Thursday 14 December 2017

COP प्रस्तुत करते हें

ध्रुव की शादी (भाग 2)

लेखक - दिव्यांशु त्रिपाठी 

पिछले भाग में आपने पढ़ा कि रजनी मेहरा ने ध्रुव की शादी करवाने की ठानी है और वो सब ध्रुव को लेकर लड़की देखने जाते है माथुर साहब के यहाँ ध्रुव की मर्ज़ी के बिना।ध्रुव के साथ नगराज, परमाणु, डोगा, अन्थोनी, तिरंगा और भोकाल भी जाते है उसका साथ देने। लड़की पसन्द आने पर दोनों का रिश्ता तय हो ही जाता है कि तभी वहाँ पर ऋचा आ धमकती है । अब पढ़िए आगे।

तिरंगा : भाभी आयीं। भाभी आयीं।

नगराज : चुप हो जा बे ,चुप हो जा वरना आज इसी तिरंगे में लपेटकर तेरी अर्थी उठा दी जाएगी।

माथुर : अरे मेहरा साहब ये कौन लड़की है और ये लड़का किसकी भाभी की बात कर रहा है।

तिरंगा : भाई वाली भाभी की।

भोकाल (तिरंगा को घूरते हुए): मार डाल भाई तू डायरेक्ट मार डाल हम सबको।पिटवायेगा आज ये। कित्ती बेज़्ज़ती होगी जब सबको पता चलेगा लड़की के बाप ने वर्तमान और भूतकाल के नायकों को गिरा गिरा कर कूटा।

राजन : कुछ नही माथुर साहब। ये सब तो ऐसे ही मज़ाक करते रहते है।

माथुर : मगर ये किसकी भाभी की बात कर रहे है राजन साहब।

कुछ देर तक एकदम सन्नाटा पसरा रहता है फिर अचानक से परमाणु बोलता है।

परमाणु : अपने अंथोनी भाई वाली भाभी। क्यों भाई अंथोनी। बाहर जाकर देख की भाभी यहाँ क्यों आई है। बर्तन नही मांजे क्या आज तूने।

अंथोनी ने अपने मुँह को तमाम तरह की मिठाइयों और नमकीन से भर रक्खा था। उसके मुँह से आवाज़ निकलने लायक जगह भी नही बची थी।

अंथोनी : बेबा बाम बो बु बब्बा भा बे।

नगराज : अधातुर हो गया है साला। राक्षसों की तरह खा रहा है।

तिरंगा : साले का पेट है कि कुआं। तब से पेले पड़ा है।

भोकल : साले खा खा के मर जायेगा।

डोगा : अब और कितना मरेगा बे।

परमाणु : भाई आराम से खाते हुए जा और जा देख भाभी क्यों आई है ।

अंथोनी को कुछ समझ नही आता है । वो बाहर ऋचा के पास पहुँच जाता है।

अंथोनी : भोभो भा भहवाबत भै।

ऋचा : ये बोल क्या रहा है ।

परमाणु : अबे कितना सामान भरा है इसने अपने मुंह में। खत्म ही नही हो रहा है।

माथुर : मेहरा साहब मुझे कुछ सही नही लग रहा है। ये लड़की कौन है।

नगराज : अरे अंकल आप बेवजह टेंशन ले रहे है। ये लड़की अंथोनी की होने वाली पत्नी है।

माथुर : तो ये यहाँ पर क्या कर रही है। और इसने ये क्यों बोला कि ये शादी नही हो सकती।

तिरंगा : अब अंकल दूसरे की पर्सनल प्रॉब्लम के बारे में हम क्या जाने।

नगराज ( तिरंगा को गुस्से में फुसफुसाते हुए): तू तो साले बोलियों ना । तेरे ही अंदर का देवर बहुत कुलाचे मार मार कर बाहर आ गया था। भाभी आ गईं भाभी आ गईं। गधा साला।

