Tuesday 20 September 2016

COP प्रस्तुत करते हैं

सूरज और सोनू

(भाग 4)

पणजी,गोआहोटल पैनोर
मासूरज बाहर निकल आया था।उसे समझ नहीं आ रहा था कि शुरू कहा से करे।तभी एक हाथ कंधे पर पड़ा।पीछे पलटा सूरज।सिल्विया मौजूद थी।"तुम्हे मेरे बारे में किसने बताया?""भूतपूर्व इंस्पेक्टर चीता ने।"शांत सा स्वर था सूरज का।"चीता ने।"साफ़ चौंकी थी वो।"और क्या कहा उसने।"ख़ुशी नजर आई उसके चेहरे पर।"अ..."सूरज ने बोलना चाहा।कि तभी सिल्विया बोली।"अ..सॉरी..अंदर आओ.."दोनों वापस अंदर पहुंचे।"मुझे पहले बताते तो कुछ जाता था क्या?"सिल्विया ने दो कॉफी और गोआ का मैप मंगवाया।"मै और चीता एक ही यूनिवर्सिटी में थे।वो एक बेहद इंटेलिजेंट स्टूडेंट था।"सिल्विया मुस्काई।"और मै उसे पसंद करती थी।"इतनी देर में कॉफी और मैप आ गए।"खैर,"सिलवियानेमैप को देखना शुरू किया।सूरज भी सोच रहा था,किकहानिया कहाँ से कहाँ आ जाती हैं।जो चीता से प्यार करती है, वो अब इस जिम्मेदारी में है कि शायद ही कभी उससे मिल सके।सिल्विया वापस उससे मुखातिब हुई।मैप पर एक जगह ऊँगली टिकाती वो बोली।"ये जगह Candolime,एक रेड लाइट एरिया है।यहाँ पर दिव्या पाटिल का एक खास आदमी रहता है।रोबिन नाम है उसका।कल रात उसे डोगा ने उसे मार दिया है।अब उसकी जगह डॉनी ने ली है।वो एक क्रूर हत्यारा है।किसी के भी हाथ पेर तोडना उसका शौक है।वो एरिया सही नहीं है।अब बोलो,मै साथ चलूँ या किसी को भेज दूँ।"सूरज ने न में गर्दन हिलाई।"थैंक्स फॉर हेल्प।"सूरज उठा।"सुनो,उसे लेकर इसी होटल में आ जाना।"पीछे से सिल्विया बोली।"क्योंकि पणजी में सिर्फ मेरा ही होटल आर्मर प्रोटेक्ट है।"सहमति में सिर हिलाता सूरज बाहर निकला।मुम्बईसही एरिया तो वो भी नहीं था,जहाँ इस वक़्त एडा के कदम पड चुके थे।जुहू में स्थित एक बंगला था,जहाँ फिलहाल दिव्या पाटिल रंगरलिया मनाने में लगी थी।एडा खिड़की के रास्ते से अंदर पहुंची।इस वक़्त उसने अपना हुलिया बदल रखा था।उसने खुद को किसी रशियन युवती की तरह बना रखा था।एक रेड कलर का टॉप और रेड स्कर्ट।वो पूरी दुनिया घूमती थी,इसलिए उसे कोई भी भाषा बोलने में दिक्कत नहींथी।रशियन में भी नहीं।एडा अंदर घुसी ही थी कि बेड पर एक लड़का लेटा था।मुँह के बल।बाथरूम से शावर की आवाज आ रही थी।एडा दम साधे खड़ी रही।दिव्या पाटिल बाहर निकली।सिर्फएक तौलिये में।टहलती हुई वो बेड के करीब पहुंची।तकिया उठाया और गननिकाली।एडा को समझते देर न लगी कि काम निपटा कर अब दिव्या उस लड़के को निपटायेगी।"वेक अप हनी।टाइम टू गो इन हेल।"बन्दूक ठकठका कर दिव्या ने लड़के को उठाया।एडा आगे बढ़ी।दिव्या को पीछे किसी के होने का एहसास हुआ,पर देर हो चुकी थी।