनों एक दूसरे का रास्ता नहीं काटेंगे।"उसने हैट पहनी और बाहर निकल गया।
ध्रुव और रोबो के खिलाफ जंग शुरू हो चुकी थी।।
दिल्ली
सिटी हॉस्पिटल
मृणालिनी अंदर पहुंची।मानसी उस वक़्त बेड के करीब ही झपकियां ले रही थी।
"मानसी"उसके मुँह से निकला।
"तुम यहाँ कैसे?"वो उसके करीब आ बैठी।
"पहले ये बताओ,कि ये सब हुआ कैसे?"उसने आंसू पौछे।उसके चेहरे पर उतावलापन साफ़ नजर आ रहा था।
मिली ने सारी कहानी कह सुनाई।जिसमे विदूषक का भी जिक्र था और भारत का भी।जिसे सुनने के बाद।
"विदूषक अचानक क्यों भागेगा?"मानसी के मुँह से निकला।"और क्यों?"
"शायद किसीने उसकी मदद की हो!"मिली ने विचार प्रकट किया।
"और बहुत बड़ी गलती कर बैठा।"मानसी के जबड़े भींच गए।
दिल्ली
वही मेंटल असायलम,जहाँ से विदूषक भागा था।
मानसी के लिये ज्यादा मुश्किल नहीं था ये जानना कि उस रात विदूषक को खाना देने कौन गया था।पर वो इंसान ढूंढे न मिला।मिलता भी कैसे।क्रॉस के आदमी काम होने के बाद वहां रुकेंगे भी क्यों।
जाहिर है, उसे निराश होकर लौटना पड़ा।
राजनगर
भारत ने पहुचते ही सबसे पहले वही करीब स्थित होटल में रूम बुक किया।और वही रुककर सबसे पहले विदुशक की लौकेशन चेक की और उसकी आँखें फट गई।
वो उसके बेहद करीब था।
ध्रुव रेनू के साथ उसकी कजिन को पिक करने आया था।
वो मृणालिनी थी।और उसके साथ मौजूद थी,मानसी।
मृणालिनी रेनू के गले मिली।
"ये मेरी दोस्त है,मानसी।"उसने मानसी की तरफ इशारा किया।दोनों ने हाथ मिलाये।
"और इन्हें तो सब जानते है।"रेनू ने ध्रुव की तरफ इशारा किया।"सुपर कमांडो ध्रुव, हमारी कमांडो फ़ोर्स के कैप्टन।"
मिली और मानसी ने सिर नवाकर उसका अभिवादन किया।
"यहाँ आने की वजह है..."मानसी ने कहना चाहा।शायद वो कुछ ज्यादा ही जल्दी में थी।
कि तभी ध्रुव बोल पड़ा।"घर चलकर आराम से बात करेंगे।"
"रेनू"वो रेनू से मुखातिब हुआ।"इन्हें मेरे घर छोड़ दो और वही रुकना।मै बस कुछ देर में पहुंचा।"
रेनू दोनों को साथ लेकर चल दी।
ध्रुव भी वापस लौट ही रहा था कि अचानक हुए जोरदार वार
ने उसके होश उडा दिए।वार पीछे से हुआ था।
सड़क के किनारे फुटपाथ पर चल रहे लोगो का ध्यान एकाएक उसपर पड़ा।
"उफ़्फ़"की तेज आवाज के साथ ध्रुव बाइक से दूर जा गिरा।
झटके से उसने गर्दन घुमाई।और उसकी आंखे फटी रह गई।
सामने 7 फ़ीट ऊँचा विदूषक खड़ा था और उस पर हंस रहा था।उसने अपना हाथ बढ़ाया ही था ध्रुव को पकड़ने को कि तभी एक जोरदार वार से वही का वही रुक गया।वार करने वाला तिरंगा था।
"तिरंगा?तुम यहाँ कैसे?"ध्रुव के मुँह से निकला।
"इसी अपराधी को पकड़ने आया हूँ।ये दिल्ली के पागलखाने से कुछ लोगो को घायल करके भागा है।"तिरंगा ने एक ही सांस में सब कह दिया।
"ध्रुव तो मरेगा ही,तू भी अब मरेगा तिरंगा।"विदूषक दांत पिसता बोला।
" खून से खेलेंगे होली,अगर वतन मुश्किल में है,
सरफ़रोशी की तमन्ना,अब हमारे दिल में है।"तिरंगा अपना सीना ठोकते हुए बोला।
"हाहाहा, अच्छी लाइन्स है।मारूँगा भी तुम्हे उतने ही अच्छे से।"विदूषक ताली बजाता बोला।
