Thursday 17 March 2016


Story concept &artwork - Narendra Kothari
Story writer - Ram Chauhan
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राजनगर
कमांडो हैड क्वार्टर
रेनू एक कमरे के अंदर बैठे चुपचाप रो रही है।एकाएक ही करीम औऱ पीटर आ पहुंचे।रेनू को मौका ही नहीं मिला कि वो अपने आंसू पोछ सके, जाहिर है वो दोनों की नजर मे आ ही गई।दोनों लपककर उसके करीब पहुंचे।
"क्या हुआ रेनू?रो क्यों रही हो?"दोनों के मुँह से साथ निकला।
"कुछ नहीं, वो आंख मे कचरा चला गया था।"रेनू अपनी आंखें पोछती बोली।
"कमाल है,मुझे तो कचरे नाम की कोई चीज नजर नहीं आ रही.।"पीटर बोला।
"मतलब ये झूठ बोल रही है।क्यों रेनू,झुठ क्यों बोल रहीहो?"करीम बोला।
"मैं बताता हूँ।"आने वाली आवाज ध्रुव की थी जो दरवाजे पर खडा काफी देर से उन तीनो की बातें सुन रहा था।
"कैप्टन!"तीनों के मुँह से एक साथ निकला।
"क्योंकि, आज रेनू के भाई का जन्मदिन है।"ध्रुव अब तक करीब आ चुका था।"औऱ वो उसे मिस कर रही है।है न?"
रेनू की आँखों में आंसू आ गए।वो कुछ नहीं बोल पायी।ध्रुव उसके सिर पर हाथ फेरकर बाहर चल दिया।
रात के 12 बज रहे थे,जबकि एक गोडाउन के बाहर बड़ी सी वैन आकर रुकी।कुछ लोग तेजी से उतरे और गोडाउन खोलकर गाड़ी में रखा समान उसमे रखने लगे।
एकाएक एक के कंधे पर जोरदार हाथ पड़ा।वो चौककर पलटा तो पाया पीछे खड़ा बन्दा ध्रुव था।
"ओह्ह,ध्रुव तुम हो?मुझे लगा कोई लुटेरे न हो।"उसकी जान में जान आई।
"वो तो ठीक है, लेकिन तुम लोग कौन हो और इस गाड़ी का समान इतनी जल्दी में क्यों खाली कर रहे हो?"ध्रुव को उसका व्यवहार कुछ अटपटा लगा।
"हम लोग चालक है और कल तक हमे दिल्ली भी पहुंचना है।इसलिए जल्दी में हैं।"वो बेपरवाह सा जवाब देकर काम में लग गया।
"वेसे इसमें है क्या?"ध्रुव गोदाम के अंदर जा घुसा।
"अनाज"एक ने दो टूक जवाब दिया।
ध्रुव ने एक बोरी को थोड़ा खोला तो दाल बाहर आ गिरी।
"उफ़्फ़, माफ़ करना।मै चैक कर रहा था।"ध्रुव बोल पड़ा।
"कोई बात नहीं,हम उसे उठा लेंगे।"एक आदमी उसे उठाने लग़ा।
ध्रुव बाहर निकल गया।
ध्रुव एक चक्कर लगा कर वापस लौट रहा था कि अचानक उसे कुछ दुरी पर गोलियां चलने की आवाज सुनाई दी।
तेजी से ध्रुव ने उस ओर बाइक दौड़ा दी।
ये जंग उन गाड़ी खाली कर रहे लोगों के बीच,जो असल में रोबो के आदमी थे और उस गोदाम में अनाज के साथ हथियार रख रहे थे,और एक नई गैंग के बीच हो रही थी।रोबो गैंग के लोग कम होने के बावजूद भी अच्छी टक्कर दे रहे थे।पर जीतना तो न्यू गैंग को ही था।शायद वो बहुत अच्छे लड़ाके थे।अंत में रोबो आर्मी का कोई मेंबर नहीं बचा तो वो लोग लौटने लगे।अचानक रोबो आर्मी का एक मेंबर उठा और पीछे से न्यू गैंग के एक मेंबर को गोली मारने ही वाला था कि अचानक एक क्रॉस उसकी गर्दन में आ घुसा।
