Monday 19 September 2016

COP प्रस्तुत करते हैं

सुरज और सोनू (भाग 2)

लेखक - राम चौहान

डोगा निकल पड़ा था सोनम की तलाश में!लेकिन इतना भी आसान नही होने वाला था सफर!
सफर शुरू किया उसने उस हॉस्पिटल से'जहाँ आखिरी बार उसने सोनम को देखा था!
रात का अँधेरा डोगा का मददगार था..अगर वो छुपना चाहे चाहे तो.लेकिन अभी उसे इसकी ज़रूरत नही थी.आज डोगा सुबह निकला था!ज्यादा वक्त नही लगा उसे सोनम के कमरे तक पहुँचने मे|जहाँ मौजुद था भारी मात्रा मे पुलिसदल!डोगा के नेत्र सिकुडे!
अरमान शेख नाम का एक इन्सपेक्टर डॉक्टर खेर से पुछताछ मे लगा था।लेकिन डॉ.साफ़ तौर पर कुछ भी पता होने से इंकार कर रहा था।
डोगा की नजरें हर एक गतिविधि पर लगीं रहीं।अंत में जब इंस्पेक्टर जाने लगा,तो वही डॉ. बोला।
"इंस्पेक्टर, मै जानता हूँ आप बेहद ईमानदार ऑफिसर हैं, लेकिन आपके डिपार्टमेंट में सब ऐसे नहीं हैं।"
"कहना क्या चाहते हैं आप?"शिकन उसके चेहरे पर नजर आने लगी थी।
"सुनो,"डॉ.उसके कानों के करीब आया।"मुझे पता है की वो लड़की कहाँ है?"
"क्या?"वो चोंका।
डॉ.ने होठों पर उंगली रखकर उसे चुप रहने को कहा।
"आपको कैसे पता?"इस दफा वो धीमी आवाज में बोला।
"तुम्हारे कमिशनर को भी ये बात पता है, लेकिन वो बोलेंगे नहीं।"डॉ.धमाके करता गया।
"कहाँ है वो?"अरमान ने सीधे सवाल किया।
"हमारे स्टेट में एक ही ऍमएलए है, जो सभी जिलों में अपनी दादागिरी दिखाने में मशहूर है।दिव्या पाटिल।"डॉ.बेहद धीमे स्वर में बोलता रहा।"अभी वही तो जीती थी पुणे से।"
"थैंक्स डॉ."इंस्पेक्टर अरमान बाहर निकल गया।
साथ ही डोगा भी निकल पड़ा किसीकी गर्दन दबोचने।
कमिश्नर का हेडऑफिस
इंस्पेक्टर अरमान सामने मौजूद था।
वो एक परमिशन मांग रहा था।कि सभी गाड़ियों को चेक करने दिया जाये।ताकि वो जल्द से जल्द उस लड़की (सोनम)को ढूंढ सके।
कमिशनर :-"तुम पागल हो गए हो क्या?आज ही MLA दिव्या जी का काफिला यहाँ एक प्रोग्राम में शिरकत करने आ रहा है और ऊपर से तुम उनकी गाडियो की चेकिंग करोगे?"
"सिर्फ उन्ही की नहीं,सभी गाड़ियों की।"उसके जवाब में जो कॉन्फिडेंस था,उसे देखकर कमिशनर का मुँह बन्द ही रह गया।
"थैंक यू सर।"सैल्युट मारकर वो बाहर निकल गया।
Hotel Taj Mahal Palace
Apollo bunder,mumbai
एडा रिसेप्शन पर पहुंची।
"हेल्लो मैम।"रिसेप्शन पर खड़ी युवती ने जगमग मुस्कान के साथ उसका स्वागत किया।
"हाइ।"एडा सिर्फ थोड़ी देर के लिये मुस्काई।"मेरा नाम एडा रॉश है।मेरे नाम से एक रूम बुक है।"
"लेट मी चेक मैम।"वो वापस कंप्यूटर में टिक गई।"रूम न.28।"
"थैंक्स,अ..मुझे एक सेल्फ ड्रिवेन टेक्सी चाहिए।"एडा के दिमाग में कुछ था।
"श्योर मैम।"वो युवती काम में लग गई और बेलबॉय उसका सामान कमरे तक ले आया।
एडा ने उसे टिप दी और पूछा।
"डिनर का क्या वक़्त है?"
