Sunday 18 September 2016

COP presents

सूरज और सोनू
(Part 1)

लेखक - राम चौहान

New jersey

"एक छोटी सी बच्ची, जिसकी उम्र 6 साल के आसपास होगी।उसे उसके ही घर से उठा लिया गया और रखा गया पहाड़ी इलाके से भरे हुए कैदखानो में।
डाकू हलकान सिंह था वो,जो ये ज्यादती उस बच्ची के साथ कर रहा था।सिर्फ उसी के साथ नहीं,एक 7,8 साल का लड़का भी तो था वहां, जिसे वो किसी कुत्ते की तरह समझ रहा था।
"अबे कुत्ते, जा पानी लेकर आ।"डाकू हलकान सिंह ने ठहाका लगाया।साथ ही उसके साथी भी हंस पड़े।
उस बच्ची को समझ नहीं आ रहा था कि उसकी खुद की हालत ज्यादा ख़राब है या उस लड़के की।
खैर,रात का अँधेरे ने काले लिबास को पूरी तरह ओढ़ लिया था।इतनी अच्छी तरह कि हाथ को हाथ सुझाई नहीं दे रहा था।
अचानक ही उस बच्ची को किसी की आहट सुनाई दी।शायद कोई आ रहा था।वो अपने आन्सू पोछती चुपचाप लेट गई।
"सोनू,सोनू,उठो सोनू,ये मै हूँ।"
ये आवाज तो उसने सुनी थी शायद।उस गुमसुम लड़के की।जिसे बोलते अब तक उसने नहीं देखा था।पर महसूस कर सकती थी उसकी आवाज।जो वो आँखों की भाषा से कहता था।
वो बच्ची उठ बैठी।"चलो,मै तुम्हे यहाँ से निकालने आया हूँ।"उसे आजाद करता वो बोला।
"लेकिन क्यों?"बच्ची का सवाल था।
वो लड़का क्या कहता,चुप ही रह गया।कुछ ही देर में वो दोनों बाहर थे।
"तुम्हारा नाम क्या है?"बच्ची का मासूमियत भरा सवाल था।
"मेरा नाम..."कुछ लफ्ज अधूरे ही छूट गए।नाम की अहमियत अब समझ आने लगी थी।
"कुछ भी रहा हो,अबसे मै तुम्हे सूरज ही बुलाऊंगी।"
"सूरज?"
"हां,क्योंकि तुम ही मेरी जिंदगी में रोशनी लेकर आये हो।"
खुद का एक नाम हो,इससे बड़ी ख़ुशी दुनिया में क्या होगी।अब उस लड़के का भी नाम था।
अब तक वो काफी दूर आ गए थे।शायद ज्यादा दूर भी नहीं।
पीछे से बहुत से लोगों के आने की आवाज सुनाई देने लगी।शायद उन्हें पता चल गया था कि सोनू अब उनकी कैद से बाहर है।"ये सब उस कुत्ते का किया है।"हलकान की आवाज सुनाई दी।"वो रहे दोनों।खत्म कर दो दोनों को।"वो चिंघाड़ा।
पास ही मौजूद थी सिर्फ एक नदी।"सोनू,"कहते ही सूरज ने उसका हाथ पकड़ा और कूद पड़ा नदी में।
नदी के बहाव को भांप सके इतना भी बड़ा नहीं हुआ था वो।बहाव ने दोनों को ही एक झटके में अलग कर दिया।
बच्ची,जो शायद उस वक़्त तैरना भी नहीं जानती थी।
"सूरज,...सूरज...सुर...ज..."।शायद वो डूब चुकी थी।"
"सूरज..."नींद से उठ बैठी थी वो लड़की।चेहरे और जिस्म पसीने से तर हुआ पड़ा था।लंबी लंबी साँसे चलने लगी थी अब उसकी।
खटाक... की आवाज के साथ दरवाजा खुला और सामने एक और महिला नजर आई।
"क्या हुआ सोनू?तुम ठीक हो न?"चिंतित लगी वो महिला।आते ही उसने सबसे पहले उस लड़की के माथे पर हाथ रखा और फिर अपने कपडों से उसका पसीना पोछने लगी।
"ठीक?वही तो नहीं हूँ।"बड़बड़ा उठी वो लड़की।जिसे आसानी से सुना उस महिला ने।