एक तेज थप्पड़ ने उसकी चेतना छीन ली।एडा ने दिव्या को अपने कंधे पर डाला।लड़का अब भी शॉक में था।यकीन नहीं हो रहा था उसे की वो बच गया।एडा ने एक स्माइल उसकी तरफ उछाली और खिड़की से ही रुखसत हो गई।Candolimeरात की उस घड़ी वहाँ चहल पहल तो होनी थी।सूरज भी वहाँ पहुँच चूका था।उसे डर था कि सोनम के साथ कुछ गलत न हुआ हो।सोनम बाकियो से अलग दिखती थी।आसपास से कई आवाजें उसे बुला रहीं थी।सभी को इग्नोर करता वो आगे बढ़ गया।"सोनम...…..."हलक फाड़कर चीख पड़ा सूरज।उम्मीद थी कोई नतीजा सामने आएगा।नतीजा सामने आया।तीन पहलवान उसकी तरफ बढ़ते नजर आये।"कौन है बे तू।क्या चाहिए तेरको?"उनका लीडर लगा वो।"जो मिलता है यहाँ।"सूरज हँसता बोला।"और तू क्या चिल्ला रहा था।"अब भी उस आदमी की निगाहों में शक था।सूरज ने ठंडी सांस ली।फिर बोला।"मुझे डॉनी से मिलना है।"साफ़ चौंकता नजर आया वो बॉडीबिल्डर।"तू है कौन?"खतरनाक भाव आये उसके चेहरे पर।"डर मत,पुलिस वाला नहीं हूँ।"सूरज शांत स्वर में बोला।"अबे,"हंसा था वो।"मै क्यों डरूंगा।मौत आई होगी पुलिसवाले की,जो डॉनी भाई से मिलेगा।"फिर संजीदा हुआ।"काम बोल।""डॉनी को ही बोलूंगा।"सूरज अब भी शांत थ।गुस्से में उसके जबड़े भींचे।पर सूरज को विचलित न होते देख वो चुप हुआ।"चल।"कोई एक घंटे बाद होश आया था दिव्या को।"बाप रे।ये हथौड़ा किसने मारा मेरे सिर पे।"कनपटी मसलती उठी वो।उसकी नजरे सामने उठी।सामने बैठी थी"एडा।अब तक रशियन लुक छोड़ चुकी थी।एक हाथ में गन थी एडा के।जो तनी हुई थी दिव्या की तरफ।"Who the hell are you?"गरजी दिव्या।एडा ने हाथ के इशारे से उसे वापस बैठने को कहा।"Where I'm.. you bi***"दिव्या बिफर पड़ी।एडा गुस्से में उठी और एक थप्पड़ उसे जमा दिया।दिव्या वापस अपनी चेतना खो बैठी।गोआ में मुश्किल बढ़ रही थीं सूरज के लिये।सूरज को एक कमरे में ले जाया गया,जो 10 बाई 15 का था।एक पहलवान ,जो साढ़े छह फ़ीट का था।सोफे पर पसरा था।आसपास लड़कियों का जमावड़ा था,उसके।सूरज ने बाहर ही मिले तीन लोगो के साथ अंदर कदम रखा।"बोल आसिफ।किसको लाया तू यहाँ।"छह फिटिया बोला।"पता नहीं भाई,कौनहै।तुम्हेरे से मिलना मांगता था।अपुन लाया।"आसिफ की मुम्बईया भाषा को सूरज नेकेच किया, पर वो चुप रहा।"ठीक है, तू जा।"फिर वो सूरज स बोला।"मै है डॉनी।बोल क्या मांगता है।"सूरज,जो अबतक चुप था,उसने भी मुम्बईया भाषा ही अपनाई।"बोले तो,मेरेको रोबिन बोला के इधर एक रापचिक माल भेजा है वो।""कोन रोबिन?"अनजान बनता वो बोला।"अरे,वहिच दिव्या पाटिल का राईट हैण्ड।"सूरज भी पूरी तरह घुलने की कोशिश में लग गया।"तुम उसको कैसे जनता है।"