सटकी का बदला (revenge of satki)- अभिराज ठाकुर
COP यूनिवर्स प्रस्तुत
करते हैं.....
सटकी का बदला (द रिवेंज
ऑफ़ सटकी)
लेखक :अभिराज ठाकुर
"सटकी खोपड़ी"..!
दोस्तों मुझे तो आप
जानते ही हैं...मैं आप सबका प्यारा (कम से कम मुझे तो ऐसा ही लगता है😛)......सटकी ठाकुर....अ मेरा मतलब अभिराज खोपड़ी...😰.....खैर जाने दो....शब्दों मैं का रखा है भावनाओ
को समझो....!आगे का वृतांत आपको आँखों देखी सुनाया जायेगा....मतलब पढ़ाया जायेगा....!
स्थान - अभिराज का
घर.....
अभिराज अपने कमरे मैं
सोफे पर बैठा हुआ था ...वही रोज़ का निकर बनियान पहने...और उसकी आँखे ऊपर की तरफ घूर
रही थीं...देखने से ऐसा प्रतीत होता था मानो...कुछ गंभीरता से सोच रहा हो....पर असल
मैं उसके दिमाग मैं ये चल रहा था...." अरे साला आज की बियर का इंतज़ाम कैसे होगा...मोनिका
और रिया से तो पिछले हफ्ते ही उधार लिए थे...और नीलू तो...वैसे भी भिखारी है....
तभी एक आवाज से उसकी
तन्द्रा भंग होती है.....
"अरे नालायक क्या
कर रहा है...पूरा दिन निठल्लों की तरह पढ़ा रहता है...पूरा टाइम खयाली पुलाव बनवा लो
इससे...कभी फ़ोन मैं चिपका रहता है कभी बाइक
लेके घूमता रहता है....अभिराज की मम्मी की थी ये आवाज....
आवाज सुनकर अभिराज
हड़बड़ा के उठा....
फिर चिल्लाया तो क्या
करूँ मैं....😲😲
....खैर ये तो रोज़
का था...उधर मम्मी ने बड़बड़ाना शुरू किया इधर अभिराज ने अपना फ़ोन चार्जिंग से निकाला
और कॉमिक्स वाले ग्रुप की चैट पढ़ने लगा...आज ब्रम्हा ने फिर एक कहानी डाली थी...जिसमे
अभिराज की इज़्ज़त के साथ जमके खिलवाड़ किया गया था😟😟....ये
सब पढ़ के उसके अंदर सटकी खोपड़ी की आत्मा आ गयी...मतलब उसकी पूरी तरह सटक गयी...
अभिराज- जिस दिन ये
ब्रम्हा मेरे हाथ लग गया उस दिन इसे आधा आधा कर दूंगा...गुर्रर्रर😡
तभी उसका फ़ोन बजा दूसरी
तरफ कबीर भाई थे ...
कबीर - हाँ भाई अभिराज
मैं कबीर बोल रहा हूँ...!
अभिराज -हाँ भाई पहचान
लिया...कैसे हैं आप...!
कबीर - मैं बढियां
तुम सुनाओ...मैंने अभी चैट पढ़ी देखा तेरी फिर से सटक गयी है...तो सोचा कॉल करलूं...!
(दरअसल अभिराज ने कहानी
पढ़ के बवाल मचाया था जमके COP मैं...)
अभिराज - अरे क्या
बताऊँ भाई...&#%&-#&@^^##&^_#&@%#*@^#&@&#-@*#-#&@-@*@-#*@-#*#-##+-#&@-#&#-+#-#*-#*@-$&@#-.....
( ऊपर लिखी कथा को
स्पीड मैं खींच दिया गया है क्योंकि इसकी बातें सुनना और झेलना हर किसी के बस मैं नहीं
है...😂😂...क्यों कबीर भाई सही कहा ना..😜😜...)
कबीर - अरे तू वो सब
छोड़ इन सब बातों पर ध्यान न दिया कर...अच्छा सुन मैं जरा ऑफिस के काम से ब्रम्हा के
पास वाले शहर मैं जा रहा हूँ...एक हफ्ते के लिए...सोचा क्यों न तू भी चल ...और भी कुछ
लोग आ रहे हैं...जैसे शरिक सजल प्रिंस आकिब....!
अभिराज - अरे भाई घर
वालो को समझाना मुश्किल काम है...पर चलो मैं देखता हूँ शाम को बताता हूँ....
कबीर- चल फिर बता दियो
जैसा हो रखता हूँ...
बाय...✋✋...
अभिराज - ओके भाई बाय..✋✋..!
अभिराज मन ही मन मैं...(
अब आया है ऊंट पहाड़ के निचे बेटा ब्रम्हा तू तो गया...😈😈)
यहाँ एक बात बता दूँ.....अभिराज
की खास बात इसे प्लान करना बहुत अच्छे से आता है...ये 2 मिनट मैं ऎसे ऎसे बहाने बना
लेता है..की सामने वाला कितना भी बड़ा धुरंदर क्यों न हो गच्चा खा ही जाता है...तो अभिराज
ने अपनी फैमली को अपनी लच्छेदार बातों के जाल मैं फ़साया और...परमिशन हासिल करके कबीर
को खबर कर दी....!
अगले दिन सुबह ट्रेन
पकड़ के...सब बन्दे ब्रम्हा के शहर पहुँच गए सबके पहुँचते पहुँचते शाम हो गयी थी...तो
सब कबीर के ओफ़िस के द्वारा उपलब्ध् कराये गए
होटल मैं एकत्र हुए और तय हुआ आज रात यहीं बिता के सुबह ब्रम्हा के घर धावा बोला जाए....!
समय 10 बजे (रात के) स्थान - होटल का कमरा....
अब तक सभी लोग एक दूसरे
से मिल चुके थे...और अपना अपना कॉमिक्स का ज्ञान सबसे साझा कर रहे थे....2 2 के ग्रुप
बन चुके थे..
सजल और आकिब एक दूसरे
से बात कर रहे थे...प्रिंस और शरिक ने अपनी अलग मण्डली जमाई हुयी थी...
अब बच गए अभिराज और
कबीर....तो कबीर ने अपना लैपटॉप निकाल के ऑफिस का काम करना शुरू कर दिया...
अभिराज को बोरियत होने
लगी...पहले तो उसने होटल का पूरा राउंड लगाया....फिर रिसेप्शन पर पहुँच कर रेसेप्सनिस्ट
से बतियाने लगा...( फुल फ़ोर्स मैं लंपट बाज़ी शुरू😜)
पर लड़की भी बहुत चालू
थी...उसको तो रोज़ ऎसे 2 नमूने मिलते थे...वहां दाल गलती न देख वो वापस कमरे मैं पहुंचा....
कबीर अभी भी लैपटॉप
मैं घुसा हुआ था...
सजल आकिब और शरिक सो
चुके थे...प्रिंस भोकाल की कोई कॉमिक्स पढ़ रहा था...
अभिराज - अच्छा कबीर
भाई आपने ब्रम्हा को बताया तो नहीं की हम लोग आ रहे हैं...
कबीर - नहीं यार सोचा
सुबह सरप्राइज़ देंगे....
अभिराज - हम्म ये ठीक
किया...मन ही मन मैं ( आज रात आराम से सो ले बेटा ब्रम्हा कल से सॉलिड वाट लगने वाली
है....हीहीही गुर्रर्रर)
अभिराज को नींद नहीं
आ रही थी क्योंकि पिछले कुछ हफ़्तों से कुछ मानसिक परेशनियों की वजह से बिना पिए उसे
नींद नहीं आती थी...तो उसने प्रिंस को आवाज लगायी...
अभिराज- यार प्रिंस
कुछ " इंतज़ाम " है क्या..???
प्रिंस- मतलब?? ओह
समझ गया...नहीं यार मैं साथ नहीं लाया कहीं ट्रेन मैं चेकिंग न होने लगे इसलिए...और
अभी तो 11:30 हो रहे हैं...अब तो मिलना मुश्किल है...!
अभिराज - अजी घंटा...कोई
मुश्किल नहीं होगी हर होटल मैं एक बंदा ऐसा जरूर होता है...जो ये सब इंतज़ाम रखता है
बस उसे ही ढूँढना पड़ेगा...!
प्रिंस- यार रहने दे
न आज मूड नहीं है...
अभिराज - अबे मूड होता
नहीं है बनना पड़ता है...!
प्रिंस- चलो फिर....
दोनों ने जैसे ही कमरे
का दरवाजा खोला....
कबीर - ओ महात्माओ
कहाँ चल दिए..??
अभिराज - वो कबीर भाई
हम जरा ताज़ी हवा खाने जा रहे हैं...हीहीही
कबीर- ( घडी देखते
हुए)...आधी रात को ताज़ी हवा...???
प्रिंस - बस कबीर भाई
यहीं है बाहर गलियारे मैं ज्यादा दूर नहीं जायेंगे...!
कबीर- ठीक है जाओ....!
दोनों सीढियाँ उतर
कर निचे आये...(उनका कमरा दूसरी मंजिल पर था..)
प्रिंस- यार अँधेरा
बहुत है....
अभिराज- अबे तो अपने
दूरसंचार यंत्र से प्रकाश दे न...!
प्रिंस ने अपने फ़ोन
मैं टॉर्च जलायी..
वो जब रिसेप्शन पर
पहुंचे तो देखा...वहां एक बूढ़ा आदमी बैठा ऊँघ रहा था...
प्रिंस- इसे जगाये
क्या...
अभिराज - नहीं ये तो
शक्ल से येड़ा दिख रहा है कोई और देखो...
वो लोग मैन गेट से
बाहर निकले तो देखा..एक चौकीदार लाठी लिए...खैनी रगड़ रहा है...
अभिराज- वो रहा अपने
काम का बंदा....
अभिराज ने आवाज लगायी....
अभिराज - ओ चाचा कइसन हो....
चौकीदार- कौन???
अभिराज - अरे हम लोग
ये होटल मैं रुके हैं नींद नहीं आ रही थी सोचा थोडा टहल लेते हैं...
चौकीदार- साहब यहाँ
इतनी रात को निकलना सेहत के लिए अच्छा नहीं है...
प्रिंस - अरे चिचा
ये सब बातें हमें न सिखाओ हम लोग डोगा बाबा के भक्त हैं..अईसन काली काली रातें ही तो
हमारे जैसे के लिए अच्छी हैं...
चौकीदार- डोगा बाबा
?? ई कौन बाबाजी हैं साहब...!??
अभिराज- वो सब छोड़ो चच्चा ये बताओ यहाँ " खम्बे"
का इंतज़ाम क्या है...
चौकीदार खेला खाया
हुआ था...तुरंत समझ गया खम्बे का मतलब...
चौकीदार- देखो साहब
इतनी रात को तो बहुत मुश्किल है...मैं इंतज़ाम तो कर सकता हूँ पर थोडा खर्चा ज्यादा
होगा...
अभिराज- उसकी कोई दिक्कत
नहीं है...बस इंतज़ाम बताओ....
चौकीदार- तो साहब वो
सामने पेड़ देख रहे हो वहां से एक कच्चा रास्ता है..करीबन 200 से 300 मीटर दूर एक झोपडी
है..वहां आपको सब मिल जायेगा...बस बता देना समलू ने भेजा है...
प्रिंस - अब ये जनाब
कौन है...???
चौकीदार- अरे मेरा
नाम ही समलू है साहब...
आप उसे नाम बता देना...वो
ठीकठाक लगा लेगा..!
अभिराज- हाँ हाँ मतलब
तुम्हारा हिस्सा भी वही देना है...समझ गए हम...!
चौकीदार- अरे साहब
अब इतना तो हक़ है हमारा...!
प्रिंस - कोई बात नहीं
चिचा...चलो यार जल्दी इंतज़ाम तो हुआ कम से कम...
दोनों पेड़ के पास पहुँचे....तभी
अचानक प्रिंस ने पीछे मुड़ के देखा...
अभिराज- क्या हुआ बे..??
प्रिंस- मुझे लगा कोई
हमारा पीछा कर रहा है...
अभिराज- अबे पिने से
पहले ही चढ़ गयी क्या....??
प्रिंस- नहीं यार मैं
सच बोल रहा हूँ...
अभिराज- तू ना कम लिखा
कर हॉरर स्टोरी..वही घुसा रहता है हर वक़्त दिमाग मैं...चल अब जल्दी मेरे से कण्ट्रोल
नहीं हो रहा है...!
दोनों झोपडी मैं घुस
गए....और एक घण्टे बाद लड़खड़ाते हुए बाहर निकले....!
अभिराज -प्रिंसी मेरी
जान i love u....
प्रिंस-लभ यु टू यारा...😘😘
फिर दोनों जैसे तैसे
कमरे तक पहुंचे...
खट खट खट....अभिराज
ने दरवाजा नॉक किया...!
कबीर ने दरवाजा खोला....
कबीर- (गुस्से मैं)....कहाँ
थे तुम दोनों समय पता है क्या हो रहा है...और नामुरादों पी कर आये हो हो वो भी अकेले अकेले....गुर्रर्र
अभिराज- आई ऍम सोली
कबिल भाई..(अभिराज से बोला भी नहीं जा रहा था..)
प्रिंस- टेंसन नको
कबीर भाई आपके लिए भी एक खम्बा लाये हैं...!
कबीर- चलो माफ़ किया
अंदर आओ जल्दी...(😜😜)
कमरे के अंदर आकिब
और सजल सो रहे थे...जबकि शरिक जाग गया था...गेट की आवाज से...!
फिर अभिराज ने नौटंकी
चालू करी...सबसे पहले तो उसने आकिब को उठाया ...
अभिराज- उठ जा नाबालिग...!
आकिब आँखे मलते हुए
उठा.....
आज तुम्हे बालिग बनाते
हैं...अभिराज ने कहा..तभी सजल भी उठ के बैठ गया....!
आकिब - भ्राता अभिराज
हम मदिरापान नहीं करेंगे...!
प्रिंस- अरे कुछ ना
होगा बस सोमरस है...!
कबीर- अभिराज और प्रिंस...तुरंत
आकिब को छोड़ दो....!
अभिराज कबीर की तरफ
मुड़ा...!
अभिराज- अरे कबीरा
मेरी जान...तुम्हे तो भूल ही गया था था.....तूने ग्रुप को संभाला हुआ है...वरना सब
खत्म हो जाता...यार निशानी भाई को भी बुलाना चाहिए...!
प्रिंस - हाँ भाई कबीर
ब्रम्हा कल ही बता रहा था....की उसके यहाँ कोई मेला शुरू होने वाला है...सब लौंडो को
बुलाते हैं....मजे के मजे हो जायेंगे...और थोड़ी गंभीर मुद्दों पर बातचीत भी जैसे की
हमें COP को किस तरीके से आगे ले जाना चाहिए....!
कबीर- ह्म्म्म्म बात
तो सही कह रहे हो तुम दोनों...चलो मैं सुबह सबको फ़ोन करूँगा...अब सो जाओ तुम दोनों...!
अभिराज- अजी घण्टा...अरे
अभी तो पार्टी शुरू हुयी है...क्यों प्रिंसी...!
प्रिन्स- हाँ बे अभी
सोने का नहीं हंगामा करने का वक़्त है....
फिर दोनों आकिब की
तरफ देख के चिल्ल्लाने लगे...." अरे पी ले पी ले ओ मोरे राजा....पी ले पी ले ओ
मोरे जानी...!
अब कैसे कबीर सजल और
आकिब और शरिक ने इन दोनों को संभाला वो तो
वही जानते है...( तो फिर उन्ही से पूँछ लेना...हीहीही)...!
सुबह के 9:30 पर सबकी आँख खुली...एक घंटे मैं वो तैयार हो के...ब्रम्हा
के घर के चल दिए...रस्ते मैं अभिराज ने शरिक को कोहनी मारी...!
शरिक - क्या हुआ सटकी...??
अभिराज- श श श...धीरे
बोलो....तुम्हे याद है ब्रम्हा ने अपनी कहानी मैं हमलोगों की इज़्ज़त धोई थी....!
शरिक - (गुस्से मैं)
हाँ यार...मैं तो भूल ही गया था....आज हिसाब बराबर करूँगा...गुर्रर्रर्र
अभिराज- मेरे पास एक
प्लान है...कान इधर लाओ...!
फिर अभिराज ने शरिक
के कानो मैं कुछ खुसुर पुसुर की....!
अब दोनों की आँखों
मैं एक शैतानी चमक थी....!
उधर ब्रम्हा इन सब
बातों से बेखबर होके अपनी दुकान मैं बैठा हुआ था...!
क्या सटकी अपना बदला
ले पायेगा???
आखिर क्या प्लान है
इनदोनो के दिमाग मैं...???
इन सब लोगो को देख
कर ब्रम्हा का क्या रिएक्शन होगा...??
इन सब बातों के लिए
इंतज़ार करें अगले भाग का...!
और जिसे जिसे ब्रम्हा
के घर आना है अपना अपना नाम लिखवा दे ताकि कबीर भाई उसे फ़ोन कर सके......
भाग
2...................
पिछले भाग मैं आपने
सब पढ़ा ही होगा....तो दोबारा क्यों बताऊँ....बात आगे बढ़ाओ....!
सब कबीर के साथ निकल
तो लिए थे पर कबीर के अलावा किसी को ब्रह्मा का पता नहीं पता था...! सब लोग एक चौराहे
पर उतरे ऑटो से...!
कबीर- बस यहाँ से पैदल
का रास्ता बताया था ब्रम्हा ने बोल रहा था...एक बड़ा सा मैदान है उसके लेफ्ट कार्नर
पर जो पेड़ है...उसके बाद वाली गली मैं 3 नं का घर है...बाकी ठीक से याद नहीं...!
आकिब- भ्राता कबीर
आपने तो भयभीत कर दिया...( अबे रास्ता पता भी है या...पैदल मार्च निकलवायेगा...😂😂)....
अभिराज - कोई बात नहीं
मैदान तो आने दो...हे भगवान...😳😳....
कबीर - क्या हुआ सटकी.??
अभिराज- उधर देखो...😵👉👉
सजल - वाओ यहाँ तो
मेला लगा है...हुर्रे
शरिक - अबे वाओ के
बच्चे अब रास्ता कहाँ से मिलेगा..???
प्रिंस- ये तो समस्या
हो गयी...!
अभिराज- अरे कोई न
कोई न....हर चीज़ आसानी से मिल जाए तो वो चीज़ का मजा नहीं रहता ...!
कबीर- ऐ तुम चुप रे...ज्ञानी
बाबा...वैसे भी दिमाग घूम गया है...!
अभिराज- अब जब दिमाग
घूम ही गया है...तो चलो मेला घूम लेते हैं...!
आकिब- भ्राताओं मेरे
पास एक विचार है...!
प्रिंस- अबे तो उस
विचार का आचार डालेगा क्या जल्दी उगल....!👊👊
कबीर- शांत प्रिंस
शांत...👐..बोलो आकिब...?
आकिब- मेरे ख्याल से
हमें टीम मैं बंट कर उस पेड़ को ढूढ़ना चाहिए....जिसे पहले मिल जाए वो यहीं आके बाकि
लोगो का इंतज़ार करे....!
कबीर- ग्रेट आईडिया
आकिब...!
अभिराज- तो ठीक है
2 बालिग एक नाबालिग की टीम बनाओ...अगर 2 2 की बनाओगे तो दिक्कत हो जायेगी...!कहीं
2 नाबालिग एक साथ न निकल जाएँ...हीहीही!!!
अभिराज की बात सुन
के सजल और आकिब खून भरी नजरो से उसे देखने लगे...!
अभिराज हड़बड़ा गया....
अभिराज- मेरा मतलब
है...मैं प्रिंस और आकिब एक टीम मैं हो जाते हैं...कबीर भाई शरिक भाई के साथ सजल..!!
कबीर- हाँ ठीक है तय
रहा...और सब सुनो सिर्फ पेड़ ढूढ़ना है मेला न देखने लग जाना...खास तौर पर तुम दोनों
अभिराज और प्रिंस....आकिब ये कोई नौटंकी करें तुम मुझे तुरंत फ़ोन करना....!
आकिब- जैसी आपकी आज्ञा
कबीर भ्राता...
फिर सब लोग टीम मैं बंट कर 2 दिशाओ मैं निकल गए.......!
कबीर एन्ड टीम मेले
मैं चाट के स्टॉल से गुजर रहे थे...वहां काफी कन्यायों की भीड़ लगी थी...!...अब कबीर
और शरिक तो बड़े थे उन्हें अपनी भावनाओं पर काबू करना आता था...!
सजलवा पर तो अभी जवानी
आनी शुरू हुयी थी...! तो वो मुँह फाड़ के उधर देखता हुआ चल रहा था...!...सजल धीमे चलने
की वजह से 4 5 कदम पीछे था कबीर से...अचानक कोई सजल से टकराया...अब वो चल आगे रहा था
देखा साइड मैं रहा था...तो ये तो होना ही था...!हीहीही...!
टकराने वाली भी एक
कन्या थी....पहले तो सजल ने सॉरी बोला...फिर अचानक चिल्लाया तुम..!!!!!!
लड़की- हाँ मैं ...क्या
मैं आप को जानती हूँ...एंड सॉरी मैं पीछे देख रही थी तो आपसे टकरा गयी...!
सजल- हाँ...नहीं....हाँ...आ
( गडब्)....!
लड़की- व्हाट...आर यु
सेयिंग....???
सजल- कबीर भाई ये बिलकुल
वैसे ही लग रही है...ना...कबीर भाई👀👀
सजल ने देखा कबीर काफी
आगे खड़ा था और सजल की तरह हाथ हिला रहा था....सजल भाग के वहां पहुंचा....!
सजल -कबीर भाई अभी
मैंने विषर्पी को देखा...!
शरिक- रे छोरे बावला
हो गया है के..म्हारे को लॉग रिया है कबीरा यो अभी ड्रीम ऑफ़ माय लाइफ के नशे मैं है...हेहेहे...!
सजल- गुर्रर्रर्रर्रर
कबीर- ये कैसे हो सकता
है...??खैर जाने दो अभी हमें ब्रम्हा का घर ढूढ़ना है...पहले उस पर फोकस करो...!
शरिक - अरे ये सब छोड़ो..मुझे
एक नं लगी है...!!👻
कबीर - अरे यार...चलो
देखते हैं..कहीं कोई कोना पकड़ो....!
एक टेंट के पीछे शरिक
हल्का होने निकल लिया....
सजल - कबीर भाई मेरे
को भी आ रही है...!
कबीर - जाओ मैंने मना
किया क्या...( कम्भखत पूँछ तो ऎसे रहा है...जैसे मैं मना कर दूंगा तो पैंट ख़राब कर
लेगा पर बिना इज़ाज़त जायेगा नहीं)
...कबीर वहीँ खड़ा था..तभी
कबीर को कोई दिखा....वो चिहुंक गया...वो आगे बढ़ने ही वाला था...की शरिक और सजल वापस
आगये...!
शरिक - क्या हुआ कबीर
मियां...किधर खिसकने का पिलान बना रहे थे...!
कबीर- यार तू सही कह
रह था...हम लोग अभी भी ड्रीम वाली कहानी अपने दिमाग से निकाल नहीं पाये हैं...ये कम्भखत
ब्रम्हा लिखता ही इतना सॉलिड है...अभी अभी मुझे लगा की मैंने ऋचा को देखा...!
सजल- भाई मैं तो बोल
रहा हूँ कोई तो लोचा है यहाँ...!
शरिक - अरे यार तुम
सब अपनी प्रेमकथा बंद करो मुझे भूंक लग रही है सुबह से सिर्फ चाय पि कर निकले थे हम
लोग याद है...!
कबीर- हाँ यार भूंख
तो मुझे भी लग रही है...चलो पहले कुछ नास्ता कर लेते हैं...!
उधर अभिराज और प्रिंस
घूम घूम कर परेशान थे...!
आकिब - भ्राता अभिराज
हमें ऐसा प्रतीत होता है...की कबीर भ्राता भटक गए हैं...हमें ब्रह्मा को फ़ोन कर लेना
चाहिए...!
प्रिन्स - हाँ यार
सटकी आकिब सही कह रहा है...सरप्राइज़ के चक्कर मैं बेहोश न हो जाएँ घूमते घूमते...!
अभिराज- अबे तुम दोनों
की बैटरी तो बड़ी जल्दी बोल गयी...!
प्रिंस - हाँ भाई मेरी
तो बोल गयी पर तेरी कैसे चार्ज है...!
अभिराज- अबे जहाँ ऎसे
ऎसे पटोले घूम रहें हो..वहां बैटरी डिस्चार्ज होने का तो सवाल ही नहीं होता...!...जिधर
देखो उधर करंट है भाई उफ़....!
प्रिंस- हा हा हा भाई
तू न सुधरेगा...
अभिराज - हे हे हे
हे....
आकिब - भ्राता अभिराज
हमें ऐसी वाणी का उपयोग कदापि पसंद नहीं है...!
अभिराज - अबे तुम तो
चुप ही रहो...ससुर रात रात भर सविता भाभी पढ़ो दिन मैं...बाल ब्रम्हचारी...गुर्रर्रर्र...इससे
तो बढ़िया हम हैं....जिधर देखि कन्या कुमारी...वहीँ
हमने कश्ती घुमा ली....
राधे राधे ....कुड़ी
फंसा दे....हीहीही
आकिब- भ्राता अभिराज
आपसे तो जितना मुश्किल है...!_/\_
.."हे मिस्टर
तुम अपने आप को समझते क्या हो.."....
अभिराज- हएं ई कौन
बोला बे..???
प्रिंस - अबे पलट के खुद ही देख ले...!!!
अभिराज पलटा तो पलट
के ही रह गया.....मुँह से सिर्फ एक ही नाम निकला...मोनिका..!!!
सामने एक बला की खूबसूरत
लड़की खड़ी थी....आकिब और प्रिंस भी मुँह फाड़े उसे ही देख रहे थे...!
आकिब- भ्राता...प्रिंस....
प्रिंस - अबे कुछ मत
बोल आज सटकी गया..सारी आशिकी झड़ जायेगी इसकी आज..हेहेहे..!
लड़की- देखा क्या रहे
हो...अभी अभी तुम क्या बोल रहे थे...पटोला...करंट....क्या समझते हो लड़कियों को तुम
लड़के लोग.
...%#^&^$&#&#^#&|^#&#$^^#&#^&#&#^#&##^&@^#&#^#&@#^#^^@^%^#^#^#&@#^^&@....(
वही सब ज्ञानी वाली बातें क्या करोगे सुनके लड़के हो दिल को ठेस पहुंचेगी इसलिए फ़ास्ट
फॉरवर्ड कर दिया....!)
अभिराज जैसे जैसे उसकी
बातें सुनता जा रहा था उसके अंदर सटकी खोपड़ी की आत्मा घुसती जा रही थी...
अभिराज-..." आता
माजी सटकली रे...💀...."
सुन लड़की वैसे तो तुम
बहुत खूबसूरत हो...(गडब् अबे क्या कर रहा है वो तेरी ले रही है तू उसकी तारीफ कर रहा
है...अबे अभिराज को छोड़ सटकी का करैक्टर पकड़..👻👻)....
हाँ तो मैं ये कह रहा
था...की क्या तुम लड़के तुम लड़के लगा रखा है...हाँ....माना की मैं हर लड़की को इसी नजर
से देखता हूँ की काश यही मिल जाए..😈😈....पर इसका ये मलतब नहीं की तुम लड़कियां बहुत
शरीफ होती हो....तुम ये इतना सज धज के आती हों किसे दिखने 60 के पार बूढो को...बोलो...क्या
तुम लोग किसी हैंडसम लड़के को देख कर नहीं कहती की काश ये मिल जाये....बोलो....साला
लड़का चाहे जितनी भी टेंसन मैं रोड पर जा रहा हो...तुम लोग ऎसे रियेक्ट करते हो की....वो
तुम्हे ही देखने को मरा जा रहा है..इसकी कैसेट भी लंबी है^#&#^&#^#@#--$*&$$&#^#&#^##--#^_##^#^#..(.माफ़
करना बिच मैं लौंडा अश्लील हो गया था इसलिए फ़ास्ट करदी.....)......!
लड़की- मैं देख लुंगी
तुझे....!
अभिराज- तो अभी देख
ले ना...!
तभी प्रिंस और आकिब
ने अभिराज को पकड़ लिया...अबे जाने देना...प्रिंसे ने बोला...
आकिब- भ्राता अभिराज
आज समझ मैं आ गया आपका नाम सटकी खोपड़ी क्यों है..!
तभी प्रिंस चिल्लया
वो देखो पेड़...!
अभिराज - और वो रही
गली...चलो चलते हैं...
प्रिंस- नहीं रुक जाओ..पहले
बाकी लोगो को तो बता दें...
अभिराज - अरे यार...एक
मिनट रुको हे हे हे एक जबर्जस्त आईडिया है....वो देखो सामने...कबीर की बात भी रह जायेगी
और मैं ब्रम्हा से मजे भी ले आऊंगा...!
आकिब - भ्राता हम आपका
आशय समझे नहीं...!
प्रिंस - पर मैं समझ
गया...भाई बहुत बुरा आईडिया है..प्लीज़ मान जा...!
अभिराज- अबे आईडिया
बुरा नहीं होता पर तरीका सही होना चाहिए...ब्रम्हा तेरी तो एजी गयी रे...!
आखिर क्या है ...सटकी
की खोपड़ी मैं....क्या होगा ब्रम्हा का...इंतज़ार करो बे अगले भाग का
और खबरदार जो किसी
ने जल्दी मचायी..........
भाग
3...............................
हाँ तो भाईयों....कल
सबके जबरबस्त रेपोन्स को देखते हुए मुझे आगे लिखने को मजबूर होना पढ़ रहा है 3 चाय पि
चूका हूँ 2 बार सोते सोते रह गया हूँ....खैर....ई सब छोड़ो देखते हैं....हियाँ का चल
रहा है....
आकिब ने दोबारा ध्यान
से देखा तो सामने एक स्टाल लगा हुआ था...जहां तरह
तरह के मेकउप का सामान और नकली चीजें बिक रही थी भेष बदलने का सब सामान मौजूद
था.....
आकिब- यक़ीनन अब मैं
आपका विचार पढ़ प् रहा हूँ...भ्राता अभिराज..( गुर्रर्रर )
प्रिंस - मत कर न भाई
देख कबीर को पता चला तो बहुत गुस्सा होगा...!!!
अभिराज - अरे उसे मैं
देख लूंगा...!
फिर अभिराज लगभग धकेलते
हुए उन दोनों को उस स्टाल पर ले गया...!
स्टालवाला-हाँ भइया
क्या चाहिए आपको यहाँ आपको सब मिलेगा...नकली दाढ़ी मूंछ और हर वो चीज़ जिसे आप किसी को
जासूसी कर सकें..!
अभिराज - वो सब तो
ठीक है पर आपके पास कोई बंद जगह है जहाँ हम ये सब अभी इस्तेमाल कर सके...!
स्टालवाला- भाई हम
तो सिर्फ बेंचते हैं इस्तेमाल तो आपको घर जा
के ही करना है....!
अभिराज- सुनो आकिब
और प्रिंस तुम्हे भूंख लगी हो तो कुछ खा पी लो...तब तक मैं यहाँ कुछ लेता हूँ....!
प्रिंस- ठीक है....चलो
आकिब बगल मैं छोले भठूरे का स्टाल लगा हुआ है...!
उन दोनों के जाने के
बाद अभिराज ने स्टालवाले से सेटिंग करनी शुरू करदी...जैसा की मैंने बताया था...उसकी
लच्छेदार बातें...!
खैर जब तक वो दोनों
वापस आये.....उसने सब सेटिंग करली थी...!
और वो उनदोनो को स्टालवाले
के पर्सनल पंडाल मैं गया....!
प्रिंस-अबे ये सब करना
जरुरी है..क्या..???
आकिब - प्रिंस भ्राता....!!
प्रिंस- अबे चोप...अबे
तेरी शुद्ध हिंदी सिर्फ पढ़ने मैं अच्छी लगती है...वैसे भी मूड ख़राब है...और तुम और
ससुर...अबे आधे से ज्यादा लोग मेले मैं तुझे ही देख रहे थे....व्याकरण कहीं के...!
आकिब- देखिये जनाब
अब आप हमारी शान मैं गुस्ताखी कर रहे हैं...!
प्रिंस- लो अब शुद्ध
उर्दू पर आ गया....अबे साँस भी नार्मल क्यों ले रिया है...एयर फ़िल्टर लगवा ले..ध्रुव
जैसा....नहीं वो तो पानी वाला है हाँ डोगा के मास्क वाला...!गुर्रर्रर
आकिब- बहूऊऊ मुझ नाबालिग
को सताते हो..." डोगा से मरवाऊंगा.."....( गुर्रर्रर बहूऊऊ)....!
अभिराज- अबे तुम दोनों
अपनी रामलीला बंद करोगे के दूँ खिंच के 2 2 ...! गुर्रर्रर्र
प्रिंस - अब बताओ क्या
करना है कर ही लो जो आज मन मैं है...कोई कसर मत छोड़ना...!
अभिराज- हाँ तो प्लान
ये है...की हम लोग लड़की बनके ब्रम्हा की दुकान मैं जायेंगे..!
आकिब- अरे नहीं जनाब...हम
और मोहतरमा...नहीं ये सब जुल्म हम पर मत करिये जनाब हम तो कहीं मुँह दिखाने लायक लायक
नहीं रहेंगे...!
अभिराज- अबे मुँह तो
सिर्फ तुमको ही दिखाना पड़ेगा...क्योंकि तुम अभी बच्चे हो...दाढ़ी मूंछ भी नहीं आई...!
आकिब- तो क्या हम...!
अभिराज- अबे बात पूरी
हो जान दिया कर...नहीं तो धर दूंगा...लाफड़...!
प्रिंस( करले बेटा
तू..आज तेरा दिन है....कभी मेरा भी आएगा....).....हाँ बोलो क्या प्लान है...!
अभिराज- देखो ब्रम्हा
की दूकान पर ज्यादातर लड़कियां ही आती हैं...जैसा की वो बताता रहता है...अब पता नहीं
सच बोलता है की फेंकता है...अब मैं और प्रिंस चाहे जितना मेकअप करलें...शेविंग के निशान
तो छुपा नहीं सकते....इसलिए हम लोग बुरखे मैं जायेंगे...और आकिब सलवार सूट मैं....!
बाकि राजू सब मेकअप कर देगा हमलोग का...!
आकिब- अब ये मियां
राजू कौन है..???
अभिराज- अबे जिसके
पंडाल मैं हम लोग अभी विराजमान हैं....
आकिब(बहुत अबे अबे
कर रिया है....एक बार कबीर भाऊ को मिलने दे सारी एडमिनगिरि झड़वा दूंगा...गुर्रर्रर).....ओह
अच्छा अच्छा..!
फेर ये सब तो लग गए
अपने तामझाम मैं अब देखते हैं...कबीर एन्ड पार्टी क्या कर रही है...!
खूब पेट भर के भकोसने
के बाद....!
सजल - कबीर भाई...अब
तो मेरे से उठा भी नहीं जा रहा...चलना तो दूर की बात है...!
कबीर- ( अबे तो मैं
कौन सा भांगड़ा करने की हालात मैं हूँ...कंभखत...सामने वाली टेबल की छमिया को देखते
देखते ज्यादा ही खा गया...बहूहू).....अरे तो इतना क्यों खा लिया जन्म जन्म के भूंखे
थे क्या.....???
और ये शरिक कहाँ रह
गया...हाथ धोने गया है या नहाने धोने..!
तभी शरिक सामने से
आता हुआ दिखाई दिया....
कबीर- यार शरिक ये
नाबालिग बच्चे के तो पैर भारी हो गए...!
शरिक- क्या???? अरे
कबीर भाई मैं हाथ धोने क्या गया...आप ने इस शरीफ बच्चे पर क्या क्या जुल्म कर डाला...!??(
हीहीही)
कबीर- अबे ओ ओ ज्यादा
नहीं....गुर्रर्र...!
शरिक -मैं तो बस मजाक
कर रहा था...भाई चलने की हालात मैं तो मैं भी नहीं हूँ...!
सजल - कबीर भाई ये
सामने वाला पंडाल कुछ ज्यादा ही भड़कीला नहीं है....??
शरिक - हाँ यार इसमें
तो अर्धनग्न कन्यायों के छायाचित्र भी है...!!😜😜
कबीर- कण्ट्रोल बेटा
कण्ट्रोल...हम यहाँ ये सब करने नहीं आये हैं...मुझे शाम 4 बजे तक रिपोर्ट करना है...और
अभी तक हम लोग ब्रम्हा के घर तक नहीं पहुंचे हैं.... ( पता नहीं ये सटकी कहानी को कितना
खिंचेगा...पहले बोला लघुकथा है...अब खींचे ही जा रहा है...गुर्रर्र खैर मजा तो आ रहा
है..ना बस और का चाही जिनगी मा.😎.).....!
तभी कबीर का मोबाइल
बजा...
कबीर - अरे ऑफिस से
ही फ़ोन आ गया...चुप रहना सब...!
सजल- अरे यहाँ किस
किस को चुप कराओगे...भाई अंदर जाके बात करलो...!
कबीर उठ के अंदर निकल
गया....
सजल- शरिक भइया ये
सामने वाले पंडाल का क्या लफड़ा है...???
शरिक- अरे ये सब बच्चों
के लिए नहीं है...
सजल- भाऊ मैं अब बस
बड़ा होने ही वाला हूँ....!
शरिक-( घूरते हुए)....
कितनी देर मैं बे...???
सजल- मेरा मतलब है
बस एक दो साल और...
भाई बता दो न प्लीज़...जानेगा
इंडिया तभी तो मानेगा इण्डिया...( हीहीही)....
शरिक- अब तू भी ब्रम्हा
की भाषा बोलने लगा है....सही कहता था सटकी....ब्रम्हा ने सबको बिगाड़ दिया है....खैर
ब्रम्हा के " अच्छे दिन" बस आने ही वाले हैं...(हीहीही)....
तभी कबीर बाहर आ गया...
कबीर - यारो एक गुड
न्यूज़ है एक bad न्यूज़ है...!
शरिक -क्या हुआ कबीर
भाई सब ठीक तो है...!
कबीर - हाँ बाकि सब
ठीक है...पर मेरे सेमीनार के हेड ओफ डिपार्टमेंट के फॅमिली मैं किसी की डेथ हो गयी
है...तो सेमीनार को आगे महीने के लिए टाल दिया गया है...गुड न्यूज़ ये की अब हम पुरे
हफ्ते फ्री हैं....कल मुझे एक बार उनके यहाँ शोक व्यक्त करने जाना होगा बस...! खैर
ये अभी और प्रिंसी का कोई फ़ोन आया की नहीं कहीं ऐसा तो नहीं..ये लोग मौज मार रहे हो
ये सोच के कबीर भाई ढूंढ लेंगे घर...!
शरिक -हाँ हो तो सकता
है...पर आकिब भी तो है...साथ मैं तो टेंसन न लो...!
कबीर- अबे सबसे ज्यादा
तो मुझे आकिब की चिंता है...ये कमीने कहीं उसे बालिग न बना रहे हों...उसकी तपस्या भंग
करके...!😟😟
सजल- हाँ भाई हो सकता
है...और हाँ कबीर भाई अभी शरिक भाई बोल रहे थे की थोड़ी देर आराम से बैठना ही है..तो
सामने वाले पंडाल मैं ही बैठ लिया जाये....!??
शरिक- अबे मैंने कब
बोला...??( गुर्रर्र देख लूंगा तुझे सजल के बच्चे)...??
कबीर- आईडिया बुरा
नहीं है...और ये सजल इतना शरीफ भी नहीं है....पूरा दिन ये और शस्वत भाई..." लिंक..."
लिंक खेलते रहते हैं...!
सजल - (थोडा शर्मा
गया).... न भाई वो तो बस एक बार...!!!
कबीर- ( गहरी साँस
लेते हुए...) होता है होता है बेटा...जवानी मैं अक्सर ऐसा होता है...!
खैर चलो तुम लोग टिकट
लेके आओ मैं...जरा बाकि लौंडो को खबर कर दूँ देखूं कौन कौन आ सकता...है....!!!
इनका तो मामला सेट
हो गया...अब देखते हैं सटकी और मण्डली क्या कर रही...है...!
लगभग एक घंटे के अंतराल
के बाद सबका मेकअप पूरा हुआ...
3 हसीनाएं बल खाती
हुयी पंडाल से बाहर निकलीं...स्टालवाले ने अपना पूरा हुनर दिखा दिया था इन तीनो पर....प्रिन्स
तो ठीक ठाक चल रहा था...पर अभिराज कुछ ज्यादा ही ओवर एक्टिंग कर रहा था...कमर मटका
मटका के चल रहा था....और आकिब ऎसे चल रह था...जिसे उसकी किसी ने इज़्ज़त लूट ली हो...(
ज्यादा गुस्सा न होना आकिब भाऊ😜😜..)...!
खैर तीनो मटकते हुए
गली मैं घुस तो गए...
प्रिंस -यार सटकी हम
आ तो गए...पर ब्रम्हा की दूकान कैसे खोजेंगे....???
अभिराज- अबे पहले तो
अपनी आवाज मैं नजाकत लाओ...शुक्र मनाओ की इतने एडवेंचर्स मिशन पर ले जा रहा हूँ...तुम
लोगों...को...!
प्रिंस -वो सब तो ठीक
है...पर तू ज्यादा न मटक अगर किसी वहशी दरिंदे की नजर तेरी इस इठलाती जवानी पर पड़ गयी
न भाई...सारा एडवेंचर घुस जाएगा...और वहीँ घुसेगा...जहाँ से तुम्हारी जवानी भर भर के
टपक रही है....प्रिंस ने सटकी की कमर की तरफ इशारा करते हुए कहा...!
अभिराज- अबे साले तू दोस्त है की दुश्मन...कभी तो अच्छा सोच लिया कर...अब समझ मैं आया की तू इतनी अच्छी
हॉरर स्टोरी कैसे लिखता है...साले की सोच ही इतनी खौफनाक है...!!!गुर्रर्रर्र
आकिब- वो देखो कोई
आ रहा है...इसी से पता करो.....!
प्रिंस - मैं कुछ नहीं
बोलूंगा...आज सटकी को ही अपने सारे टेलेंट दिखा लेने दो....!
अभिराज -हाँ हाँ मैं
ही बात करूँगा...पहले सुनो अपने अपने नाम सोच लो..मेरा रहेगा सलमा बेगम...प्रिंसी का
नगमा बेगम...और तेरा क्या रखूं मेरी कमसिन कली...???
आकिब- कुछ भी रख लो
(गुर्रर्रर)....वैसे "जन्नत" कैसा रहेगा...!
अभिराज -हाँ ठीक रहेगा...और
जैसे तेरे नखड़े हैं मेरी जान तू वहां जल्दी पहुंचेगा...!.
आकिब-क्या कहा ???
अभिराज - कुछ नहीं
कुछ नहीं...!!
तब तक वो आदमी पास
आ गया था...
अभिराज- अजी जनाब जरा
गौर फरमाइयेगा...!!
प्रिंस मन ही मन मैं
...ये जरूर पितवायेगा...नार्मल बात को भी शेर की तरह बोल रहा है...!
आदमी- जी मोहतरमा...बताएं...???
अभिराज - अजी क्या
बताएं हमें खुद कुछ पता नहीं...!!!
आदमी-जी?????
अभिराज- (गडब्) अजी
मेरा मतलब हमें कुछ सामान लेना है...पर्सनल वाला...सुना है यहाँ कोई ब्रम्हा करके है
उनकी यहीं कहीं दूकान है...!
आदमी- ( सोचते हुए)
ब्रम्हा ???ओह अच्छा बंटी की बात कर रहीं हैं आप...वैसे वो दूकान उनके पिताश्री की
है वो वहां सिर्फ बैठता है....आप एक काम कीजिए.... यहाँ से सीधा जाईये वो पीले वाले
मकान से लेफ्ट मार लीजियेगा...2 घर बाद आपको दुकान मिल जायेगी...!
अभिराज- ओह बेहद शुक्रिया...हुज़ूर
वैसे आपकी तारीफ...?
आदमी - तारीफ उस खुदा
की जिसने आप जैसे हसीनों को बनाया...
आप तो बस मुझे हुस्न
का तलबगार समझ लीजिये....!
खुदा के इस नेक बन्दे
को अपना मददगार समझ लीजिये...!
अभिराज( बहुत शाना
बन रहा है इसकी तो खैर जाने दो अभी सही वक़्त नहीं है...)...वाह जनाब आप शायर मालूम
होते हैं...खैर मदद का शुक्रिया " भाईजान".....अल्लाह हाफिज..!
अभिराज ने भाईजान शब्द्
पर थोडा ज्यादा जोर देते हुए...कहा....उसके बाद वो आदमी उन लोगो को खा जाने वाली नजरो
से घूरते हुए चला गया....उसके जाने के बाद आकिब अपना दुप्पटा सही करते हुए बोला मुआ
कैसे घूर रह था...हुँह...!
अभिराज - क्या बात
है जन्नत बेगम तुम तो करैक्टर मैं घुस गयीं...अबे तू क्यों दांत फाड़ रही है नगमा...???
प्रिन्स उर्फ़ नगमा-अबे
तुम लोगो ने सच मैं नहीं पहचाना की वो आदमी कौन था....???
अभिराज -नहीं तो कौन
था बे जल्दी बता..??
प्रिन्स - अरे वो तो
हम सबके दुलारे कमल प्यारे..अपने कविता के पुजारी...आज जिनपे हो रखी थी हवस भारी...
कमल पटेल...हा हा हा हा ...!
अभिराज - ओ तेरी भेन...$%#%$....
प्रिंस - अरे कण्ट्रोल
यार कॉमिक्स ग्रुप है...गाली नहीं वैसे भी तुम पर आरोप है की तुमने रूल तोडा है.......!!
अभिराज - हाँ यार सही
कहा कमल को तो हम बाद मैं देख लेंगे...पहले ब्रह्म डार्लिंग से तो निपट लें....!!
उधर ब्रम्हा रोज़ की
तरह दुकान मैं बैठा हुआ था...कभी फ़ोन निकाल के whatsup खोलता कभी...स्टोरी लिखने बैठ
जाता...उसे समझ नहीं आ रहा था...की 2 3 दिन से ग्रुप इतना शांत क्यों है...!
तभी ब्रम्हा की दूकान
मैं...तीन हसीनाओ ने कदम रखा...और ब्रम्हा की मुस्कान मैं इतनी बढ़ोतरी आ गयी की लग
रहा था...बत्तीसी बाहर ही गिर जायेगी.....!
खैर जितनी गाली देनी
हो दे लो क्योंकि अगला पार्ट आज शाम से पहले
नहीं मिलेगा...क्योंकि...2 बार उलटी हो चुकी है...नींद की कमी की वजह से वैसे भी आज
पूरा दिन कभी bsnl तो कभी एयरटेल के ऑफिस के राउंड मारे हौं...अब आँखे नहीं खुल रही
आशा है मज़बूरी को समझेंगे और इतने मैं काम चला लेंगे...अपने अमूल्य प्रवचन मतलब रिव्यु
देना न भूले...अन्यथा...हम घर से उठवा लेंगे.....सुप्रभात्
भाग 4.........
अभी तक आपने पढ़ा की
कैसे....अभिराज और मण्डली....ने कबीर को बिना बताये....ही ब्रम्हा की दूकान मैं जाने
का प्लान बना लिया अब पढ़ो आगे..
ब्रम्हा ने खींसे निपोरते हुए...तुरंत खड़ा हो गया....
नोट: याद रहे ब्रम्हा
की दूकान पर सिर्फ महिलाओ का सामान बिकता है...तो कुछ डबल मीनिंग भी हो सकता है...पहले
से ही माफ़ी मांग रिया...जबकि गलती ब्रम्हा की है...उसे इसी की दूकान खोलनी थी क्या
गुर्रर्र....!
ब्रम्हा- आईये आईये
मैडम....क्या सेवा कर सकता हूँ....आपकी..???
अभिराज - ( सेवा तो
बेटा आज तुम्हारी हम करेंगे...हीहीही गुर्रर्रर्र).....अजी सेवा क्या...बस कुछ सामान
लेना था....!
ब्रम्हा- जो चाहिए
सब मिलेगा यहाँ...आप देख लीजिये....( ये सलवार सूट वाला माल तो तगड़ा है बे...😜😜).!
प्रिंस- अबे अब आगे
का क्या प्लान है...( सटकी के कान मैं फुसफुसाते हुए )...???
अभिराज- अबे मेरे को
खुद नहीं मालूम...(सबने जल्दी मचा रखी है प्लाट कोई है नहीं...हवा के महल ही बनाये
जा रहा हूँ तबसे गुर्रर्र)....!?
फिर ये तीनो इधर उधर
सामान देखने लगे किसी को कुछ सूझ नहीं रहा था की अब क्या करें...यहाँ तक तो आ गए अब
आगे क्या...!???
तभी ब्रम्हा का मोबाइल
बजा..." हाल क्या दिलो का ना पूँछो सनम आपका मुस्कुराना गजब ढा गया..."....!
ब्रम्हा ने तुरंत जेब
से फ़ोन निकाला और धीमी आवाज मैं बात करने लगा...
ब्रम्हा- .."हाँ
डार्लिंग बोलो....नहीं अभी फ्री नहीं हूँ...अरे नहीं...हाँ हाँ याद है मुझे....अच्छा
सुनो अभी अपने कलीग्स के साथ मीटिंग मैं हूँ बाद मैं बात करता हूँ....! हाँ हाँ लव
यु टू...ब बाय...!
अभिराज- ये देखो कम्भखत
ने कैसे कैसे लोगो को चुना लगा रखा है...इसको तो तगड़ा खरचा पानी मिलना चाहिए..!...
ब्रम्हा - हाँ तो मोहतरमा
कुछ पसंद आया आप लोगो को...???( मुझे तो सलवार सूट वाली पसंद आगयी है...हाय ये नीली
आँखे मरवायेंगी...)...!
अभिराज- अरे जनाब पसंद
के लिए हमें कौन सा शौहर पसंद करना है...वही जरूरत का सामान लेना है....जन्नत बेगम
अब जवान हो रही है...तो इनके लिए ही कुछ दिखा दीजिये जो इन्हें पसंद आ जाये...बाकी
आप खुद समझदार है....!😈😈
आकिब ने जलती हुयी
निगाहों से सटकी को देखा...सटकी ने आँख मार दी...
आकिब- (देख लूंगा अभिराज
भाई आपको मैं गुर्रर्र)
ब्रम्हा- ( लार टपकाते
हुए) हाँ जी जरूर शौक से...आप जरा साइड पर आ जाओ....!
आकिब - हैं जी...साइड
???😳😳
(नोट: यहाँ आप सब को
बता दूँ..इस सीन को छोटा ही लिखूंगा क्योंकि कॉमिक्स ग्रुप है...वरना तो शस्वत भाई
के लेवल वाले ख्यालात आ रहे हैं दिमाग मैं😈😈...)
ब्रम्हा- ओ (गडब्)
मेरा मतलब है...जी साइड वाले काउंटर पर आ जाओ जी...(हीहीही)....!
आकिब- हाँ ठीक है..!
अभिराज- अब क्या करूँ
यार कुछ समझ नहीं आ रहा आकिब यार कुछ कर नहीं तो भांडा फूटने ही वाला है...! हे भगवान्
बचा ले..!
साइड मैं ...मतलब साइड
वाले काउंटर पर...(हीहीही)...!
ब्रम्हा - हाँ तो मोहतरमा
आप अपना साइज़ बताएंगी...ताकि मैं सही चीज़ दिखा सकूँ आपको..( तू बताये या न बताये...मैंने
तो आँखों ही आँखों मैं नाप लिया पुराना धुरंदर हूँ जी...हीहीही...)..!
आकिब ये सुन कर हत्थे
से उखड गया....!
आकिब -या अल्लाह ये
आपने क्या कह दिया....आपको जरा भी शर्म लिहाज़ है के नहीं आपने मुझ से कैसा सवाल पूँछ
लिया..???
प्रिंस और अभिराज जल्दी
से आकिब के पास आ गए...!
प्रिंस- क्या हुआ जन्नत
बेगम...??
अभिराज- क्या हुआ मुझे
बताओ...क्या किया इसने तुम्हरे साथ जन्नत...??
अब ब्रम्हा की सिट्टी
पिट्टी गुल...!
ब्रम्हा- (गडब्)...मैंने
कुछ नहीं किया जी....बिना पूँछे मैं आपको सामान कैसे दिखा सकता हूँ...और ये सवाल तो
मैं हर किसी से पूँछता हूँ...!!!
आकिब - (रोते हुए)
इसने मुझे कहीं का नहीं छोड़ा...और देखो कैसे बेहहयी से बता रहा है...मैं हर किसी के
साथ ऐसा ही करता हूँ...!
दिमाग के धुरंदर ब्रम्हा
के सामने ऐसी सिचुएशन पहली बार आई थी....इतनी सारी स्टोरी लिखने वाला बंदा...सीन को
समझ ही नहीं पा रहा था...!
उधर आकिब ने रो रो
के पुरे मोहल्ले को जमा कर लिया था....!
रही बची कसर अभिराज
और प्रिन्स ने पूरी करदी...वो लोग सबसे ब्रम्हा की करतूत को बढ़ा चढ़ा के बता रहे थे....मोहल्ले
के कुछ लोफड़ लड़के ब्रम्हा से बहुत जलते थे...क्योंकि सारी मोहल्ले की लड़कियां उनसब
को घास नहीं डालती थी...पर ब्रम्हा से दूकान पर हंस हंस के बात करती थी...उन्हें आज
मौका मिल गया ब्रम्हा से बदला लेने का....!
लड़का1- हाँ ये तो है
ही ऐसा मैंने कई बार इसे लड़कियों से बदतमीज़ी करते देखा है....!
लड़का2- हाँ मैंने भी...अभी
परसो ही देखा एक लड़की इसकी दूकान से रोते हुए निकली थी...!
ऐसा नहीं था की सब
ब्रम्हा की बुराई ही कर रहे थे पर लड़को की संख्या ज्यादा होने की वजह से कोई बड़े बुजुर्गो
की सुन ही नहीं रहा था...जो ब्रम्हा को बेहद शरीफ और भोला लड़का बता रहे थे...!
यहाँ ये सब पंगा चालू
था...उधर कबीर एन्ड पार्टी...कन्यायो के नृत्य का मजा लूट रहे थे...!
कबीर- यार शरिक ये
नीली ड्रेस वाली लड़की तो मुझे ही देख रही है बार बार...
शरिक- नहीं कबीर भाई
आपको ग़लतफ़हमी हो रही है...वो मुझे देख रही है...!!😈😈
कबीर - अबे जाओ बे
तुमको क्यों देखेगी...!
सजल - आप लोग बेवजह
एक दूसरे से लड़ रहे हो...दरअसल वो मुझे देख रही है क्योंकि कार्यक्रम शुरू होने के
बाद से मैं 3 बार आँख मार चूका हूँ...हीहीही...!
कबीर और शरिक- गुर्रर्रर्रर्र
शरिक- लो भाई और आप
इसे बच्चा समझते हो...हे हे हे ...!!
कबीर- साला आजकल की
जनरेशन कितना आगे निकल गयी है...इसकी उम्र मैं एक बार मुझे एक लड़की ने गौर से देख लिया
था....मैं तो शर्म के मारे 2 दिन घर से नहीं निकला था...!
तभी कार्यक्रम समाप्त
हो गया....सब बाहर आ गए....!
कबीर -चलो अब काम पर
लग जाओ...!!
वो लोग थोड़ी दूर ही
पहुंचे होंगे...की अचानक शरिक के सर पर कुछ ऊपर से गिरा...!
शरिक-आह......!
कबीर- क्या हुआ शरिक
भाई..???
शरिक- कुछ ऊपर से गिरा
है....!!
कबीर से सर उठा कर
देखा वो लोग पेड़ के निचे ही खड़े थे ऊपर से किसी बंदर ने किसी फल की गुठली फेंक के मारी
थी...
सजल- ये रहा पेड़...कबीर
भाई निचे का हिस्सा स्टाल वालो की वजह से हमें दिखाइ नहीं दिया...!
कबीर -और वो रही गली...!!
शरिक - चलो जल्दी से
भाई फिर...!!
कबीर - अभी नहीं...पहले
बाकी लोगों को बुला लो...!
सजल- अरे भाई पहले
ही इतना लेट हैं...ऎसे करते हैं गली मैं चलते हैं दूकान से पहले ही रुक जायेंगे...फिर
अभिराज भाई को काल करके बुला लेंगे...
कबीर - हम्म्म ये ठीक
रहेगा...वापस जाके टाइम बर्बाद करने का कोई फायदा नहीं...वैसे मैं रास्ता समझ गया हूँ...स्टाल
और पंडाल की वजह से उसे फ़ोन पर ही समझा दूंगा..कैसे कैसे आना है...!
फिर वो लोग गली मैं
आगे बढ़ते चले गए...
थोड़ी ही दूर बढे होंगे
उन्होंने देखा काफी भीड़ जमा है...शोरसरबा हो रहा है...!
