ध्रुव की शादी (भाग 4) - दिव्यांशु त्रिपाठी
COP प्रस्तुत करते हें
डोगा : किसकी इतनी हिम्मत हुई जो मेरे मित्र नगराज का अपहरण कर सके। मैं उसकी साँसे रोक दूंगा।
परमाणु : चल बे चल। टट्टी रोकी नही जाती ससुर साँसें रोकेंगे। पहले मामले को समझो। फिर जोश में आओ।
डोगा : बिना बेज़्ज़ती किये तेरे मुँह से सही बात नही निकल सकती ।
परमाणु : तेरी बेज़्ज़ती करने में असीम आनंद प्राप्त होता है। समझा कर भाई।
तिरंगा : हमे 2-2 की टीम बना कर नगराज को ढूंढने जाना चाहिए। अलग अलग जगह जहां पर वो हो सकता हूं।
भोकाल : बात तो सही कह रहा है। हमे उसको ढूंढने निकलना चाहिए। न जाने किस मुसीबत में हो वो। वैसे तिरंगे तू आया था तो तेरे जेब मे बटुआ था। अब दिख नही रहा।
तिरंगे( जेब टटोलते हुए): अरे यार हद हो गई है। अबे किसने मारी मेरी जेब। सालो में सच का सुपरहीरो हूँ । कुछ तो इज़्ज़त दिया करो। मतलब ना RC वाले इज़्ज़त देते है ना तुम लोग। 15 रुपये थे अब वो भी गए। अब में घर कैसे जाऊंगा।
डोगा : अबे क्यों रो रहा है। मैं छोड़ दूंगा ना तुझे घर।
तिरंगा : ना भाईसाब ना। आप इतनी जहमत ना करे।
परमाणु : क्यों बे ?
डोगा : तू कभी लिफ्ट ली है इससे।
परमाणु : नही तो।
तिरंगा : तो तू ले के देख भाई एक बार। साला लिफ्ट नही देता है बन्दे को टार्चर करता है ये इंसान। साला खटारा मोटरसाइकिल लेकर चलता है और लोगो को लिफ्ट दे देकर उनका शोषण करता है ये दरिंदा।
डोगा : अबे बस कर भाई।
तिरंगा : नही आज तेरा असली चेहरा सामने आएगा सबके। अभी दो हफ्ते पहले रात हम पैदल घर जा रहे थे। ये रास्ते मे अपनी बाइक लेकर खड़े थे। बोले कि लिफ्ट चाहिए। मैंने सोचा चलो सही है। ले ली मैंने लिफ्ट। अब भैया इनकी मोटरसाइकिल जस खटारा है कि स्टार्ट ही ना हो। मैंने सोचा कि चलो थोड़ी देर में हो जाएगी। तू जानता है आगे क्या हुआ ?
सभी एक साथ : क्या हुआ ?
तिरंगा : ना हुई इसकी मोटरसाइकिल स्टार्ट। साले ने पूरे रास्ते मुझसे अपनी मोटरसाइकिल ढुगरवाई और मेरे घर के बाहर गली में अचानक से इसकी मोटरसाइकिल स्टार्ट हो गई। इसने कहा कि चल तुझे घर छोड़ दूँ , हो गई स्टार्ट। मन तो किया कि अपना न्यायस्तम्भ इसके मुँह में घुसेड़ कर इसके पीछ....…
भोकाल : उहम्म उहह। कंट्रोल भाई कंट्रोल।
परमाणु : कौन सी बाइक है तेरे पास ?
डोगा : बुलेट है बे।
तिरंगा : लूना ले ले साले। कम से कम चलेगी तो।
ध्रुव : अब बस करो ये सब और चलो सब नागराज को ढूढ़ने चलना है।
भोकाल : हाँ चलो सब।
डोगा : ये अन्थोनी कहा गया।
परमाणु : वो रहा ससुर। चाट की लाइन में लगा है। जाओ लेके आओ कोई उसको।
कुछ ही दूरी पर अन्थोनी चाट की लाइन में लगा हुआ था। उसके हाथ मे एक प्लेट थी जो खाने से बिलकुल भरी हुई थी।
अन्थोनी : ओ चचा लाइन में रहो, लाइन में। सीनियर सिटीजन होने का फायदा ना उठाओ। ओ आंटी अपने बेटे को संभालो । बार बार मेरी प्लेट से पापड़ चुरा ले रहा है।
भोकाल : चल भाई एक जरुरी काम आ गया है।
अन्थोनी : रुक ना भाई। आधे घण्टे से लाइन में लगा हूँ। अब तो चाट लेकर ही हटूंगा। ऐ ऐ अरे, धक्का कौन मार रहा है । सालो लाइन में लगना भी नही आता क्या। ओ चचा तुम फिर लाइन तोड़ने लगे।
भोकाल : अबे क्या कर रहा है यार। तू सुपरहीरो है ।
अन्थोनी : वही तो भाई। मैं भी इन सब को तबसे यही बता रहा हूँ कि (चिल्ला कर) सालो में सुपरहीरो हूँ, आगे जाने दो। तो ये चचा जानता है क्या बोल रहे है ?
भोकाल : क्या ?
अन्थोनी : कहते है कि अगर तू सुपरहीरो है तो मैं हेमा मालिनी का पति हूँ। जवानी खतम हो गई मगर हसरते ना मर रही चचा की। क्यों चचा चाची को बताऊं क्या ?