डॉनी के स्वर में शंका का पुट आया।"हम दोनों एक ही साथ पढ़ा है।एक हीच खोली में खेला खाया है।"सूरज बोलता गया।"आजकल दिव्या मैडम को लड़के अपुन ही सप्लाई करता है और रोबिन तो उसका खास आदमी हो गेला है।"डॉनी उठा और उसके गले मिलता बोला।"मेरको पता नहीं था,तुम उसका खास दोस्त,बोला नहीं मेरको कभी वो।कोई बात नहीं,अभी तुम इधर ही रहने का।""और अपने इम्पोर्टेड माल का क्या?"भवें उठाते बोला सूरज।"अभी है तो पणजी में ही,लेकिन दूसरी जगह।"सोचते हुए बोला डॉनी।"ठीक है, अपुन बाद में आता है।"सूरज चल निकला।फिर बोला।"ध्यान रखना की उद्घाटन अपुन ही करे।"दोनों बात करते बाहर आये।दोनों ने न.एक्सचेंग किये और चल दिये।पीछे डॉनी ने एक नम्बर लगाया।फोन उठाया गया।"अबरार।लड़की को लेकर मेरे पास आ सुबह तक।"ऑर्डर दिया था डॉनी ने।दूसरी तरफ सूरज वापस पैनोरमा पहुंचा।उसने सारी बात सिल्विया को बताई और नम्बर देते बोला।"इस नम्बर से हाल में कहाँ कॉल लगाई गई है।बता पाओगी।""यूँ"उसने चुटकी बजाइ।"बैठो,आती हूँ।"इसबार 6 घंटे बाद होश आया था दिव्या को।इसबार उसने खुद को अलग परिवेश में पाया।उसकी नजरे एडा को ढूंढ ही रही थी।कि सामने ही बैठक में वो नजर आई।उसने रेड कलर की छोटी सी फ्रॉकपहन रखी थी,जो उसकी हाईट के कारण उसपर और भी छोटी लग रही थी।सामने ड्रिंक्स लगे हुए थे और एक वोपी रही थी।"अब ये ***** मुझे कहाँ ले आई।"दिव्या बड़बड़ाई।उसने ये शब्द हिन्दी में इसलिए कहे ताकि एडा समझ न सके।"एकबार और मार खाना चाहती हो।"एडा के इन शब्दों से दिव्या की हवा निकल गई।"तुम हिन्दी भी बोल लेती हो?"दिव्या की आँखों में घोर आश्चर्य था।एडा उठी और उसके पास आई।"सोनम शर्मा कहाँ है?"हल्के लेकिन मजबूत स्वर में पूछा एडा ने।दिव्या चौंकी।"न बताऊँ तो?"लापरवाही से बोली वो।"तो?"एडा ने कुछ पल सोचा और एकाएक उसके बाए हाथ की छोटी ऊँगली तोड़ दी।"आह्ह्ह"दिव्या चीखी।एडा ने अपने ड्रिंक को उसके चेहरे पर फेका।"इस तरह मै तुम्हारी गर्दन भी तोड़ सकती हूँ।"एडा वापस ड्रिंक बनाने चल दी।"तुझे मै छोडूंगी नहीं।"दर्द से कराहती बोली दिव्या।एडा ने आगे बढ़कर उसकी दूसरी उंगली थामी।दिव्या ने तेजी से छुड़ाई और बाहर की तरफ भागी।दरवाजा लॉकथा।एडा बेड पर बैठ गई।और उसे देखकर हंसने लगी।"तुम भाग नहीं पाओगी।मौत से कोई नहीं भाग सकता।""तेरी मौत मै हूँ।"बेड के पास रखे फलों की टोकरी से उसने चाकू उठाया और एडा की तरफ बढ़ी।एडा तेजी से लपकी और उसका हाथ पकड़कर उसे घुमा दिया।अब एडा उसके पीछे थी और गर्दन पे चाकू था दिव्या के।"अपनी औकात मत दिखा।"कहर बरपा उसके शब्दों से।"अगर जवाब 10 सेकण्ड में नहीं मिला,तो तेरी गर्दन अलग।"