बात असल मैं ये थी...की
ब्रम्हा से खुन्नस खाने वे लड़को ने हाथपाई शुरू कर दी थी...कुछ लोग बिच बचाव भी कर
रहे थे...और अभिराज और प्रिंस को समझ नहीं आ रहा था इस सिचुएशन को कैसे हैंडल करें..क्योंकि
वो अगर अपनी अस्लियत पर आते...तो इतनी मार पड़नी थी की 2 महीने बिस्तर से नहीं उठ पाते..
तभी वहां कबीर शरिक
और सजल पहुँच गए...!
कबीर - ये तो अपना
ब्रम्हा है...ऐ ऐ क्या कर रहे तो छोड़ो मेरे भाई को....!
लड़का1- तू कौन है बे...???
कबीर- अबे हम वो हैं...जो
चट्टानें को तोड़ कर रास्ता बनाना जानते हैं...( क्या डाइलॉग मारा मैंने अबे कोई ताली
तो बजाओ)...!
ब्रम्हा-(कराहते हुए)....आह
कबीर भाई मुझे बचाओ इन लोगो को गलत फहमी हुयी है...इन तीन मोहतरमा की वजह से.!!
अभिराज- हयँ...अबे
ये कबीर यहाँ कैसे आ गया...!
प्रिन्स - अबे शुक्र
मनाओ की आ गया वरना आज ब्रम्हा की चटनी बननी तय..थी...!
आकिब- मेरे विचार से
अब हमें यहाँ से "कबूतर" हो लेना चाहिए..!
कबीर उनकी तरफ बढ़ता
हुआ...!
कौन हैं आप लोग और
ये कैसा बेहूदा इलज़ाम लगा रही हैं..."...!
तभी इधर एक लड़के ने
फिर से ब्रम्हा क हॉकी दे मारी...कबीर की सटक गयी...
कबीर- तेरी तो...!!!😡😡😡
फिर वहां जैसे भूचाल
आ गया कबीर शरिक शैतानो की तरह...उन लड़को पर टूट पड़े चारो तरफ से ...'" हाय मार
डाला"....उफ मर गया की आवाजें..आने लगी...और सजल तो इतना जोश मैं आ गया की...उसने
अंधाधुंध हॉकी चलानी शुरू कर दी....इसी और 2 हॉकी उसने ब्रम्हा पर भी दे मारी...!
ब्रम्हा- हाय मर गया...अबे
तू उनकी तरफ है या मेरी तरफ...गुर्रर्रर्रर..!
सजल- उप्स सॉरी बी
भाई मैं जरा जोश मैं होश खो बैठा था...!
इस हंगामे का फायदा
उठा के अभिराज और प्रिंस ने अपने बुर्के उठाये और 80 को स्पीड से निकल लिए..!
और सीधा जाके राजू
के पंडाल मैं रुके...!
अभिराज- जल्दी से जल्दी
सब अपने रूप मैं वापस आ जाओ कहीं कबीर अकेला पड़ जाये...!
5 मिनट मैं सब वापस
वहीँ पहुंच गए...तब तक कबीर एन्ड पार्टी ने मैदान साफ़ कर दिया था...और वो लोग ब्रम्हा
को देख रहे थे की कहाँ कहाँ चोट आई है...!
कबीर - ब्रम्हा मेरे
यार ज्यादा चोट तो नहीं लगी...!
ब्रम्हा- (आह)...नहीं
कबीर भाई बस ये हाथ दर्द हो रहा है और शायद 2
3 दांत भी हिल गए हैं..!
पर आप लोग यहाँ कैसे...
शरिक- सिर्फ हम तीन
ही नहीं...सटकी आकिब और प्रिंस भी आएं हैं..!
ब्रम्हा-अरे वाह मेरी
जान सटकी भी आया है...कहाँ है मेरा भाई...!
कबीर - ठण्ड रखो भाई
आता ही होगा..!
तभी अभिराज और बाकि
मण्डली वहां पहुँच गयी...
अभिराज- और भाई ब्रम्हा,...अरे
ये क्या हुआ यारा...किसने तुझे मारा(हीहीही)...!
ब्रम्हा- अरे कुछ नहीं
यार...हुआ यूँ...!
फिर ब्रह्मा बाकि बात
बताता चला गया.और वो तीनो ऎसे सुनते रहे...जैसे उन्हें कुछ पता ही न हो...! तभी शरिक
ने आकिब को देख के कुछ बोलना चाहा पर अभिराज भी आकिब मैं कुछ देख चूका था...इसलिए उसने
आँख के इशारे से शरिक को रोका और फिर प्रिंस और आकिब को एक कोने मैं ले जाके बोला...
अभिराज- अबे इस नाबालिग
ने मरवा दिया दिया होता...गुर्रर्रर्र...!
प्रिन्स- क्या हुआ.???बताओ
तो...??
अभिराज- इसे साइड मैं
ले जाओ और इसके कानो के टॉप्स उतरवाओ फिर इसके 2 कान मैं लगाओ...!!!
आकिब- ओह सॉरी भाई
जल्दी...जल्दी मैं भूल गया..!!
फिर प्रिंस आकिब को
लेके निकल गया...!
तभी कबीर ने आवाज दी..!!!
कबीर - अरे अभिराज
सुनो....तुम यहाँ कैसे पहुँच गए...!????
अभिराज- वो मैं...(गडब्)....(मर
गए बेटा.)
तभी शरिक बोल पड़ा...!!
शरिक- वो मैंने इसे
फ़ोन कर दिया था..
कबीर - ओह अच्छा
...!!
फिर थोड़ी देर बाद...हॉस्पिटल
मैं...
कबीर- ब्रम्हा तेरी
सारी रिपोर्ट्स नार्मल आई हैं...डॉक्टर ने बोला है तुम सुबह घर जा सकते हो...!
ब्रह्मा- थैंक्स दोस्तों
तुमने बचा लिया...आज..!
यार और कोई नहीं आया
क्या..??
कबीर - बस सब्र करो
सब निकल पड़े हैं...आदि और विपुल और संदीप का तो कन्फर्म है...पर शश्वत भाई का 50
50 है..!
ब्रम्हा- तो यारो कल
से मैं तुम्हे अपने शहर घुमाऊंगा...आखिर तुम सब मेरे मेहमान जो ठहरे...!
हाँ हाँ क्यों नहीं...सब
एक साथ बोले...!
तभी शरिक ने सटकी को
बाहर आने का इसारा किया....!!!
वार्ड के बाहर...!!!
शरिक- तो ये सब तुम्हारा
किया धरा है...आखिर तुमने अपना बदला ले ही लिया...पर मेरा बदला अभी पूरा नहीं हुआ गुर्रर्र..!
अभिराज- शांत भीम शांत
अब हम लोग मिलके इसकी लेंगे..पर यार एक बात बताओ तुम्हें पता कैसे चला..???
शरिक- अरे वो आकिब
के टॉप्स ज्यादा ही चमक रहे थे जब वो भेष बदले खड़ा था...फिर जब तुम लोग वापस आये तो
फिर वही चमक दिखी...और किसी ने खबर नहीं की थी तुम्हे फिर तुम वहां पहुँच गए...बस मैं
सारी कहानी समझ गया..तभी उस समय मैंने कबीर को बोल दिया की मैंने तुम्हे फ़ोन किया...था.
अभिराज-थैंक्स यारा...!!!
भाई लोग...ये वाला
वृतांत यही समाप्त होता है..पर कहानी अभी खत्म नहीं हुयी है...!अभी तो ये सस्पेंस बाकी
है की...सजल और कबीर ने जिसे देखा क्या वो
वाकई वही थीं जो वो समझ रहे थे...!?????
और शरिक किस तरह से
खुन्नस उतरेगा....ऎसे बहुत सारे सवालो के जवाब...आपको मिलेंगे अगले अध्याय मैं...पर
उसके लिए आपको थोडा इंतज़ार करना पड़ेगा....तब तक के लिए खाओ पियो और मौज करो....!_/\_
अपने अपने सुझाव और
रिव्यु से मुझे अवगत कराएं और मैंने कहाँ कहाँ गलती की है ये भी बताएं ताकि आगे ध्यान
रख सकूँ...!
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4 comments
दिल खुश कर दित्ता यारा
Replyवेलकम...😎
Replyवेलकम...😎
ReplySandar londe maja a gya
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