विदूषक ने अपने हाथ उनकी तरफ किये और एकाएक उसकी आस्तीन में से छोटी छोटी 2 मिसाइल उन दोनों की तरफ बढ़ी।जिसे तिरंगा ने अपनी ढाल पर और ध्रुव ने 3 बैक फ्लिप मारकर बचाया।
तिरंगा ने अपनी ढाल उसकी तरफ फेंकी,जिसे उसने हाथों में थामा और ध्रुव की तरफ फेक दिया।तिरंगा अबतक उसके बेहद करीब पहुँच चूका था।इस बीच ध्रुव ने तिरंगा की ढाल थामी और तिरंगा को पास की।तिरंगा जो अबतक विदूषक के करीब पहुँच चूका था।तिरंगा ने ढाल पकड़ी और विदूषक की जांघो पर वार किया।पर विदूषक अपनी जगह से हिला भी नहीं।
जेसे उसे कुछ महसूस भी नहीं हुआ हो।
ध्रुव समझ गया कि तिरंगा उसे गिराना चाहता है।उसने स्टार लाइन का निशाना उसके जूतों पर लगाकर फेका।निशाना ध्रुव का था,चुकने का तो सवाल ही नहीं उठता था।पर विदूषक को अब भी फर्क नहीं पड़ा।बल्कि उसने नीचे झुककर स्टार लाइन को हाथों में थाम लिया।उसका दूसरा सिरा अब भी ध्रुव के हाथों में था। ध्रुव कुछ समझ पाता, उसके पहले ही उसने ध्रुव को करीब खींचा और एक मुक्का मारकर वापस फेक दिया।
(ध्रुव की स्टार लाइन नायलॉन की बनी है, अगर उसे सावधनी से न पकड़ा जाये तो हाथ भी कट सकता है)
तब तक तिरंगा उसके करीब पहुँच चूका था।ढाल का एक तेज वार उसने विदूषक पर किया।विदूषक थोडा सा हिला।और अचानक ही एक तेज प्रहार तिरंगा के चेहरे पर कर दिया।तिरंगा ने तेजी दिखाते हुए ढाल को चेहरे के सामने किया।पर फिर भी वार उसे अपने चेहरे पर महसूस हुआ।"उह्ह"की आवाज के साथ वो भी वही जा गिरा।
"अब क्या करे,ध्रुव?"तिरंगा के चेहरे पर हैरानी नजर आ रही थी।
"दोनों मिलकर हमला करते है।शायद कुछ हो!"ध्रुव के चेहरे पर दृढ़ता नजर आई।
दोनों एक साथ दौड़े और हवा में छलांग लगाकर एक किक विदूषक पर जमा दी।विदूषक हडबडाया और पीछे फुटपाथ पर लगे,फायर हिड्रेन्ट पर जा टकराया।
टकराते ही विदूषक का बैलेंस बिगड़ा और ध्रुव तिरंगा ने उसके शरीर से धुँआ उठते देखा।
"ये तो.."तिरंगा बोला।
"रोबोट है।"ध्रुव ने शब्द पुरे किये।
"चलो,अब खुलकर वार कर सकते है।"तिरंगा ने चैन की सांस ली।"ध्रुव हमें इसके शरीर में दरार करनी होगी,जिससे पानी इसके पुर्जो में घुस सके।"
"और वो तुम्हारे इस न्यायदंड से हो सकता है।"ध्रुव ने उसके न्यायदण्ड को छुआ।
फिर क्या था।इंसान समझ कर ही तो दोनों अब तक चुप थे।
लेकिन अब तो विदूषक,मतलब रोबोट की शामत आने वाली थी।
तेजी से दौड़कर तिरंगा उस रोबोट के करीब पहुंचा।ध्रुव ने उसे फॉलो किया।तेजी से पहुंचकर तिरंगा ने एक किक सीधे रोबोट के सीने पर जमा दी।तेजी से ध्रुव ने स्टार ब्लेड का वार उसके मशीनी हाथो पर किया।स्टार ब्लेड जाकर गड़ गए।तिरंगा ने तेजी से न्यायदण्ड को उसके सिर पर दे मारा।
इस वक्त उस रोबोट के लिये उन दोनों के वार समझ पाना मुश्किल था।दोनों ही कभी आगे तो कभी पीछे हो रहे थर।इस बीच ध्रुव अपना स्टार ब्लेड वापस निकाल चूका था।एकाएक ही तिरंगा ने न्यायदण्ड उस दरार में घुसा दिया,जहाँ ध्रुव के स्टार ब्लेड ने छेद किया था।एक जोर का दबाव देकर उसने न्यायदण्ड आरपार कर दिया।और ध्रुव की एक किक ने उसे फायर ह्यड्रेन्ट पर गिरा दिया।