दिव्या को बचाव का कोई रास्ता नहीं सुझा, इसलिए उसने मुँह खोलना बेहतर समझा।"पणजी में है वो।"बड़ी मुश्किल से बोली वो।"मुम्बई से गोआ 10 घंटे का रास्ता है।"एडा ने छोड़ा उसे।"लेकिन हम पोंडा में है।"दिव्या चकराई।"कैसे?""इस देश में मुम्बई से गोआ प्लेन भी है।"एडा ने दरवाजा बन्द किया और बाहर निकल गई।Hotel Daffodil थी ये जगह।जहाँ एडा ने दिव्या को छोड़ा था।रेसेप्सन पर पहुंची वो।एक युवती आई वहां।"कैसी रही मीटिंग?"मुश्कुराहट थी इसके चेहरे पर।"मुझे पणजी जाना है।"एडा बोली।"इसका ध्यान रखना।बहुत **** औरत है।भूल से भी कोई मर्द इसके कमरे में न जाये।ये उसका फायदा उठा कर बाहर आ जायेगी।""डोंट वरी।एडा।"बोली युवती।"थैंक्स निकोल।"एडा मुस्काई।(निकोल ग्रेको:-32 साल की एक लड़की,जो कभी एडा के ऑफिस में काम किया करती थी।बचपन की यादों सेएडा को बाहर निकालने में इसका बहुत योगदान था।डैड की मौत के बाद इसने अपनी माँ के साथ रहना शुरूकर दिया था पेरनैम में।)"जो कुछ तुमने मेरे लिये किया है, उसके मुकाबले कुछ नहीं ये।"निकोल कृतज्ञ नजरो से देखती बोली।"और जो तुमने किया था।"एडा बोली।दोनों ही एक दूसरे को देखते रहे।"चलती हूँ।"एडा बोली और चल दी।निकोल उसे जाती देखती रही।"Dauna pola,एक और रेड लाइट एरिया।"कॉल डिटेल सामने रखती बोली सिल्विया।"अबरारनाम है इसका।कही ये लोग उसे prostitution में न धकेल दे।""ये मै होने नहीं दूंगा।"सूरज बोला।"तुम्हारे पास गन है।"सिल्विया चौंकी।"तुम मर्डर करोगे क्या?""कोशिश तो होगी की न करना पड़े,लेकिन"उसने लापरवाही से कंधे उचकाए।"भविष्य कौन जनता है?"सील्विया कुछ पल सोचती रही।फिर दराज से एक गन निकालकर सूरज की तरफ बढ़ाई।"मेरे डैड की है।"सूरज ने गन को चेक किया।एन चौकस थी।"अगर ये पाई जाती है, तो तुम इसके चोरी हो जाने की बात कह देना।"सूरज ने सलाह दी।"वो मै संभाल लूंगी।तुम जाओ।"सुरज ने विदा ली।Dauna polaHotel Blue Pearlये जगह तो पहले से ज्यादा खतरनाक नजर आई उसे।बाहर फीमेल बाउंसर।इसी से उसने अंदर का अंदाजा लगाया।वो होटल की तरफ बढ़ा।अंदर पहुंचने में उसे कोई दिक्कत नहीं हुई।"अबरार कहाँ है?"बारटेंडर से पूछा उसने।"आप कौनसर?"बारटेंडरके लिये वो चेहरा अनजान था।"बोलो डॉनी ने भेजा है।सूरज नाम है मेरा।"सूरज बोला।सहमति में सिर हिलाता बारटेंडर हटा वहाँ से और कुछ दूर रखे फोन पर बीजी हो गया।"आपको अंदर बुलाया है।"अपने पीछे लगे दरवाजे की तरफ इशारा करता वो बोला।सूरज घूमकर उस दरवाजे तक पहुंचा और अंदर चल दिया।अंदर जाते ही उसे सामने एक हिंसक सा दिखने वाला आदमी नजर आया,जो फोन में बात कर रहा था और उसे ही देख रहा था।