भोकाल : चचा से अपनी दुश्मनी बाद में निभा लेना , अभी तू चल ।
अन्थोनी : क्यों भाई ?
भोकल : अबे नगराज किडनैप हो गया है तो उसे ढूढ़ने जाना है ना।
अन्थोनी : ये साला खुद तो दूध के अलावा कुछ खाता नही है, साला मेरे खाने पे भी ग्रहण लगा दिया। चल भाई।
भोकाल : चल चल।
अन्थोनी(चिल्ला कर) : मैं जा रहा हूँ लेकिन बताये दे रहा हूँ कि कोई लाइन नही तोड़ेगा और चचा खासकर के तुम। मेरा प्रिंस यहीं रहेगा तुमपर नज़र रखने के लिए।
भोकाल : ओहहो। हद है।
अन्थोनी : चल भाई। ये चचा का चेहरा हरु प्राणियों से मिलता जुलता नही लग रहा है तुझे।
भोकाल : हाँ सही कह रहा है तू। हरु प्राणी सुदूर अंतरिक्ष से तेरी चाट चुराने आये होंगे।
थोड़ी ही देर में सभी एक जगह जुट जाते है।
ध्रुव : जैसा कि तुम सब जानते हो कि नगराज किडनैप हो गया है इसलिए हम सबको उसको ढूढ़ने जाना होगा। हम दो दो के ग्रुप में नगराज को ढूढ़ने जाएंगे उसको। अपने सारे खबरियों को इतला कर दो की नगराज गम गया है। चलो परमाणु-तिरंगा, डोगा-अन्थोनी और मैं और भोकाल की टीम बनाते है। सभी अपने ट्रांसमीटर ऑन कर ले। जो भी पहले नगराज को ढूंढ लेगा वो सबको सूचित कर देगा।
तिरंगा : मैं ना जा रहा इसके साथ। ये मुझे शायरी नही बोलने देता।
डोगा : अबे इत्ती सी बात के लिए रो रहा है। तू मेरे साथ चल तुझे लिफ्ट भी दे दूंगा।
तिरंगा : भक्क साले। तेरे साथ तो कतई ना जाऊं। परमाणु मेरा भाई अभी जिंदा है।
ध्रुव : तुम लोगो का सास बहू हो गया हो तो लगे काम पर।
सभी : हाँ चलो।
अन्थोनी(पार्टी में आये मेहमानों से ): भाई लोगो कोई नज़र रखना उन चचा पर। कतई काइयां है वो।
डोगा : अबे चल यार।
वहाँ से दूर उस जगह पर अभी भी नगराज कैद में था। वो विसर्पी से गुहार लगा रहा था मगर विसर्पी उसकी एक ना सुन रही थी।
नगराज : अरे मेरा कुसूर क्या है प्रिये। कुछ तो बताओ।
विसर्पी : प्रिये। वाह। आज तक तो कभी ना बोले प्रिये।
नगराज : तुम तो हमेशा से ही मेरी प्रिये हो प्रिये।
विसर्पी : जनाब को मेरा बर्थडे तो याद रहता नही है । कब होता है मेरा बर्थडे ?
नगराज (खिसियानी हँसी हँसते हुए) : हे हे हे। तुम जब चाहो तब हो तुम्हारा बर्थडे। तुम्हे क्या जरूरत किसी डेट की। तुम नागद्वीप की सम्रागी हो। जो चाहो वो करो। कहो तो आज ही मना देते है तुम्हारा बर्थडे।
तभी नागफनी सर्प की आवाज़ आती है अंदर से।
" इतना काइयाँपन लाते कहा से हो तुम। हमे तो नही आती ।"
नगराज : चुप रे ससुर के नाती।
विसर्पी : क्या बड़बड़ाए रहे हो।
नगराज : कुछ नही । बस तुम्हारे बर्थडे की तैयारी के बारे में प्लान बना रहा हूँ।
नागफनी सर्प (सभी सर्पो से) : तालियां बजाओ सालो। देख रहे हो किस फ्लुएंसी से झूठ बोल रहा है बंदा। मैं तो नतमस्तक हूँ इसके सामने।
विसर्पी : सच में।
नागफनी सर्प : अरे चूती* काट रहा है तुम्हारा। समझो कुछ भाभी माँ।
नागराज (फुसफुसाते हुए) : तू निकल के देखियो मेरे शरीर से अब। बताता हूँ तुझे में।(विसर्पी से) सच कह रहा हूँ प्रिये। तुमसे झूठ बोल कर मुझे जहन्नुम जाना है क्या ?
