Wednesday 21 September 2016

COP प्रस्तुत करते हैं

सूरज और सोनू (अंतिम भाग)

पणजी,गोआ
हॉस्पिटल
डोगा खुद भी घायल था,पर उसका पूरा ध्यान सिल्विया की उसके हाथों में झूल रही लाश पर था।(अब तक उसने अपना मास्क वापस पहन लिया था)साथ में सोनम मौजूद थी।एकाएकही डोगा को वहां देखकर भीड़ में हड़कम्प मच गया था।सोनम को देखने के लिये एक अलग ही तरह का हुजूम उमड़ गया था।पर डोगा के होने के कारण कोई भी आगे बढने का साहस नही कर रहा था।
इस वक़्त सोनम की आंखों में भी आंसू थे।डोगा सीधे डॉ.के सामने जा खड़ा हुआ।
सिल्वीया के सीने में अब भी सलाख घुसी हुई थी।
"डॉ.अगर मुझे लगा कि सिल्विया को दर्द हुआ है तो तुम्हे बहुत दर्द होगा।"डोगा के शब्द गूंजे।
पणजी,गोआ
दिव्या का फार्म हाउस
ऐडा और निकोल जा चुकी थीं।ढूंढ ढूंढ कर मारा था दोनों ने एक एक गार्ड को।ताकि डोगा का राज़ जानने वाला कोई न बचे।
पर दो लोग छिपकर बच ही गए थे।
"माय गॉड,ये दोनों तो सभी लोगों को किसी जल्लाद की माफिक मारता है।"एक बोला।
"मै तो बोलता है किसी के आने से पहले निकल लेते हैं।"दूसरा बोला।
पहले ने सहमति में सिर हिलाया और दोनों अलग अलग दिशाओं में बढ़ गए।
कोई था,जो उन्हें छुपके देख रहा था।दोनों के निकलते ही वो तेजी से ऊपर की तरफ बढ़ा।अचानक उसकी नजर वेरा पर पड़ी,जो इस वक़्त अपना दिल सलाख में घुसाये जमीन पर पड़ा था।
"ये तो गया।"वो साया बड़बड़ाया।"अब इससे पहले की पुलिस यहाँ आये,मुझे ऊपर से वापस लौटना होगा।"
तेजी से उसके कदम ऊपर की तरफ बढ़ गए।दरवाजा खोलते ही मांस जलने की बदबू उसके नथुनों से टकराई।
"उफ्फ्फ्फ़"उसने रुमाल अपनी नाक से लगाया।बारी बारी उसने दोनों लाशों को चेक किया।"शीट"उसके मुँह से निकला।दोनों बुरी तरह जल चुके थे।
पुलिस के सायरन की आवाज उसके कानों में पड़ी।वो खिड़की की तरफ भागा, पर एक लाश से टकराके गिरा।
पुलिस अंदर आ चुकी थी।कोने कोने की तलाशी ली जा रही थी।इंस्पेक्टर अरमान भी वहां आ चूका था।साथ ही लोकल पुलिस इंचार्ज भी।हर तरफ बिखरी लाशें सुसाइड नोट से एक अलग ही कहानी बयां कर रही थी।लेकिन अरमान ने चुप रहने का मन बना लिया था।अगर तफ्तीश में कोई दिक्कत आती तो उसने सीडी, जो सूरज ने चार अलग अलग जगह भेजी थी,उसे दिखाने का मन बना रखा था।
खैर,तफ्तीश में कोई दिक्कत नही आई और वो चुप रहा।(अरमान सीडी मिलते ही गोआ के लिये निकल पड़ा था,इसलिए इस वारदात के वक़्त वो यहाँ मौजूद रह पाया)
रात को हुई बैठक में मुम्बई कमिश्नर ने दिव्या के सुसाइड को झूठा करार दिया और असली कातिल का पता लगाने के लिये टीम भेज दी।
जहाँ अरमान भी साथ था और टीम से अलग होकर अपने पास की सीडी की कई कॉपी बनवा लाया।
कमिश्नर के सामने उसने वही सीडी रखी और कहा कि फार्म हाउस के पीछे पेड़ के नीचे एक थैली में ये सीडी मिली।
ओवरकॉन्फिडेन्स के चलते कमिश्नर ने सीडी अरमान के सामने चलवा दी,जिसमें सोनम का बयान था(जो सूरज ने रिकॉर्ड किया था),जिसके मुताबिक कमिश्नर भी दिव्या पाटिल से मिला हुआ था।
ये सीडी कई पुलिसकर्मियों के बीच चली होने से कमिश्नर की बोलती बन्द हो गई और दिव्या पाटिल के केस को बन्द करने को दबाव दिया गया।
अगला दिन हो चूका था।
मुम्बई के प्रतिष्ठित अखबार "मुम्बई मसाला" ने दिव्या पाटिल के किडनैपर होने और कमिश्नर के उसमें शामिल होने की खबर छाप दी।दरअसल वो एक प्रतिष्ठित न्यूज़ चैनल की प्रिंट ब्रांच थी।
