शैतान की वापसी-anky
कहानी – शैतान की वापसी
समय का पहिया लगातार एक ही धुरी पर घूमता रहता है .. इसीलिए कहा जाता है कि इतिहास खुद को दोहराता है
इस बार भी कुछ ऐसा ही होने वाला है
बैंगलोर की एक अत्यंत आधुनिक व् गुप्त प्रयोगशाला में किसी भी जीव के कटे अंगो के पुनः उत्पन्न होने होने के लिए प्रयोग चल रहे थे जिसमे मगरमच्छ , छिपकली , ऑक्टोपस जैसी 5 जीवो के पुनः उगने वाले अंगो के डीएनए को मिला कर प्रयोग किये जा रहे थे परन्तु सफलता नहीं मिल रही थी लगातर प्रयोग के निष्फल होने और संसाधन के कम होने से पुरी टीम आहत थी
टीम के वरिष्ठ सदस्य प्रो. मोहित किसी भी हाल में इस प्रयोग को पूरा करना चाहते थे पर कोई तरकीब नहीं सूझ रही थी वे सदियों पुरानी किताबो में गहन जांच पड़ताल करने लगे
और तभी अचानक प्रो. मोहित की नजर एक खास पेपर पर गयी और उन्हें आईडिया मिल गया
प्रो. मोहित ने पुरे टीम को इकठ्ठा किया और अपना आईडिया सुनाया जिसको सुनने के बाद पुरी टीम सन्न थी
आईडिया था की ट्रांसल्वेनिया चल कर ड्राकुला के शव को खोज कर उसका डीएनए लिया जाए और उस डीएनए को बाकि जीवो के डीएनए के साथ मिला कर प्रयोग किया जाए
पुरी टीम को ये आईडिया मजाक लगा किसी को भी यकीन ही नहीं हुआ की मोहित एक काबिल वैज्ञानिक हो कर दन्त कथा पर विश्वास करते है
सभी मेम्बर्स के ख़ारिज करने के बाद भी प्रो. मोहित ने हार नहीं मानी और टीम में नए शामिल हुए डॉ. रिशव को ले कर गुप्त रूप से ट्रांसल्वेनिया निकल गए
इधर लैब में प्रो. कपिल , प्रो. करण हैरान थे की 3 मेंबर कहा चले गए है उन्हें लगा शायद छुट्ठी पर हो और वे अपने काम में लग गए
उधर ट्रांसल्वेनिया पहुचते ही प्रो. मोहित डॉ. रिशव को ले कर काम पर निकल गए
डॉ. रिशव के पास ट्रांसल्वेनिया के सभी नए पुराने कब्रिस्तानो का विवरण था और वे दोनों सुबह से इसी काम में लगे थे प्रो. मोहित जानते थे की ड्राकुला के नाम से कोई कब्र नही होगी इसलिए वे ड्राकुला के अन्य नाम “व्लाद द तृतीय” और “विलियम” से कब्रे खोज रहे थे .. पर सफलता हाथ नहीं लगी शाम को थक कर वे दोनों एक होटल में गए
पहले तो मैनेजर ने बाहरी होने के कारण रूम देने से मना कर दिया पर जब प्रो. मोहित ने ज्यादा पैसो का लालच दिया तो मैनेजर ने 313 न. का कमरा दे दिया .. और वेटर के साथ कमरे में भेज दिया
उन दोनो के जाते ही एक अनजान शख्स धीरे से मैनेजर के पीछे आ कर खड़ा हो गया मैंनेजर हडबडा कर पीछे पलटा .. उसने भर्राई आवाज़ में उस शख्स से कहा
हुजुर अपने जैसा कहा था मैंने वैसा ही किया .. अब तो मुझे छोड दो
मै कोई सबूत पीछे नहीं छोड़ता ..
इतना कह कर वो शख्स तेज़ी से मैनेजर पर लपका और एक झटके में मैनेजर की गर्दन ऐंठ दी .. फिर अजनबी शख्स ने उसकी लाश ठिकाने लगा दी
इधर डॉ. रिशव रूम में सो गए थे और प्रो. मोहित बेचैनी से कमरे में टहल रहे थे तभी किसी ने रूम गेट पर दस्तक दी .. प्रो. मोहित सोच में पद गए .. कौन हो सकता है ..
प्रो. मोहित ने दरवाजा खोला .. पर .. बाहर तो कोई था नहीं .. पर दरवाजा बंद कर जैसे ही पीछे पलटे .. वे चौंक गए क्योकि अन्दर एक अजनबी शख्स खड़ा था ..
इससे पहले की मोहित कुछ बोल पाते वो अजनबी शख्स बोल पड़ा
मै जनता हु आप यहाँ क्यों आये है , चौकिये मत मालिक से कुछ नहीं छुपता उन्होंने ही आपको बुलाया है वो वापस जिन्दा होना चाहते है .. और इस बार आप जीवित करेंगे
(इतना कहता ही उस अजनबी शख्स ने प्रो. मोहित का हाथ अपने हाथो में लिया और नाखून को बीचोबीच रख दिया .. ऐसा करते ही मोहित के हाथ पे 3 आकृति नजर आने लगी)
पहला निशान है एक पत्ती का ..ऐसा चर्च खोजो जिस पर ये निशान हो .. उसके बाद एक जमींन गडी तलवार का निशान है .. उस चर्च में ऐसा कोई दरवाजा जरुर होगा जिस पर ऐसा निशान बना होगा .. उस दरवाजे को खोलो और अन्दर घुस जाओ .. उसके बाद ये तीसरा निशान एक कब्र में बना होगा इस निशान में 2 करिश्ते मिल कर एक शैतान को मार कर रहे है .. उसी कब्र में हमारे मालिक आराम फारमाँ रहे है .. कब्र खोल कर अपने हाथ को थोडा सा काट कर 2 बूँद खून की डाल देना .. ऐसा करते ही हमारे मालिक जीवित हो जायेंगे .. हम चर्च में नहीं जा सकते .. पर तुम जा सकते हो ..
इतना कह कर वो अजनबी शख्स दरवाजा खोल कर बाहर निकला और हवा में विलीन हो गया
सुबह होते ही मोहित ने रिशव को जगाया और रात में घटी सारी बात दी .. रिशव भौचक्का सा सुनता रह गया उसे यकीं ही नहीं हुआ अपने कानो पर
रिशव ने तुरंत अपना लैपटॉप निकला और पत्ती के निशान वाला चर्च खोजने लगा .. थोड़ी देर में रिशव को सफलता मिल गयी .. जहा रुके थे वहाँ से 60 कि.मी. दूर एक छोटा से गाँव में है वो चर्च
बिना समय गवाए दोनों उस गाँव की तरफ निकल पड़े
करीब 2 घंटे की उबड़ खाबड़ .. यात्रा के बाद वे दोनों उस गाँव में पहुंचे .. चर्च गाँव के बीचोबिच है वहा पहुँच कर दोनों तलवार के निशान वाले दरवाजे को खोजने लगे
इधर कोई और भी इस चर्च में आया था उसने आते ही सबसे पुराने पादरी को खोजना शुरू किया और थोड़े ही देर में उसे खोज लिया .. उसे ले कर वो अजनबी एक कमरे में घुस गया .. करीब 5 मिन. बाद किसी जानकारी के साथ बाहर निकला .. और अन्दर पादरी की गर्दन ऐठी हुई लाश पड़ी थी
उधर खोज कर थक चुके थे दोनों तभी उनकी नजर एक तस्वीर पर पड़ी .. जिस पर तलवार का निशान था जैसे ही तस्वीर को हिलाया .एक गुप्त मार्ग खुल गया
दोनों सीढ़ी से नीचे अँधेरे कमरे में निचे उतरते गए रिशव ने लाइटर जला लिया अब दोनों ने कब्र खोजना शुरू किया करीब आधे घंटे की मेहनत के बाद उन्हें वो कब्र मिल गयी
दोनों ने सम्मिलित ताकत लगा कर कब्र के ढक्कन को खोला तो अन्दर एक हड्डियों का ढांचा दिखा .. रिशव ने बड़ी सावधानी से एक दांत निकाल लिया और सावधानी से बाहर आ गए
अभी वे लोग चर्च से बाहर निकले ही थे की रात वाला अजनबी शख्स उनके सामने आ गया और कहा -
तुम्हारा काम मालिक को जगाना है
हम क्यों जगाये .. तुम खुद जगा लो
इतना कह कर दोनों उस अजनबी को चकमा देते हुए गाडी में बैठ कर शहर में पहुंचे और अगले दिन बैंगलोर पहुँच गए