उसे देखते ही बोला"सूरज"।सूरज ने सहमति में सिर हिलाया।फोन उसे थमातेबोला अबरार"ये लो बात करो।"सूरज का दिल धड़क उठा।किस्से बात करने जा रहा है वो।"हेल्लो"सूरज का धीमा स्वर।"हेलो ब्रो।"डॉनी की आवाज थी ये।सूरज ने चैन की सांस ली।"तुम उधर क्या करने गया है।तुमको पता है वहाँ बहुत खतरा तुम्हारे वास्ते।अबी मे बोला नई उसको कितुमको नई भेजा मै। बोलता तो तुम्हारी खोपड़ी खोल देता वो।"सुरज चुपचाप सुनता रहा।"अबी तुम गया है तो सुनो,वो इम्पोर्टेड लड़की को लेके इधर आ जाओ।"डॉनी बोला।"अबरार से बात कराओ।"सूरज ने फोन अबरार की तरफ बढ़ाया।दूसरी तरफ से कुछ कहा गया।फोन बन्द किया अबरार ने।"आसिफ"जोर से चिल्लाया वो।एडा निकल पड़ी थी पोंडा से पणजी।रास्ता लमबा था।यादेंभी लंबी थी।एकबार फिर वो पुरानी यादों में खोती चली गई।Flashbackजैस
ा कि नम्रता ने अंदाजालगाया था।डेविड ने दो दिनों बाद ही उसकी (एडा के माँ बाप)संपत्ति पर अधिकारजमाना शुरू कर दिया।उसने कौर्ट में अपना हिस्सा,जो कि25% था,उसे 75% दिखाया और घरभी सील करवा दीया।कोर्ट में ये दिखाया कि असल में एडा इस जायदाद की वारिस नहीं है।वो मकतुलो की बेटी नहीं है।यहाँ तक कि उन्हें उसका डीएनए टेस्ट करवाने की सलाह तक दे डाली।खैर,नम्रता ने केस बचाया और आगे की तारिख ले ली।सबकुछ हाथ से निकलता नजर आ रहा था,जब निकोल उनकी जिंदगी में आई और उन्हें एक ऐसा प्लान बता गई,जो भरे कोर्ट में उसे नंगा कर सकता था।Flashback overसामने से आते ट्रक ने उसकी कार को इतनी जोरदार टक्कर मारी कि कार तुरंत पलटकर आग की लपटों से घिर गई।ट्रक से निकलने वाला "वेरा"था।Hotel Panoramaसूरज सोनम को लेकर सिल्विया के पास पहुंचा।"माय गॉड,इसकी हालत तो बहुत ख़राब है।"सिल्विया बोली।"मेरे पास Naloxone (ड्रग का एंटीडोट)है।मै अभी आई।""कैमरा भी लेते आना।"सूरज बोला।"इसका इंटरव्यू लेना है।"आधे घंटे बाद वो दोनों रेडी थे।सूरज ने सोनम का इन्टर व्यू ले लिया था कि आखिर क्यों वो लोग उसकी जान के दुश्मन थे।"इसकी चार कॉपी बनाओ और एक भेजो मुम्बई कमिश्नर के पास,एक इंस्पेक्टर अरमान के पास,एक इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पास और आखिरी दिव्या पाटिल के घर।"सूरज बोला।"ओरिजनल?"स
िल्विया ने पूछा।"तुम रखोगी।"सूरज बोला।"और हां,पता फर्जी लिखना।""हासिल क्या होगा?""हमारे सामने बैठी ये लड़की बेहद खास है।कुछ तो होगा ही।"सूरज ने कहते हुए उसका सामान देखना शुरू किया।अचानक वो चौंका।वो एक फ़ोटो थी और फ़ोटो में थी,बचपन वाली सूरज की सोनू।कहानी जारी रहेगी।

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