नगराज के अंदर मौजूद सभी नाग तालियां बजाने लगते है।
सभी नाग : वाह। वाह। क्या बनाया है।
विसर्पी : मगर मैं फिर भी तुमसे नाराज़ हूँ।
नगराज : अब क्यों भला।
विसर्पी : आजकल उस बॉय कट भारती के साथ बहुत लपड़ लपड़ झायें झायें चल रहा है तुम्हारा।
नगराज : किसने बताया। अरर्रर्रर ......मतलब ये क्या बोल रही हो तुम। ऐसा कुछ भी नही है।
विसर्पी : झूठ ना बोलो मुझे नागू सब बताता रहता है।
नागराज(फुसफुसाते हुए) : ससुर का नाती। ये तो साला मेरे ही आस्तीन का सांप निकला।
नागू (अंदर से) : वो तो हूँ ही। ही ही ही।
विसर्पी : और नागू ने तो मुझे ये भी बताया कि पिछले बर्थडे पर तुमने मुझे जो अंगूठी दी थी उसमें जो मणि लगी थी वो नागू के सर पर लगी वाली मणि ही है। कुछ तो शर्म कर लो।
नगराज : इतनी गरीबी है कि क्या बताऊँ। मैंने एकाउंट तक जीरो बैलेंस वाला खुलवाया है जिससे कि एक एक कतरा मुझ गरीब को मिल सके। मगर इन कलमुँहे SBI (Snake Bank of India) वालो ने मिनिमम बैलेंस 10000 रख दिया। जितना इनका मिनिमम बैलेंस है उतनी तो मेरी मैक्सिमम बैलेंस भी ना है। अब नंगा नहायेगा क्या और निचोड़ेगा क्या।
विसर्पी : शुरू हो गया इनका गरीबी का रोना।
नगराज : मगर मेरा तुम्हारे लिए प्यार सच्चा है विसर्पी। महात्मन कालदूत की कसम।
तभी अचानक से आसमान से एक आवाज़ आती है।
"मेरा तो नाम ना लेना तुम अपने मुंह से।"
नगराज : महात्मा कालदूत आप।
कालदूत : वाह। बड़ी इज़्ज़त दी जा रही है। महात्मा कालदूत। ऐसे तो मुझे 'तीन सर वाला बुढ़वा' बुलाते हो। आज बड़ी इज़्ज़त झर झर बह रही है
नगराज : अरे मैंने ऐसा कब कहा।
कालदूत : झूठ तो ससुर तुम बोलियों ना। साला पूरे नागद्वीप में सब मुझे 'तीन सर वाला बुढ़वा' कह कह के मज़ा लेते रहते है। मतलब इस तीन सर वाले बुड्ढे की कोई इज़्ज़त ही नही है। हद्द है अब मैं भी। अब तू बंद रह इस कैद में। तेरी यही सज़ा है।
नगराज : अरे नही 'तीन सर ....... मेरा....मेरा मतलब महात्मा कालदूत ऐसा ना करे। रहम करे कुछ अपने शिष्य पर।
परमाणु-तिरंगा, डोगा-अन्थोनी और ध्रुव - भोकाल अभी भी नागराज को ढूंढ रहे थे मगर अभी तक उनको कोई सुराग नही मिल पाया था।
अन्थोनी : मैं कह रहा हूँ ना कि हो ना हो मगर नगराज के अपहरण में उन चचा का हाथ जरूर है।
डोगा : अबे क्या बोल रहा है बे।
अन्थोनी : अबे मैं सच कह रहां हूँ बे। वो चचा बहुत खतरनाक थे। मुझे उस चाट की लाइन में से हटाने के लिए कुछ भी कर सकते है वो। मैं तो शुरू से ही लग रहा था कि उसकी शक्ल सधम जैसी लग रही थी मुझे।
भोकाल(ट्रांमित्तर से): साले अभी तो तू कह रहा था कि उनकी शक्ल हरु प्राणियों से मिल रही थी।
अन्थोनी : अरे बहुत मायावी हैं वो चचा। पल पल रूप बदल रहे थे।
ध्रुव : साले बंद कर अपनी चचा पुराण।
तिरंगा : भाई लोगो तुम्हे पता है। पार्टी में एक लड़की मुझे लाइन दे रही थी और कह रही थी कि वो मेरी शायरी की बहुत बड़ी फैन है।
परमाणु : अंतिम दिन आ गए थे क्या उसके।
तिरंगा : क्या मतलब ?
परमाणु : नही अपने अंतिम दिनों में इंसान वो सब कुछ करना चाहता है जिससे उसको आज तक डर लगा रहता है।
तिरंगा : भक्क साले। तू क्या जाने कितनी प्रसिद्धि है मेरी शेरो शायरी की दुनिया में। मेरी शायरी सुनकर सभी शायरों अपने हाथ खड़े कर लेते है।
डोगा (ट्रांसमीटर से) : तुझे जूते मारने के लिए।
तिरंगा : अब तो मैं अपनी शायरी सुना कर रहुँगा।
परमाणु : भाई प्लीज । ऐसी सजा तो इंसान अपने दुश्मनों को ना दे। तू अपने दोस्तों पर ऐसे जुल्म ढायेगा।
तिरंगा : ना अब सुनो तुम लोग। इश्क़ की इस दुनिया में हमने भी देखे है अफसाने हज़ार..........
परमाणु (तिरंगा को बीच मे काटते हुए): अबे अन्थोनी तू कुछ बता रहा था उन चचा के बारे में।
अन्थोनी : कहाँ । मैं तो चुप हूँ तबसे।
परमाणु : तो बोल ना साले। बोल ले । बोल ले। अब क्या जनाज़ा निकलवा कर मानेगा मेरी।
ध्रुव : अबे पंचायत की दुकान। कुछ काम कर लो तुम लोग। मैं और भोकाल स्वर्णनगरी जा रहे है । वहाँ धनजंय की मदद से उनकर अत्याधुनिक यंत्रो से हम नगराज को जल्दी ढूंढ लेंगे। तब तक तुम सब ध्यान से ढूंढो ।
तिरंगा : ठीक है। जाओ ।
तभी उन चारों को अपने सामने एक प्रवेश द्वार दिखता है जहां से अत्यधिक तेज़ रोशनी आती रहती है।
चारो एक साथ : ये क्या है ?