मोहित लैब में आते ही काम पर लग गए जब प्रो. करण और प्रो. कपिल ने जानना चाहा की कहा गए थे .. तो उन्होंने सच्चाई बता दी .. सच्चाई सुनने के बाद दोनों का मुंह खुला रह गया
प्रो. कपिल ने बाकि जीवो के डीएनए में ड्राकुला का डीएनए मिला कर सीरम बनाना शुरू कर दिया और जीवो पर प्रयोग भी शुरू कर दिया
थोड़ी सी मेहनत के बाद सीरम जीवो पर अल्प मात्रा में काम कर रह था
प्रयोग के दौरान अचानक हरेन्द्र लैब में आते है और उस सीरम को चुरा कर खुद पर इंजेक्ट कर लेते है कोई समझ पता की क्या हुआ है उससे पहले ही सीरम ने असर दिखाना शुरू कर दिया
30 मिन. की दर्दनाक यातना के बाद जब हरेन्द्र को होश आया तो उसके अन्दर ड्राकुला की ताकत आ चुकी थी वो मन की बात सुन सकता था दूर तक देख सकता था उड़ सकता था और कुछ भौतिक तत्व जैसे वायु, बादल, आदि को काबू कर सकता था
मोहित ने हरेन्द्र को कुर्सी से बांध कर रखा था परन्तु होश में आने के बाद हरेन्द्र के लिए उसे तोडना कोई बड़ी बात नहीं थी चारो वैज्ञानिको को अपने हाथो से उठा कर पटक दिया और उन्हें छोड़ता बाहर निकल गया
लैब की छत पर आकर पहले इशारे से बादल बुला कर धुप को रोक दिया फिर जानवरों को अपने हिसाब से कंट्रोल करने लगा
हरेन्द्र अब ड्राकुला बन चूका था और शहर में जो मिल रहा था उसे काटता जा रहा था अपने पिशाचों की संख्या बढाता जा रहा था बड़े मिनिस्टर्स और पॉवर वाले लोगो को हिप्नोटाइज करता जा रहा था
हालात ये थे महज 2 घंटे में आधा शहर पिशाचों में बदल चूका था लोगो में भगदड़ मच चुकी थी हर कोई जान बचने को भाग रहा था
आलाकमान सदमे में था उसने उन चारो वैज्ञानिको से संपर्क किया और इस मुसीबत को रोकने को कहा ड्राकुला ने शहर में मौत का मातम मचा दिया शहर में खून और लाशो के अलावा कुछ नजर ही नहीं आ रहा था बड़े लोग ड्राकुला के वश में थे उन्होंने पुलिस या आर्मी वालो को पिशाचों को कोई आर्डर नहीं दिया और जिन्होंने अपनी तरीके से रोकने की कोशिश की वे मारे गए
इधर लैब में चारो वैज्ञानिक ड्राकुला के डीएनए में कुछ खोज रहे थे और तभी करण को एक ऐसा प्रोटीन मिला जिसको अगर संश्लेषित किया जा सका तो पिशाचों को वापस इंसान बनाया जा सकता है
चारो वैज्ञानिक इसी काम में लग गए और इस बात की खबर आलाकमान को भी दे दी
इस बात की खबर ड्राकुला को भी हो गयी और वापस लैब पहुंचा .. पर इस बार वो तैयार थे वे चारो चाँदी से बनी चीजो का इस्तेमाल कर ड्राकुला को रोकने की कोशिश कर रहे थे परन्तु इससे पहले की ड्राकुला हावी हो पता उसे एक चैम्बर में बंद कर ऐसे गैस से हमला किया जिससे जीवो के डीएनए नष्ट हो जाये महज चंद सेकंड में ड्राकुला वापस हरेन्द्र बन चूका था
इधर आलाकमान ने उस प्रोटीन को गैस में मिला के हेलीकाप्टर के जरिये पुरे शहर में मिला दिया नतीजन थोड़ी ही देर में सब वापस नार्मल हो गए
पता चला वो अजनबी शख्स हरेन्द्र ही था जिसने पादरी को मारा .. हरेन्द्र को जेल हो गयी
करण और कपिल वापस घर जा रहे थे कार से तभी करण को कुछ हुआ और वो बदल गया .. उसने कपिल पर हमला कर दिया ..