उसके पानी में गिरते ही एक धमाका हुआ और उसके परखच्चे उड़ गए।साथ ही एक हरे धुंए ने उन्हें आगोश में लिया।
ध्रुव तो नोज फिल्टर लगाकर रखता है।इसलिए वो तो बच गया।
पर तिरंगा,
ध्रुव ने चैन की सांस ली।"चलो,ये तो ख़त्म हुआ।पर तुम यहाँ इसके होने का पता कैसे लगा?"ध्रुव ने तिरंगा की तरफ देखा।
तिरंगा एकटक उसे देख रहा था।
"क्या हुआ?"ध्रुव बोला।
तिरंगा ने अपने घुंसे का वार ध्रुव की कनपटी पर कर दिया।
"आह्ह"ध्रुव की जोरदार चीख निकली।
ध्रुव संभल भी नहीं पाया था कि तिरंगा की जोरदार किक उसके चेहरे पर पड़ी।
"क्या हुआ?मुझे क्यों मार रहे हो?"ध्रुव के होठो से खून छलक आया।
"ये एकाएक हिंसक क्यों हो गया?"मन ही मन सोचने लगा ध्रुव।
तिरंगा ने अपनी ढाल के कटर एक्टिवेट किये और ध्रुव की तरफ फेके।इस बार ध्रुव ने बेक फ्लिप मारकर खुद को बचा लिया।ढाल जमीन पर जा गड़ी।ध्रुव और तिरंगा दोनों ही तेजी से ढाल की तरफ बढे।जिसमे बाजी ध्रुव के हाथ लगी।ध्रुव ने तेजी से ढाल उठाई और खुद को घुटनों पर लेकर तिरंगा के पैरों के बीच से निकल गया।इस दौरान उसने अपना शरीर पीछे को झुका लिया था।
तिरंगा और उसके बीच की दुरी 2 मिटर से ज्यादा न थी।
पीछे निकलते ही ध्रुव ने ढाल को फेककर उसका वार तिरंगा पर किया,जिसे उसने तेजी से अपने न्याय दंड से रोक लिया,किसी मंझे हुए लठैत की तरह।देखते ही देखते तिरंगा ने न्याय दंड सीधे ध्रुव के सीने से लगा दिया और बिजली की एक तेज लहर उसके अंदर दौड़ गई।
"आह्ह्ह"ध्रुव जमीन पर जा गिरा।कुछ ही दूर वो रोबोट पड़ा था,जिससे वो दोनों अभी लडे थे।ध्रुव के हाथोंमें पानी की वो लहरें आ गई,जिससे वो रोबोट अभी हारा था।
और उसी से तिरंगा को हराने का आईडिया उसके दिमाग में आ गया।बस एक बार और तिरंगा अपने न्याय दंड का उपयोग कर ले।
उसके दिल की बात तिरंगा ने मान ली।वो दोबारा उस पर न्याय दंड का वार करने गया ही था कि बिजली की गति से ध्रुव ने अपनी जगह छोड़ी।न्याय दंड सीधे पानी में जा लगा और तिरंगा ने उस तरंग को महसूस किया,जिसे कुछ देर पहले ध्रुव ने किया था।
"आह्ह्ह"कुछ देर चिल्लाने के बाद तिरंगा शांत हो गया।
राजनगर
ध्रुव का घर
"ये भैया कहां रह गया!"श्वेता टहलने लगी।
सामने ही मिली और मानसी बैठी थी।सामने रखी टेबल में प्लेट पर चाय के कप नजर आ रहे थे।
"लगता है, तुम्हारे भैया को आने में टाइम है।"मिली ने श्वेता को देखा।फिर वो रेनू से मुखातिब हुई"अच्छा रेनू,मै चलती हूँ।"मानसी के कंधे पर हाथ रखती वो बोली।"मानसी के लिये होटल में एक कमरा भी बुक करवाना है।फिर मै चली जाउंगी।और ये यही रुककर विदूषक पर रिपोर्ट बनाएगी।"
(मानसी पार्टटाइम रिपोर्टर भी है)
"1 मिनट,मानसी हमारे साथ क्यों नहीं रह सकती?"श्वेता बोल पड़ी।"जिस तरह रेनू हमारे घर की मेंबर की तरह है, उसी तरह तुम हो,तुम्हारी फ्रेंड है।"
तर्क अच्छा था।
"थैंक्स,लेकिन मुझे अकेले रहना ज्यादा पसन्द है।"मानसी बोलते वक़्त कहीं खो गई।"और वेसे भी कुछ काम हैं, जो मै अकेले ज्यादा अच्छे से करती हूँ।"
अगली मुलाकात होगी
Click Here To Download in PDF
Post a Comment: