Tuesday 9 January 2018

कॉमिक्स अवर पैशन प्रस्तुत करते हैं -अंकित निगम एंड टीम

इस संसार की सबसे बड़ी खासियत है कि इसमें जितनी चीज़ें प्रकट हैं उससे कई गुना ज्यादा रहस्य हैं। जितनी दुनिया प्रकट हैं उससे कहीं अधिक दुनिया अदृश्य। कुछ को समय की गति ने छिपा दिया तो कुछ को किसी श्राप ने। कहीं इच्छाधारी नागों की कहानियाँ हैं तो कहीं वानरों का साम्राज्य, कहीं बर्फीले यति हैं तो कहीं है

                  भेड़ियों का द्वीप


         जूनागढ़ के बीहड़ो और जंगलो मे ऐसे कई रहस्य छिपे हुए है जो किसी को नही पता...।
ऐसा ही एक रहस्य है देवी कालिका !

बहूत समय पहले एक क्रूर राजा 'कलिराज' ने इस मन्दिर की स्थापना की थी और यहाँ सैकड़ो आदमीयों की बलि चढ़ाई थी...तब देवी कालिका ने उसे एक विशाल खजाना प्रदान किया था। कलिराज  काले जादू का स्वामी भी था, उसका खजाना इतना विशाल था की देखने वाले की आँखे फट जाती थीं।  उस खजाने की प्रशंसा सुन के कई राजाओ ने उसे प्राप्त करने के लिए वहाँ हमला किया पर कलिराज के सामने नही टिक सके ।  तब विजय नगर के राजा विजय सिंग ने अपनी वीरता से कलिराज को परास्त किया....और खजाने पर कब्जा कर लिया । पर एक रात विजय अपने कक्ष मे मृत पाया गया, उसका खून चुसा हुआ था । तब सारे नगर मे हल्ला मच गया की खजाना शापित है...! इसके उपरांत विजयसिंग के बेटे जय सिंग ने उस शापित खजाने को देवी कालिका के मन्दिर मे ही दफना दिया...!

कहते है आज भी शैतान कलिराज अपने गुलाम नर पिशाच और भेड़िया मानवों के साथ उस  खजाने की रक्षा करता है....!

 "..ये सब तुम मुझे क्यो बता रहे हो .."
सूरज ने अभय से कहा ।
".अरे यार।  सोच ये खजाना अगर हमको मिल जाये तो..?"
अभय ने सोचते हुए कहा ।
"..हा हा हा..अबे क्या बकवास है।  ये खजाना वजाना कुछ नही होता । तू ये फालतू की बात बन्द कर और चल, क्लास का टाइम हो गया।"
सूरज ने हँसते हुए कहा।

अभय सूरज राहुल निशा और रीया । ये टीम अपने कॉलेज मे फेमस थी ।
अभय को एडवेंचर पसन्द था...तो सूरज काफी साहसी और निडर था।  वो भूत प्रेत या किसी भी तरह के अंधविश्वास को नही मानता था।  राहुल थोड़ा दब्बू किस्म का था थोड़ा डरपोक... और रीया और निशा चुलबुली और स्मार्ट !
ये पांचो आपस मे गहरे दोस्त थे ।

क्लास खत्म  होने के बाद......

"..wow समर कैप शुरु होने वाला है .."
निशा ने चहकते हुए कहा।
"..हा इस बार हम राजस्थान जाने वाले है .."
रीया ने भी खुश होकर कहा ।

"..नही हम राजस्थान नही जाएंगे .."
अभय ने सोचते हुए कहा।
"..तो कहा जाएंगे .."
रीया ने आँख तरेरते हुए कहा।

"..जूनागढ़ .."

"..अबे तू फिर शुरू हो गया ..!"
सूरज ने अभय को डाँटते हुए कहा ।

"..अरे यार । बात को समझ अगर हम सफल हो गय तो हमारी लाइफ बन जायेगी .."
अभय ने खुश होकर कहा।
"..क्या लाइफ बन जायेगी...?"
राहुल ने आश्चर्य से कहा ।

सूरज ने सभी को वो खजाने वाली बात बताई ।

"..खजाना.."
निशा और रीया।  दोनो ने एक साथ कहा।

"..खजाना..! अरे खजाने मे तो भूत प्रेत रहते है।  ना बाबा ना...छोड़ो उस खजाने को "
राहुल ने डरते हुए कहा

"..देखो दोस्तो ..इस किताब मे उस गांव का जिक्र किया गया है जहाँ देवी कालिका का मन्दिर है  और एक बार हमे जा के देखना चाहिए । खजाना ना सही अगर कुछ कीमती चीज ही मिल गई तो.."
अभय ने कहा ।
"..देख यार अभय । पहले तो ये किताब किसी सिरफिरे लेखक ने लिखी मालूम पड़ती है और ये झूठ भी हो सकता है क्योंकि जूनागढ़ में कोई बीहड़ जंगल वंगल नहीं हैं फिर अभी दो दिन बाद हमे समर कैप के लिए राजस्थान जाना है ...अब तू ये बता की तू समर कैप छोड़ के खजाना खोजने किस बहाने से जायेगा "
सूरज ने गुस्से से कहा।

"..देखो दोस्तो पहली बात तो ये की ये गुजरात वाला जूनागढ़ नहीं बल्कि मिज़ोरम की एक छोटी सी रियासत जूनागढ़ है और जाना कैसे हैं वो सब तुम मुझ पर छोड़ दो । तुम लोग बस हाँ बोल दो...."
अभय ने कहा ।

"..वैसे देखा जाये तो जुनागढ़ चलने मे कोई बुराई नही है । मुझे जगल पेड़ पौधे बहूत पसन्द है .."
निशा ने कहा।
"..मुझे भी । मुझे तो पहाड़ देखने मे बहूत मजा आता है । मैं चलने के  लिये तैयार हूँ ।"
रीया ने भी निशा की हॉ मे हॉ मिलाया ।
 "..ठीक है।  जब तुम लोग चलने को तैयार हो तो मैं भी । पर ख़जाने को खोजने नही।  सिर्फ तुम लोगो को साथ देने समझे !"
सूरज ने कहा।

"..लेकिन मैं नही जाऊंगा ।  मुझे जंगल से बहूत डर लगता है।  सुना है जंगलो मे भुत चुड़ैल रहती है।  नही ..नही मैं नही जाऊंगा ..."
राहुल ने डरते हुय कहा।

"..हा हा हा .."
सभी लोग हँसने लगते है ।
".,तुझे तो हम जबरदस्ती ले जाएंगे .."
अभय ने शरारती अंदाज मे कहा ।

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 पांचो एक कार से जूनागढ़ निकल गए ।
"..वाह अभय । मानना पड़ेगा तुम्हारे दिमाग को कैंप टीचर को क्या पटाया है!"
रीया ने हँसते हुए कहा
"..अरे दास सर मेरे पापा के अच्छे दोस्त है।  मैने सर को बोल दिया है जितने दिन समर कैंप चले हम पांचों का अटेंडेंस लगा दे "
अभय ने कहा
"..अभय ये बताओ हम जूनागढ़ पहुँच के उस मन्दिर की खोज कैसे करेंगे "
निशा ने उत्सुकता से कहा
"..फिक्र नॉट हम कोई ना कोई रास्ता निकाल लेंगे वैसे भी मेरे मामा जी के पहचान का रीशोर्ट है रास्ते मे, हम वही रुकेंगे"
अभय गाड़ी चलाते हुए कहा।
".अच्छा रीया अगर तुझे सचमुच कोई नर पिशाच या भेड़िया मानव मिलेगा तो तुम क्या करोगी"
सूरज ने शरारती अंदाज मे पूछा
"..मैं..मैं तो सबसे पहले पिचाश जी से कहूँगी की हे पिचाश मेरा खून मत पियो मेरा खून बेस्वाद है अगर खून पीना ही है तो राहुल का पी लो इसका खून मीठा है ..हा हा हा "
रीया ने हँसते हुय कहा
"..य...ये क्या कह रही हो रीया...म..मुझे इस तरह का मजाक पसन्द नही। एक तो मैं पहले से ही डरा हुआ हूँ । तुम मुझे और मत डराओ."
राहुल ने कहा
" डरपोक ..ऊ "
रीया ने उसे चिढ़ाते हुए कहा ।

रात हो चुकी थी । सुनसान सड़क जंगल की ओर जा रही थी ।
"..अभय।  जूनागढ़ अभीतक नही आया.."
सूरज ने कहा
"..नही जूनागढ़ जंगल के अंदर है। इस जंगल को पार करके हम पहुँच जाएंगे "

तभी अचानक गाड़ी एक झटके से रुक गई ।
"..क्या हुआ .."
निशा ने पूछा।
"..पता नही अचानक गाड़ी बन्द हो गई "
अभय ने आश्चर्य से कहा
"..ये खटारा गाड़ी कहा से उठा लाये थे यार"
सूरज ने हँसते हुए कहा।
"..अरे खटारा नही है। अभी 2 ही महीने हुए इसे लिए।"
अभय ने कहा
"अब हम इतनी रात को क्या करेंगे "
रीया ने कहा।
".एक मिनट गाड़ी को चेक तो करने दो।  कही पंचर तो नही हो गया."
अभय और सूरज गाड़ी से उतर गए और गाड़ी को बोनट खोल के चेक करने लगे

 सूरज और अभय ने गाड़ी को अच्छी तरह चेक किया ।
"..यार गाड़ी तो ठीक ठाक लग रही है। डीजल भी फूल है गाड़ी गरम भी नही हुई है.."
सूरज ने गाड़ी को देखते हुए कहा।
".हॉ गाड़ी के टायर भी ठीक है।  पता नही गाड़ी अचानक कैसे बन्द हो गई .."
अभय ने आश्चर्य से कहा
"..एक काम करते है।  हम सब धक्का मारते है तु गाड़ी स्टार्ट कर ......ऐ...सब लोग नीचे उतरो।  गाड़ी को धक्का मारना है। "
"..शिट यार "
निशा ने कहा।

 सब लोग नीचे उतरते है।  अभय ड्राविंग सीट पर बैठ के कार स्टार्ट करने की कोशिश करता है । सब लोग धक्का मारते है ।
तभी निशा को लगता है की कोई उसे घुर रहा है।  वो पीछे पलट के देखती है एक जोड़ी खून सी सुर्ख लाल आँखे उसे घुर रही है।  निशा उसे देख के जोर से चीखी
".आ$$....."

".क्या हुआ " सूरज ने हड़बड़ा के कहा ।

"..व...वहा कोई मुझे देख रहा था..."
निशा ने डरते हुए झाड़ियों की ओर इशारा किया।
".अरे उधर कोई नही है '"
सूरज ने झाड़ियो की तरफ देखते हुए कहा ।
"..सच्ची!  कोई लाल आंखो से मुझे घुर रहा था ..."
निशा ने डरते हुए कहा
"..ओ कमऑन निशा । ये तुम्हारे दिमाग का वहम है "
सूरज ने कहा ।
कुछ देर तक सब लोग सकते मे आ गए

"..अरे यार ये गाड़ी को हो क्या गया है। ये तो धक्का  देने पर भी स्टार्ट नही हो रही है .."
अभय ने गुस्से से कहा।
"..अब क्या करे .."
रीया ने कहा

 "..मेरे ख्याल से अब हमे पैदल ही निकल जाना चाहिए । हम आधा से ज्यादा रास्ता पार कर चुके है।  रिसोर्ट ज्यादा दूर नही होगा.."
अभय ने कहा ।
और सभी पैदल ही आगे बढ़ने लगे निशा अभी भी डरी हुई थी । और इधर उधर देख के चल रही थी ।
अचानक एक खूंखार भेड़िया झाड़ियो से निकल के उसके साथ चलने लगा उसका चेहरा खूंखार था और उसके दांतो से खून टपक  रहा था फिर... अचानक 2 पैरो पर चलने लगा।  और निशा को देख के गुर्राने लगा।  निशा जोर से चीखी ....
".,आ$$$$....अभय..$$"

",.क्या हुआ..."
अभय सूरज ने निशा को पूछा

 निशा ने डरते हुए सामने की तरफ इशारा किया।
सभी की नजर उस तरफ उठ गई लेकिन वहाँ कोई नहीं था।
अभय बोला:- "अरे यार! वहाँ कोई नही है।"
निशा आश्चर्यचकित सी देखती रही।"वहाँ था कोई।" उसने प्रतिवाद किया।
सूरज आगे आया और झाड़ियों की तरफ बढ़ गया।
उसने महसूस किया कि कोई उन्हें देख रहा है पर निशा की घबराहट और खुद का भ्रम समझ वो वापस आ गया।
"कोई नहीं है वहाँ चलो अब।"सूरज आगे बढ़ गया।
सब पीछे चल पड़े। निशा घबराई हुई थी और रिया के साथ ही चल रही थी।
इस दौरान सभी ने महसूस किया कि आसपास कोई है जो उन सभी पर नजर रख रहा है।अचानक माहौल में अजीब सी गन्ध फैलती चली गई।
भेड़ियों की आवाजें चारो तरफ से सुनाई देने लगी।
कुछ दूर से तो कुछ बेहद करीब से आने लगी।
रिया बोली:- "रिजॉर्ट कितना दूर है अभय?"
"बस पहुंचने वाले हैं।"
सफर जारी रहा और आखिर मंजिल नजर आने लगी।
रिजॉर्ट के करीब पहुंचते ही भेड़ियों की आवाज तेज हो गई। सभी तेजी से दरवाजे पर पहुंचे।
"जल्दी खोलो दरवाजा।"निशा चिल्लाने लगी।
अभय झुंझलाया।"चुप रहो न यार।"
अभय ने चाबी निकाली और दरवाजा खोला।
सभी अंदर दाखिल हुए।
निशा की जान में जान आई।
अभय करीब आया।"तुम पर राहुल का असर होने लगा है।"
इस फुसफुसाहट को सभी ने सुना।सभी ठहाका लगाकर हस पड़े।
राहुल चुप रह गया।
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कुछ देर बाद सभी खा पी कर अपने अपने कामो में लग गए।
रिया और सूरज हॉल में बैठे बात कर रहे थे।
अभय और राहुल अपने रूम में थे।(राहुल अकेले कमरे में रुकने को तैयार नही था,इसलिये अभय के साथ रुक गया)
निशा नहाने गई थी।
*******

सूरज रिया को छेड़ने के अंदाज से बोला:- "क्या बात है आज तुम कुछ ज्यादा ही निशा की वेलविशर बन रही थी जंगल में।"
"मतलब?"
"मतलब यही कि तुम्हे तो निशा से जलन होती है न।"सूरज ने मुँह बनाया।
रिया ने आँखे तरेरी।"मै क्यों जलूँगी उससे।"
"क्योंकि वो तुमसे ज्यादा खूबसूरत है।"(सूरज ने कही खो जाने का अभिनय किया।)
रिया ने भवें सिकोड़ी।"अच्छा?"

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राहुल को तो तुरंत ही नींद आ गई थी तो वो बिस्तर के हवाले हो चूका था। जबकि अभय इस वक़्त जूनागढ़ का नक्शा देखने में व्यस्त था।कालिका देवी का मंदिर उसने नक्शे में मार्क किया।
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निशा बाथटब में लेटी हुई थी और थकावट महसूस कर रही थी।अचानक ही बिजली गुल हो गई।उसकी आँखे खुल गई।
बाथरूम की खिड़की पर उसकी नजर गई।
दो जोड़ी लाल आँखे उसे घूर रही थी।
"ईईई$$$$$$%"निशा की चीख गूंज उठी।
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बिजली गुल होते ही अभय बिस्तर पर लेटने लगा था कि निशा की चीख सुनते ही वो उठ खड़ा हुआ।
"निश.. निशा..।"वो बाहर की तरफ भागा।
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"अरे ये लाइट को क्या हुआ?"रिया बोली।
सूरज उठा खिड़की के करीब पहुंचा और एक झटके से पर्दा हटा दिया।
सामने एक भेड़िया अपने पिछले दो पैरो पर खड़ा था।उसकी बड़ी बड़ी लाल आँखे और मुँह से निकलता खून देखते ही सूरज एकाएक घबराकर पीछे हटा और कुर्सी से टकराकर गिर पड़ा।उसकी नजर वापस खिड़की पर पड़ी पर वहाँ कोई नहीं था।
इसी बीच निशा की चीख रिया और सूरज के कानों में पड़ी।
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निशा बाथटब में ही पड़ी रही और चिल्लाने लगी।
"अभय...सूरज...रिया...राहुल...ब.. बचाओ..।"
खिड़की खुलती गई और एक भेड़िया अंदर झाँकने लगा।
निशा टब से निकली और तेजी से एक टॉवल खींचा उसे लपेटा अपने बदन पर और बाहर की तरफ लपकी ही थी कि एकाएक किसी से टकराई।
"मु..मुझे छोड़ दो।"वो रोने लगी।
"निशा..ये मै हूं अभय।"अभय था वो।
पीछे पीछे सूरज और रिया अंदर दाखिल हुए।रिया की नजर खिड़की पर पड़ी। एक विशालकाय भेड़िया बाहर निकल रहा था।तेजी से उसने सूरज को भेड़िया दिखाया।
दोनों उसे अवाक् देखते रह गए।
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निशा की नींद खुली।चारो तरफ नीम अँधेरा था। हाथ को हाथ सूझाई नही दे रहा था।
वो उठी तो उसका सिर पत्थर से टकरा गया।
"आह.." उसने आगे की तरफ हाथ बढाये तो ऐसा लगा जैसे उसे किसी कब्र में कैद कर दिया गया हो।
वो एक कब्र में थी।
अचानक किसी ने कब्र का पत्थर खोला।निशा की नजर उन लोगों पर पड़ी।वो सूरज,अभय और रिया थे।
"ये तो अब भी जिन्दा है।"रिया की खिलखिलाती आवाज उसके कानों में पिघले हुए शीशे की तरह चुभी।
"तो मार देते हैं।" अभय ने एक बड़ा सा पत्थर उठा लिया था और उससे निशा को कुचलने ही वाला था कि अचानक वहाँ राहुल आ गया।
राहुल उनकी तरफ लपका।"ये क्या कर रहे हो तुम लोग। मै तुम्हे ऐसा नहीं करने दूंगा।"
सूरज के हाथ में चाकू चमकने लगा।
राहुल जैसे ही करीब आया,सूरज ने चाकू उसके सीने में उतार दिया।दूसरी तरफ अभय ने उसके सिर पर पत्थर दे मारा और पूरी कब्र खून की नदी में तब्दील हो गई।
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एक झटके से निशा की आँख खुली और वो उठ बैठी।
सामने ही रिया बैग पैक कर रही थी।
"वो एक भयानक सपना था" ये सोचकर निशा की जान में जान आई।
"तुम्हारा सामान पैक कर दिया है।तैयार हो कर बाहर मिलो।"
रिया मुस्कुराती हुई बाहर निकल गई।
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कुछ ही देर में सब जंगल को पार कर कालिका मंदिर की ओर बढ़ रहे थे।
"आगे एक गांव आएगा,जहां से हमे खाना और जरूरत का सामान लेना होगा। फिर सीधे कालिका मंदिर।"
अभय उनका अगुआ  बना हुआ था।
थोड़ा सा वक़्त लगा उन्हें गांव तक पहुंचने में।
सभी अलग अलग होकर अपनी जरूरत का सामान लेने लगे।
राहुल लाख डरपोक सही। पर अपने लिये उसने लहसुन और प्याज खरीद कर छिपा लिये। निशा ने उसे ये सामान खरीदते देख लिया था पर वो चुप रही।
**********

अभय रस्सी और फंदे खरीद रहा था।
"क्या बात है बाबु जी..?पहाड़ चढ़ने जा रहे हो?" दुकानदार ने पूछा।
"नही। कालिका मंदिर।"
दुकानदार के रौनक गायब हो गई।
"क्या हुआ?डर गए क्या?"
"मै तो यही कहूंगा कि आप लोग वहां न जाए।"दुकानदार ने समझाया।
अभय बिगड़ा।"तुम सामान दो यार।"
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राहुल जब प्याज और लहसुन खरीद रहा था।तब दुकानदार उसे अजीब भाव से देख रहा था।
"क्या है?"चिढ गया राहुल।
"आपके दोस्त पहाड़ों पर चढ़ने के लिए सामान ले रहे हैं और आप निम्बू मिर्ची खरीद रहे हैं।"
"तुम्हे क्या?"राहुल हटा वहाँ से।
निशा आई राहुल के पास।
"सभी लोग कालिका मंदिर जाने से मना कर रहे हैं।"निशा फुसफुसाई।
"पर अभय के साथ जाना तो पड़ेगा।"
निशा ने उसके बैग की तरफ देखा।"मैने देखा तुमने क्या ख़रीदा।"
राहुल ने बैग की तरफ देखा।
"कल रात मैने भी उस भेड़िये को देखा,जिसे तुमने देखा था।"
निशा की आँखे फ़टी रह गई।
राहुल आगे बोला।"उस शापित ख़ज़ाने के पास बुरी आत्माये भी होंगी।ये उनसे निपटने में काम आएँगी।"

अब तक सभी उनके पास आ चुके थे।
"चलें।"अभय खुश होता बोला।
********

सभी का सफर शुरू हुआ।
गांव से निकलते ही एक पगडंडी आगे पहाड़ो की तरफ बढ़ती थी। सभी उस तरफ चल पड़े।कुछ ही देर में गांव कही पीछे छूट चूका था।
पहाड़ अब नजर आने लगा था। राहुल एक जगह रुक कर कुछ पेडों की डालियां तोड़ने लगा।
"अब ये क्या कर रहे हो राहुल?" निशा और राहुल साथ साथ ही चल रहे थे।
राहुल ने एक डाल निशा को भी थमाई। फिर बोला।
"रात तक तो मंदिर नही पहुंच पाएंगे,क्योंकि दोपहर होने वाली है।अगर फिर से रात वाले भेड़िये से सामना हो गया तो उसे सिर्फ भाले से मारा जा सकता है।"
निशा राहुल की बात को समझने का प्रयास कर रही थी की तभी एक आवाज़ आई

"सिर्फ भालों से कुछ नही होगा।"

सबने आवाज़ की दिशा में देखा तो वहां पर एक लड़का खड़ा था जो लगभग उन्ही की उम्र का था।

कोई कुछ बोलता उससे पहले ही वो बोला

"घूर क्या रहे हो? मैं भी ख़ज़ाने की तलाश में आया हूँ... तुम्हारी तरह"

उसके हाव भाव से थोड़ा डरी हुई निशा बोल पड़ी "क..क..क..कौन सा खजाना? ह..ह..हम किसी ख़ज़ाने के बारे में नहीं जानते"

"अच्छा! फिर ये लेडी शाहरुख़ खान क्यों बनी जा रही हो। हा हा हा"
उसने कहा

"ऐ तुम जो भी हो अपने काम से काम रखो और जाओ यहाँ से।"
अभय ने उसे हड़काते हुए कहा

"भड़क क्यों रहे हो यार, तुम्हे भी खज़ाना चाहिए और मुझे भी, साथ मिलकर खोजेंगे तो ज्यादा आसानी होगी ना"
उस लड़के ने समझाने के अंदाज़ में कहा

"कैसा खज़ाना, हमें नही पता तुम क्या बकवास कर रहे हो?"
सूरज ने झुँझलाकर कर कहा

"देखो सीधी बात ये है कि यहाँ जो भी आता है वो सिर्फ ख़ज़ाने की तलाश में ही आता है, वरना किसी आम आदमी को यहाँ आने से रोकने के लिए ये कंकाल और हड्डियाँ बहुत हैं"
उसने कहा तो सबने आस पास ध्यान से देखा वहां पर सैंकडों कंकाल और हड्डियों के टुकड़े पड़े थे

"और हाँ मैं बता रहा था कि सिर्फ इन भालों से कुछ नहीं होगा, गांव की पुरानी मान्यताओं के मुताबिक ख़ज़ाने की रक्षा कलिराज और उसकी दैत्य सेना करती है। जिसमे मानव भेड़िये और नर पिशाच हैं।"
 उसने बताया तो सब चौंक उठे।
अभी उनका आश्चर्य से भरा चेहरा नार्मल भी नही हुआ था कि उसने आगे बोला :- "और एक बात याद रखना कि कुछ भी हो जाये,उसका नाख़ून तुम्हे न लगे।वरना तुम भी उनमें से एक हो जाओगे।"

कुछ देर तक वहाँ ख़ामोशी छाई रही फिर सूरज बोला "पर तुम हो कौन।"

"ब्रम्ह किरन नाम है मेरा, यहाँ से 20 कोस दूर मेरा गांव है, माँ बाप बचपन में ही गुज़र गए थे और कोई आगे पीछे है नहीं इसलिए आ गया ख़ज़ाने की तलाश में, मैं तुम्हारी मदद करूँगा खज़ाना खोजने में, अगर मिल गया तो एक हिस्सा मुझे भी दे देना।"

"ब्रम्ह किरन... ये कैसा नाम है।" निशा ने कहा
"क्यों... राज किरन हो सकता है तो ब्रम्ह किरन में क्या दिक्कत है" ब्रम्हकिरन ने कहा

निशा - "अब ये राज किरन कौन है?"
सूरज - "अरे क़र्ज़ में जो ऋषि कपूर के पहले जन्म वाला बन्दा था।"
निशा - "होगा... मुझे क्या ? इसका क्या करना है"

सूरज, रिया, निशा और राहुल एक साथ बोले "इसे ले चलते हैं साथ में, यहीं का है कुछ काम ही आएगा।"

अभय कुछ सोंच रहा था
"""ब्रम्ह किरन... ये नाम कुछ सुना सुना सा लग रहा है।"""

सूरज ने उसे पीठ पर मारते हुए कहा "अबे राज किरन से मिलता हुआ नाम है इसलिए तू कन्फ्यूज़ हो रहा है... चल आगे चलते हैं।"
*********

5 बज चुके थे पर मंजिल अब भी दूर थी।उन्होंने एक जगह टेंट लगा लिया। "आज यही रुकते हैं।रात को सफर खतरनाक हो सकता है।"अभय खाना निकालता हुआ बोला।
सभी वहाँ बैठ गए। सूरज और रिया आपस में बात करते हुए खाना खा रहे थे। जबकि अभय आगे की योजना बनाने में लगा था। राहुल चुपचाप खाना खा कर जल्दी से उठ गया।
जबकि निशा और ब्रम्ह किरन धीरे धीरे खाना खा रहे थे।
"जल्दी करो तुम दोनों" अभय ने उन्हें कहा
"आखिरी बार इतना स्वादिष्ट खाना खा रहे हैं, ज़रा स्वाद तो लेने दो" ब्रम्ह किरन ने कहा तो सबका ध्यान उसकी ओर चला गया
"What do you mean by आखिरी बार?" राहुल ने डरते हुए पूछा
"अरे मेरा मतलब कि अब साथ लाया खाना ख़त्म ना, अब तो जंगल से फल फूल पत्तियां ही खानी हैं, वो बड़ी बेस्वाद होती हैं, तो ये आखिरी स्वादिष्ट खाना हुआ ना"
ब्रम्ह किरन ने कहा तो सबने राहत की साँस ली सिवाय अभय के ... वो अभी भी याद कर रहा था कि आखिर उसने ये नाम कहाँ सुना है।आखिर सभी ने खाना खत्म किया।
सभी इधर उधर बैठे थे।राहुल, ब्रम्ह किरन और निशा ने अब तक डालीयों को भाले में तब्दील कर लिया था, जबकि रिया और सूरज के बीच प्यार भरी गुफ्तगू चल रही थी।
अभय ने सबको सम्बोधित किया।

"ओके गाइस!दो टेंट हैं हमारे पास।एक में रिया और निशा सो जाएँगी और दूसरे में हम लड़के।"

सभी ने सहमति में सिर हिलाया।
सभी टेंट के अंदर जाने लगे।
एकाएक राहुल की नजर चाँद पर पड़ी।"लगता है कल पूर्णिमा होने वाली है।"वो होंठो में ही बुदबुदाया।
उसे देखकर सूरज बोला।"ओ मौसम वैज्ञानिक! चल सो जा।"
"पूर्णिमा में पिशाचों की शक्तियाँ बहुत बढ़ जाती हैं" ब्रम्ह किरन ने कहा
"ओ भाई BK अब अपनी BC बंद करो और अंदर हो लो" सूरज ने उसे चुप करा दिया
सभी टेंट में जा घुसे।
**********

सब गहरी नींद में सो रहे थे,जब राहुल ने किसी के गुर्राने की आवाज सुनी।
उसने करवट बदली और सो गया। एकाएक ही उसे ध्यान हो आया कि वो कहाँ है। उसने आँखे खोली,तो सामने ही एक विशालकाय भेड़िया उनकी तरफ बढ़ रहा था।
अभी वो टेंट के अंदर था और ये सब पारदर्शी पर्दे से देख पा रहा था। उसने झटके से सूरज और अभय को उठाया।
"उठो बे!भेड़िया आ रहा है।"
अभय कुनमुनाया।"चुप बे। सो जा चुपचाप वर्ना एक घुमा कर दूंगा अभी।"
सूरज ने भी उसकी बातें सुनी और वो वापस सोने ही वाला था कि अचानक उसे पिछली रात का वाकया याद आ गया।
जब उसने खुद एक भेड़िये को खिड़की पर और दूसरे को बाथरूम से निकलते देखा था।
सूरज झटके से उठा। राहुल ने भेड़िये की तरफ इशारा किया। भेड़िया अब टेंट के ठीक सामने खड़ा था।
देखते ही देखते वो पिछले दोनों पैरों पर खड़ा हो गया।
एक जोरदार गुर्राहट। "वोऊऊऊऊऊऊ"
उन्होंने अभय को जगाने के लिए मुड़कर देखा तो पाया की ब्रम्ह किरन वहाँ नहीं था
अभय - "ये कहाँ गया?"
राहुल - " मुझे तो पहले से ही..."
राहुल अपनी बात पूरी कर पाता इससे पहले ही एक और जोरदार गुर्राहट की अव्वाज़ आई

"वोऊऊऊऊऊऊ"
***********

निशा और रिया टेंट में सो रही थीं, जब एक तेज गुर्राहट ने दोनों को सोते से उठा दिया।
निशा ने उठते ही भाला थामा। दोनों ही हड़बड़ाहट में इधर उधर देखने लगीं। निशा के हाथ में भाला था,इसलिये उसने ही बाहर झाँकने की हिम्मत की। बाहर देखते ही उसकी आँखे फट गई।
एक 13 फुट का विशालकाय भेड़िया लड़को के टेंट की तरफ बढ़ रहा था।
**********

सूरज ने अपनी गन थामी और भेड़िये का निशाना लिया।
भेड़िया अब तक टेंट के ऊपर आ खड़ा हुआ।एक झटके से उसने टेंट उखाड़ फेंका।अभय भी अब तक उठ चुका था।अभय ने गन सीधी की ही थी कि भेड़िये ने उसे हाथ से थामा और कई फुट ऊपर हवा में उछाल दिया।
सूरज ने अंधाधुंध गोलियां चलानी शुरू कर दी। लेकिन भेड़िया अपनी चपलता के कारण गोलियों को मात दे गया। सूरज ने अपनी गन सीधी की और फिर से गोलिया चलाने लगा।पर गोलियां खत्म हो चुकी थीं। अब उसकी और राहुल की मौत निश्चित थी।
भेड़िये का हाथ उसकी और राहुल की तरफ बढा ही था कि लकड़ी का एक भाला उसके दिल के आर पार हो गया।
वार प्राणघातक था पर भेड़िया इसके बाद भी नहीं रुका बल्कि एक लंबी छलांग लगाता हुआ पीछे सहमी खड़ी निशा के उपर् से निकल गया। पर ज़्यादा दूर नहीं कुछ कदम बाद ही वो धड़ाम हो गया।

सूरज भय से जड़ हो गया था और फिर उसने देखा कि भाला पीछे से ब्रम्ह किरन ने मारा था। राहुल तो ड़र के मारे बेहोश ही हो गया था।

सभी अवाक् से इधर उधर देखते रह गए और एक दूसरे को चेक करने लगे।

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अभय ऊपर से नीचे नही गिरा था बल्कि एक पेड़ पर लटक गया था
"अरे भाई अमरुद की तरह लटके ही रहोगे या आम की तरह टपकोगे भी" ब्रम्ह किरन ने चुटकी ली
"तुम थे कहाँ, क्या ज़रूरत थी टेंट से बाहर आने की?"
सूरज ने बौखलाई हुई आवाज़ में कहा
"शांत गदाधारी भीम शांत, मैं तो बस लघुशंका के लिए बाहर निकला था कि इतने में ये भेड़िया आ गया, वो तो अच्छा हुआ कि मैं ये भाला ले कर गया था वरना राहुल भाई तो गए थे आज" ब्रम्ह किरन ने सफाई दी।

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रिया और निशा राहुल के चेहरे पर पानी डाल कर उसे होश में लेन की कोशिश कर रही थीं और BK हाथ में भाला लिए आस पास नज़र रखे था। सूरज और अभय थोड़ी दूर से BK को देखते हुए बात कर रहे थे।
"ये अचानक से आया और इसने एक ही वार में विशालकाय भेड़िये को मार भी दिया, वो भी लकड़ी से।" अभय चिंतित था

"यार तुम बेवजह उस पर शक कर रहे हो, अगर वो नहीं होता तो शायद राहुल.... और वैसे भी भाला सीधे उसके दिल पर लगा था जिसकी वजह से उसकी मौत हुई, तुम तो जानते ही हो की गांव वाले निशाना वगैरह लगाने में हम शहर वालों से ज्यादा तेज़ होते हैं।" सूरज ने अभय को समझाने के अंदाज़ में कहा।
राहुल के होश में आते ही रिया अभय के पास आ गई और सूरज ने उन दोनों को अकेला छोड़ दिया।

"तुम ठीक हो?"रिया ने पूछा।
अभय का सिर सहमति में हिला।
अचानक निशा की नजर अभय के हाथ पर पड़ी।
"माय गॉड.."उसके मुंह से निकला।
"क्या हुआ?"सूरज बोला।
"अभय को भेड़िये का नाख़ून लग चुका है और इसका मतलब यह खुद भी उनमें से एक बनने वाला है।"निशा लगभग चिल्लाती हुई बोली।
अभय झुंझलाया। "ओह्ह शट अप निशा।"
निशा चुप हुई पर चेहरे पर घबराहट अब भी थी।
निशा की आवाज़ पर किसी ने शायद ध्यान नहीं दिया था.... सिवाय ब्रम्ह किरन के जो अब अभय को घूर घूर कर देख रहा था।