"डोंट वरी.."प्यार से हाथ फेरा उस महिला ने उस लड़की के सिर पर।"जिस तरह तुम हर पल सूरज को याद करती हो।मुझे यकीन है, वो भी तुम्हे याद करता होगा।"
लड़की की आँखों में आंसू आ गए।
"अरे,रोओ मत।चलो,चलो तैयार हो जाओ।तुम्हारा अगला शो मुम्बई में है न।चलो।"महिला ने लड़की के गालों पर मीठा सा चुम्बन अंकित किया और बाहर चल दी।
(लड़की:- नाम सोनम शर्मा उर्फ़ सोनू,22 वर्षीय एक अमेरिकन रॉकस्टार है, सूरज नाम के अपने प्यार का सपना उसने हर रात देखा है, और उसे पाने का ख्वाब भी उसमे शामिल है।)
(महिला:- नाम नम्रता शर्मा,सोनम की भाभी।32 वर्षीय एक ऐसी एडवोकेट, जिसके नाम का डंका बजता है हर कोर्ट में।एडा रौश(रिवील मस्ट डाई)इसकी इतनी इज्जत करती है कि इसके लिये अपनी जान भी हाजिर कर दे।बस इसने कभी मांगी नहीं।)
सोनम अब तक तैयार होकर आ चुकी थी।नम्रता ने अब तक सूरज के बारे में कोई बात नहीं की थी।क्योंकि उसे पता था की सोनम फिर सब कुछ भूल जाने वाली थी।उसके बारे में वो घंटों बाते कर सकती थी।दोनों चुपचाप नाश्ता करने लगी।
कुछ देर बाद वो सोनम को विदा कर रही थी।
"भाभी,मेरा 3 दिन का शो है।मै जल्द ही लौट आऊँगी।"
"अपना ख्याल रखना।"नम्रता ने उसे प्यार भरी थपकी दी और गले मिलने के बाद दोनों विदा हो गए अपने अपने कामों पर।
7 दिन बाद
मुम्बई
11:30 pm
सूरज और मोनिका घर लौट रहे है सुनसान सड़क से।
"आज मैने जितनी शॉपिंग की है।"मोनिका बोल रही थी,और सुनने वाला,सिर्फ सूरज ही तो था।"शायद इतनी ही और करनी पड़ेगी।"
"हे भगवान!"सूरज के मुँह से निकला।"अब भी शॉपिंग करनी बची है?"
"हां तो,मै कोन सी सिर्फ अपने लिये ही कर रही हूँ।तुम्हारे लिये भी ड्रेस मैने ही सेलेक्ट की हैं।"अब समझ आया कि गलत पंगा लिया उसने।"वैसे भी सिर्फ 2 ही हफ्ते बचे है शादी के।तुम्हे क्या है?सिर्फ शेव करके आ जाओगे।लेकिन मुझे तो तैयार होना पड़ेगा न।और अब तुम्हे भी तैयार करने का जिम्मा मुझपर आ गया है।"
"जरूरत नहीं उसकी।मै तैयार हो जाऊंगा।"
अचानक ही सामने से एक ट्रक लहराता हुआ आया और सूरज ने बड़ी मुश्किल से खुद को और मोनिका को बचाया।फिर भी बाइक गिर ही गई।
"आउच.."शायद मोनिका को चोट लगी थी।
"तुम ठीक हो।"तुरंत उठा सूरज।
उसने गुस्से में पलटकर ट्रक की तरफ देखा तो जा टकराया था वो पेड़ से।और अब आग पकड़ने लगा था ट्रक।
तेजी से भागकर पहुंचा वो ट्रक के पास।
"पता नहीं कौन बेवड़ा चला रहा है।"बड़बड़ाते हुए उसने दरवाजा खोला।
अंदर देखते ही उसके होश उड़ गए।
"सोनम शर्मा,अमेरिकन रॉकस्टार।"सूरज के मुँह से निकला।
"सूरज...सु..र.."वो अब भी बड़बड़ा रही थी।
"क्या?"सूरज के मुँह से निकला।
उसने सोनम को थामा और खींचकर बाहर निकाला।
अब तक मोनिका करीब आ चुकी थी।
"सोनम शर्मा!"उसके मुँह से निकला।
"हां,और पूरी तरह नशे में है।"सूरज बोला।"शायद इसे ड्रग दिया गया है।"