डोगा : जो भी हो मगर हो सकता है कि नगराज के ढूढ़ने का मार्ग यहीं से मिले। हमे इसमे प्रवेश करना चाहिए।
परमाणु : मगर सभी चौकन्ना रहना।
सभी : चलो।
चारो उस द्वार के अंदर प्रवेश करते है उनके प्रवेश करते ही द्वार और रोशनी सब गायब हो जाती है ।
अगले ही पल चारो उसी कैद में प्रकट होते है जहाँ पर नगराज कैद रहता है। चारो नगराज को देख कर खुश हो जाते।
डोगा : ढूँढ लिया भाई को ढूंढ लिया।
तिरंगा : साले तब से तुझे ढूंढ रहे है और तू यहाँ बैठा है मज़े में।
अन्थोनी : अगर उन चचा ने मेरी हिस्से की चाट खा ली ना तो बताऊंगा तुझे।
परमाणु : अबे लानत है तुझपे। साले सुपरहेरोज़ का नाम मिट्टी में मिलाये दियो। पूरा का पूरा मिट्टी में मिलाये दियो। आक थू।
नगराज : ओ गब्बर सिंह । तेरा भी अपहरण हो चुका है। तू भी कैद है इस जेल में।
चारो एक साथ : हैं।
नगराज : हाँ
परमाणु : अबे लानत है तुझपे तेरे रहते हुए तेरे भाइयो का अपहरण हो रहा है और तू यहाँ चुप चाप बैठा हुआ है। हम सब का नाम मिट्टी में मिलाये दियो। पूरा का पूरा मिट्टी में मिलाये दियो। आक थू।
तिरंगा : अबे लेकिन ये किया किसने ?
तभी एक आवाज़ आती है।
" हमने किया ।"
अन्थोनी : नताशा, ऋचा और विसर्पी। तुम तीनो ने। लेकिन क्यों किया तुमने ऐसा। मेरी हिस्से की चाट अब वो चचा खा रहे होंगे। क्यों, आखिर क्यों ?
ऋचा : ध्रुव की शादी रोकने के लिए।
नताशा : हाँ ना रहेगी अंगूठी और ना होगी सगाई।
विसर्पी : इस काम में मैंने इनका साथ दिया। तुम सब का अपहरण करने में क्योंकि मुझे इनका प्रेम में शिद्दत नज़र आई जो नगराज के लिए मेरे प्रेम में है। इसलिए मैंने इनकी मदद की।
अन्थोनी ( फुसफुसाते हुए) : मेरी भी शिद्दत सच्ची थी उस चाट के दोने के लिए। फिर मेरे साथ ये नाइंसाफी क्यों भगवान। क्यों ?
किसी और के कुछ बोल पाने से पहले ही उस गुफा के द्वार से एक आवाज़ आती है।
" तुम ऐसा मत करो नताशा और ऋचा। शादी करने का फैसला खुद भैया ध्रुव का है। उन्होंने माँ के फैसले को शिरोधार्य किया है। इसलिए तुम उनके फैसले के बीच मत आओ।
नताशा : मगर चण्डिका।
चंडिका : मगर कुछ नही नताशा। मत रोको इस शादी को। भैया के निर्णय का सम्मान करो।
ऋचा : तुम सही कह रही हो श्वेता। हमे उसके निर्णय का सम्मान करना चाहिए।
नगराज, परमाणु, डोगा, अन्थोनी, तिरंगा एक साथ : श्वेता !!
चण्डिका : हाँ मैं श्वेता ही चण्डिका हूँ।
पांचों एक साथ : भाईसाब । पूरा खानदान इसी धंधे में लगा हुआ है।
नागराज : बड़का दिमाग वाले बनते है ससुर। ये तक पता नही कर पाए है आज तक।
डोगा : चलो ध्रुव को बता देता हूँ कि नगराज मिल गया है। (ट्रांसमीटर ऑन करके) हेलो, ध्रुव नगराज मिल गया।
ध्रुव : अरे वाह। चलो फिर सही है। तुम लोग पहुँचो हम भी पहुंचते है।
तभी चण्डिका का ट्रांसमीटर बजता है।
चण्डिका (चिल्लाते हुए): क्या ? लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है ? अच्छा में आ रही हूँ।
ऋचा : क्या हुआ चण्डिका ? तुम अचानक से चौंक क्यों पड़ी।
चण्डिका : ध्रुव की सगाई हो गयी अभी अभी। माँ ने फोन करके बताया।
अब चौकने की बारी बाकी सभी की थी।
सभी एक साथ : क्या ?
नगराज : मगर ऐसा कैसे हो सकता है। ध्रुव को स्वर्णनगरी में है अभी।( ट्रांसमीटर पर ) अबे ध्रुव सुना ?
ध्रुव : क्या?
नगराज : तेरी सगाई हो गयी।
ध्रुव : अबे क्या मज़ा ले रहा है।
नगराज : अबे सच मे भाई। हमे पता चला कि तेरी सगाई हुई अभी अभी माथुर साहब के यहां।
ध्रुव : मगर ऐसा कैसे हो सकता है। मैं तो वहाँ हूँ ही नही।
ये क्या हो गया? अगर ध्रुव अभी स्वर्णनगरी में है तो वो कौन है जिसकी सगाई हुई है ? कौन है इसके पीछे ? अब क्या करेगा ध्रुव और बाकी सभी।
इन सभी सवालों के जवाब और रहस्यों से पर्दा उठाने आ रहा है इस श्रृंखला का पांचवा और अंतिम भाग। इंतज़ार कीजिये ।
ध्रुव की शादी (भाग 4)
लेखक - दिव्यांशु त्रिपाठी
डोगा : किसकी इतनी हिम्मत हुई जो मेरे मित्र नगराज का अपहरण कर सके। मैं उसकी साँसे रोक दूंगा।
परमाणु : चल बे चल। टट्टी रोकी नही जाती ससुर साँसें रोकेंगे। पहले मामले को समझो। फिर जोश में आओ।
डोगा : बिना बेज़्ज़ती किये तेरे मुँह से सही बात नही निकल सकती ।
परमाणु : तेरी बेज़्ज़ती करने में असीम आनंद प्राप्त होता है। समझा कर भाई।
तिरंगा : हमे 2-2 की टीम बना कर नगराज को ढूंढने जाना चाहिए। अलग अलग जगह जहां पर वो हो सकता हूं।
भोकाल : बात तो सही कह रहा है। हमे उसको ढूंढने निकलना चाहिए। न जाने किस मुसीबत में हो वो। वैसे तिरंगे तू आया था तो तेरे जेब मे बटुआ था। अब दिख नही रहा।
तिरंगे( जेब टटोलते हुए): अरे यार हद हो गई है। अबे किसने मारी मेरी जेब। सालो में सच का सुपरहीरो हूँ । कुछ तो इज़्ज़त दिया करो। मतलब ना RC वाले इज़्ज़त देते है ना तुम लोग। 15 रुपये थे अब वो भी गए। अब में घर कैसे जाऊंगा।
डोगा : अबे क्यों रो रहा है। मैं छोड़ दूंगा ना तुझे घर।
तिरंगा : ना भाईसाब ना। आप इतनी जहमत ना करे।
परमाणु : क्यों बे ?
डोगा : तू कभी लिफ्ट ली है इससे।
परमाणु : नही तो।
तिरंगा : तो तू ले के देख भाई एक बार। साला लिफ्ट नही देता है बन्दे को टार्चर करता है ये इंसान। साला खटारा मोटरसाइकिल लेकर चलता है और लोगो को लिफ्ट दे देकर उनका शोषण करता है ये दरिंदा।
डोगा : अबे बस कर भाई।
तिरंगा : नही आज तेरा असली चेहरा सामने आएगा सबके। अभी दो हफ्ते पहले रात हम पैदल घर जा रहे थे। ये रास्ते मे अपनी बाइक लेकर खड़े थे। बोले कि लिफ्ट चाहिए। मैंने सोचा चलो सही है। ले ली मैंने लिफ्ट। अब भैया इनकी मोटरसाइकिल जस खटारा है कि स्टार्ट ही ना हो। मैंने सोचा कि चलो थोड़ी देर में हो जाएगी। तू जानता है आगे क्या हुआ ?
सभी एक साथ : क्या हुआ ?
तिरंगा : ना हुई इसकी मोटरसाइकिल स्टार्ट। साले ने पूरे रास्ते मुझसे अपनी मोटरसाइकिल ढुगरवाई और मेरे घर के बाहर गली में अचानक से इसकी मोटरसाइकिल स्टार्ट हो गई। इसने कहा कि चल तुझे घर छोड़ दूँ , हो गई स्टार्ट। मन तो किया कि अपना न्यायस्तम्भ इसके मुँह में घुसेड़ कर इसके पीछ....…
भोकाल : उहम्म उहह। कंट्रोल भाई कंट्रोल।
परमाणु : कौन सी बाइक है तेरे पास ?
डोगा : बुलेट है बे।
तिरंगा : लूना ले ले साले। कम से कम चलेगी तो।
ध्रुव : अब बस करो ये सब और चलो सब नागराज को ढूढ़ने चलना है।
भोकाल : हाँ चलो सब।
डोगा : ये अन्थोनी कहा गया।
परमाणु : वो रहा ससुर। चाट की लाइन में लगा है। जाओ लेके आओ कोई उसको।
कुछ ही दूरी पर अन्थोनी चाट की लाइन में लगा हुआ था। उसके हाथ मे एक प्लेट थी जो खाने से बिलकुल भरी हुई थी।
अन्थोनी : ओ चचा लाइन में रहो, लाइन में। सीनियर सिटीजन होने का फायदा ना उठाओ। ओ आंटी अपने बेटे को संभालो । बार बार मेरी प्लेट से पापड़ चुरा ले रहा है।
भोकाल : चल भाई एक जरुरी काम आ गया है।
अन्थोनी : रुक ना भाई। आधे घण्टे से लाइन में लगा हूँ। अब तो चाट लेकर ही हटूंगा। ऐ ऐ अरे, धक्का कौन मार रहा है । सालो लाइन में लगना भी नही आता क्या। ओ चचा तुम फिर लाइन तोड़ने लगे।
भोकाल : अबे क्या कर रहा है यार। तू सुपरहीरो है ।
अन्थोनी : वही तो भाई। मैं भी इन सब को तबसे यही बता रहा हूँ कि (चिल्ला कर) सालो में सुपरहीरो हूँ, आगे जाने दो। तो ये चचा जानता है क्या बोल रहे है ?
भोकाल : क्या ?
अन्थोनी : कहते है कि अगर तू सुपरहीरो है तो मैं हेमा मालिनी का पति हूँ। जवानी खतम हो गई मगर हसरते ना मर रही चचा की। क्यों चचा चाची को बताऊं क्या ?
भोकाल : चचा से अपनी दुश्मनी बाद में निभा लेना , अभी तू चल ।
अन्थोनी : क्यों भाई ?
भोकल : अबे नगराज किडनैप हो गया है तो उसे ढूढ़ने जाना है ना।
अन्थोनी : ये साला खुद तो दूध के अलावा कुछ खाता नही है, साला मेरे खाने पे भी ग्रहण लगा दिया। चल भाई।
भोकाल : चल चल।
अन्थोनी(चिल्ला कर) : मैं जा रहा हूँ लेकिन बताये दे रहा हूँ कि कोई लाइन नही तोड़ेगा और चचा खासकर के तुम। मेरा प्रिंस यहीं रहेगा तुमपर नज़र रखने के लिए।
भोकाल : ओहहो। हद है।
अन्थोनी : चल भाई। ये चचा का चेहरा हरु प्राणियों से मिलता जुलता नही लग रहा है तुझे।
भोकाल : हाँ सही कह रहा है तू। हरु प्राणी सुदूर अंतरिक्ष से तेरी चाट चुराने आये होंगे।
थोड़ी ही देर में सभी एक जगह जुट जाते है।
ध्रुव : जैसा कि तुम सब जानते हो कि नगराज किडनैप हो गया है इसलिए हम सबको उसको ढूढ़ने जाना होगा। हम दो दो के ग्रुप में नगराज को ढूढ़ने जाएंगे उसको। अपने सारे खबरियों को इतला कर दो की नगराज गम गया है। चलो परमाणु-तिरंगा, डोगा-अन्थोनी और मैं और भोकाल की टीम बनाते है। सभी अपने ट्रांसमीटर ऑन कर ले। जो भी पहले नगराज को ढूंढ लेगा वो सबको सूचित कर देगा।
तिरंगा : मैं ना जा रहा इसके साथ। ये मुझे शायरी नही बोलने देता।
डोगा : अबे इत्ती सी बात के लिए रो रहा है। तू मेरे साथ चल तुझे लिफ्ट भी दे दूंगा।
तिरंगा : भक्क साले। तेरे साथ तो कतई ना जाऊं। परमाणु मेरा भाई अभी जिंदा है।
ध्रुव : तुम लोगो का सास बहू हो गया हो तो लगे काम पर।
सभी : हाँ चलो।
अन्थोनी(पार्टी में आये मेहमानों से ): भाई लोगो कोई नज़र रखना उन चचा पर। कतई काइयां है वो।
डोगा : अबे चल यार।
वहाँ से दूर उस जगह पर अभी भी नगराज कैद में था। वो विसर्पी से गुहार लगा रहा था मगर विसर्पी उसकी एक ना सुन रही थी।
नगराज : अरे मेरा कुसूर क्या है प्रिये। कुछ तो बताओ।
विसर्पी : प्रिये। वाह। आज तक तो कभी ना बोले प्रिये।
नगराज : तुम तो हमेशा से ही मेरी प्रिये हो प्रिये।
विसर्पी : जनाब को मेरा बर्थडे तो याद रहता नही है । कब होता है मेरा बर्थडे ?
नगराज (खिसियानी हँसी हँसते हुए) : हे हे हे। तुम जब चाहो तब हो तुम्हारा बर्थडे। तुम्हे क्या जरूरत किसी डेट की। तुम नागद्वीप की सम्रागी हो। जो चाहो वो करो। कहो तो आज ही मना देते है तुम्हारा बर्थडे।
तभी नागफनी सर्प की आवाज़ आती है अंदर से।
" इतना काइयाँपन लाते कहा से हो तुम। हमे तो नही आती ।"
नगराज : चुप रे ससुर के नाती।
विसर्पी : क्या बड़बड़ाए रहे हो।
नगराज : कुछ नही । बस तुम्हारे बर्थडे की तैयारी के बारे में प्लान बना रहा हूँ।
नागफनी सर्प (सभी सर्पो से) : तालियां बजाओ सालो। देख रहे हो किस फ्लुएंसी से झूठ बोल रहा है बंदा। मैं तो नतमस्तक हूँ इसके सामने।
विसर्पी : सच में।
नागफनी सर्प : अरे चूती* काट रहा है तुम्हारा। समझो कुछ भाभी माँ।
नागराज (फुसफुसाते हुए) : तू निकल के देखियो मेरे शरीर से अब। बताता हूँ तुझे में।(विसर्पी से) सच कह रहा हूँ प्रिये। तुमसे झूठ बोल कर मुझे जहन्नुम जाना है क्या ?
