Friday, 29 December 2017

कॉमिक्स आवर पैशन ...प्रस्तुति

नागयोद्धा   @अभिराज ठाकुर

समय : रात के 2 बजे, महानगर के एक इलाके का एक पार्क ।

अँधेरे का हिस्सा बने 2 ओवरकोट  और हैट धारी लोग पार्क के मेन गेट कि तरफ़ बढ़ रहे थे...गेट पर एक चौकीदार कुर्सी पर बैठा ऊंघ रहा था..!!

पहला व्यक्ति: इसे जान से मत मारना सिर्फ़ बेहोश कर दो..!!

दूसरा व्यक्ति : पर क्यों प्रोफ़ेसर..?.वैसे भी मैंने कई दिन से किसी इंसान कि जान नही ली है...इसे मारने से क्या दिक्कत है..!!

पहला: बात को समझो अभी हम अपने मिशन की शुरआत मैं हैं...अगर अभी से इतना खून खराबा करोगे तो मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी... हमें अभी बहुत लंबा रास्ता तय करना है..!!

तभी चौकीदार कि नींद खुल जाती है...2 साये देख के वो आवाज़ लगाता है.." ए कौन है वहाँ इतनी रात को यहाँ क्या कर रहे हो??...

वो अपनी टॉर्च सीधी करके रोशनी डालने ही वाला होता है कि...एक धुएँ की लक़ीर सी आके उसके चेहरे से टकराती है और वो वहीँ बेहोश हो गिर पड़ता है...और वो दोनों गेट खोल के पार्क में अंदर चले जाते हैं...लगभग 20 मिनट बाद जब वो बाहर निकलते हैं तो उनके हाथ में एक छोटा सा लकड़ी का चौकोर बॉक्स होता है मिट्टी से सना हुआ...!

दूसरा व्यक्ति : आपको पक्का यक़ीन है कि ये वही है..? आपने तो इसे खोल के चेक़ भी नही किया..??

पहला व्यक्ति : ये शत प्रतिशत वही है...यहां बॉक्स खोलना ख़तरनाक हो सकता है...और वैसे भी हमें तुरंत नेपाल के लिए निकलना है..इससे पहले कि इस बॉक्स के मालिक को इसके यहां से गायब होने का पता चले हमें एक और चीज़ को ढूंढना है..? जिससे इस बॉक्स में रखी चीज़ की ताक़त कई गुना बढ़ जाएगी...!!

फिर वो दोनों अंधेरे में ग़ायब हो जाते हैं...!!

ये महानगर कि एक आम सुबह थी...वही रोज़ कि दैनिक दिनचर्या में लोग व्यस्त थे....नागराज रात को ही हांगकांग से वापस आया था...एक पुराने मित्र से एक जरूरी मसले पर बात करने के लिए वो और इंस्पेक्टर स्टील स्पेशल फ़्लाईट से हांगकांग गए थे...!

 To be continued....

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