"या इसने खुद लिये हों।"मोनिका बोली।
सूरज ने आश्चर्य से उसकी तरफ देखा।
तभी एक पेट्रोलिंग पुलिस वैन वहां पहुंची और कुछ वर्दीधारी उसमे से उतर कर सूरज के सामने आ खड़े हुए।
"क्या हुआ है यहाँ?"वो लोग पुलिस कम गुंडे ज्यादा लग रहे थे।आवाज तो पूरी तरह टपोरी होने का बखान कर रही थी।
सूरज ने सविस्तार सब बयान किया।
"ठीक है लड़के तेरा काम ख़त्म।अब निकल यहाँ से।"एक काला सा बॉडीबिल्डर बोला।
"अब आप क्या करेंगे?"सूरज शंकित स्वर में बोला।
सुनकर सभी ने आपस में इशारा किया,जिसे मोनिका ने देख लिया।
"लेकर जायेंगे हॉस्पिटल।"वही वर्दीधारी फिर बोला।
"मै साथ चलता हूँ।"सूरज बोला।
"जरूरत नई ए रे।"एक नया बन्दा बोला।"तूने वेसीच बहोत मेहनत कर ली ऐ।एक अच्छे नागरिक टेप।समझा।अब निकल।"
थोडी देर में वो जा चुके थे।
तब
सूरज ने बजाई अपनी अल्ट्रासोनिक सीटी और सामने आ खड़ी हुई कुत्ता फौज,उसके कपडों और हथियारों के साथ।
"भौ भौ..(मेरे मित्रों, मोनिका को घर तक छोड़ आओ।)"
"मोनिका,मेरे दोस्तों के साथ घर तक चली जाओ।"डोगा ने पलटकर नहीं देखा।
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एडा चुपचाप बैठी अपनी छोटी बहन को निहार रही थी।जो इस वक़्त सोई हुई थी।फिलहाल ऐडा कोई खूंखार एजेंट न होकर एक बड़ी बहन थी।जो अपनी छोटी बहन से बेहद प्यार करती है।कितना?बता पाना मुश्किल है।
(एमी रॉश:-16 साल की एक हाइस्कूल गर्ल।पढ़ने में अच्छी।और एडा की तरह बेहद खास।फर्क बस इतना कि उसे अब तक नहीं पता था कि वो कितनी खास है।)
अचानक उसने करवट बदली तो उसकी आँख खुल गई।महसूस हुआ जैसे कोई उसे देख रहा था।पर कोई भी न था कमरे में।
वो साइड में लगे रूम की तरफ बढ़ी।जहाँ एडा नजर आई।एक बॉक्सिंग बैग पर गुस्सा निकल रहा था।
"गुड मॉर्निंग सिस.."उनींदी ही बोली एमी।
"मॉर्निंग..एमी।"वो वहाँ से हटी।
दोनों करीब आई और एडा ने उसके गालों पर किस किया।फिर सिर पर हाथ फेरा।"ओके माय गर्ल,गेट रेडी फॉर स्कूल।"
9:30 ए एम
एडा अपने ऑफिस में मौजूद थी।साथ ही तक्षिका और निशा भी थी।
"ओके"तक्षिका बोली।"अभी एंड्राइड की प्रोग्रेस छोड़कर नए गैजेट पर काम शुरू करना है तुम्हे।"
"एंड्राइड का काम अब श्वेता के आने के बाद ही आगे बढ़ेगा।"एडा के चेहरे पर दृढ़ निश्चय के भाव थे।"तब तक हम हम "टाइम डाईमेंशन"पर काम करेंगे।एन देट्स फाइनल।"
बहस का तो सवाल ही नहीं उठता था।
अचानक एडा के फोन पर सिग्नल आया।जिसे उसने रिसीव किया।
एक होलोग्राम सामने आया।टीवी पर आते प्रोग्राम की तरह नम्रता सामने नजर आई।
"एडा,हेल्लो।तुम हमेशा चाहती थी न,कि कभी तुम मेरे काम आओ।शायद तुम आ सकती हो।मुझसे मिलो।"
एडा की ख़ुशी का ठिकाना न था।"फाइनली"उसके मुँह से निकला।
मुम्बई
डोगा भी कम न था।उन वर्दीधारियों की भाषा ने ही उसके दिमाग में शक का बीज बो दिया था।अब डोगा उन्हें उखाड़ने वाला था।
