Friday 5 August 2016



क्षतिपूर्ति सीरीज का दूसरा भाग और WTS नागराज के ओरिजिन से सम्बंधित श्रृंखला । कहानी के हिसाब से ऐसा ही प्रतीत हो रहा हैं।

कहानी -

क्षतिपूर्ति में कहानी जहाँ पर रुकी थी करीब वही से मसाया से स्टार्ट हैं । तंजानिया में मसाया थोडांगा से टक्कर ले रहा हैं जहां ये दिखता हैं कि उसके पास भी नागराज जैसी ही शक्तियां हैं साथ में कुछ पुराने किरदार भी दुबारा दिखते हैं। इस लड़ाई का क्या अंजाम निकलता हैं ये कॉमिक में पढ़े इसके बाद एक और शख्स को दिखाया गया हैं जो की हूबहू नागराज हैं और सौडांगी की मदद कर रहा हैं आतंकवाद से निपटने में । कहानी में कुछ पुराने तो कुछ नए किरदारों की भी एंट्री हुयी हैं । इसके अलावा और भी बहुत कुछ हैं पर उससे स्टोरी स्पोइल होने का खतरा हैं ।
अगर सिर्फ स्टोरी पर फोकस किया जाये तो स्टोरी बढ़िया हैं इस पार्ट के हिसाब से कुछ घुमावदार जरूर हैं स्टोरी पर इसे आगे के पार्ट तक के लिए छोड़ा जा सकता हैं । स्टोरी में सस्पेंस और ट्विस्ट का मिला जुला असर हैं जो कि इसे और अच्छा बनाता हैं स्टोरी कहीं भी धीमी या रुकी सी प्रतीत नहीं होती जो कि राइटर के बाकी के प्रोजेक्ट के हिसाब से एक बढ़िया प्रयास कहेंगे । स्टोरी में गति भी हैं बांध के रखने की क्षमता भी और मनोरंजन देने की। बाकि इसका आगे क्या हाल होगा वो तो नेक्स्ट पार्ट के राइटिंग के हिसाब से समझा जा सकता हैं ।

आर्ट भी बढ़िया हैं पर पहले के दृश्यों को बनाने और फील कराने के लिए थोड़े और मेहनत की जरुरत हैं खासकर पेज 44 फ्रेम 4 में नागराज जो की फैटी लग रहा हैं इसके अलावा बैकग्राउंड आर्ट की भी कमी कई जगह खलती हैं ।

कृपया आगे के जिसने स्टोरी न पढ़ी हो कृपया न पढ़े क्योंकि स्टोरी स्पोइल हो सकता हैं।

नेगेटिव पॉइंट -
1.  पेज 3 पर सौडांगी नागराज से पूछती हैं कि हमारा अगला पड़ाव क्या हैं जहाँ नागराज उसे कहीं और का पता बताता हैं अगर समय धारा यहाँ से दो फाड् हुआ हैं हैं तो इसमें एक गड़बड़ी हैं नागराज ने नागदीप को इस लिए छोड़ा था कि हेलीकाप्टर को तोड़ते वक़्त उसमे मौजूद वायरलेस से मुम्बई में हो रहे गड़बड़ी का पता नागराज को चला था और उसने इस बदले हुए हालात के कारण नागद्वीप छोड़ा था क्योंकि नागद्वीप वासियो और लंगारा नागों ने नागराज को किसी एक दुनिया को चुनने को कहा था।
2. वीरगति के बाद 96 पेज के 2 पार्ट आ गए पर अभी भी इसमें वीरगति से जुड़े अहम् किरदार बाबा गोरखनाथ को न दिखाया गया और उन्होंने नागराज को क्या कहा था (शायद कुछ कहा था पर वीरगति को आये काफी लंबा अरसा बीत जाने के बाद ध्यान नही सही से) जिसे आगे के पार्ट के लिए छोड़ा गया था । ये सस्पेंस लास्ट तक बनाये रखने की आदत स्टोरी को नीरस बना देते हैं ।

पॉजिटिव -
1. कुछ पुराने किरदारों का इस कॉमिक में भी आना एक पॉजिटिव पॉइंट कहा जा सकता हैं साथ ही आतंकहर्ता नागराज के लिए नए विलेन मण्डली का परिचय।
2. स्टोरी की गति को बनाये रखना, साथ में कही पर भी ऐसा नही लगा की कहानी किसी दूसरी दिशा में भटक रही हैं या किसी गलत ट्रैक पर जा रही हैं...!!
3. इसके डायलॉग अच्छे है, सिम्पल साधारण....

कहानी - 4/5
आर्ट - 4/5

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