नगराज के अंदर मौजूद सभी नाग तालियां बजाने लगते है।
सभी नाग : वाह। वाह। क्या बनाया है।
विसर्पी : मगर मैं फिर भी तुमसे नाराज़ हूँ।
नगराज : अब क्यों भला।
विसर्पी : आजकल उस बॉय कट भारती के साथ बहुत लपड़ लपड़ झायें झायें चल रहा है तुम्हारा।
नगराज : किसने बताया। अरर्रर्रर ......मतलब ये क्या बोल रही हो तुम। ऐसा कुछ भी नही है।
विसर्पी : झूठ ना बोलो मुझे नागू सब बताता रहता है।
नागराज(फुसफुसाते हुए) : ससुर का नाती। ये तो साला मेरे ही आस्तीन का सांप निकला।
नागू (अंदर से) : वो तो हूँ ही। ही ही ही।
विसर्पी : और नागू ने तो मुझे ये भी बताया कि पिछले बर्थडे पर तुमने मुझे जो अंगूठी दी थी उसमें जो मणि लगी थी वो नागू के सर पर लगी वाली मणि ही है। कुछ तो शर्म कर लो।
नगराज : इतनी गरीबी है कि क्या बताऊँ। मैंने एकाउंट तक जीरो बैलेंस वाला खुलवाया है जिससे कि एक एक कतरा मुझ गरीब को मिल सके। मगर इन कलमुँहे SBI (Snake Bank of India) वालो ने मिनिमम बैलेंस 10000 रख दिया। जितना इनका मिनिमम बैलेंस है उतनी तो मेरी मैक्सिमम बैलेंस भी ना है। अब नंगा नहायेगा क्या और निचोड़ेगा क्या।
विसर्पी : शुरू हो गया इनका गरीबी का रोना।
नगराज : मगर मेरा तुम्हारे लिए प्यार सच्चा है विसर्पी। महात्मन कालदूत की कसम।
तभी अचानक से आसमान से एक आवाज़ आती है।
"मेरा तो नाम ना लेना तुम अपने मुंह से।"
नगराज : महात्मा कालदूत आप।
कालदूत : वाह। बड़ी इज़्ज़त दी जा रही है। महात्मा कालदूत। ऐसे तो मुझे 'तीन सर वाला बुढ़वा' बुलाते हो। आज बड़ी इज़्ज़त झर झर बह रही है
नगराज : अरे मैंने ऐसा कब कहा।
कालदूत : झूठ तो ससुर तुम बोलियों ना। साला पूरे नागद्वीप में सब मुझे 'तीन सर वाला बुढ़वा' कह कह के मज़ा लेते रहते है। मतलब इस तीन सर वाले बुड्ढे की कोई इज़्ज़त ही नही है। हद्द है अब मैं भी। अब तू बंद रह इस कैद में। तेरी यही सज़ा है।
नगराज : अरे नही 'तीन सर ....... मेरा....मेरा मतलब महात्मा कालदूत ऐसा ना करे। रहम करे कुछ अपने शिष्य पर।
परमाणु-तिरंगा, डोगा-अन्थोनी और ध्रुव - भोकाल अभी भी नागराज को ढूंढ रहे थे मगर अभी तक उनको कोई सुराग नही मिल पाया था।
अन्थोनी : मैं कह रहा हूँ ना कि हो ना हो मगर नगराज के अपहरण में उन चचा का हाथ जरूर है।
डोगा : अबे क्या बोल रहा है बे।
अन्थोनी : अबे मैं सच कह रहां हूँ बे। वो चचा बहुत खतरनाक थे। मुझे उस चाट की लाइन में से हटाने के लिए कुछ भी कर सकते है वो। मैं तो शुरू से ही लग रहा था कि उसकी शक्ल सधम जैसी लग रही थी मुझे।
भोकाल(ट्रांमित्तर से): साले अभी तो तू कह रहा था कि उनकी शक्ल हरु प्राणियों से मिल रही थी।
अन्थोनी : अरे बहुत मायावी हैं वो चचा। पल पल रूप बदल रहे थे।
ध्रुव : साले बंद कर अपनी चचा पुराण।
तिरंगा : भाई लोगो तुम्हे पता है। पार्टी में एक लड़की मुझे लाइन दे रही थी और कह रही थी कि वो मेरी शायरी की बहुत बड़ी फैन है।
परमाणु : अंतिम दिन आ गए थे क्या उसके।
तिरंगा : क्या मतलब ?
परमाणु : नही अपने अंतिम दिनों में इंसान वो सब कुछ करना चाहता है जिससे उसको आज तक डर लगा रहता है।
तिरंगा : भक्क साले। तू क्या जाने कितनी प्रसिद्धि है मेरी शेरो शायरी की दुनिया में। मेरी शायरी सुनकर सभी शायरों अपने हाथ खड़े कर लेते है।
डोगा (ट्रांसमीटर से) : तुझे जूते मारने के लिए।
तिरंगा : अब तो मैं अपनी शायरी सुना कर रहुँगा।
परमाणु : भाई प्लीज । ऐसी सजा तो इंसान अपने दुश्मनों को ना दे। तू अपने दोस्तों पर ऐसे जुल्म ढायेगा।
तिरंगा : ना अब सुनो तुम लोग। इश्क़ की इस दुनिया में हमने भी देखे है अफसाने हज़ार..........
परमाणु (तिरंगा को बीच मे काटते हुए): अबे अन्थोनी तू कुछ बता रहा था उन चचा के बारे में।
अन्थोनी : कहाँ । मैं तो चुप हूँ तबसे।
परमाणु : तो बोल ना साले। बोल ले । बोल ले। अब क्या जनाज़ा निकलवा कर मानेगा मेरी।
ध्रुव : अबे पंचायत की दुकान। कुछ काम कर लो तुम लोग। मैं और भोकाल स्वर्णनगरी जा रहे है । वहाँ धनजंय की मदद से उनकर अत्याधुनिक यंत्रो से हम नगराज को जल्दी ढूंढ लेंगे। तब तक तुम सब ध्यान से ढूंढो ।
तिरंगा : ठीक है। जाओ ।
तभी उन चारों को अपने सामने एक प्रवेश द्वार दिखता है जहां से अत्यधिक तेज़ रोशनी आती रहती है।
चारो एक साथ : ये क्या है ?