समय का पहिया लगातार एक ही धुरी पर घूमता रहता है .. इसीलिए कहा जाता है कि इतिहास खुद को दोहराता है
इस बार भी कुछ ऐसा ही होने वाला है
बैंगलोर की एक अत्यंत आधुनिक व् गुप्त प्रयोगशाला में किसी भी जीव के कटे अंगो के पुनः उत्पन्न होने होने के लिए प्रयोग चल रहे थे जिसमे मगरमच्छ , छिपकली , ऑक्टोपस जैसी 5 जीवो के पुनः उगने वाले अंगो के डीएनए को मिला कर प्रयोग किये जा रहे थे परन्तु सफलता नहीं मिल रही थी लगातर प्रयोग के निष्फल होने और संसाधन के कम होने से पुरी टीम आहत थी
टीम के वरिष्ठ सदस्य प्रो. मोहित किसी भी हाल में इस प्रयोग को पूरा करना चाहते थे पर कोई तरकीब नहीं सूझ रही थी वे सदियों पुरानी किताबो में गहन जांच पड़ताल करने लगे
और तभी अचानक प्रो. मोहित की नजर एक खास पेपर पर गयी और उन्हें आईडिया मिल गया
प्रो. मोहित ने पुरे टीम को इकठ्ठा किया और अपना आईडिया सुनाया जिसको सुनने के बाद पुरी टीम सन्न थी
आईडिया था की ट्रांसल्वेनिया चल कर ड्राकुला के शव को खोज कर उसका डीएनए लिया जाए और उस डीएनए को बाकि जीवो के डीएनए के साथ मिला कर प्रयोग किया जाए
पुरी टीम को ये आईडिया मजाक लगा किसी को भी यकीन ही नहीं हुआ की मोहित एक काबिल वैज्ञानिक हो कर दन्त कथा पर विश्वास करते है
सभी मेम्बर्स के ख़ारिज करने के बाद भी प्रो. मोहित ने हार नहीं मानी और टीम में नए शामिल हुए डॉ. रिशव को ले कर गुप्त रूप से ट्रांसल्वेनिया निकल गए
इधर लैब में प्रो. कपिल , प्रो. करण हैरान थे की 3 मेंबर कहा चले गए है उन्हें लगा शायद छुट्ठी पर हो और वे अपने काम में लग गए
उधर ट्रांसल्वेनिया पहुचते ही प्रो. मोहित डॉ. रिशव को ले कर काम पर निकल गए
डॉ. रिशव के पास ट्रांसल्वेनिया के सभी नए पुराने कब्रिस्तानो का विवरण था और वे दोनों सुबह से इसी काम में लगे थे प्रो. मोहित जानते थे की ड्राकुला के नाम से कोई कब्र नही होगी इसलिए वे ड्राकुला के अन्य नाम “व्लाद द तृतीय” और “विलियम” से कब्रे खोज रहे थे .. पर सफलता हाथ नहीं लगी शाम को थक कर वे दोनों एक होटल में गए
पहले तो मैनेजर ने बाहरी होने के कारण रूम देने से मना कर दिया पर जब प्रो. मोहित ने ज्यादा पैसो का लालच दिया तो मैनेजर ने 313 न. का कमरा दे दिया .. और वेटर के साथ कमरे में भेज दिया
उन दोनो के जाते ही एक अनजान शख्स धीरे से मैनेजर के पीछे आ कर खड़ा हो गया मैंनेजर हडबडा कर पीछे पलटा .. उसने भर्राई आवाज़ में उस शख्स से कहा
हुजुर अपने जैसा कहा था मैंने वैसा ही किया .. अब तो मुझे छोड दो
मै कोई सबूत पीछे नहीं छोड़ता ..
इतना कह कर वो शख्स तेज़ी से मैनेजर पर लपका और एक झटके में मैनेजर की गर्दन ऐंठ दी .. फिर अजनबी शख्स ने उसकी लाश ठिकाने लगा दी
इधर डॉ. रिशव रूम में सो गए थे और प्रो. मोहित बेचैनी से कमरे में टहल रहे थे तभी किसी ने रूम गेट पर दस्तक दी .. प्रो. मोहित सोच में पद गए .. कौन हो सकता है ..