"8 बजे मैम।"उसने दो टूक जवाब दिया।
एडा ने 1000 का नोट उसकी तरफ सरकाया।
"7 दिन पहले सोनम शर्मा नाम की एक अमेरिकन रॉकस्टार इसी होटल में ठहरी थी।उसका रूम न.बता सकते हो?"एडा के हाथों में फड़फड़ाते नोट पर थी उस बेलबॉय की नजर।
"उस कमरे में जाने की मनाही है।"नजर अब भी नोट पर जमी थी उसकी।
एक और नोट ने उसकी कीमत बढ़ा दी।
"रूम न.123"कहते ही उसने नोट लपक लिये।
"थैंक्स"एडा ने दरवाजा खोलकर उसे बाहर का रास्ता दिखाया।"एन गेट लॉस्ट।"
सूरज का दिमाग आज डोगा पर ज्यादा हावी हो रहा था।
क्या हो रहा था आज उसे।क्या सच में उसने सोनम के मुँह से अपना नाम सुना था।(जब वो ट्रक में पायी गई थी।तब वो सूरज ही पुकार रही थी और सूरज ने वो शब्द सुने थे।)
शायद उसे सूरज के रूप में दिव्या पाटिल के सामने पहुंचना चाहिए।या शायद डोगा के रूप में।
उसने फैसला वक़्त पर छोड़ दिया।
तभी अंदर मोनिका आई और झपटते हुए सूरज को उठाने लगी।
"अरे,क्या हुआ?बोलो तो."सूरज के आधे शब्द मुँह में ही रह गए।
"आज मै तुम्हारी कोई बात नहीं सुनूंगी।सुबह सुबह ही कहाँ रफूचक्कर हो गए थे?"बोलते हुए वो उसे घसीटकर बाहर ले जा रही थी।
सामने से अदरक चाचा आते दिखे।
दोनों रुके।सूरज ने अदरक चाचा के पाँव छुए।
"सुबह सुबह तुम कहाँ गए थे सूरज?"चिंता की लकीरे नजर आईं उनके चेहरे पर।
"वो सुबह न्यूज़ पढ़ी कि..."मोनिका ने उसे बोलने नहीं दिया आगे।
"सॉरी चाचा।बाकि बातें हम आने के बाद करेंगे।"बोलते हुए मोनिका उसे बाहर घसीटती चली गई।
8:00 Pm
Hotel Tajmahal Palace
सूरज और मोनिका आमने सामने बैठे थे।मोनिका उसकी आँखों में देख रही थी,पर सूरज का ध्यान तो कहीं और ही था।
"मोनिका,ये कहाँ ले आई तुम?इतना बजट नहीं है मेरा।"सूरज अपने दिल पर हाथ रखता बोला।
"तो दिल पर हाथ क्यों रख रहे हो?"मोनिका ने रोमांटिक नजरों से उसे देखा।
"जेब पर रख रहा हूँ मोनिका।"सूरज पूरी मासूमियत से बोला।
"अरे यार,तुम तो सारा रोमैंटिक मूड ख़राब रहे हो।"मोनिका चिढ़ी।
"तुम पहले बताती,तो मै बजट लाता न।"अब भी मासूमियत उसके चेहरे पर नजर आ रही थी।
"डोंट वरी।मेरे पास है बजट।"मोनिका बोली।"अब तो बस करो।"
"एक्सक्यूज़ मी, कपल!"एक वेट्रेस,जो उनके करीब आ खड़ी हुई थी।बोली"there's drinks from the lady.."दोनों ने उसके इशारे को फॉलो किया।
"एडा?"सूरज के मुँह से निकला।
"तुम जानते हो उसे?"मोनिका के स्वर में धमकी थी।
"हां,कैसे?ये बाद में बताऊंगा।"सूरज का स्वर गम्भीर था।
मोनिका ने उस बारे में और बात नहीं की।
सामने बार काउंटर पर एडा अपनी चित परिचित अंदाज में मौजूद थी।हमेशा की तरह उस वक़्त भी उसने रेड कलर का लॉन्ग गाउन पहन रखा था।जिसमें वो बहुत सुंदर लग रही थी।सूरज और मोनिका ने उसकी तरफ देखते हुए ग्लास उठाकर चियर्स कहा।
सूरज की नजर रह रह कर उसकी तरफ चली ही जाती थी।
आखिर मोनिका बोली"चलो यहाँ से।"
DR.Ambedkar statute chowk
पुलिस चेकिंग जारी थी।सभी गाड़ियों की चेकिंग हो रही थी और कई लोगों का मानना था कि ये मनमानी है पुलिस की।
दुपहिया वाहन आराम से जा रहे थे।