डोगा : जो भी हो मगर हो सकता है कि नगराज के ढूढ़ने का मार्ग यहीं से मिले। हमे इसमे प्रवेश करना चाहिए।
परमाणु : मगर सभी चौकन्ना रहना।
सभी : चलो।
चारो उस द्वार के अंदर प्रवेश करते है उनके प्रवेश करते ही द्वार और रोशनी सब गायब हो जाती है ।
अगले ही पल चारो उसी कैद में प्रकट होते है जहाँ पर नगराज कैद रहता है। चारो नगराज को देख कर खुश हो जाते।
डोगा : ढूँढ लिया भाई को ढूंढ लिया।
तिरंगा : साले तब से तुझे ढूंढ रहे है और तू यहाँ बैठा है मज़े में।
अन्थोनी : अगर उन चचा ने मेरी हिस्से की चाट खा ली ना तो बताऊंगा तुझे।
परमाणु : अबे लानत है तुझपे। साले सुपरहेरोज़ का नाम मिट्टी में मिलाये दियो। पूरा का पूरा मिट्टी में मिलाये दियो। आक थू।
नगराज : ओ गब्बर सिंह । तेरा भी अपहरण हो चुका है। तू भी कैद है इस जेल में।
चारो एक साथ : हैं।
नगराज : हाँ
परमाणु : अबे लानत है तुझपे तेरे रहते हुए तेरे भाइयो का अपहरण हो रहा है और तू यहाँ चुप चाप बैठा हुआ है। हम सब का नाम मिट्टी में मिलाये दियो। पूरा का पूरा मिट्टी में मिलाये दियो। आक थू।
तिरंगा : अबे लेकिन ये किया किसने ?
तभी एक आवाज़ आती है।
" हमने किया ।"
अन्थोनी : नताशा, ऋचा और विसर्पी। तुम तीनो ने। लेकिन क्यों किया तुमने ऐसा। मेरी हिस्से की चाट अब वो चचा खा रहे होंगे। क्यों, आखिर क्यों ?
ऋचा : ध्रुव की शादी रोकने के लिए।
नताशा : हाँ ना रहेगी अंगूठी और ना होगी सगाई।
विसर्पी : इस काम में मैंने इनका साथ दिया। तुम सब का अपहरण करने में क्योंकि मुझे इनका प्रेम में शिद्दत नज़र आई जो नगराज के लिए मेरे प्रेम में है। इसलिए मैंने इनकी मदद की।
अन्थोनी ( फुसफुसाते हुए) : मेरी भी शिद्दत सच्ची थी उस चाट के दोने के लिए। फिर मेरे साथ ये नाइंसाफी क्यों भगवान। क्यों ?
किसी और के कुछ बोल पाने से पहले ही उस गुफा के द्वार से एक आवाज़ आती है।
" तुम ऐसा मत करो नताशा और ऋचा। शादी करने का फैसला खुद भैया ध्रुव का है। उन्होंने माँ के फैसले को शिरोधार्य किया है। इसलिए तुम उनके फैसले के बीच मत आओ।
नताशा : मगर चण्डिका।
चंडिका : मगर कुछ नही नताशा। मत रोको इस शादी को। भैया के निर्णय का सम्मान करो।
ऋचा : तुम सही कह रही हो श्वेता। हमे उसके निर्णय का सम्मान करना चाहिए।
नगराज, परमाणु, डोगा, अन्थोनी, तिरंगा एक साथ : श्वेता !!
चण्डिका : हाँ मैं श्वेता ही चण्डिका हूँ।
पांचों एक साथ : भाईसाब । पूरा खानदान इसी धंधे में लगा हुआ है।
नागराज : बड़का दिमाग वाले बनते है ससुर। ये तक पता नही कर पाए है आज तक।
डोगा : चलो ध्रुव को बता देता हूँ कि नगराज मिल गया है। (ट्रांसमीटर ऑन करके) हेलो, ध्रुव नगराज मिल गया।
ध्रुव : अरे वाह। चलो फिर सही है। तुम लोग पहुँचो हम भी पहुंचते है।
तभी चण्डिका का ट्रांसमीटर बजता है।
चण्डिका (चिल्लाते हुए): क्या ? लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है ? अच्छा में आ रही हूँ।
ऋचा : क्या हुआ चण्डिका ? तुम अचानक से चौंक क्यों पड़ी।
चण्डिका : ध्रुव की सगाई हो गयी अभी अभी। माँ ने फोन करके बताया।
अब चौकने की बारी बाकी सभी की थी।
सभी एक साथ : क्या ?
नगराज : मगर ऐसा कैसे हो सकता है। ध्रुव को स्वर्णनगरी में है अभी।( ट्रांसमीटर पर ) अबे ध्रुव सुना ?
ध्रुव : क्या?
नगराज : तेरी सगाई हो गयी।
ध्रुव : अबे क्या मज़ा ले रहा है।
नगराज : अबे सच मे भाई। हमे पता चला कि तेरी सगाई हुई अभी अभी माथुर साहब के यहां।
ध्रुव : मगर ऐसा कैसे हो सकता है। मैं तो वहाँ हूँ ही नही।
ये क्या हो गया? अगर ध्रुव अभी स्वर्णनगरी में है तो वो कौन है जिसकी सगाई हुई है ? कौन है इसके पीछे ? अब क्या करेगा ध्रुव और बाकी सभी।
इन सभी सवालों के जवाब और रहस्यों से पर्दा उठाने आ रहा है इस श्रृंखला का पांचवा और अंतिम भाग। इंतज़ार कीजिये ।
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