प्रो. मोहित ने दरवाजा खोला .. पर .. बाहर तो कोई था नहीं .. पर दरवाजा बंद कर जैसे ही पीछे पलटे .. वे चौंक गए क्योकि अन्दर एक अजनबी शख्स खड़ा था ..
इससे पहले की मोहित कुछ बोल पाते वो अजनबी शख्स बोल पड़ा
मै जनता हु आप यहाँ क्यों आये है , चौकिये मत मालिक से कुछ नहीं छुपता उन्होंने ही आपको बुलाया है वो वापस जिन्दा होना चाहते है .. और इस बार आप जीवित करेंगे
(इतना कहता ही उस अजनबी शख्स ने प्रो. मोहित का हाथ अपने हाथो में लिया और नाखून को बीचोबीच रख दिया .. ऐसा करते ही मोहित के हाथ पे 3 आकृति नजर आने लगी)
पहला निशान है एक पत्ती का ..ऐसा चर्च खोजो जिस पर ये निशान हो .. उसके बाद एक जमींन गडी तलवार का निशान है .. उस चर्च में ऐसा कोई दरवाजा जरुर होगा जिस पर ऐसा निशान बना होगा .. उस दरवाजे को खोलो और अन्दर घुस जाओ .. उसके बाद ये तीसरा निशान एक कब्र में बना होगा इस निशान में 2 करिश्ते मिल कर एक शैतान को मार कर रहे है .. उसी कब्र में हमारे मालिक आराम फारमाँ रहे है .. कब्र खोल कर अपने हाथ को थोडा सा काट कर 2 बूँद खून की डाल देना .. ऐसा करते ही हमारे मालिक जीवित हो जायेंगे .. हम चर्च में नहीं जा सकते .. पर तुम जा सकते हो ..
इतना कह कर वो अजनबी शख्स दरवाजा खोल कर बाहर निकला और हवा में विलीन हो गया
सुबह होते ही मोहित ने रिशव को जगाया और रात में घटी सारी बात दी .. रिशव भौचक्का सा सुनता रह गया उसे यकीं ही नहीं हुआ अपने कानो पर
रिशव ने तुरंत अपना लैपटॉप निकला और पत्ती के निशान वाला चर्च खोजने लगा .. थोड़ी देर में रिशव को सफलता मिल गयी .. जहा रुके थे वहाँ से 60 कि.मी. दूर एक छोटा से गाँव में है वो चर्च
बिना समय गवाए दोनों उस गाँव की तरफ निकल पड़े
करीब 2 घंटे की उबड़ खाबड़ .. यात्रा के बाद वे दोनों उस गाँव में पहुंचे .. चर्च गाँव के बीचोबिच है वहा पहुँच कर दोनों तलवार के निशान वाले दरवाजे को खोजने लगे
इधर कोई और भी इस चर्च में आया था उसने आते ही सबसे पुराने पादरी को खोजना शुरू किया और थोड़े ही देर में उसे खोज लिया .. उसे ले कर वो अजनबी एक कमरे में घुस गया .. करीब 5 मिन. बाद किसी जानकारी के साथ बाहर निकला .. और अन्दर पादरी की गर्दन ऐठी हुई लाश पड़ी थी
उधर खोज कर थक चुके थे दोनों तभी उनकी नजर एक तस्वीर पर पड़ी .. जिस पर तलवार का निशान था जैसे ही तस्वीर को हिलाया .एक गुप्त मार्ग खुल गया
दोनों सीढ़ी से नीचे अँधेरे कमरे में निचे उतरते गए रिशव ने लाइटर जला लिया अब दोनों ने कब्र खोजना शुरू किया करीब आधे घंटे की मेहनत के बाद उन्हें वो कब्र मिल गयी
दोनों ने सम्मिलित ताकत लगा कर कब्र के ढक्कन को खोला तो अन्दर एक हड्डियों का ढांचा दिखा .. रिशव ने बड़ी सावधानी से एक दांत निकाल लिया और सावधानी से बाहर आ गए
अभी वे लोग चर्च से बाहर निकले ही थे की रात वाला अजनबी शख्स उनके सामने आ गया और कहा -
तुम्हारा काम मालिक को जगाना है
हम क्यों जगाये .. तुम खुद जगा लो
इतना कह कर दोनों उस अजनबी को चकमा देते हुए गाडी में बैठ कर शहर में पहुंचे और अगले दिन बैंगलोर पहुँच गए