डोगा : भाई लोग। बाथरूम जाना है यार।

भोकाल : अब क्या करेगा बे बाथरूम जाकर। सारी कसर तो तूने निकाल ही दी ।

डोगा : अबे तो जो कसर निकली है उसे साफ भी तो करना पड़ेगा।

नगराज : अबे क्या गिन्हहो वाली बात कर रहे हो बे तुम दोनों। कसर निकाल दी, कसर साफ करनी है।

परमाणु : आप टेंशन ना लीजिये अंकल। में और ध्रुव अभी जाकर इस मामले को शांत करते है।

मेहरा साहब : हाँ बेटा जाओ तब तक हम लोग बाकी बातें कर लेते है।

परमाणु : ऐसी ऐसी प्रेमिकाएं है भाईसाहब की। एक चोर एक गैंगेस्टर। धमक पड़ती है अचानक से बिना बताए।

ध्रुव : भाई प्रवचन बाद में दे देना। अभी चल इस मामले को निपटाते है।
ध्रुव और परमाणु ऋचा के पास पहुँच जाते है।
ध्रुव : ये सब क्या हो रहा है ध्रुव ? तुम शादी करने जा रहे हो। तुमने मुझसे वादा किया था फिर भी।

अंथोनी : भो भा भिभो बा बहिन।

परमाणु : किसकी बहिन ?

ध्रुव : तू चुप रह भाई।

अंथोनी गुस्से में वहाँ से जाने लगता है।

परमाणु : तू कहाँ जा रहा है बे भो भी भा भु। चुपचाप यहीं पर खड़ा रह नही तो इसके होने वाले ससुर को शक हो जाएगा।

ऋचा : ये परमाणु क्या बोल रहा है ध्रुव। किसका ससुर ?

ध्रुव : अरे वो पागल है। कुछ भी बोलता रहता है।

ऋचा : तो फिर यहाँ हो क्या रहा है ?

ध्रुव : अरे वो ....वो...।

ऋचा : क्या वो ?

परमाणु : इसकी शादी तय हो रही थी।

ध्रुव : मार डालो सब मिल कर मुझे मार डालो।

अन्थोनी : बिही भो भिक भकभी भम्बा।

ध्रुव : एक तो ये ससुर अधातुर। तुम समझ नही रही हो ऋचा। मम्मी ने मुझे कसम दिलवा दी थी कि मुझे ये रिश्ता देखने चलना ही होगा। मेरी इसमे सहमति नही है।

ऋचा : सहमति होगी तो टागें नही तोड़ दी जाएगी तुम्हारी।

ध्रुव : वो बाद में तोड़ लेना। अभी यहां से चली जाओ वरना कांड हो जाएगा।

परमाणु : कुटाई कांड।

ऋचा : में तुम्हारी परिवार की इज़्ज़त करती हूँ इसलिए अभी में यहाँ से जा रही हूँ। मगर अगर ये रिश्ता टूटा नही तो तुम तोड़े जाओगे।

परमाणु : वाह। कितने की शर्त लगाओगी की ध्रुव कूटा जाएगा।

ऋचा : जितने की कहो।

परमाणु : ठीक 2000-2000की।

ध्रुव (परमाणु को एक चपत लगाते हुए): साले सट्टा खेला जा रहा है मेरे कुटने पर। कतई इमरान हाशमी बन रहे है जन्नत वाले।

परमाणु : तुझसे किसी का फायदा देखा नही जाता ।

ध्रुव : चुप कर । और ऋचा तुम अभी जाओ यहाँ से। बाकी की बातें बाद में हो जाएंगी।

ऋचा : जो बोला है उसे ध्यान में रखना।


यही बोलकर ऋचा वहाँ से चली जाती है। परमाणु, ध्रुव और अंथोनी भी वापस सब के पास आ जाते है।

माथुर : क्या हुआ बेटा। क्या बात थी।

परमाणु : कुछ नही अंकल । अंथोनी और उसकी मंगेतर की पर्सनल कलह थी। बात हो गयी मामला निपट गया।

माथुर : मगर ये तो अभी भी बोलने की स्थिति में नही है। इसने क्या बात की होगी।

भोकाल : अबे कितने देर से खा रहा है भाई ये। पूरे महीने का राशन डाल लिया है क्या इसने अपने मुंह में।

ध्रुव : अरे अंकल अब हम क्या जाने इन्होंने कैसे बात की। बस बात हो गई। मामला सुलट गया।

माथुर : लेकिन बेटा.....