वैन का पीछा करते डोगा के कदम ठिठके।
"ये तो पुलिस चौकी ही आये हैं।कमाल है पुलिस में गुंडों की तरह बात करने वाले भी हैं क्या?"वो मन ही मन सोच उठा।थोड़ी देर में वैन फिर निकली सोनम को लेकर और वो गुंडों जैसे दिखने वाले पुलिसकर्मी उसे हॉस्पिटल छोड़कर लौट गए।तबतक डोगा उनके पीछे ही रहा।
आखिर वो अपने काम पर और सुबह जिम लौट गया।
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एडा सामने मौजूद थी,जब नम्रता ने बोलना शुरू किया।
"तुम सोनम को अच्छी तरह जानती हो।7 दिन पहले उसका शो था मुम्बई में।3 दिन पहले उसे लौट भी आना था।पर वो नहीं लौटी।"वो एडा की तरफ बढ़ी।
"तुम्हे उसे ढूँढना है और अगर वो किसी मुसीबत में है तो लीगली उसे यहाँ लाना है।"लीगली शब्द पर जोर दिया नम्रता ने।
"लीगली?"एडा ने पूछा।
"हां,लीगली।"नम्रता ने उसकी आँखों में देखा।
"ओके।"एडा ठंडी सांस छोड़ती बोली।"डन?"
"नॉट येट।तुम इस दौरान कोई क़त्ल नहीं करोगी।न ही मुझे ये सुनना पड़े कि तुमने कोई कानून तोडा है।तुम यहाँ से कोई गैजेट नहीं ले जाओगी।न ही कोई प्लेन।"नम्रता की लिस्ट खत्म हुई आखिर।
एडा लापरवाही से हंसी।
"मुझे पता था तुम नहीं मानोगी।"नम्रता बोली।
"लेकिन मैने तो कुछ कहा ही नहीं।"एडा सकपकाई।
"तो इस लापरवाही का क्या मतलब?"नम्रता ने आँखे सिकोड़ी।
"इसका मतलब,आप जानती है, मुझे कोई गैजेट ले जाने की जरूरत नहीं।मै खुद गैजेट बन चुकी हूँ।कोई कत्ल न हो,इसकी मै पूरी कोशिश करुँगी।"एडा बोली।
"कोशिश?"नम्रता ने टोका।
"कानून न टूटे,ऐसा हो नहीं सकता।"एडा बोलती रही।"और पैदल चलने की आदत मुझे है नहीं।"आखिर रुकी।
"मैं समझ गई।तुम नहीं करना चाहती!"उसके मुँह पर तमाचे के समान पड़े नम्रता के ये शब्द।
"आप ऐसा क्यों बोल रही हैं।आप जानती है कि आपकी मै उतनी ही इज्जत करती हूँ, जितनी अपने माँ पिता की।आपकी बदौलत मै आज जी रही हूँ।आपको मना कर दूँ, इतना भी घमण्ड नहीं मुझे खुदपर।"एडा के शब्दों में भावनाएं झलक उठी।
"जाओगी मुम्बई?"नम्रता ने हल्के लेकिन मजबूत शब्दों में पूछा।
"मना करने का सवाल ही नहीं उठता।"एडा ने मजबूत शब्दों में कहा।"पैदल भी जाना पड़ा तो जाऊँगी।"
"ये रहीं टिकट।"नम्रता ने उसकी हथेली पर टिकट रखीं।"आज रात 11 बजे की फ्लाइट है।"
एडा ने सहमति में सिर हिलाया और चल दी।
ठिठकी।पलटी।
"एक बात मेरी भी सुन लीजिये मैम।कोई कत्ल नहीं करुँगी,लेकिन सिर्फ तब तक,जब तक पहल सामने से नहीं होगी या मुझे जरूरत महसूस नहीं होगी।"
एडा फिर नहीं पलटी।
मुम्बई
सूरज तैयार होकर मोनिका के आने का इंतजार कर रहा था,जब अदरक चाचा करीब आये।
सूरज ने उठकर पाँव छुए।
"मोनिका का इंतजार हो रहा है?"अदरक चाचा बोले।
"हां,चाचा,अभी उसकी और शौपिंग बची है।"दोनों साथ में बैठे।
अचानक सूरज की नजर अखबार पर पड़ी और वो चौंका।
झपटकर उसने अखबार उठाया।
Headlines.