जल्द ही पीछे "MLA"दिव्या पाटिल का काफिला आता दिखा।
इंस्पेक्टर अरमान के चेहरे पर मुस्कान आई।इसी का तो इंतजार था उसे।
सूरज और मोनिका उसी रस्ते से लौट रहे थे,जब दोनों की बहस को विराम लगा।
(उनकी बहस इस बात पर थी कि सूरज एडा को कैसे जनता था।सूरज ने उसे आश्वासन दिया कि इसबारे में बाद में बताएगा।हालाँकि उसे खुद शक था कि कही एडा जान तो नहीं गई कि वही डोगा है)
वो लपककर करीब पहुंचा।बोनट पर छड़ी खटखटाई और ड्राईवर को बाहर आने को बोला।
"ये MLA दिव्या पाटिल की कार है।"ड्राईवर के शब्दों में रुबाव था।
"किसीकी भी हो।चेकिंग तो होगी ही।"इसबार काफी मजबूत स्वर था इंस्पेक्टर का।
"अच्छा?"पीछे से आवाज आई।
ड्राईवर और इंस्पेक्टर पीछे पलटे।पीछे दिव्या पाटिल खड़ी थी।
(दिव्या पाटिल:-एक बेहद खूबसूरत सी दिखने वाली 36 वर्षीय औरत।कोई उसे देखे तो कह नहीं सकता था कि यह 25 साल से अधिक की है।बेहद कमीनी और अय्याशी में नम्बर 1,रोज़ उसे एक नए लड़के की तलाश होती थी।)
"किसकी परमिशन से तुम मेरी गाड़ी चेक करोगे?"आतंक के भाव थे इस वक़्त उसके चेहरे पर।
"तुम्हारी गाड़ी चेक करने के लिये मुझे किसीकी परमिशन की जरूरत नहीं है।"इंस्पेक्टर ने भी उसी भाषा में जवाब दिया।
इंस्पेक्टर अरमान का इतना कहना था कि एकाएक दिव्या का हाथ तेजी से घुमा और उसके गालों पर पड़ा।
"तेरी इतनी हिम्मत?"कहर बरपाती नजरो से उसने अरमान पर नजर डाली।"ए ड्राईवर।खोल डिक्की।सारी गाड़ियों की डिक्की खोल।"कहते हुए उसने खुद ही अपनी गाड़ी की डिक्की खोल दी।पीछे मौजूद सूरज और मोनिका की नजर भी अंदर पड़ी,जहाँ एक लड़की उन्हें साफ़ नजर आई।
तेजी से कमिशनर सामने आया और उसने डिक्की बन्द की।
"आप जाइये न मैम।नया ऑफिसर है।नादान है।"इंस्पेक्टर अरमान को कमिशनर की बाते ऐसी लगी,जैसे पूरी दुनिया के सामने उसकी इज्जत उतार दी गई हो।
दिव्या अरमान के करीब आई।
"पठानकोट हमला याद है न।तू भी उन आतंकवादियो में से एक बन जायेगा।अगर दोबारा मेरे काम में टांग अड़ाई।"भरपूर इज्जत उतारकर दिव्या पाटिल का काफिला आगे बढ़ गया।
Hotel Taj Mahal Palace
एडा का सफर भी शुरू होने को था।शुरुआत करने के लिये उसने उस हॉस्पिटल को चुना।जहाँ सुबह के अखबार के मुताबिक सोनम थी।
(हेडलाइन्स :-मशहूर अमेरिकन रॉकस्टार सोनम शर्मा एक लाश के साथ पायी गईं।)
निकलना तो डोगा को भी था।
बस सूरज का रूप उसपर आज हावी हो रहा था।पता नहीं क्यों आज उसका दिल कर रहा था कि वो सोनम के सामने सूरज के रूप में जाये।हालांकि वो जानता था कि दिव्या पाटिल के घर में घुसना आसान नहीं है।
डोगा तो कही भी बेरोकटोक जा सकता है, पर सूरज नहीं।
आखिर इस अन्तर्द्वन्द में बाजी सूरज के हाथ लगी।
सूरज बेहद धीमे कदमों से आ पहुंचा था उस घर के हॉल में।यहाँ तक आने में उसे कितनी दिक्कत हुई,सिर्फ उसे ही पता है।गैरेज घर के पिछले हिस्से में था।जिसके कारण अब उसे पुरे घर को पार करना था।
ऊपरी कमरे की लाइट्स जल रही थी।शायद अब भी कोई जाग रहा था।
दबे पाँव वो आगे बढ़ता गया।जल्द ही उस हॉल के पिछले हिस्से में जाने के लिये बना दरवाजा उसे नजर आया।