राजन मेहरा ने माथुर साहब को बीच मे हो टोक दिया।

राजन मेहरा : अब छोड़िए न माथुर साहब। बच्चों की बातें है। आपस मे ये सब तो चलता ही रहता है। आप ये बताएं कि सगाई और शादी की तारीख क्या तय की जाए।

माथुर : में आज ही पण्डित जी को बुलवा कर आपको सूचना देता हूँ।

राजन मेहरा : चलिए फिर। अब हम चलते है। अच्छा नमस्कार।

माथुर : नमस्कार।

डोगा : अबे मुझे बाथरूम जाना है। उसका क्या ?

नगराज : अब अपने घर में जइयो । ससुर मुँह से चींख निकलना रोक सकते है लेकिन टट्टी निकली जा रही थी उसको नही रोक पाए।

डोगा : अबे चीख निकलना ना निकलना ये तो अपने हाथ मे है लेकिन जो चीज़ निकल गई वो किसी के हाथ मे नही है।

तिरंगा : किसी के हाथ ना ही आये तो ही अच्छा।

अंथोनी : भो भी भो भु भु।

परमाणु : भाई तू कयामत आने तक खाता ही रहेगा क्या। और ये प्लेट में दो लड्डू बचे है इन्हें क्यों छोड़ दिया।

अन्थोनी : आह। खा लिया भाई। और छोड़ा कहाँ है बे। ले तो रहा हूँ । मुँह है कोई कुआं नही की सब भर लूँ।
सब अन्थोनी की तरफ घूरने लगते है।


स्थान : राजन मेहरा का घर।
रात का समय है और ध्रुव और श्वेता आपस मे बात कर रहे थे।

ध्रुव : मम्मी ने सुबह से ही मुझसे बात नही की है श्वेता।

श्वेता : हाँ तो खुले आम चौड़े से कोई तुमसे अपने प्यार का इज़हार करने आ जायेगा ऐसे समय पर तो मम्मी तुम्हारी आरती उतरेंगी।

ध्रुव : अरे तो मैं मम्मी की बात ही तो मानकर में लड़की देखने गया था।

श्वेता : हाँ ,बहुत अच्छे से  लड़की देखी गई। और तुम क्या सब उसी को देख ही देख रहे थे।

ध्रुव : मज़ा न ले गधी। मम्मी से बात कर ना मेरी तरफ से।

श्वेता : बिल्कुल नही। मेरी भद्रा उतार देंगी मम्मी अगर मैंने तेरी तरफदारी की तो।

ध्रुव: अपने भाई के लिए इतना भी नही श सकती तू।

श्वेता : न , ये नाटक तो करना ना तुम। बहुत पिटवाया है तुमने इस चक्कर मे मुझे।

(तभी खिड़की से एक कागज ध्रुव की तरफ आता है। ध्रुव उसे खोलता है)
" अपने छत पर आओ। में वहीं तुम्हारा इंतज़ार कर रही हूँ"

श्वेता : जाओ दूसरी प्रेमिका का बुलावा भी आ गया।

ध्रुव : अरे यार। अब ये क्या करने आई है।

ध्रुव छत पर पहुँचता है तो वहां पर नताशा खड़ी रहती है।

नताशा : आज सुबह तुम क्या कांड कर के आ रहे हो ?

