तालमेल और सामंजस्य किसे कहते हैं, अनिक का यह अंक पढ़कर आप सहजता से समझ सकते हैं।जहाँ एक ओर मुख्य थीम का ध्यान रखा गया है, वहीं दूसरी ओर सामाजिक कुरीतियों पर करारा प्रहार किया गया है।प्रेम से सराबोर और अन्याय के विरुद्ध जंग की दास्तान कहती वा समाज को आइना दिखाती एक बेहतरीन पत्रिका। इसके अलावा नई पीढ़ी को एक बार फिर से अपने इतिहास से रूबरू कराया गया जिसको वे लगभग भूल चुके हैं। मैं आशा करता हूँ, भविष्य के अंकों में भी ,हमारे युवा अनिक के माध्यम से एक बार फिर अपने क्रांतिकारियों की तरफ आकर्षित होंगे एवं उनसे प्रेरणा लेंगे।राम चौहान एवं ऋषभ आदर्श रचित जासूसी कहानिया भी सराहनीय हैं, हास्य एवं रोमांच का संतुलित मिश्रण। इस अंक के दो कमजोर पहलू हैं- 1- कहानियो में बहुत सारी छोटी-छोटी गलतियां हैं। ये एक ऐसी चीज है, जिससे पाठक कहानी से connect नहीं हो पाते।कुछ क्षण के लिए, समझने के लिए रुकना पड़ जाता है, जिसका कहानी के रोमांच पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। 2-कुछ हिस्सों में लगता है, शब्दों का क्रम थोड़ा सा बदला जाता तो अधिक प्रभाव पड़ता, शब्दो के चयन में कोई समस्या नहीं है।(ये मेरा व्यक्तिगत विचार है, जिसे नजरअंदाज कर सकते हैं।)
ओवरआल- अच्छा कंटेंट है , और कहानियों को अच्छे से लिखा गया है।मनोरंजन की बेहतरीन खुराक! मेरा सुझाव है, पाठक एक बार इस पत्रिका को जरूर पढें।
4 $type={blogger}
Hats off to such great efforts !!!Keep it up !
ReplyREVIEW- ANIK PLANET(December)
Replyतालमेल और सामंजस्य किसे कहते हैं, अनिक का यह अंक पढ़कर आप सहजता से समझ सकते हैं।जहाँ एक ओर मुख्य थीम का ध्यान रखा गया है, वहीं दूसरी ओर सामाजिक कुरीतियों पर करारा प्रहार किया गया है।प्रेम से सराबोर और अन्याय के विरुद्ध जंग की दास्तान कहती वा समाज को आइना दिखाती एक बेहतरीन पत्रिका। इसके अलावा नई पीढ़ी को एक बार फिर से अपने इतिहास से रूबरू कराया गया जिसको वे लगभग भूल चुके हैं। मैं आशा करता हूँ, भविष्य के अंकों में भी ,हमारे युवा अनिक के माध्यम से एक बार फिर अपने क्रांतिकारियों की तरफ आकर्षित होंगे एवं उनसे प्रेरणा लेंगे।राम चौहान एवं ऋषभ आदर्श रचित जासूसी कहानिया भी सराहनीय हैं, हास्य एवं रोमांच का संतुलित मिश्रण।
इस अंक के दो कमजोर पहलू हैं-
1- कहानियो में बहुत सारी छोटी-छोटी गलतियां हैं। ये एक ऐसी चीज है, जिससे पाठक कहानी से connect नहीं हो पाते।कुछ क्षण के लिए, समझने के लिए रुकना पड़ जाता है, जिसका कहानी के रोमांच पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
2-कुछ हिस्सों में लगता है, शब्दों का क्रम थोड़ा सा बदला जाता तो अधिक प्रभाव पड़ता, शब्दो के चयन में कोई समस्या नहीं है।(ये मेरा व्यक्तिगत विचार है, जिसे नजरअंदाज कर सकते हैं।)
ओवरआल- अच्छा कंटेंट है , और कहानियों को अच्छे से लिखा गया है।मनोरंजन की बेहतरीन खुराक! मेरा सुझाव है, पाठक एक बार इस पत्रिका को जरूर पढें।
अनिक 2 डाउनलोड नहीं हो रही।
ReplyThe one
Great.. Anik ka pura metrial gajab ka h ... story article achchhe h .. kuchh galtiya h un par dhyan dene ki jarurat h .. strip achchhi h ...
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