सब उस तरफ मुड़े।वहां एक आदमी खड़ा था जिसका दायाँ हाथ नहीं था।उसकी जगह एक क्रॉस निकला हुआ था।उसने ओवरकोट पहना हुआ था और सिर पर गोल टोपी पहन रखी थी।
"शायद तुमने अपनी माँ का दूध नहीं पिया था वर्ना वार आगे से करते।"वो न्यू गैंग की तरफ मुड़ा।"ये चेतावनी तुम्हारे लिए भी है, अपने दुश्मन को कभी कमजोर मत समझो।"
वो वापस कार में बैठा ही था कि एकाएक सामने ध्रुव नजर आ गया।उसने बाइक ठीक उसकी कार के सामने जा रोकी।
"तुम जो भी हो,खुद को सरेंडर करो।"ध्रुव बाइक से उतरता बोला।
न्यू गैंग आगे बढ़ी ही थी कि ओवरकोट वाले उस शख्स ने उन्हें जाने का इशारा किया।मन मारकर उन्हें जाना पड़ा।
ओवरकोट वाले ने अपने ड्राईवर को चलने का इशारा किया।कार तेजी से ध्रुव की बाइक को कुचलती आगे बढ़ गई।ध्रुव ने जम्प मारकर कार की छत पकड़ ली।ड्राईवर काफी कुशल था।उसने काफी कोशिश की ध्रुव को गिराने की।पर ध्रुव भी कम नहीं था।आखिरकार क्रॉस(ओवरकोट वाला)ने कार के ऊपर हाथ निकालकर ध्रुव को पकड़ लिया और एक झटके से उसे नीचे फेंक दिया।ध्रुव अपनी आँखों के सामने उसे ओझल होता देखता रह गया।
Delhi.
City asylum.
शिखा अपनी फ्रेंड मृणालिनी के साथ घर के लिये निकल रही थी।
"इस नए पेशेंट ने तो दिमाग ख़राब कर दिया आज।"दोनों वही रुककर भारत का इंतज़ार करने लगे।"अच्छा मिली,तुम बताओ।आज का दिन कैसा रहा तुम्हारा?"
अंदर जहां वो नया पेशेंट मौजूद था।
"ये लो,खाना खा लो।"एक कर्मचारी उसे देता बोला।"5 स्टार होटल से आया है।"
(वो नया पेशेंट कोई और नहीं,बल्कि विदूषक था)
विदूषक ने चुपचाप थाली उठा ली।उसने खाने में हाथ डाला ही था कि अचानक उसके हाथ में एक चिप आ गई।उसे कुछ समझ में नहीं आया।वापस हाथ डाला तो एक छोटा सा मोबाईल भी बरामद हुआ।उसने चिप को मोबाईल में डाला।
चिप में सिर्फ एक ही वीडियो था।उसे प्ले किया।
"एक गोल हैट वाला और ओवरकोट पहने एक आदमी चलता हुआ सामने रखी चेयर पर बैठ गया।
"हेल्लो विदूषक,मेरा नाम क्रॉस है।मै तुम्हारी मदद करना चाहता हूँ।इस पागलखाने से निकलने में।बदले में तुम्हे मेरी मदद करनी होगी।रोबो और ध्रुव को ख़त्म करने में।अगर सौदा मंजूर हो।तो वहां से निकलकर राजनगर पहुँचो।तुम्हारे सारे हथियार इसी खाने में मौजूद हैं।मेरा आदमी तुम्हे राजनगर में पिक करके मुझ तक पंहुचा देगा।"
वीडियो ख़तम हुआ तो विदूषक भी निकलने को तैयार हो गया था।