मोहित लैब में आते ही काम पर लग गए जब प्रो. करण और प्रो. कपिल ने जानना चाहा की कहा गए थे .. तो उन्होंने सच्चाई बता दी .. सच्चाई सुनने के बाद दोनों का मुंह खुला रह गया
प्रो. कपिल ने बाकि जीवो के डीएनए में ड्राकुला का डीएनए मिला कर सीरम बनाना शुरू कर दिया और जीवो पर प्रयोग भी शुरू कर दिया
थोड़ी सी मेहनत के बाद सीरम जीवो पर अल्प मात्रा में काम कर रह था
प्रयोग के दौरान अचानक हरेन्द्र लैब में आते है और उस सीरम को चुरा कर खुद पर इंजेक्ट कर लेते है कोई समझ पता की क्या हुआ है उससे पहले ही सीरम ने असर दिखाना शुरू कर दिया
30 मिन. की दर्दनाक यातना के बाद जब हरेन्द्र को होश आया तो उसके अन्दर ड्राकुला की ताकत आ चुकी थी वो मन की बात सुन सकता था दूर तक देख सकता था उड़ सकता था और कुछ भौतिक तत्व जैसे वायु, बादल, आदि को काबू कर सकता था
मोहित ने हरेन्द्र को कुर्सी से बांध कर रखा था परन्तु होश में आने के बाद हरेन्द्र के लिए उसे तोडना कोई बड़ी बात नहीं थी चारो वैज्ञानिको को अपने हाथो से उठा कर पटक दिया और उन्हें छोड़ता बाहर निकल गया
लैब की छत पर आकर पहले इशारे से बादल बुला कर धुप को रोक दिया फिर जानवरों को अपने हिसाब से कंट्रोल करने लगा
हरेन्द्र अब ड्राकुला बन चूका था और शहर में जो मिल रहा था उसे काटता जा रहा था अपने पिशाचों की संख्या बढाता जा रहा था बड़े मिनिस्टर्स और पॉवर वाले लोगो को हिप्नोटाइज करता जा रहा था
हालात ये थे महज 2 घंटे में आधा शहर पिशाचों में बदल चूका था लोगो में भगदड़ मच चुकी थी हर कोई जान बचने को भाग रहा था
आलाकमान सदमे में था उसने उन चारो वैज्ञानिको से संपर्क किया और इस मुसीबत को रोकने को कहा ड्राकुला ने शहर में मौत का मातम मचा दिया शहर में खून और लाशो के अलावा कुछ नजर ही नहीं आ रहा था बड़े लोग ड्राकुला के वश में थे उन्होंने पुलिस या आर्मी वालो को पिशाचों को कोई आर्डर नहीं दिया और जिन्होंने अपनी तरीके से रोकने की कोशिश की वे मारे गए
इधर लैब में चारो वैज्ञानिक ड्राकुला के डीएनए में कुछ खोज रहे थे और तभी करण को एक ऐसा प्रोटीन मिला जिसको अगर संश्लेषित किया जा सका तो पिशाचों को वापस इंसान बनाया जा सकता है
चारो वैज्ञानिक इसी काम में लग गए और इस बात की खबर आलाकमान को भी दे दी
इस बात की खबर ड्राकुला को भी हो गयी और वापस लैब पहुंचा .. पर इस बार वो तैयार थे वे चारो चाँदी से बनी चीजो का इस्तेमाल कर ड्राकुला को रोकने की कोशिश कर रहे थे परन्तु इससे पहले की ड्राकुला हावी हो पता उसे एक चैम्बर में बंद कर ऐसे गैस से हमला किया जिससे जीवो के डीएनए नष्ट हो जाये महज चंद सेकंड में ड्राकुला वापस हरेन्द्र बन चूका था
इधर आलाकमान ने उस प्रोटीन को गैस में मिला के हेलीकाप्टर के जरिये पुरे शहर में मिला दिया नतीजन थोड़ी ही देर में सब वापस नार्मल हो गए
पता चला वो अजनबी शख्स हरेन्द्र ही था जिसने पादरी को मारा .. हरेन्द्र को जेल हो गयी
करण और कपिल वापस घर जा रहे थे कार से तभी करण को कुछ हुआ और वो बदल गया .. उसने कपिल पर हमला कर दिया ..
समाप्त
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