Sunday 26 March 2017

नशे, दारु की लथ में अपना पति खो चुकी औरत नशे में ही उसे ढूँढ रही है और पूछ रही है ऐसी क्या ख़ास बात है नशे में जो कितनी आसानी से कितनी ज़िन्दगीयां लील लेता है। इस बार एक कविता और एक नज़्म के साथ पेश है - नशेड़ी औरत! (काव्य कॉमिक्स)
चित्रांकन - अमित अल्बर्ट
काव्य, पटकथा - मोहित शर्मा ज़हन
रंग - हरेन्द्र सैनी
शब्दांकन - युद्धवीर सिंह










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