"मशहूर अमेरिकन रॉकस्टार सोनम शर्मा एक लाश के साथ पायी गईं।"
उसने जल्दी से पूरी खबर पढ़ी,जिसके मुताबिक जिस ट्रक में सूरज ने उसे पाया था,उसमे एक लाश भी थी।जो एक ड्रग डीलर की थी।सोनम पूरी तरह नशे में पायी गई थी।
सुरज उठा।
"माफ़ कीजियेगा चाचा।मुझे कही जाना है।मोनिका को मेरी तरफ से सॉरी बोल देना।"हवा की तरह सूरज वहाँ से निकला।
प्लेन हवा में था और एडा को काफी वक़्त बाद ऐसा मौका मिला,जब वो आराम से बैठी सफर कर रहि थी।आँखे मुंदी और वक़्त पीछे लौट गया।लगता था जेसे कल की ही बात हो।
फ्लैशबैक
6 साल की एडा का जन्मदिन था उस दिन।वो तैयार थी अपनी माँ और 4 साल की बहन एमी के साथ।
"मॉम, कितना वक़्त हो गया?पा कब आयेंगे?उन्होंने कहा है कि हम पिकनिक पर जा रहे हैं।"एडा के सब्र का बाँध टूट रहा था।"अगर वो इतना ही लेट होने वाले हैं तो मुझे नहीं जाना किसी पिकनिक पे।"
बेहद धीरे से दरवाजा खोलकर भीतर दाखिल हुए एडा के पापा।फिर भी एडा ने उस आहट को सुन लिया।उसे समझते देर न लगी कि पापा आ गए हैं।वो मुँह बनाकर बैठ गई।
एडवर्ड ने अपनी वाइफ जुली की तरफ देखा।
(एडवर्ड रॉश:-32 वर्षीय एक succesful बिजनेसमैन,Queens international के एमडी।)
(जूलिया रॉश:-ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं।ये जूलिया रॉबर्ट की ही तरह दिखने वाली महिला थी, जो फिलहाल सीआईए की चीफ है।फर्क इतना था कि असल में ऐसा कुछ नहीं था।लेकिन एडा को हमेशा लगता है कि जुली मैम ही उसकी माँ है।)
जुली मुस्कुरा दी।उसने इशारे से कहा"अब तुम्ही मनाओ।"
"हेलो बर्थडे गर्ल!"एडवर्ड चुपचाप से पीछे गया और एडा को गोद में उठा लिया।
"I hate you pa..you've been told me..that you're coming in a half hour.. n you're 3 hours late.."एडा बोलते वक़्त खुद को छुड़ाने की कोशिश में लगी रही।पर एडवर्ड ने उसे छोड़ा नही।
"ओके,सॉरी?"एडवर्ड ने कान पकड़े।एडा ने उसके हाथ पकड़े।"पा?डोंट डु इट!"