अब तक भारत वहां आ पहुंचा था।
"क्या भैया,हम दोनों कब से आपका इंतजार कर रहे थे।"शिखा ने मुँह बनाया।
"सॉरी शिखा,काम में फंस गया था।"भारत ने कान पकडे।
"अरे भैया,कान मत पकड़ो।सब क्या सोचेंगे?"शिखा ने भारत का हाथ पकड़ा।
"कौन क्या सोचेगा?मिली नहीं जानती क्या कि तुम्हे कितना गुस्सा आता है?"भारत मुस्कुरा उठा।
तभी एकाएक तेज धमाके ने उन सभी का ध्यान अपनी तरफ खींचा।जो दीवार को गिरा चूका था।
वो विदूषक ही था।तेजी से दौड़ता विदूषक भारत के करीब से गुजरा, लेकिन भारत ने उसे थाम लिया।विदूषक ने भारत को धक्का दिया,लेकिन भारत ने उसे छोड़ा नहीं बल्कि उसके साथ खींचता चला गया।भारत ने आखिर उसे छोड़ा,क्योंकि उसे पकड़ने के लिए तिरंगा की जरूरत पड़ेगी।भारत ने उसे छोड़ा तो शिखा ने उसे पकड़ा।लेकिन उसने शिखा को धक्का दिया और उसका सिर दीवार से जा टकराया।
"उफ़्फ़"की आवाज के साथ शिखा बेहोश हो गई।
"शिखा को संभालो मिली,मै अभी आया।"भारत उसके पीछे दौड़ पड़ा।
तिरंगा विदूषक को पकड़ पाता, उसके पहले ही एक कार विदूषक के आगे आ रुकी और विदूषक उसमें समा गया।
तिरंगा ने अपनी शील्ड की कटर एक्टिवेट की और कार के पहियों पर निशाना लगाकर फेका।निशाना तिरंगा का था चुकने का तो सवाल ही नहीं उठता था।कार आगे जा पलटी।तिरंगा हवा की गति से वहां पहुंचा।उसने दरवाजे को हाथो से उखाड़ फेका।
विदूषक को उठाके जैसे ही उसने एक मुक्का मारने की कोशिश की,वैसे ही उसने एक गैस उसकी नाक के पास छोड़ दी।तिरंगा को कुछ अजीब सा महसूस हुआ और वो पागलों की तरह हंसने लगा।
विदूषक उसकी पकड़ से छूट भागा, तिरंगा उसे पकड़ने उसके पीछे दौड़ा,पर लगातार हंसने के कारण वो जल्द ही थककर रुक गया।इससे पहले कि विदूषक उसकी नजरों से ओझल हो जाता,तिरंगा ने अपना ट्रैकिंग डिवाइस उसके जूतों पर चिपका दिया।
राजनगर
जैसी कि विदूषक को उम्मीद ही थी स्टेशन पर एक ऑडी कार उसे पिक करने आ गई।अंदर घुसते ही जो चेहरा उसके सामने था,उसे वो बहुत अच्छी तरह पहचानता था।वो क्रॉस था।
"तुम?"विदूषक को लगा,जैसे उसे किसी जाल में फंसा लिया गया हो।
"हां,मैं!भागने की कोशिश मत करना।वर्ना एक कदम बाहर रखते ही तुम्हारे इतने टुकड़े कर दिए जायेंगे कि अगले जन्म तक नहीं गिन पाओगे।"क्रॉस के हाथ में गन चमक उठी।
"लेकिन तुम तो....."विदूषक अपनी बात पूरी नहीं कर पाया।
"मर गया था...यही न?और उसकी वजह रोबो और ध्रुव है।अब या तो तुम मेरा साथ दोगे या मेरी हिट लिस्ट में आओगे।फैसला तुम्हारा।"

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