"फैंटास्टिक"उसने मन ही मन सोचा।
ऊपर कमरे में बैठी दिव्या पाटिल की नजरें कंप्यूटर पर जमी हुई थी,जहाँ उसे सूरज ही नजर आ रहा था।
इस वक़्त सिर्फ नाईटी पहनी हुई थी उसने।
"बच्चा है।पर चलेगा।"वो बुदबुदाई।
इन बातों से अंजान सूरज आगे बढ़ता गया,हालाँकि उसका ध्यान हर तरफ था,पर वो नहीं जानता था कि कब हमला हो सकता है।
गैरेज की तरफ उसके कदम बढे ही थे की एकाएक सिर के पीछे हुए वार ने उसे चाँद तारे दिखा दिए।वो पलटा ही था कि एक वार सीधे नाक पर हुआ।कटाक की आवाज हुई और सूरज जमीन पर जा गिरा।गिरने से पहले उसने उस आकृति पर नजर डाली।वो कोई 9 फ़ीट से भी ऊँचा था(पता नहीं जानवर या इंसान)।उसका मुँह खुलने लगा बार बार।
दिव्या दौड़ती हुई बाहर आई।
"ये क्या किया तुमने?"गुस्सा उसके चेहरे पर चमक रहा था।"मैने तुम्हे कब कहा उसे मारने को।"
वो कोई 9 फ़ीट का आधा इंसान और आधा जानवर था।
गुर्रा कर उसने अपना गुस्सा दिखाया।
"अरे यार।"उसने अपना सिर पिट लिया।
तब तक उसके बाकि आदमी भी वहां पहुँच चुके थे।
"क्या हुआ?"उनके लीडर ने पूछा।
"होगा क्या।इस बेवकूफ के कारन ये पहलवान बिस्तर के बजाय यही ढेर हो गया।"गुस्सा अब भी उसके चेहरे पर चमक रहा था।"अब ले जाओ इसे और फेक दो कही।"हुक्म बजा कर वो चलती बनी।
कुछ दुरी पर एक सुनसान इलाके में एक स्विफ्ट कार रुकी और एक लाश बाहर आ गिरी।
कार आगे बढ़ गई।
2 मिनट बाद ही वहां से एक और कार गुजरी और सूरज का जिस्म उसकी रोशनी में नहा गया।कार के पहिये चीख उठे।
एडा थी वो,जो ड्राइव कर रही थी।
"सूरज?"वो तेजी से उसकी तरफ लपकी।
उसने सूरज का सिर अपनी गोद में रखा और उसके गालों को थपथपाने लगी।
सूरज का चेहरा खून से भीग गया था पूरी तरह।
"Hey..suraj...wake up.."उसकी इस थपथपाहट ने सूरज को जैसे सोते से जगाया।वो मुँह खोलकर लंबी लम्बी साँसे लेने लगा।
"माय गॉड।इसकी हालत तो बहुत ख़राब है।"एडा ने मन ही मन सोचा।"शायद इसे मुखश्वास देनी होगी।"
हालांकि इस बात के लिये उसका दिल भी नहीं मान रहा था,पर फिलहाल कोई रास्ता नहीं था।
वो नीचे झुकी।जैसे ही उसके होंठ सूरज के होंठो से टकराये,एक बिजली सी उसके शरीर में दौड़ गई।
वो वापस हट गई।
अपने गाउन को उसने पैरो के पास से फाड़ा और सिर पर बाँधने लगी।
"आई एम सॉरी सूरज।"वो बड़बड़ाती जा रही थी।"मुझे पता है कि इस वक़्त तुम्हे सांस देने की जरूरत है, पर कुछ नियम मै नहीं तोड़ सकती।"
पट्टी बाँधने के बाद वो उठी और सूरज को सिर से और पैरों से उठाने लगी।
एक आम लड़की होती तो कोई भी इस दृश्य को देखकर हंस देता।लेकिन एडा आम नहीं थी,वो खास थी।बेहद खास।उसकी ताकत की कोई थाह नहीं थी।न ही सहनशक्ति की।किसी वार को महसूस नहीं करती थी।भले ही वो जानलेवा हो।
उसने सूरज को उठाकर ड्राइविंग सीट के बगल में बैठाया और सीटबेल्ट बाँधा।अब वो उसे लेकर हॉस्पिटल की तरफ चल दी।
कमाल की बात थी कि 12 साल पहले भी वो इतनी ही परेशान थी।
Flashback