साथ ही अपने न्यूज चैनल पर उस सीडी को भी दिखा दिया,जिसमे सोनम का बयान दर्ज था।(सूरज ने इसी चैनल को सीडी भेजी थी)एक हड़कम्प मच गया मुम्बई में।
जगह जगह कमिश्नर के इस्तीफे की मांग हुई।भारी दबाव में आखिर कमिश्नर ने इस्तीफा दिया और उसी शाम आत्महत्या कर ली।
पणजी,गोआ
सिल्विया का अंतिम संस्कार हो रहा था।
Father grekoe बाइबिल पढ़ कर मृत शरीर पर पवित्र जल छिड़क रहे थे।
मोनिका और चीता भी अबतक वहाँ आ चुके थे।सभी अब अपनी जगह से चल कर बारी बारी सिल्विया के करीब जाने लगे और उसके मृत शरीर पर फूल रखकर उसकी आत्मा की शांति की प्रार्थना करने लगे।
जब चीता की बारी आई,तो वो भी गया।सिल्विया के करीब आते ही वो ठिठका।घुटनों पर आया और उसका माथा चूम लिया।
"दोस्ती का मतलब भी तुम कितनी अच्छी तरह जानती थी।"चीता बोला।आंखों में आंसू थे उसके।
उसने गुलाब उसके ऊपर रखा और जैसे ही उठा,सिल्विया के हाथ में उसकी कलाई आ गई।चीता को लगा जैसे सिल्विया ने उसे रोक लिया हो।उसने नम आंखों से खुद की कलाई छुड़ाई और हट गया।
कुछ ही देर में सिल्विया को दफना दिया गया।
सब जाने लगे थे।डोल्सी सूरज के पास आई।
"ये सिल्विया की पर्सनल डायरी है।"डायरी सूरज की तरफ बढाती बोली वो।"कुछ चीज़ें, कुछ लोग,जिनमे तुम और चीता भी आते हो।मुझे लगता है कि तुम्हे पता होनी चाहिए।"
सूरज उसे खोलने ही वाला था कि चीता भी वहाँ आ गया।वो ठीक सूरज के बगल में आ खड़ा हुआ।
"कुछ लोग दोस्ती से कहीं ऊपर होते हैं चीता।"सूरज डायरी चीता की तरफ बढ़ाता बोला।"सिल्विया के लिये तुम दोस्त से कही ज्यादा थे।"
डोल्सी दोनों को चुपचाप देखती रह गई।
अब पैनोरमा को सँभालने की जिम्मेदारी उसकी थी।
डोल्सी से विदा लेकर सूरज और चीता मुम्बई लौट पड़े।एक आखिरी बार सोनम उससे मिलने आई।उसकी आँखें नम थी।
"मुझे नही पता कि मै अपनी जिंदगी में अच्छी हूँ या बुरी।"सोनम सूरज से बोली।"लेकिन भगवान ने मेरे साथ कभी बुरा नही होने दिया।कभी नही।"
सुरज के गले लगी वो।आंसुओंकी बूंदे सूरज ने अपने कंधे पर महसूस कीं।
सोनम तुरंत पलटकर चल दी।शायद वो अपने आंसू नही दिखाना चाहती थी।
"एक चीज़ मांगनी थी तुमसे।"सूरज तुरंत बोला।सोनम ने अपनी पलकों को जोर से बन्द करके आँसुओ को अंदर समेटा।
फिर पलटी।
"एक आटो ग्राफ।"सूरज जल्दी से बोला।
सोनम कुछ सकपकाई।फिर हंसी।खोखली हंसी।कंधे पर टंगा हुआ लम्बा सा बैग उसने खोला और एक मार्कर पैन से अपनी ही एक तस्वीर पर ऑटोग्राफ देकर सूरज की तरफ बढ़ाया।
सुरज ने फ़ोटो थामी।तस्वीर पर एक नजर डाली ही थी कि वो चौंका।
तस्वीर बचपन में बिछड़ी सोनू की थी अपने पिता के साथ।और ऑटोग्राफ में उसने अपना नाम लिखा था।
"सोनिका डिकोस्टा"
सूरज को चौकते देख सोनम ने एक्सप्लेन किया।"सोनम शर्मा मेरा स्टेज नेम है।मेरा असली नाम सोनिका है।"
"और जो ये तस्वीर में तुम्हारे साथ हैं?"संशय बरकरार था।
"ये मेरे डैड हैं।"सोनम बोली।
"क्या ये अब भी तुम्हारे साथ हैं?"सूरज ने पूछा।
"हां,"सोनम बोली।साथ ही उसने अपने बैग से एक कार्ड निकाला।"तुम जब भी अमेरिका आओ,एकबार मुझसे जरूर मिलना।"उसने सूरज के गालों पर किस किया और चल दी।
चीता करीब आया।"मोनिका और चाचा मुम्बई में तुम्हारे स्वागत की तैयारी करने गए हैं।"
"एक बात कहनी है तुमसे चीता।"सूरज बिना उसकी तरफ देखे बोला।"मै और मोनिका अभी शादी नही करेंगे।"
"क्यों?"चीता चौंका।"अब क्या हुआ?"
जवाब में सूरज ने घूरते हुए सोनम की ऑटोग्राफ की तस्वीर चीता के हाथ में थमा दी।
"तुम दोनों को अब ये साबित करना है कि मोनिका ही सोनू है और सिर्फ कपड़ों के दम पर अब ये बात मै नही मानूँगा।"सूरज चल दिया।कि आगे ही ऐडा मिल गई।
"तुम्हारा और डोगा का राज़ सिर्फ मुझ तक ही रहेगा।"ऐडा ने एक होलोग्राम डिवाइस उसकी ओर बढ़ाई।"कुछ चीज़ें हैं, जो मै तुमसे कह नही सकती।वो...अ...इस रिकॉर्डिंग में हैं।मै चाहूंगी कि जब तुम अकेले रहो,तभी इसे देखो।"
ऐडा ने कदम पीछे बढाये और चली गई।
अमेरिका,
देर रात सोनम ऐडा और निकोल के साथ नम्रता के पास पहुंची।दोनों एक दूसरे को देखते ही लिपट गए।ऐडा मौका देखकर वहां से निकलने लगी कि नम्रता बोली।
"कहाँ चली रूलब्रेकर?"
ऐडा चौंकी और पलटी।
"हां,रुलब्रेकर!"नम्रता उसकी तरफ बढ़ी।"तुम्हे क्या लगता है मुझे पता नही चलेगा?लेकिन अखबार की सुर्खियों में अपने दिमाग का इस्तेमाल किया,इसलिए नही आई।"
"वेसे भी कोई साबित नही कर सकता था।"ऐडा ने कहा।"चलती हूँ।goodnight"
(As a debut Writer:- Kiran Agrawal
सुबह की किरण कमरे में फैलने लगी थी।शायद मैने पर्दे नही लगाये थे।रात से ही नींद नही आई थी मुझे।वैसे तो नींद से मुलाकात पिछले 5 सालों में काफी कम हुई।पर अब तो जागना ही अच्छा लगने लगा है।
आप सोच रहे होंगे कि मै कौन हूँ..?
मैं हूँ ऐडा रॉश।सीआईए की एकमात्र ऐसी एजेंट, जिसे दुनिया में कही भी जाने का और बिना परमिशन किसी को भी मारने का लाइसेंस मिला हुआ है।
मुझे पता है कि एमी के जागने में अभी वक़्त है।आखिर क्यों मै जागती रह जाती हूँ।ये जानने के लिये वक़्त में पीछे जाने की जरूरत है।
flashback
12 साल पहले
डेविड का जुर्म अदालत के सामने आ चूका था।उसने मेरे माँ और पिता को मारने के लिये किसी को हायर किया था।
डेविड को सात साल की जेल हुई है।पुलिस उसे लेकर जा रही है।फिर भी वो मुझे देखकर हंस रहा है, जैसे जीत उसकी ही हुई है।मेरे साथ नम्रता मैम हैं।इस कारण मैने अपने गुस्से को दबा रखा है।
पुलिसकर्मी उसे लेकर मेरी तरफ आ रहे हैं।शायद उसने उनसे वक़्त माँगा है।
"खुश तो तुम बहुत होंगी ऐडा।"उसकी जहर घोलती आवाज मुझे गुस्सा दिलाने लगी।"आज एडवर्ड की कंपनी में तुम्हारा पहला दिन होगा और तुम सच्चाई से वाकिफ हो जाओगी।"
"कैसी सच्चाई?"मुझे गुस्सा आ रहा है, पर नम्रता मैमके कारण मैने खुद को कंट्रोल किया हुआ है।
"यही कि वो तुम्हारा पिता नही है।"हँसता हुआ बोला वो।
उसकी हंसी ने मुझे गुस्सा दिला दिया है।एक जोरदार तमाचा मैने उसके गालों पर रसीद कर दिया।
इससे पहले कि वो कोई हरकत कर पाता, पुलिसकर्मियों ने उसे जकड़ लिया और ले जाने लगे।
"एमी तुम्हारी बहन नही है।न ही वो कम्पनी तुम्हारी है।एक पैसे के लायक तुम्हारी औकात नही है।"पुलिस उसे ले जा रही है और वो चीखकर मुझे हर बात बता रहा है।"अपनी सच्चाई जानकार चुल्लू भर पानी में डूब मरोगी तुम।"
मेरा सब्र खत्म हो चूका है।मै उसकी तरफ लपकी ही थी कि कैरोलिन ने मुझे बीच में थाम लिया।
कैरोलिन से मुझे आज भी नफरत है, क्योंकि वो एक मात्र है, जिसे मै पसंद नही करती और मुझे छूने के बावजूद वो जिन्दा है।दूसरे,मेरे हर गैजेट का तोड़ वो निकाल ही लेती है।भले मैने न बनाया हो।
घर आ चुकी हूँ मै।पर दिल कम्पनी में पहुंचने का है।आखिर अपने दिल की बात मैने नम्रता मैम से कही।उन्होंने मेरी बात मान ली है।
कुछ ही देर में हम queens international में आ चुके हैं।मेरे दिल की धड़कन अब बेकाबू है।मैने अपने डैड की कैबिन का दरवाजा खोलने की कोशिश की।
"डीएन ए सैम्पल रिक्वायर्ड.."एक आवाज गूंजी।निकोल सामने आई।उसने मेरी हथेलियों की छाप सामने प्रिंट पर लगवाई।
"डीएनए आइडेन्टिफाइंग...अननोन डीएनए..."इस आवाज ने ही मुझे हिला दिया।क्या मै सच में उनकी बेटी नही हूँ।कल्पना मात्र ही मुझे पागल कर रही है।अब यहाँ से भागने के मै कुछ नही कर सकती।नम्रता मैमऔर निकोल मेरे पीछे हैं।
Flashback over
सामने कॉफी आ गई।वो एमी थी।
"क्या बात है सिस.. आज जिम में नही थी?"एमी मुझसे गले लगी।
आज अजीब सी हलचल है दिल में।
"मैं चलती हूँ।तुमसे बाद में मिलूंगी।"मैने जवाब दिया और उठ गई।
एमी की नजरे बता रही हैं कि इसे इस जवाब की उम्मीद नही थी।
Queens International
कुछ ही देर बाद मै अपने कैबिन में थी।तक्षिका कैबिन में आई।
मैने उससे एक रिपोर्ट मंगवाई थी।
"डेविड कुछ 5 साल पहले ही आजाद हो चूका है और आजकल वेरोना में पाया जाता है।"तक्षिका बोली तो मेरा दिमाग हिला।
"वेरोना में ही तो रिवील का घर है।"मैने मन ही मन सोचा।"तो क्या दोनों पहले ही मिल चुके हैं।"
जवाब अभी नही था।पर भविष्य के गर्भ में था।)
सूरज नही लौटा था मुम्बई।कारण था वो ऑटोग्राफ।अगले दिन उसने बस पकड़ी और मुम्बई को निकल पड़ा।नाराज था वो मोनिका और चीता से।पर अदरक चाचा,उनके लिये तो सूरज जान भी दे सकता था।बैठे बैठे उसने ऐडा का दिया हुआ होलोग्राम चलाया।
एक इमेज सामने आई।वो ऐडा थी।
"Hi सूरज,
आई लव यू,"
सूरज चौंका।आसपास के लोग उसे देखने लगे। उसने बस रुकवाई और उतर गया।कुछ देर में वो नॉर्मल हुआ और आगे देखनेलगा।
"मुझे पता है तुम चौंक गए होगे।पर ये सच है।डोगा रूपी इंसान से बदला न लेने का कारण भी सूरज ही है।मुझे डोगा से जितनी नफरत है, उससे कहीं ज्यादा सूरज से प्यार।मै नही जानती ये मैने कब महसूस किया,पर जब भी तुम्हे देखा,महसूस किया।हो सकता है तुम्हे मुझसे प्यार न हो,क्योंकि वैसे भी मै दुनिया की सबसे अच्छी लड़की नही।पर वादा करती हूँ कि अगर तुम मेरी जिंदगी में रहो तो बनने की पूरी कोशिश करुँगी।मैतुमसे भीख नही मांग रही,क्योंकि भीख में मिला प्यार मुझे नही चाहिए।ये मेरे दिल की आवाज है, जिसे और दबा पाना मेरे लिये मुमकिन नही।मै नही जानती कि अब हम मिलेंगे या नही।पर साथ बिताया छोटा सा लम्हा भी मै नही भूलूंगी।
अलविदा"
होलोग्राम बन्द हो गया और सूरज परेशान।मुम्बई कुछ दूर थी अब।आगे की यात्रा उसने पैदल ही की।
जिम के करीब पहुंचते ही उसके कदमों में तेजी आ गई।
जिम के सामने एक बड़ी सी इमारत थी।
उस इमारत पर इस वक़्त एक लड़की खड़ी थी।दिखने में वो 23 साल की दिखती थी।बाल लम्बे काले और उसने इस वक़्त इन्हे खुला रखा था।हाथ में 3 इंच चौड़े कड़े।जो किसी गैजेट की तरह दीखते थे।
इस वक़्त उसके हाथ में रॉकेट लॉन्चर नजर आ रहा था।सूरज के जिम के करीब पहुंचते ही वो मुस्काई।
लॉन्चर कंधे पर रखा।
एक फ्लाइंग किस सूरज की तरफ उछाला और लॉन्चर दाग दिया।
सूरज दरवाजे के करीब आ चूका था,जब एक राकेट जिम से आ टकराया।
विस्फोट के साथ जिम उड़ गया।
सूरज वेग से पीछे गिरा।वेग इतना तेज था कि 20 फुट दूर खड़ी कार पर सूरज गिरा और वो कार 12 फुट पीछे खसकतीचली गई।पीठ में कांच के टुकड़े जा गड़े सूरज के।पर वो तुरंत उठा और जिम की तरफ भागा।
पूरा जिम जमींदोज हो चूका था।
"अदरक चाचा........"हलक फाड़कर चीखा सूरज।
नानावटी हॉस्पिटल में इस वक़्त सूरज अकेला मौजूद था।
जिम में धमाके के वक़्त चारों चाचा और चीता,मोनिका मौजूद थे।कुछ ही देर में डॉ.बाहर आया।
"अदरक चाचा कोमा में जा चुके हैं सूरज।"डॉ. दुखी मुद्रा में बोला।
सूरज जैसे आसमान से गिरा।
"बाकि की हालत केसी है?"बड़ी मुश्किल से बोला वो।
"कौन बचेगा,कौन नही।कुछ नही कह सकते।"डॉ.मायूस स्वर में बोला।
सूरज ने उसका कॉलर पकड़ा और कई इंच हवा में दिवार के सहारे टिका दिया उसे।
"अगर किसी को भी कुछ हुआ न,तो तुम्हे बहुत कुछ होगा।"गरज उठा था वो।
इंस्पेक्टरअरमान वही मौजूद था।वो लपककर पहुंचा और डॉ.को छुड़ाया।
"सूरज,सूरज,छोडो उसे पागल हुए हो क्या? वो क्या कर सकते हैं इस मामले में?जो कर सकते हैं, कर रहे हैं।"आखिर सूरज ने डॉ.को छोड़ा।
उसने घूरकर अरमान को देखा।फिर परे हट गया।
अरमान करीब आया।"मै तुम्हे कई साल से जानता हूँ सूरज।इसका मतलब ये नही कि अदरक चाचा को नही जानता।मैने तुम्हारे साथ ही तो सबकुछ सिखा है।"उसने अपना हाथ सूरज के कंधे पर रखा,जिसे सूरज ने तुरंत छिटक दिया।
अचानक उसके करीब रखा फोन बजा।
सूरज ने फोन उठाया।
"हेलो सूरज.."कानो में पड़ने वाली आवाज जनाना थी।जिसे सूरज ने पहले नही सुना था।"जानकार दुःख हुआ कि अदरक चाचा कोमा में चले गए हैं।"फिर एक जोरदार हंसी उसके कानों में पड़ी।
"हाहाहा...बुरा मत मानना।सूरज ये सब मेरा ही किया हुआ है और अगला निशाना है ऐडा रॉश।"आवाज में तल्खी आई।
"तुम हो कौन?"सूरज ने बस इतना ही पूछा।
"नफरत...ऐसी नफरत,जो सबको खत्म कर देगी।जैसे तुम्हारे परिवार को तुम्हे मरते देखना पड़ रहा है।एडा भी देखेगी।"फोन रख दिया गया था।
कौन था इन सबके पीछे?
क्यों हालात इतने ख़राब हुए और क्या रहा डोगा का कदम?
जवाब है एक सीरीज
"Death Target"

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