ध्रुव :मैंने क्या किया।

नताशा : मुझे सब पता है। भोले बनने की जरूरत नही है ज्यादा। शादी कर रहे हो।

ध्रुव (खिसियानी हँसी हँसते हुए): अरे बेबी कैसे कर सकता हूं तुम्हे बताये बिना। दुल्हन तो तुम्ही बनोगी। खुद से तो करूँगा नही।हे हे हे।

नताशा : दांत ना फाड़ो ज्यादा। जो पूछ रहीं हूँ वो बताओ।

तभी अचानक से परमाणु की आवाज़ आती है।

परमाणु : वाह। दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे वाला छत वाला रोमांटिक सीन चल रहा है।

ध्रुव : अबे तू यहां क्या कर रहा है। दिल्ली में क्यों नही है तू। आज तबाह नही हो रही दिल्ली।

परमाणु : नल्ला बैठा हुआ था। सोचा जरा भाई से मज़ा....मेरा मतलब मिल आऊं। अबे इतना स्मोग फैला हुआ है दिल्ली में की ससुर कुछ दिखे नही रहा है। इसीलिए कोई अपराधी भी निकले लगता है आज। जान रहे है कुछ दिखबे नही करेगा तो करेंगे क्या।

ध्रुव : चुप चाप खड़े रहना। मुझे बात करनी है।

परमाणु : ओके भाई। भाभी नमस्ते।

ध्रुव : नही तू ही बात कर ले पहले। देख रहा हूँ मैं सब के अंदर का देवर रह रह कर बाहर आ रहा है।

परमाणु : जस्ट कूल भाई। कोई ना। बात कर ले भाई।

तभी वहाँ पर अन्थोनी भी आ जाता है।

अन्थोनी : वाह क्या हवा चल रही है।

परमाणु : अबे तू क्या कर रहा है यहाँ पर।

ध्रुव : बस इस अधातुर कि ही कमी रह गई थी अब । अब क्या खायेगा भाई तू। मेरा दिमाग ही खा ले।

अंथोनी : न भाई। अबे सुबह इतना खा लिया कि पाद पाद के पूरा कब्रिस्तान गन्धा दिया भाई मैंने। सारे मुर्दे मर गए बे। बेचारा प्रिंस भी भेहोश पड़ा हुआ है। तो सोचा जरा टहल लूं।

परमाणु : साले दिल्ली में तेरे ही कारण तो स्मोग नही फैला है।

ध्रुव : चुप करो बे तुम दोनों।

दोनों एक साथ : यस बॉस।

ध्रुव : नताशा तुम बात को समझो। मम्मी मुझे कसम दिलवा कर ले गई थीं। मेरा बिल्कुल भी मन नही है इस रिश्ते के लिए।

नताशा : तो तुम्हे आंटी को सच सच बता कर समझना चाहिए था ना। अब क्या शादी के दिन बताओगे।

ध्रुव : ऐसा नही है । में बहुत जल्द ही उनको बताने वाला हूँ।

नताशा : मुझे इंतज़ार है उस दिन का और जल्दी ही आना चाहिए वो दिन। वरना में मर......

ध्रुव उसके कुछ आगे बोलने से पहले ही उसको गले लगा लेता है।

ध्रुव : खबरदार जो तुमने मरने की बात दुबारा मुँह से निकाली तो।

तभी डोगा का आगमन भी हो जाता है।

डोगा : ओह्ह। सो स्वीट।

परमाणु : अबे गिन्हहे इंसान। चड्डी बदल के आया है कि नही।

डोगा : अपने जैसा समझा है क्या मुझे।

अन्थोनी : हमे क्या पता । हम लोग अपनी टट्टी रोक लेते है।

परमाणु और अन्थोनी  ठहाका लगा कर हँसने लगते है।

नताशा : ये सब क्या कह रहे है।

ध्रुव : बाद में आराम से बताऊंगा। अभी तुम घर जाओ। आराम करो।

नताशा : ओके स्वीटी। आई लव यू।

ध्रुव : आई लव .....

ध्रुव के आगे कुछ बोल पाने से पहले ही नीचे से श्वेता की आवाज़ आती है।
" भैया, माथुर अंकल का फोन आया था। उन्होंने बताया कि सगाई की डेट दो हफ्ते बाद कि है और शादी की उसके एक हफ्ते बाद।"

डोगा, परमाणु, अन्थोनी एक साथ : ओ तेरी।

क्रमशः।


अब क्या होगा। ध्रुव की शादी की डेट फिक्स हो चुकी है। क्या हो जाएगी ध्रुव की शादी या आएगा कोई नया ट्विस्ट। जानने के लिए पढ़े इस कहानी का अगला भाग।

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