6 साल की एडा के लिये अब चुनौती थी अपने पैरेंट्स को घर तक पहुँचाना।रात के 3 बज चुके थे और अब भी उसे यकीन नहीं था कि अब उसे अकेले जिंदगी का सफर करना है और एमी को भी आगे बढ़ाना है।
अपने आंसू पोछकर वो अब सड़क पर आ चुकी थी।इस उम्मीद में कि कोई उसकी हेल्प कर सकेगा।
"Help.."वो हलक फाड़कर चीखी।"Is anybody there...please help me.."चीखती चिल्लाती वो पलटी ही थी कि एक कार तेजी से उसके पास से गुजरी और वो बाल बाल बची।"Heyy..you.. please help me.."काफी दूर तक वो उस कार के पीछे दौड़ी,पर उसे न रुकना था तो वो न रुका।
एक कार फिर नजर आई।उसने अपने आंसू पोंछे और सड़क के बीच जा खड़ी हुई कि किसी भी तरह रोकेगी कार को।
कार की गति में कोई कमी नहीं आई और एडा को कुचलने की जल्दी में उसकी गति बढ़ गई।आखिर एडा को ही रस्ते से हटना पड़ा।पर उसकी नजर ड्राईवर पर पड़ गई,जो उसके डैड की कंपनी"Queen's International"का पार्टनर था।
उसे देखते ही वो आश्चर्यचकित रह गई।"David uncle?"अचानक पीछे बजे हॉर्न ने उसका ध्यान भंग किया।लेकिन वो हट पाती, उसके पहले ही कार उससे जा टकराई।
एडा को कुछ नहीं हुआ,बल्कि कार उससे टकराकर कई चक्कर घूमती हुई बीच सड़क पर जा खड़ी हुई।
एडा जमीन पर जा बैठी।
कार में से एक लड़की उतरी और तेजी से एडा के करीब पहुंची।
"Heyy kid...you okay.?"लड़की ने पास आते ही पूछा।वो एक 19 साल की लड़की थी।नाम था नम्रता शर्मा।
एडा ने सिर उठाया।"Please help me.."उसके स्वर में रुदन था।
"Ofcourse I'll"नम्रता ने एडा के कंधे पर हाथ रखा।"What happened?"
Flashback over
हॉस्पिटल सामने था।एडा के विचारों को भी ब्रेक लग चूका था।
अंदर आते ही उसने डॉ.को आवाज लगानी शुरू कर दी।
इंस्पेक्टर अरमान,जो वही मौजूद था डॉ.खेर से पूछताछ के लिये,उसका भी ध्यान वहां गया।
"क्या हुआ है इसे?"पास आता वो बोला।
"इंस्पेक्टर, कुछ लोगों ने इस लड़के को बुरी तरह मारा और सडक पर फेक गए।"एडा जल्दी से बोली।"जल्दी कुछ कीजिये,ये लड़का सांस नहीं ले पा रहा।"
इंस्पेक्टर की नजर डॉ.खेर की तरफ गई।
"ये मेरा केस नहीं है।"डॉ.हड़बड़ाकर बोला।
"ये इंसानियत का केस है डॉ.।"इंस्पेक्टर ने मजबूत आवाज में कहा।
डॉ.के अंदर का इंसान जाग ही गया।
"ओके।लेकिन खून की जरूरत पड़ेगी।और ब्लड बैंक भी बन्द हो गया होगा अब तो।"डॉ.उसे ऑपरेशन थिएटर में ले जाता बोला।
"आप मेरा खून ले लीजिए।"अरमान बोला।
"ठीक है।जल्दी अंदर आओ।"डॉ.उसे अंदर ले गया और दरवाजा बन्द हो गया।पीछे कोई रह गया,तो सिर्फ,एडा।
शाम हो चुकी थी,जब सूरज की नींद खुली।पास में ही मोनिका नजर आई,जो सामने कुर्सी पर बैठी थी।उसकी आँखें बन्द थी।नाक में सूरज को दर्द महसूस हुआ,पर उफ़्फ़ करना उसकी आदत नहीं थी।
वो बैठ गया।उतरने ही वाला था कि दरवाजा खुला और अदरक चाचा अंदर आये।
"गुड मॉर्निंग चाचा।"सूरज ने पैर छूने चाहे,तो चाचा बोले
"अरे,बैठो बेटे।अभी तुम्हे आराम की जरूरत है और ये सुबह के नहीं शाम के 6 बज रहे है।"
अब तक मोनिका की नींद भी खुल चुकी थी।
"अब कैसे हो सूरज?"वो उसके पास बिस्तर पर आ बैठी।
"ठीक हूँ मोनिका।"सूरज ने छोटा सा जवाब दिया।"आप लोग कब आये?"