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सुबह हो चुकी थी।
सभी आगे बढ़ने के लिए तैयार थे पर।
"मैं आगे नहीं जाऊंगा... तुम लोगों को हो ना हो पर मुझे अपनी जान प्यारी है"
राहुल ने बहुत देर बाद कुछ बोला था
"आगे गए तो शायद मारे जाओ पर अगर अकेले वापस जाओगे तो तो अवश्य मारे जाओगे बंधू।"
ब्रम्हकिरन ने उसे समझाया

"कहाँ फंस गया मैं। चलो अब।"
राहुल की झुंझलाहट साफ़ नज़र आ रही थी
"डरो मत भाई हम आधा दर्जन हैं... मार गिराएंगे सालों को।" BK ने मज़ाकिया अंदाज़ में कहा और फिर सब चल दिए।

निशा और रिया साथ चल रही थीं और उनके साथ चल रही थी एक ख़ामोशी जिसे थोड़ी देर बाद निशा की आवाज़ ने तोडा

निशा बोली:- "अभय को भेड़िये का नाख़ून लग चुका है और आज पूर्णिमा है जब काली शक्तियां चरम पर होंगी।"
रिया कुछ नहीं बोली।

"तेरा तरकश, उसका तीर, आगे जाने क्या हो वीर।। "
ब्रम्ह किरन ने बहुत धीमे से कहा पर सुना सबने

"क...क...क्या मतलब है इसका?"
निशा ने घबराते हुए कहा
"अरे आप तो फिर लेडी शाहरुख़ बनने लगीं, और ये, ये तो बस गांव की एक कहावत है अचानक याद आ गयी, जिसका मतलब की तुम्हारे साथ अब उस दुष्ट राजा का एक सेवक भी है, आगे की लड़ाई कैसे लड़ोगे।"
ब्रम्ह किरन ने जवाब दिया
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अभय और सूरज आगे चल रहे थे।
सूरज बोला:- "क्या तुम्हे सच में भेड़िये का नाख़ून लगा है?"
अभय ने उसे एकटक देखा। उसे विचलित न होता देख बोला :- "हो सकता है।"
सूरज ने गहरी सांस ली। फिर बोला:- "BK के मुताबिक वो भेड़िये, मानव भेड़िये हो सकते हैं और अगर ऐसा है तो अब तुम भी बनने वाले हो।"
अभय ने प्रतिवाद के लिए मुँह खोला।"लेकिन जरुरी तो नही।"
सूरज ने नाटकीय ढंग से सर हिलाया।"हां,हो सकता था लेकिन अगर तुम भेड़िये बन गए तो??"
अभय सोच में पड़ गया। फिर सोचकर बोला :- "तब तुम अपनी और उन तीनों की जान बचाना।"
"हम लोग क्यों आये यहाँ?"सूरज ने हाथ हवा में हिलाये।
अभय मुस्कुराया और बोला:- "सभी मानव भेड़िये और नर पिशाच राजा कलीराज के अधीन है लेकिन अगर हम ख़ज़ाने को ढूंढ लें तो न सिर्फ कलिराज का इन दैत्यों से संपर्क खत्म हो जायेगा,बल्कि हो सकता है ये सब आजाद हो जाएं और मै भी ठीक हो जाऊ।"
सूरज ने आँखे फाड़कर उसकी बातें सुनी।
"ऐसा उस किताब में लिखा है।"
"हां"अभय का सिर सहमति में हिला।

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सब बिना रुके चलते रहे बीच में उन्होंने रास्ते के पेड़ों से कुछ फल इत्यादि खाये थे... चलते चलते शाम घिरने लगी और दूर पहाड़ी पर कालिका मंदिर नजर आने लगा था। सबने उसे देखा पर अभय के चेहरे पर एक अलग ही चमक नजर आने लगी।
"अभी वहां पहुँचने में एक संध्या पहर और लगेगा।"
ब्रम्ह किरन ने लगभग सूरज के कानों में कहा
"अबे यार BK तुम रामसे की फिल्मों के विलन जैसे डराया मत करो।"
सूरज ने खिसियाकर कहा।
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मंदिर तो दिखने लगा था पर कुछ कदमों के फासला अभी बाकी था और इन कुछ कदमों में सभी को नज़र आ रही थी मौत, भेड़ियों के रूप में...

क्या सब सही सलामत मंदिर पहुंच पाएंगे?

क्या सूरज सच में बन जायेगा भेड़िया?

कौन है ये ब्रह्मकिरन?

और सबसे महत्वपूर्ण

क्या इन्हें मिल सकेगा खज़ाना ?

जानने केलिए इंतज़ार कीजिये इस कहानी के अगले भाग  "खज़ाना" का

विशेष सहयोग - रजनीश मिश्र ब्रम्हा,एवं स्व- किरण जी

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