"ओके ओके।नाउ मूव।वी आर गोइंग टू पिकनिक।"एडवर्ड ने उसे गोद से उतारा।
थोड़ी ही देर बाद वो एक सुनसान से जंगलों में घूम रहे थे।
"एडी, हमे इस जंगल में आने की क्या जरूरत थी?"जुली थी पूछने वाली।
"ये जगह एडा की फेवरेट है जुली।और आज मै उसे सबसे खुश देखना चाहता हूँ।"एडवर्ड बोला।
एडा उस जगह को देखकर इतनी खुश थी।कि बीना पीछे मुड़े दौड़ती चली गई।
"I love you paa..you are great.."बांहे फैलाकर दौड़ती चली गई एडा।
अचानक चली गोलियों की आवाज ने उसे ठिठकने पर मजबूर कर दिया।वो हांफती सी पलटी।एक आदमी उसकी माँ को पकड़कर खड़ा था।उसके हाथ में गन थी,जिसकि नाल उसके पिता की तरफ थी।शायद उसने हवा में फायर किया था।ऐडा की जान में जान आई।
"देखो मि. मेरी तुमसे कोई दुश्मनी नहीं।मेरे पीछे सीआईए है।यहाँ से निकलने में मेरी मदद करो वरना अंजाम क्या होगा तुम्हे पता है?"चेहरे पर दरिंदगी नजर आ रही थी उसके।
तभी एक फायर हुआ और सीआईए की एजेंट कैरोलिन सामने आई।(कैरोलिन से आप परिचित हो चुके है"रिवील मस्ट डाई"सीरीज में,वो उस वक़्त 19 साल की युवा एजेंट थी।)फायर सीधे उसके कंधे पर हुआ था।जुली उस आदमी की पकड़ से छूटते ही भागी।उस आदमी ने सीधे जुली पर ही गोली चलाई।अपनी असफलता से आहत जो हो गया था वो।गोली निकली,पर रास्ते में दूसरी गोली से टकराकर दिशा बदल गई।दूसरी गोली कैरॉल की चलाई हुई थी।अचानक सीआईए एजेंट्स की बाढ़ आई और उस अपराधी को भागना पड़ा।
अब सब नॉर्मल था।धीरे धीरे सभी नॉर्मल हुए।रात ढलने लगी थी।लौटने का वक़्त हो गया था।अभी वो जाने की तैयारी में थे कि एक आदमी उनके सामने आ खड़ा हुआ।उसके हाथ में गन चमक उठी।बिना कुछ कहे उसने गोली दाग दी।जो एडवर्ड को जा लगी।
"पा.."एडा चीखी।
"नहीं.."जुली भी चीखी।अगली गोली जुली को मार दी उस आदमी ने।एडा पूरी तरह पागल हो गई।बेतहाशा दौड़ती हुई गई।और उसके पाँव पर ही मुक्के मारने शुरू कर दिये उसने।क्योंकि वो पाँव तक ही पहुँच पाई।उस आदमी की एक ठोकर ने उसे गिरा दिया और हंसता हुआ वो वहां से चल दिया।एडा वापस अपनी माँ के पास पहुंची।
"Eda,be brave...my..girl.. now.. you have.. to fight.. the...world"एक एक शब्द बड़ी मुश्किल से कहा उसने।"You have to take care of your sister n yourself.. be brave..you.. are..the... strongest... girl.. I .ever... met...you... have... to.. do.. it.."उसके बोलने के दौरान एडा सिर्फ ना में सिर हिला रही थी।
"No..mumma..I can't.. don't leave me...mumma...I can't... you can't leave me alone... I love you mumma...please.
.."वो रोती ही रही।जुली एडा को छोड़कर जा चुकी थी।साथ ही एमी की जिम्मेदारी भी उसपर छोड़ चुकी थी।
फ्लैशबैक ख़त्म
अचानक हुई आवाज ने उसके विचारों पर ब्रेक लगाया।
मुम्बई पहुँच चुकी थी वो।
मुम्बई
डोगा अपनी लैब डोगालिसिस विंग पहुंचा।
पिछलि रात हुए हादसे वाले ट्रक का नम्बर उसने अखबार में देखा था।बस अब पता करना था कि कौन है इसका मालिक?
चीता अंदर आया।दोनों की नजरें मिली,डोगा अपने काम पर लग गया।
"अदरक चाचा ने बताया तुम किसी खास काम से जा रहे हो।तो मुझे लगा ही कि यहाँ मिल सकते हो।"चीता पास बैठता बोला।"वैसे मोनिका तुम्हे ढूंढ रही है।"
"सूरज को इन चीज़ों से फर्क पड़ता है, डोगा को नहीं।"उसने एक नजर चीता को देखा।और एड्रेस निकालकर बाहर चला गया।
अगला भाग

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