"हमे तो इंस्पेक्टर साहब ने तुम्हारे यहाँ होने की खबर दी।"अदरक चाचा बोले।
इंस्पेक्टर अरमान अंदर आया।
"हेलो सूरज,कैसे हो?"उसने हाथ बढ़ाया।
सूरज ने हाथ मिलाया।"ठीक हूँ।वैसे मै आपको कहाँ मिला?"
"मुझे नहीं मिले।एक अमेरिकन लड़की तुम्हे यहाँ लायी थी।नाम तो नहीं बताया अपना।हां,तुम्हारे चाचा और लॉयन जिम के बारे में बता गई।"सभी की इशारा करता वो बोला।"रात के 2 बजे लाइ थी तुम्हे,7 बजे गई तो मैने इन्हें बुला लिया।"
"थैंक यू इंस्पेक्टर।"चीता ने हाथ मिलाया।"सूरज से हम थोड़ी देर बात करना चाहेंगे।"
"ओके"अरमान बाहर निकल गया।
पीछे सूरज ने उन्हें बताया कि दिव्या पाटिल के यहाँ क्या हुआ।और साथ ही अब वो तैयार था उस 9 फ़ीट ऊँचे जानवर से भिड़ने को।
दिव्या पाटिल
वापस लौटने का वक़्त हो चला था।पुणे।
"कुछ पता चला कौन था वो लड़का।"दिव्या ने रात वाले गुंडों के लीडर रोबिन से पूछा।
"जी नहीं मैम।हां,एक अमेरिकन लड़की ने उसे हॉस्पिटल में भर्ती करवाया था कल रात।"अदब उसकी आवाज में झलक रहा था।
"मेरी समझ में नहीं आ रहा कि वो लड़का सीधे गैरेज की तरफ क्यों बढ़ रहा था?कही उसे उस रॉकस्टार के बारे में पता तो नहीं चल गया।और कल रात वाली उस अमेरिकन लड़की का उससे कोई सम्बन्ध तो नहीं।"फिर उसने रोबिन की तरफ देखा।"इस बारे में पता करो।"
"ओके मैम।"वो सिर नवाकर बोला।"मै सोच रहा था कि लड़की को कुछ देर के लिये गोआ भेज दूँ।"
"सोच मत,कर।"दिव्या ने उसे जाने का इशारा किया।
"वैसे शायद अक्की बाबा को भी इतनी बड़ी गलती नहीं करनी चाहिये थी मैम।"रोबिन ने मुँह खोला ही था कि दिव्या ने उसे घूरकर देखा।वो पलटकर चला गया।
रात का अँधेरा अब फैल चूका था।वक़्त था डोगा के बाहर निकलने का।अब सूरज भी तैयार हो चूका था उस 9 फ़ीट ऊँचे जानवर और इंसान से भिड़ने।
दूसरी तरफ एडा सुबह से अपने कमरे के बाथरूम में बन्द थी।बार बार वो अपने होंठो और मुँह को धो रही थी।क्योंकि सिर्फ एक सेकण्ड के लिये उसके होंठ सूरज के होंठो से टकरा गए थे।
"ये हुआ क्यों?मै वो नहीं,जो बाकि लोग है।मेरा दिल आज काबू में नहीं आ रहा।पता नहीं क्या हो गया है मुझे।कहीं मै पागल न हो जाऊँ।"आज पहली दफा उसकी धड़कने सीमा से बाहर थी।एक अजीब सा दर्द,जो उसने पहले कभी महसूस नहीं किया था।"मै अब और यहाँ नहीं रह सकती।या तो मै मर जाउंगी या पागल हो जाउंगी।क्यों किया मैने?"
उसने सामान पैक करना शुरू किया।
आज डोगा भी बाहर था।और उसकी साँसे कंट्रोल में भी थी।अगर कोई आज शहीद होने वाला था तो सिर्फ वो 9 फ़ीट लंबा जायंट मॉन्स्टर।
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